RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
ललिता- बस डॉली अब मेरी बारी है तू सीधी लेट जा.. अब मैं तुझे स्वर्ग की सैर कराती हूँ।
डॉली- मैं कैसे लेटूं दीदी.. मेरे हाथ तो पीछे बँधे हैं।
ललिता ने उसके हाथ खोल दिए उसको सीधा लिटा कर बिस्तर के दोनों बगल से उसके हाथ बाँध दिए।
डॉली- अरे अरे.. ये क्या कर रही हो दीदी अब तो मेरे हाथ खुले रहने दो ना…
ललिता- नहीं मेरी जान.. आज तू ऐसे ही मज़ा ले.. बस अब कुछ मत बोल.. देख मैं तुझे कैसे मज़े देती हूँ.. इतना बोल कर ललिता ने चेतन को इशारा कर दिया कि टूट पड़ो इस सेक्स की मलिका पर..
चेतन को तो बस इसी मौके का इन्तजार था।
वो डॉली के ऊपर लेट गया और सबसे पहले उसके मखमली होंठों को चूसने लगा।
उसका अंदाज ऐसा था कि डॉली भी उसका साथ देने लगी।
वो दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे.. मगर चेतन सिर्फ़ होंठों से ही थोड़े खुश होने वाला था..
थोड़ी देर बाद वो नीचे खिसकने लगा और अब उसके होंठों में डॉली के निप्पल थे।
वो दोनों हाथों से उसके कड़क चूचे दबा रहा था और निप्पल चूस रहा था.. जैसे कोई भूखा बच्चा अपनी माँ का दूध पी रहा हो।
डॉली- आह आआ दीदी अई मज़ा आ गया उह.. धीरे से दबाओ ना उफ़फ्फ़.. दर्द होता है अई काटो मत ना… दीदी आइ मज़ा आ रहा है।
दोस्तो, ललिता का प्लान तो अच्छा था मगर एक पॉइंट ऐसा था जिसके कारण डॉली को थोड़ा शक हुआ कि कहीं ललिता की जगह उसके ऊपर कोई आदमी तो नहीं है ना।
ना ना.. टेंशन मत लो.. आपको सोचने की जरूरत नहीं है.. मैं खुद बता देती हूँ आपको।
जब चेतन होंठ चूस रहा था उसका सीना डॉली के मम्मों को दबा रहा था और उसके सीने के बाल डॉली महसूस कर रही थी उसने मन में सोचा भी कि अगर दीदी मेरे ऊपर हैं तो उनके मम्मों और मेरे मम्मों को आपस में टकराने चाहिए.. मगर ये तो एकदम सपाट सीना है और बाल भी हैं।
मगर ना जाने क्या सोच कर वो चुप रही।
चेतन को भी काफ़ी मज़ा आ रहा था और आएगा क्यों नहीं एक कमसिन कली जिसके पतले होंठों में उसका लौड़ा फँसा हुआ था।
अब चेतन लौड़े को आगे-पीछे करने लगा।
एक वक्त तो लौड़ा पूरा डॉली के गले तक पहुँच गया और उसी वक़्त डॉली ने झट से मुँह हटा लिया और चेतन ने जैसे ही लौड़ा आगे किया उसकी गोटियाँ डॉली के मुँह के पास आ गईं.. डॉली को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
अब चेतन मम्मों से नीचे उसके पेट तक चूमता हुआ आ गया और आख़िर कर वो अपनी असली मंज़िल यानी चूत तक पहुँच गया।
चेतन की गर्म साँसें डॉली अब अपनी चूत पर महसूस कर रही थी और छटपटा रही थी कि कब दीदी के होंठ चूत पर टिकेंगे और कब उसको सुकून मिलेगा।
चेतन ने चूत के होंठों को कस कर अपने मुँह से भींच लिया। डॉली की सिसकी निकल गई।
चेतन बड़े प्यार से चूत को चूस रहा था और अपनी जीभ से अन्दर तक चाट रहा था.. डॉली एकदम गर्म हो गई थी।
डॉली- अया ऐइ उफ़फ्फ़.. दीदी आह.. प्लीज़ चूत के अन्दर ऊँगली करो.. ना आ आहह.. चूत में बहुत बेचैनी हो रही है।
ललिता- मेरी जान तेरी चूत की आग अब ऊँगली से ठंडी नहीं होने वाली.. इसको तो अब लौड़े की जरूरत है.. बोल क्या बोलती है।
डॉली- दीदी आहह.. डाल दो ना.. आहह.. आपके पास तो इतना मस्त लौड़ा है आहह.. पूछ क्यों रही हो.. अई आहह.. शायद मेरी किस्मत में यही लिखा था कि अपने सर से ही अपनी सील तुड़वाऊँ आहह.. प्लीज़ चेतन सर आहह अब बर्दाश्त नहीं होता.. डाल दो ना आहह..
डॉली की बात सुनकर ललिता और चेतन दोनों ही भौंचक्के रह गए.. दोनों का मुँह खुला का खुला रह गया।
ललिता- त..त..तू.. ये क..क्या.. बोल रही है व..चेतन यहाँ क..क..कहाँ है?
डॉली- अई आह.. दीदी आह.. मानती हूँ मुझे चुदाई का अनुभव नहीं है.. मगर इतनी भी भोली नहीं हूँ कि औरत और मर्द के शरीर में फ़र्क ना महसूस कर सकूँ और दूसरी बात आपकी आवाज़ मेरे बगल से आ रही है जबकि आपके हिसाब से आप मेरी चूत चाट रही हो.. आह्ह.. अब ये पट्टी खोल दो.. मुझे कोई ऐतराज नहीं कि सर मेरी चूत की सील तोड़ें.. प्लीज़ आह्ह..
चेतन और ललिता की नज़रें मिलीं और आँखों ही आँखों में दोनों की बात हो गई।
चेतन ने पहले डॉली के हाथ खोले.. उसके बाद आँखों की पट्टी निकाल दी।
डॉली- ओह.. सर आपका लौड़ा कितना मोटा और बड़ा है.. उफ़फ्फ़ जब मेरे मुँह में था.. कसम से बड़ा मज़ा आ रहा था.. मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि इस तरह विज्ञान के चक्कर में चुदाई का ज्ञान मिल जाएगा.. पहले मुझे कुछ पता नहीं था.. मगर इन दो दिनों में मुझे पता चल गया कि चुदाई में जो मज़ा है.. वो किसी और चीज़ में नहीं है।
ललिता- मेरी जान मैं तो कब से कह रही थी कि चेतन को बुलाऊँ क्या.. मगर तुम ही हो कि बस मना कर रही थीं।
डॉली- दीदी सच कहूँ.. तो जब आप सर का नाम लेती थीं.. मेरी चूत में पानी आ जाता था.. मगर शर्म के मारे आपसे कुछ बोल ना पाती थी.. अभी जब लौड़ा चूस रही थी.. तब मुझे पक्का पता चल गया कि ये लौड़ा नकली नहीं.. असली है और सर के सिवा यहाँ कौन आ सकता था.. इनके सीने के बाल भी मैंने महसूस किए थे।
चेतन- ओह.. मेरी रानी… तुम जितनी सुन्दर हो.. उतनी ही समझदार भी हो।
ललिता- अब बातों में क्यों वक्त खराब कर रहे हो.. जल्दी से लौड़ा अन्दर डालो ना.. इसकी चूत में..
डॉली- रूको सर.. उस वक्त तो मेरी आँखें बन्द थीं और हाथ भी बँधे हुए थे.. पर अब मैं आपके लौड़े को छूकर देखना चाहती हूँ.. खुली आँखों से.. इसे चूसना चाहती हूँ.. आहह.. क्या मस्त कड़क हो रहा है।
डॉली ने लौड़े को अपने मुलायम हाथों में ले लिया और बड़े प्यार से सहलाने लगी।
चेतन की तो किस्मत ही खुल गई थी.. डॉली अब एकदम कामुक अंदाज में लौड़े को चूसने लगी।
चेतन- उफ़फ्फ़.. डॉली तेरे होंठों के स्पर्श से कितना मज़ा आ रहा है.. जब मुँह में इतना मज़ा आ रहा है तो तेरी चूत में कितना मज़ा आएगा.. आह.. चूस जान आज तेरी चूत का मुहूर्त है.. कर दे एकदम गीला मेरे लंड को उफ्फ.. आज तो बड़ा मज़ा आएगा..
डॉली ने लौड़े को चूस कर एकदम गीला कर दिया।
ललिता- बस भी कर अब.. क्या चूस कर ही पानी निकालोगी.. चल सीधी लेट जा.. तेरी चूत को खोलने का वक्त आ गया है।
डॉली- हाँ दीदी.. मगर सर का लौड़ा बहुत बड़ा है.. ये अन्दर कैसे जाएगा और मुझे दर्द भी होगा ना…
ललिता- अरे पगली.. मैंने तुझे क्या समझाया था.. चूत कितनी भी छोटी क्यों ना हो.. बड़े से बड़े लौड़े को खा जाती है.. पहली बार तो सभी को दर्द होता है.. लेकिन उसके बाद चुदवाने का लाइसेंस मिल जाता है.. तू कभी भी कहीं भी किसी से भी चुदवा सकती है जान.. बस थोड़ा सा दर्द सहन कर ले.. फिर देख दुनिया की सारी खुशियाँ एक तरफ और चुदाई से मिली ख़ुशी एक तरफ.. डर मत.. चेतन बहुत एक्सपर्ट खिलाड़ी है.. बड़े आराम से तेरी सील तोड़ेगा।
ये दोनों बातें कर रही थीं तभी चेतन डॉली की चूत को चूसने लगा.. उसके दाने को जीभ से टच करने लगा।
डॉली- आह आह आह.. उफ़फ्फ़ सर.. ये आपने क्या कर दिया.. आहह.. मेरी चूत में आग भड़क गई है.. ऊह.. डाल दो.. अब जो होगा देखा जाएगा उफ्फ.. आज कर दो मेरी चूत का मुहूर्त आह…
चेतन ने मौके का फायदा उठा कर ललिता के दोनों पैर मोड़ दिए और लौड़े की टोपी चूत पर सैट किया। ललिता ने ऊँगलियों से चूत की दोनों फांकें खोल दीं जिसके कारण टोपी चूत की फांकों में फँस गई।
ललिता ने जल्दी से अपने होंठ डॉली के होंठों पर रख दिए और चेतन को इशारा कर दिया।
चेतन ने कमर पर दबाव बनाकर एक झटका मारा.. लौड़ा चूत की दीवारों को चौड़ा करता हुआ अन्दर घुस गया।
अभी एक इन्च ही घुसा था कि डॉली ‘गूं-गूं’ करने लगी… वो जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी। अभी तो उसकी सील भी नहीं टूटी थी.. बस लौड़ा जाकर सील से टच हुआ था।
चेतन ने कमर को पीछे किया और ज़ोर से आगे की ओर धक्का मारा। अबकी बार आधा लौड़ा सील को तोड़ता हुआ चूत में समा गया।
डॉली की तो आँखें बाहर को निकल आईं.. उसका सर चकराने लगा।
चेतन ने देरी ना करते हुए आधा लौड़ा पीछे खींचा और पूरी रफ्तार से वापस चूत में घुसा दिया। अबकी बार लौड़ा चूत की जड़ तक घुस गया था। चेतन की गोटियाँ डॉली के चूतड़ों से टकरा गई थीं।
डॉली तो सोच भी नहीं सकती थी कि अचानक उस पर दर्द का पहाड़ टूट पड़ेगा।
अभी बेचारी पहले के दर्द से ही परेशान थी कि 5 सेकंड में ही दूसरा तगड़ा झटका उसको मिल गया।
उसकी आँखों से आँसू बहने लगे और चीखें ऐसी कि अगर ललिता ने कस कर उसके होंठ अपने होंठों से ना भींचे होते.. तो शायद बाहर दूर-दूर तक उसकी आवाज़ पहुँच जाती।
चेतन लौड़ा जड़ तक घुसा कर अब बिल्कुल भी नहीं हिल रहा था और बस ऐसे ही पड़ा… डॉली के मम्मों को चूस रहा था।
लगभग 5 मिनट तक ऐसे ही चलता रहा डॉली अब शान्त पड़ गई थी। तब ललिता बैठ गई और डॉली के सर पर हाथ घुमाने लगी।
डॉली- दीदी आहह.. अई उउउ उउउ प्लीज़.. मुझे बचा लो अई.. सर प्लीज़ बहुत दर्द हो रहा है आ.. निकाल लो आहह…
ललिता- अरे मेरी जान.. अब निकाल कर क्या फायदा.. तेरी सील तो टूट गई..
जितना दर्द होना था हो गया.. अब बस थोड़ी देर में तुझे मज़ा आने लगेगा और तू खुद कहेगी कि और ज़ोर से चोदो मुझे…
डॉली- आहह.. दीदी मुझे नहीं पता था इतना दर्द होगा वरना मैं कभी ‘हाँ’ नहीं करती आहह..
कुछ देर चेतन ने डॉली के मम्मों को चूसा तो डॉली को कुछ दर्द से राहत सी मिलती लगी।
चेतन- अरे रानी.. कुछ नहीं हुआ है, बस थोड़ी देर रुक जा.. उसके बाद मज़े ही मज़े हैं.. अब तुझे दर्द कम हुआ ना..
डॉली- आहह.. हाँ सर अब थोड़ा सा कम हुआ है।
चेतन अब धीरे-धीरे लंड को आगे-पीछे करने लगा और डॉली के निप्पलों को चूसने लगा।
डॉली को दर्द तो हो रहा था.. वो सिसक रही थी मगर अब उसमें ना जाने कहाँ से हिम्मत आ गई थी.. बस वो चुपचाप चुद रही थी।
दस मिनट तक चेतन धीरे-धीरे चोदता रहा।
अब डॉली का दर्द कम हो गया था और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी थी.. जिसके कारण लौड़ा आसानी से आगे-पीछे हो रहा था।
डॉली- आहह.. सर दर्द हो रहा है.. उई मेरी चूत में अई.. आह्ह.. कुछ हो रहा है.. उफ़फ्फ़ अई मेरा पानी छूटने वाला है.. उई ज़ोर से आहह.. ज़ोर से क..करो आह..
मौके का फायदा उठा कर चेतन अब रफ्तार से झटके मारने लगा था।
डॉली चरम सीमा पर थी और अब उसकी चूत ने लावा उगल दिया था.. उसका बदन झटके खाने लगा था। वो काफ़ी देर तक झड़ती रही.. मगर चेतन अब भी दे दनादन शॉट पर शॉट मार रहा था।
ललिता ने अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया.. वो भी एकदम गर्म हो गई थी।
चेतन- ओह्ह ओह्ह.. डॉली आहह.. क्या टाइट चूत है तेरी.. आह्ह… मज़ा आ गया.. लौड़ा बड़ी मुश्किल से आगे-पीछे हो रहा है आह्ह… डॉली आह..
लगभग 10 मिनट तक चेतन उसको चोदता रहा.. डॉली दोबारा गर्म हो गई।
उसकी चूत में अब दर्द के साथ-साथ मीठा-मीठा करंट भी दौड़ रहा था.. वो दोबारा चरम पर पहुँच गई थी और पहुँचती भी कैसे नहीं 8″ का लौड़ा ताबड़तोड़ उसकी चूत में आगे-पीछे हो रहा था।
डॉली- आह आह आह सर प्लीज़.. ज़ोर से आह्ह… मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही है आआह आह्ह…
चेतन- आह.. ले मेरी दीपा रानी ओह्ह ओह्ह ओह्ह.. मेरा भी पानी निकलने वाला है.. आह्ह… आज तेरी चूत को पानी से भर दूँगा 18 सालों से ये प्यासी थी.. आज इसकी प्यास बुझा दूँगा आह्ह… आह…
चेतन के लौड़े से पानी की तेज धार निकली और डॉली की चूत की दीवारों से जा टकराई.. गर्म-गर्म वीर्य के अहसास से उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया। अब दोनों शान्त पड़ गए.. दोनों के पानी का मिलन हो गया।
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