प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
07-04-2017, 12:31 PM,
#29
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
मुझे तो लगने लगा था कि मैं जैसे परी कथा का राजकुमार हूँ और वो मेरे ख़्वाबों की शहजादी है। आप हैरान हो रहे होंगे यार एक अदना सी नौकरानी के लिए इतना दीवानापन ? आप शायद मेरे मन की स्थिति और इन बातों को नहीं समझ पायेंगे। पता नहीं मैं अंगूर को इतना क्यों चाहने लगा हूँ। जिस तरीके से वो मेरा और मधुर का ख़याल रखती है हमें तो लगता ही नहीं कि वो एक नौकरानी है। मेरा तो मन करता है बस मैं उसे बाहों में भर कर दिन रात उसे अपने आगोश में लिए ही बैठा रहूँ। कई बार तो यह भी भूल जाने का मन करता है कि मैं एक शादीशुदा, जिम्मेदार और सभ्य समाज में रहने वाला प्राणी हूँ। मैं तो चाहने लगा था कि इसे ले कर कहीं दूर ही चला जाऊं जहां हमें देखने और पहचानने वाला ही कोई ना हो।
एक तो यह मिलने जुलने वालों ने नाक में दम कर रखा है कोई ना कोई हाल चाल पूछने आ धमकता है। खैर आज मैं पूरी तैयारी के साथ जब शाम को घर पहुंचा तो वहाँ जोधपुर वाली मौसी को मधुर के पास विराजमान देख मेरा सारा मूड ही खराब हो गया। उसे मधुर के बारे में पता चला तो वो भी मिलने आ पहुंची थी। जब मैं उनसे मिलकर कमरे से बाहर आया तो अंगूर मेरी ओर देख कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी। उसने मेरी ओर अंगूठा दिखाते हुए आँख मार दी तो मैं तो अपना मन मसोस कर ही रह गया। अब तो और 2-3 दिन इस चिड़िया को चोदने का तो बस ख्वाब ही रह जाएगा।
अंगूर भी इन 10-12 दिनों में कितनी बदल गई है। उसकी मासूमियत और किशोरपन तो जैसे मेरे हाथों का स्पर्श पाते ही धुल गया है और उसकी अल्हड़ जवानी अब बांकपन और शौखियों में तब्दील हो गई है। उसका शर्मीलापन तो जैसे पिंघल कर कातिलाना अदा बन गया है। उसके कपड़े पहनने का ढंग, सजने संवरने का तरीका और बोलचाल सब कुछ जैसे बदल गया है। मधु के साथ रह कर तो उसका कायाकल्प ही हो गया है। मुझे तो लगने लगा अगर जल्दी ही अंगूर को मैंने अपनी बाहों में नहीं भर लिया तो मैं पागल ही हो जाऊँगा। दर असल मुझे कहीं ना कहीं मिक्की और सिमरन कि छवि अंगूर में नज़र आने लगी थी।
खैर मौसी को किसी तरह रविवार को सुबह सुबह विदा किया। जब मैं उसे छोड़ने स्टेशन जा रहा था तो मैंने और अंगूर ने आँखों ही आँखों में इशारा किया कि आज दोपहर में जब मधुर सो जायेगी तो साथ वाले कमरे में हम दोनों उस दिन की याद एक बार फिर से ताज़ा कर लेंगे।
जब मैं मौसी को जोधपुर के लिए गाड़ी में बैठा कर वापस आया तो घर पर बम्ब फूट चुक्का था। मधुर के कमरे में गुलाबो और अंगूर दोनों को खड़ा देख कर किसी अनहोनी की आशंका से मेरा दिल बुरी तरह धड़कने लगा। अंगूर कहीं नज़र नहीं आ रही थी। पता नहीं क्या बात थी ? बाद में मधुर ने बताया कि ये दोनों अंगूर को लेने आई हैं। अब गुलाबो ठीक हो गई है और सारा काम वो ही कर दिया करेगी। दरअसल आज दिन में लड़के वाले अंगूर को देखने आने वाले थे। ओह ... बेचारी अंगूर ने पहले ही इस बात का अंदेशा जता दिया था कि उसके घर वाले उसे किसी निरीह जानवर की तरह उस बुढ़ऊ के पल्ले बाँध देंगे। जरूर यह काम अनार ने किया होगा।
मुझे उन दोनों पर गुस्सा भी आ रहा था और झुंझलाहट भी हो रही थी। पैसों के लिए एक छोटी सी बच्ची को 35 साल के उस खूसट के पल्ले बाँध देना तो सरासर अमानवीयता है। अगर पैसे ही चाहियें तो मैं दे देता मेरे लिए यह कौन सी बड़ी बात थी। पर मैं क्या बोलता। मुझे लगा मेरे चहरे को देख कर कहीं मधुर और अनार को कोई शक ना हो जाए मैं कमरे से बाहर आ गया। अंगूर ड्राइंग रूम के साथ बने बाथरूम में थी। मैं उधर ही चला गया। अंगूर की आँखों से झर झर नीर बह रहा था। मुझे देखते ही वो सुबकने लगी। उसकी कातर आँखें देख कर मुझे भी रोना सा आ गया।
“बाबू ... अम्मा और अंगूर दीदी को मना लो ... मैं सच कहती हूँ ... मैं जहर खा कर अपनी जान दे दूँगी पर उस मुन्ने लाल के साथ किसी भी सूरत में शादी नहीं करुँगी।”
“ओह ... अंगूर मैं बात करूँगा .... तुम चिंता मत करो !” मैंने कह तो दिया था पर मैं जानता था मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा।
थोड़ी देर बाद अंगूर उनके साथ चली गई। जाते समय उसने बस एक बार मुड़ कर मेरी ओर देखा था। उसकी आँखों से गिरते आंसू तो बस यही कह रहे थे:
एक गहरी खाई जब बनती है तो अपने अस्तित्व के पीछे जमाने में महलों के अम्बार लगा देती है उसी तरह हम गरीब बदकिस्मत इंसान टूट कर भी तुम्हें आबाद किये जाते हैं।
मैं तो बुत बना बस उसे नज़रों से ओझल होते देखता ही रह गया। मैं तो उसे हौंसला भी नहीं दे पाया ना उसके गालों पर लुढ़क आये आंसूं को ही पोंछ पाया। बस मेरे दिल की गहराइयों और कांपते होठों से रसीद सिम्मी का यह शेर जरूर निकला पड़ा :
पलकों से गिर ना जाएँ ये मोती संभाल लो
दुनिया के पास देखने वाली नज़र नहीं है ।
दोस्तो ! आपको यह अंगूर का दाना कैसा लगा मुझे जरूर बताना।
आपका प्रेम गुरु
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RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ - by sexstories - 07-04-2017, 12:31 PM

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