RE: Sex Hindi Kahani राबिया का बेहेनचोद भाई
भाई ने भी हाथो की पकड़ ढीली कर दी.....मैं फिसलती चली गई....पलट कर सोफे पर बैठने ही वाली थी की....उसने कमर से पकड़ .....अपनी गोद में कस लिया......मैं स्कर्ट को ठीक करते....रानों को धकते हुए बोली....गंदे.....छोड़ो .....भाई ने हल्के हाथो से मेरी कमर को पकड़ लिया.....और गर्दन को हल्के से चूम लिया.....मैं सिहर उठी....सरगोशी करता कान में बोला....बैठ ना.....कल की हमारी बाते अधूरी रह गई थी.....कौन सी बात....छोड़ो ना.....वही तेरी सहेली वाली बात.....गोद में बैठते ही अहसास हो गया की भाई अपना हथियार खड़ा कर चुका है.....गाँड को अड्जस्ट करती.....मचलती हुई....गोद से उठने का नाटक करती....ताज्जुब करते बोली....सहेली वाली बात....वो क्या थी....ठीक से बैठने दो नाआअ......ठीक से तो बैठी है.....नही सोफे पर बैठने दो.....क्यों मेरी गोद में कोई काँटे लगे है.... हाए !!! मैं नही जानती....छोड़ो मुझे अच्छा नही लग रहा....
प्यार नही करती मुझे....धत !...ये क्या बात हुई.....प्यार करने से गोद में बैठने का क्या तालूक़......गोद में बैठने से प्यार बढ़ता है.....हट बेशरम....बाते बनाना तो कोई आपसे सीखे.....नीचे उतरो.... हाए !!! बैठ ना ऐसे ही......अच्छा लग रहा है.....धत ! नही...मुझे टीवी देखने दो......मैं कहा मना कर रहा हू....देख ना टीवी....इतने प्यार से पहली बार तो गोद में बैठी है... हाए !!! धत !...मेरी उमर कोई गोद में बैठने की है......क्यों.....मैं कोई बच्ची हू.....हा बच्ची तो नही है... मज़े की जवान हो गई है.....गोद मैं मचलती इठलाती हैरान होते बोली... हाए !!! रब्बा...कितने बेशरम हो भाई....कोई अपनी बेहन के बारे में ऐसे बोलता है....अफ बेशरम....भाई हँसने लगा और गर्दन आगे बढ़ा मेरी गाल चूमते बोला.... हाए !!! इतनी तवज्जो तो रखनी पड़ती है......धत ! बेशरम....बेहन की जवानी पर नज़र....मचलती हुई बोली.....
तेरी जवानी के हिसाब से ही तो लड़का ढूँढना होगा.... हाए !!! धत !....भाई कितने बेशरम हो गये हो आप....क्यों शादी नही करनी तुझे क्या.....क्या मतलब.....मतलब अपनी इतनी खूबसूरत....पुरकशिश जवानी से लबरेज प्यारी बेहन के लिए उसी के हिसाब से लड़का ढूँढना होगा ना.... हाए !!! रब्बा बेशरम.....कैसे बोल रहे है आप भाई....कोई अपनी बेहन के बारे में ऐसे.....कमर पर अपने हाथो को कसता....गर्म साँसे फेकता.... धीरे से बोला.....क्यों बेहन खूबसूरत हो तो बोलने में क्या हर्ज़ है....हा हा आपके लिए तो कुछ भी करने में हर्ज़ नही....भाई हँसने लगा....मैने ऐसा क्या किया.....तू तो खा-म-खा मेरे से नाराज़ हो रही है.....हसो मत....एकदम बहाया हो गये हो आप....अच्छा चल मैं कुछ नही बोलता....कहता हुआ भाई चुप हो गया और टीवी देखने लगा....
हाथ से अभी भी पेट को धीरे धीरे से सहला रहा था....उसके खड़े लंड का अहसास मुझे अब पूरी तरह से हो रहा था.....लंड की गर्मी का अहसास कल से ज़्यादा महसूस हो रहा था.....शायद पाजामे के पतले कपडे की वजह से.....गरम लंड के उपर गाँड रखे मैं अंदर-अंदर सिहर रही थी....चूत अभी से पनियाने लगी थी.....भाई हल्के हल्के पेट सहलाते हुए.....बहाने से चूची के नीचे हाथ ले जाता....वो हल्के हल्के चूची छुने की कोशिश भी कर रहा था.....नीचे से चूचियों को हल्के हल्के छूते...गर्दन पर गर्म साँसे फेंकता....सरगोशी किया.... हाए !!! निकाह के बाद....तेरी सहेली....मैं गर्दन घुमा चौंकती हुई बोली...हा क्या हुआ मेरी सहेली को.....भाई मुस्कुराता हुआ पेट को सहलाता बोला.....बहुत गदरा गई है.....लगता है हनिमून.....मैने आगे कुछ बोलने नही दिया और मुँह पर हाथ रख नाटक करती बोली..... हाए !!! रब्बा.....भाईईईईईईई.....सच में आप बहुत बेशरम हो गये हो......छी !!!.....यही करने गये थे आप.....उसके यहाँ.....
उफ़फ्फ़ ... ......नही आप बहुत गंदे हो....छोड़ो मुझे......कहते हुए मैं उठने लगी.....बैठ ना मैं कुछ कर रहा हू.....आप गंदी बाते....इसमे गंदी बात क्या है....तेरी सहेली का निकाह हुआ....आज निकाह के बाद पहली बार देखा तो.....जो लगा सो बोल दिया......छी बेशरम यही ख्याल है आपके......अब इसमे बेशर्मी वाली क्या बात हुई.....लड़कियां तो निकाह के बाद थोड़ी अलग सी दिखने लगती.....मुझे भी यही लगा.....आपको तो कुछ भी ग़लत नही लगता....मैने मुँह बिचकाते हुए कहा.....ठीक है मैं जो भी कहता हू सब ग़लत है....और तू जो कहती है सब सही...है ना.....मैं खुश होती हुई बोली....और क्या....अब जा कर आपने माकूल बात की है....भाई मुस्कुराता हुआ पेट पर हाथ कसता बोला.....शुक्रिया आपका मोहतार्मा....मैं और इतराती हुई बोली.....अब छोड़ो नीचे बैठने दो.....कहती हुई मैं उसका हाथ हटा कालीन पर बैठ गई.....भाई भी नीचे उतार कालीन पर बैठ गया.....
तुम क्यों नीचे आ गये......मेरे बगल में बैठ कंधे पर हाथ डाल कर मुस्कुराता हुआ बोला.....बेहन से दूर नही रह सकता.....मेरी प्यारी खोए की गुड़िया नीचे बैठी है और मैं उपर सोफे पर......हट बदमाश....ज़रूर आपके मन में कोई शैतानी भरा ख्याल होगा......कुछ नही बस एक बात पूछ नी थी......क्या....तू फ़रज़ाना के घर जाती थी.....हा......कभी कुछ ऐसा लगा जैसे दोनो भाई-बेहन आपस में..... हाए !!! चुप्प करो.....आप भी ना जाने क्या क्या....पर वो डिस्को जाती है भाई के साथ.....कमर में हाथ डलवाए....तुझे हैरानी नही हुई... हाए !!! छोड़ो ना उसकी बात.....बस पूछ रहा था....मुझे तो बहुत हैरानी हुई थी....हा और उसी का फ़ायदा उठा कर आप मुझे डिस्को.....मैं सब समझती हू आपके दिल में क्या है..... हाए !!! मेरे दिल क्या....मैं तो सीधा-साधा.....अच्छा सब पता है जनाब कितने सीधे साधे है... हाए !!! तू ग़लत....ग़लत क्या...मैं अपनी रौ में बोलती चली गई....ऐसे ही फ़रज़ाना के बारे में पूछ पूछ कर उगलवा लोगे की वो अपने भाई के साथ....क्या करती है.....
आपको हैरानी हुई थी मगर मुझे नही हुई.....क्योंकि मैं जानती थी....की की...मैने बात को बीच में ही छोड़ दिया.....भाई को ऐसा लगा जैसे मैने अंजाने में फ़रज़ाना का राज उगल दिया....मगर मैने तो जानभूझ कर ये तीर चलाया था.....भाई अब पीछे पर गया.... हाए !!! क्या जानती थी.... हाए !!! बता ना... हाए !!! धत !...गंदे....उफफफ्फ़.... हाए !!! प्लीज़ रबिया बता ना.... हाए !!! नही आप मुझे बहका कर.....जाने क्या क्या बुलवा लेते हो.....मैने कहा बहकाया....तू तो खुद ही... हाए !!! बता ना तुझे मेरी कसम....हट गंदे...बात-बात पर.....कसम ना दिया करो.....क्या करू तू तो बताती ही नही.... हाए !!! बता ना प्लीज़....नही मुझे शरम आती है.... हाए !!! रबिया तू भी ना बहुत नखड़ा करती है....बता ना प्लीज़... हाए !!! ठीक है....आप किसी को बताओगे तो नही....मैं भला किसी को क्यों बताऊंगा ....ये हमारे भाई-बेहन के आपस की बात है.....बता ना क्या जानती थी.....वो...वो.. हाए !!! कैसे बोलू....वो अपने भाई से.....भाईजान के साथ....उफ़फ्फ़....भाई ने बात को पूरा किया....मज़े करती है....हा...वही....
मुझे तो पहले से ही शक़ था....वो अपने भाई के साथ फंसी हुई है....तू ही मेरी बात नही मानती थी.... हाए !!! तूने कुछ देखा था.....ज्यादा तो नही....वो जब कॉलेज जाने के लिए एक दिन सुबह सुबह उसके घर गई तो... हाए !!!....तो....हा क्या देखा....मैं अपना चेहरा अपने हाथो से धकते हुए बोली....उसका भाई उसको अपनी बाहों में भर कर....धत !.... हाए !!!....भाई खुश होता बाहों में कसता खींचता एक झटके से अपनी गोद में ले.....लंड को गाँड में चिपकता बोला....बाहों में भर प्यार कर रहा था... हाए !!!....धत !....वही.....भाई ने मेरे गाल पर कस कर चुम्मि काटी.....उसका रास्ता खुल गया था.... फ़रज़ाना की मिसाल दे कर वो अपना काम निकालने की कोशिश करेगा.....बाहों में कसता.....पेट पर उपर की तरफ हाथ लगा....चूची के नीचे सहलाता बोला..... हाए !!! तेरी तो सारी सहेलियाँ मज़े कर रही है.... हाए !!! धत !....और क्या....एक अपने भाई के साथ....एक अपने खलजाद भाई के साथ.... हाए !!! धत ! ऐसे ना बोलो....वो अब उसके शौहर है....जो भी है....बहुत मज़े कर रही है.....तेरी सहेलियाँ.....
ही धत !....भाई आप भी ना....छोड़ो ना गंदी बातो को....फिर वही....इसमे गंदा क्या है.....कल को तेरा भी निकाह होगा....तब भी बोलेगी गंदी बात... हाए !!! पर वो तो निकाह के बाद......लोग तो बिना निकाह के भी....पर भाई बहन थोड़ी ऐसी बाते करते....अभी अभी तो तूने ही बताया की कैसे.....फ़रज़ाना अपने भाई के साथ मज़े कर रही है.....फिर हम डिस्को जा सकते है....घूम फिर सकते है....फिर आपस में इल्म बाटने में क्या हर्ज़ है..... हाए !!! मैं इसी वजह से आपको कुछ नही बताती.....फिर ये इल्म बाटना हुआ....और क्या कल को हम दोनो का निकाह होगा....जो मुझे पता है वो मैं तुझे बताऊंगा .....फिर तू भी....हट बेशरम.....कमर को ज़ोर से भींच गोद में दबोचा.....मैं थोड़ा इठलाई मचली....वो फिर धीरे से बोला.....शबनम मज़े कर रही होगी .....है ना....धत !....उफ़फ्फ़.....भाई.....क्यों शबनम का दबा रहा होगा ना उसका शौहर.... हाए !!!...मैं शरमाई.....खूब दबवा रही होगी है....
हाए !!! भाई...मत बोलो.....दिल तो तेरा भी करता होगा.....मार दूँगी.....मार लेना....पर बता ना दबवा रही होगी ना....धत !... हाए !!! खूब मसलवा रही होगी.....मैने धीरे से कहा....मैं नही जानती....अच्छा एक बात बता तेरा सहेली फ़रज़ाना.....हा उसका क्या....वो दब्वाती होगी ना... हाए !!! छी गंदे मुझे नही बात करनी आपसे.....छोड़ो मुझे.... हाए !!! मेरी गुड़िया रानी के नखड़े हज़ार...वैसे भी तूने अभी बोला की तुझे सब पता है.....बीबी के साथ क्या क्या......मैं हँसने लगी और हँसते हुए पीछे मुड़ भाई के गालो चपत लगती बोली....गंदे....चालाक....खाली बहाने से फसाते रहते हो.... हाए !!! मैने कब फसाया.....ओह हो....बहका कर डिस्को ले गये...समंदर किनारे ले गये....ये तो ना होगा की कभी मैथ्स की किताब ले कर पुछा हो....हा रबिया बता क्या प्राब्लम है....मियाँ-बीबी के बीच क्या होता है....इसकी बाते करनी है... हाए !!! तुझे मज़ा नही आया क्या.....धत !.. हाए !!! रबिया तुझे कसम है....बता ना मज़ा आया था... हाए !!! कसम ना दो.....नही दूँगा पर बता.....मैने गर्दन नीचे कर लिया बदन को ढीला छोड़....अपनी पीठ भाई की छाती से टीका ....सर्माती हुई धीरे से बोली... हाए !!! हा.
भाई जैसे खुशी से उछल पड़ा....कमर को दोनो हाथ से पकड़ और कस कर गोद में दबोचा....नीचे का खड़ा लंड गाँड की दरार से होता हुआ आगे को निकाल चूत के निचले हिस्से को चूमने लगा....मैं मचली... हाए !!! भाई... हाए !!! छोड़ो कालीन पर बैठने दो ना.... हाए !!! बैठ ना.....मेरी गोद चुभती है क्या.....सोचा ज़यादा ही नखड़ा कर लिया....बात आगे बढ़ानी चाहिए....हौसला दूँगी तभी तो डालेगा......गाँड को लंड पर दबाते..... उसकी जाँघ पर चिकोटी काट बोली.....हा चुभ रहा है.....भाई एक हाथ मेरी रान सहलाता बोला... हाए !!! क्या चुभ रहा है.....धत !....मैं नही जानती....भाई मेरे कंधे पर अपनी गर्दन रखता गाल से गाल सटा ता बोला.... हाए !!! जानती तो सब है मेरी गुड़िया रानी......बस ज़रा शरमाती है... हाए !!! बता ना क्या चुभ रहा है.....उफ़ !!!....भाई....धत ! छोड़ो ......नीचे बैठने दो.. हाए !!! बता ना....तू तो खा-मा-खा शर्मा रही है.... हाए !!! धत ! नीचे बैठने दो.....वहा तेरी सहेलियाँ उठा-उठा कर दिखा रही है.....कहते मेरी जाँघ को सहलाया......
गोद में बैठे मचलने के कारण मेरी छोटी सी स्कर्ट वैसे ही उपर आ चुकी थी.....आधी से ज़यादा रान नंगी थी.....भाई ने जब अपनी हथेली को आगे सरकया तो....स्कर्ट सरक कर और उपर आ गई....रान नंगी हो गई....मैने स्कर्ट को नीचे की तरफ खीचने का नाटक किया.....रहने दे ना... हाए !!! छी मैं नंगी....नंगी कहा....खाली स्कर्ट थोड़ा सा उपर.....फिर अभी सोफे पर बैठ के दिखाया तो था तूने.....कल भी तो दिखाया था.....हट बदमाश मैने नही दिखाया था......अपने आप उपर चला गया था....आपके तलवे चाटने के चक..कर में.....जो भी हो दिखाया तो था.... कहता हाथ को थोड़ा और उपर सरका.....मेरी पूरी रान को नंगा कर दिया... हाए !!! उफ़फ्फ़....भाई.....पर वो मेरी गोरी चिकनी जाँघो को सहलाता बोला.... हाए !!! कितनी कसी हुई गदराई रान है.....कसम से.....और दूसरे हाथ को भी दूसरी रान पर रख....फ्रॉक को धीरे से उपर सरकाया....दोनो रान एकसाथ नंगी हो गई....स्कर्ट सिमट कर रानों के बीच आ गई....पैंटी ढाकी हुई थी... हाए !!! भाई उफफफफ्फ़.....छी....कहते हुए मैने जल्दी से स्कर्ट को खीच रानों को ढाका और बोली.... हाए !!! उफ़फ्फ़....भाई इसलिए मैं आपको नही बता रही थी....स्कर्ट तो मैने खींच लिया था....
पर भाई का हाथ अभी भी मेरी रानों पर स्कर्ट के नीचे घुसा शरारत कर रहा था....मेरी चिकनी रानों को सहलाता भाई मुझे बातो में उलझाता बोला... हाए !!! क्या नही बता रही थी....वही फ़रज़ाना के बारे में.....अपनी सहेलियों से सीख.....अगर मैं जिद् ना करता तो तू डिस्को भी नही जाती.....भाई समझाते हुए बोला.....पर भाई मैं आपकी बेहन.....फिर वही बेहन-भाई.....मेरी बात को काट ते हुए बोला.....तू नही जानती सब अपने घरो में....घर की बात घर के अंदर....किसी को पता नही चलता... हाए !!! नही.....अच्छा बता फ़रज़ाना करवाती होगी ना अपने भाई से.....रान सहलाते भाई बोला.....मैं शरमाती गाल लाल करती बोली.. हाए !!! हा....और भी कई लड़कियां होगी ऐसी....होगी की नही.... हाए !!! हा होगी....तब फिर....मौका मिला है तो......वहा अपने शहर में तो अम्मी का कड़ा पहरा.....पर...यहाँ आज़ादी.....तेरा भी दिल करता होगा.....धीरे से बोली...क्या....कभी-कभी मज़ा लूटने का.....भाई कान से मुँह सटा बोला....करता होगा ना.....धत ! ही....तू शरमाती है....बता ना करता है की नही...
हाए !!! हा करता है....मैं अदा के साथ पीछे पलट भाई की छाती में मुँह छीपाती बोली.....भाई बाहों में कसता....अपनी छाती से चिपकता बोला.....इसलिए तो मैं तुझे घुमाने ले जाता हू.....अपनी गुड़िया के सारे सौख पूरा करना मेरा फ़र्ज़ है.....फिर तेरा निकाह हो जाएगा तो.... हाए !!! नही करना मुझे निकाह....मैं सर्माने का नाटक करती धीरे से बोली....भाई हँसता हुआ बोला....दिल तो मेरा भी करता है की अपनी इस खूबसूरत गुड़िया को कही ना जाने दूँ.....पर अम्मी-अब्बा... हाए !!! नही जाना मुझे अम्मी के पास.....मुझे अपने पास रख लो.....भाई खुश हो बाहों में कसता.....मेरे माथे को चूमता बोला....मेरी प्यारी तुझे तो मैं अपने पास.... हाए !!! कितनी खूबसूरत है....मेरी गुड़िया .....मेरा चेहरा ठुड्डी पकड़ उपर उठा कर देखता बोला.... हाए !!!.... करते छाती से अलग हो टीवी की तरफ घूम कर बैठ अपने चेहरे को हथेली से धक लिया.....बस यही कमी है तेरे में शरमाती बहुत है.....इतना शरमाईएएगी तो.....कहते हुए मेरी रानों को सहलाया और हाथ को और उपर ले गया रानों के ज़ोर के पास....
जहा से पैंटी का किनारा शुरू होता था......मैं तो चाह रही थी की हाथ को और अंदर घुसा मेरी चूत को सहलाए....चूत में उंगली डाल धीरे-धीरे कुरेदे....अपने हाथ से चूत सहला सहला कर मैं तंग आ चुकी थी....भाई मेरी दोनो चिकनी जाँघो पर....मैं सिसक उठी.....रानों पर फिसलती भाई की हथेली ने बदन की सनसनी को बढ़ा दिया....मैं नाटक करती बोली... हाए !!! भाई हाथ हटाओ....भाई मेरी मांसल जाँघो का मज़ा लेता बोला... हाए !!! रबिया कितनी चिकनी रान है.....एक दम मखन के जैसी... हाए !!! धत ! बेशरम.....सच रबिया मेरा दिल तो इस पर चुम्मिया काटने को कर रहा है.... हाए !!! इसस्स्सस्स....भाई आप....छोड़ो .....कहा पकड़ा है... हाए !!! कितनी खूबसूरत रान है तेरी....अफ आप मानोगे नही..... हाए !!! बेशरम....बेहन की रान.....पर हाथ लगते शरम नही आती.....मैं गर्लफ्रेंड सोच के हाथ लगा रहा हू..... हाए !!! धत !....भाई ने रानों के ज़ोर को सहलाया.....मैं सिसकी... हाए !!!.....मेरी पैंटी के किनारे पर हाथ फेरता बोला.....तू सरमाती बहुत है.....मैं कुछ नही बोली.....टीवी की तरफ देखती रही.....
ऐसे शरमाएगी तो कैसे चलेगा....रान की ज़ोर से हथेली आगे बढ़ा पैंटी पर रखा....मैं सिसकी.... हाए !!! भाई....अपने भाईजान से क्या शरमाना.....हाथ आगे ला चूत के उपर रखा....मैं मचली.....भाई धीरे धीरे कान में बोलता रहा....ऐसे शरमाएगी तो तेरे शौक कैसे पूरे होंगे....हू बता... मैं चुप थी टीवी पर नज़र गड़ाए....भाई ने अपनी हथेली अब चूत के उपर रख दी....मेरी गरम चूत की तपिश उसको मिल रही थी.....बातो में बहलाता अपना मतलब निकाल रहा था....अपने सारे शौक पूरे कर ले.....जहा घूमने जाना हो.....जो पहन ना हो मुझे बता मैं पूरा करुणगा.....समझी मेरे गाल को चूमा..... हाए !!! भाई.....17 की हो गई है ना तू.....हा भाई.....यही तो उमर होती है....खेलने खाने के.....है ना.....जी भाईजान.....पूरी चूत पर अपनी हथेली चिपका एक बार सहलाया.....मैं सनसना गई.....चूत के होंठ गीले हो गये... हाए !!! भाई....इसके बाद तेरा निकाह हो जाएगा.....
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