RE: Antarvasnasex आप की शशि
आप की शशि पार्ट् – 4
शीला तो चली गई थी और मैं उदास थी के अब क्या करुँ अकेले ही सब कुछ करना होगा.... दो मंथ बाद मेरी डैड मोम और सिस्टर कि कार एकसिडेंट में डेथ् हो गई. ये हादसा तो जैसे मेरे लिये कयामत ही ले आया मैं नीम पागल सी हो गई. मेरी ऐज उस वक्त तक़्रिबन १४ और हाफ होगी. घर में एक कुहराम मच गया. सब रिलेटिवस आये. और मैं चूंकि अकेली रह गई थी मुझे खाला अपने साथ ले गई अपने घर जो कही दूसरे सिटी में था...
इस हादसे कि वजह से मैं तो जैसे एक सन्नाटे में थी पता नहीं कितने दिन गुजर गये मुझे पता ही नहीं कोन कोन आया अफ़सोस के लिये और फिर आहिस्ता आहिस्ता वक्त के साथ साथ सब कुछ अपनी पोजिशन में आने लगा....
मेरा रिजल्ट आ चुका था मैं बुरी तरह फेल हो चुकी थी.... क्यों न होती स्टडी ही कहा कि थी.... मजे किये थे.... और वैसे भी मेरा पढ़ाई से जी उचाट हो चुका था कुछ भी अच्छा नहीं लगता था.... माईंड धीरे धीरे फिर पुरानी यादों कि तरफ जाता और मेरे हाथ खुद ब खुद अपने ब्रेस्टस् पे आ जाते लेकिन कुछ भी पूरी तरह कर न पाती के आंखों से आंसू रफान हो जाते......
एक दिन यूँ ही मैं उदास अपने कमरे में बेठीक थी कि कमि मेरे कमरे में आया. मैं आज उसे पहली बार गोर से देख रही थी. वों काफी बड़ा हो गया था ये भारी भारी बोडी लम्बा कद. चोडे कंधे और छाती. बोअर्दिंग हाउस में काफी मेहनत कि थी उस ने.... उस ने आते ही कहा .
ऍये क्या हो गया है तुम को बस करो न अब जिन्दगी ऐसे तो नहीं गुज़रती चलो उठो आओ मैं तुम्हें बाहर ले चलता हुँ और उस ने मेरा हाथ पकड़ के उठाया.
नहीं कमि मेरा दिल नहीं है मैंने मना किया.
ऑह हो! मुझे अपना दोस्त समझती हो न याद है बचपन में तुम मेरी हर बात मानती थी उस ने मेरी आंखों में देखते हुए कहा.
हां अब मानती हुँ और मानती रहूनगि तुम ही तो अब मेरे एक दोस्त हो जिस से मैं दिल कि हर बात कर सकती हुँ लेकिन अभी मेरा बाहर जाने का मन नहीं है मैंने हाथ छुडाया और फिर बेड़ पे बैठ गई और वों भी मेरे पास बैठ गया सिर झुक के जाने क्या सोचने लगा... मैं अपने आप में गुम थी...
याद है शशि हम ईकठे नहाया करते थे.... मैंने उस कि आंखों में देखा एक अजीब सी चमक थी.
हां याद है. सब याद है और ये भी के तुम मुझे छोड़ के चले गये थे.. मैंने सिर झुकाते हुए कहा और मेरी आंखों में आंसू आ गये.
अरे वों तो मेरी मजबूरी थी और मैं कौन सा अपनी खुशी से गया था मोम कि ख्वाहिश थी वों मेरे और करीब हो गया ऐर दोनों हाथ मेरे चेहरे पे लाकर मेरे आंसू साफ किये और मैं उस के गले लग गई. उस ने भी बाजू मेरे पीछे लाकर मुझे अपने साथ लगा लिया. मुझे बहुत अच्छा लगा युन्हि हम काफी देर एक दूसरे से लिपटे रहे..
शशि एक बात कहुँ नाराज न हो उस ने मुझे पीछे हटाते हुए कहा.
क्या? मैंने उस कि आंखों में देखते हुए पूछा.
हम वाकई बड़े हो गये हैं कैसे?
क्या मतलब मैं समझी नहीं?
ये देखो जरा.... उस ने हाथों से मेरे बूब्स कि तरफ इशारा किया और मैं शर्मा गई और अपना दुप्पटा अपने सीने के सामने कर लिया.
शरम नहीं आती मैंने उसे कहा
शरम किस बात कि? हम में भी शरम है क्या? वैसे तुम जो चाहती थी बचपन से वों ही किया न उस ने मुस्कराते हुए कहा ... और मुझे याद आ गया के जब हुम दोनों साथ साथ नहाया करते थे तो मैं खुद ही कमि के हाथ अपने निप्प्लेस पे रख कर उस को दबाने को कहती थी एक अजीब सा मजा आता था मुझे. पुरानी याद एक फिल्म कि तरह मेरे दिमाग में चलने लगी......... मुझे होश जब आया के कमि के हाथ मेरे बूब्स पर लगे.
ऍह!! क्या कर रहे हो कोई आ जायेगा...
कोई नहीं आयेगा शशि घर में कोई नहीं है मोम बाहर गयी हैं हम दोनों अकेले हैं. जरा देखूँ तो सही क्या बनाया है तुम ने इतने सालों में. अरे ये तो बड़े नरम हैं वअव!!!! और अब उस के दोनों हाथ मेरे ब्रेस्टस् पर थे मेरे पूरे बादन में एक लहर से दोडने लगी आज बड़े दिनों बाद किसी ने मेरे ब्रेस्टस् को छुआ था. वोहि सेक्स का नशा. खुमार सा मेरे दिल ओ दिमाग पे छाने लगा. ऍह आह आह कैसा अच्छा लग रहा था वों दोनों हाथों में मेरे बूब्स को भर रहा था मल रहा था मसल रहा था प्यार से सख्ती से मेरी तो आँखें बन्द हुई जा रही थी और सांसें तेज़ तेज़... आह मेरे मुँह से सिसकी निकल गई
आहिस्ता कमि आहिस्ता जोर न लगओ दर्द होता है!!!! वों तो जैसे दीवाना हो रहा था मेरे बूब्स को अपने हाथों में ले कर और मेरा भी हाल कुछ पागलों का सा था.... उस ने मेरी कमीज़ ऊपर करनी चाही.
नहीं कमि नहीं लेकिन मैं भी तो ये ही चाहती थी कोई तो इन से खैले कब से मेरी छतियान उदास हैं प्यासी हैं आह आह ओह ओह्ह और मैं जरा सा उठी अपनी कमीज़ अपने नीचे से निकालने दी और उस ने मेरे ब्रेस्टस् तक कमीज़ उठा दी और एक दम मेरी ब्रा भी उठा दी मेरी कमीज़ और ब्रा मेरे गले में थी. मैं खुद अपनी छतियान देख नहीं सकती थी लेकिन वों देख रहा था. मैंने आँखें खोली और उस कि आंखून में देखा एक चमक थी उस ने मुझे बेड़ पे लेटा लिया था.
वोव!!! शशि बहुत प्यारे हैं तुम्हारे मुम्मे.
क्या कहा मुम्मे.. मैंने आहिस्ता से पूछा.
हा यार इन को और क्या कहते हैं मुम्मे. छात्तियान. ब्रेस्टस् और बूब्स क्या कहुँ बात तो एक ही है न.. उस ने मेरी तरफ देखते हुए कहा और उस के हाथ एक बार फिर मारे बूब्स पर आ गये वों इन को मसाज करने लगा. उस के हाथ बोहथ होट थे. अच्छे लग रहे थे. मेरे बूब्स भी बहुत गरम हो रहे थे. उस ने मेरे लेफ्ट निप्प्ले को उंग्लियुन में दबाया. मेरी आह निकल गई और फिर उस ने राईट निप्प्ले को भी उंग्लियुन में ले लिया और खुद मेरे ऊपर आ गया और उस ने अपने गरम गरम होंठ मेरे होंथून पे रख दिये. ये पहली किस्स थी के मैं झूम गई. और वों मुझे चूम्ने लगा. चूमता रहा. मैं भी अब उस का साथ देने लगी मेरी धर्कन और भी तेज़ होने लगी लेकिन मजा था के क्या कहुँ...
उस ने होंठ मेरे होंठो पे रखे रखे अपने ज़ुबान मेरे मुँह में डालनी चाही. मैंने भी मुँह खोल दिया और अब उस कि ज़ुबान मेरी ज़ुबान से टच कर रही थी. हाथ अभी भी मेरे बूब्स को सहला रहे थे. वों पूरा मेरे ऊपर लेटे हुआ था. मेरी रानों पे कुछ गरम गरम हार्ड सा लग रहा था. मेरे नीचे से तो जैसे शोवेर चलने लगा था मेरी शलवार भर गई थे. वों अब मेरी ज़ुबान अपने मुँह में ले कर चूस रहा था...... फिर उस ने मेरी कमीज़ और ब्रा का फन्द मेरे गले से निकल दिया और अब मैं सिर्फ शलवार में थी और आंखें बन्द किये लेटी थी.
है शशि मजा आया? ... अब हम वाकई बड़े हो गये है न? उसने बैठते हुए पूछा
हां बहुत बड़े. मैंने आँखें बन्द ही रखते हुए कहा
अरे उठ बेठो न और आँखें तो खोलों यार उस ने मुझ भी उठा के बिठा दिया पर मैंने आँखें नहीं खोलैन मुझे बड़ी शरम आ रही थी...
ऍअंखैन तो खोलू न कुछ दिखाना है तुम को....
नहीं खुल रहीं न शरम आ रही है. यार
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