RE: Muslim Sex Stories खाला के घर में
रात को जब मैं और अब्बू खाना खा रहे थे तो सर राज शर्मा घर आ आ गये और अब्बू से कहने लगे अहमद साहिब (मेरे अब्बू का नाम अहमद अली है) ग़ज़ल के पेपर नज़दीक हैं और इस की बीमारी की वजा से इसकी पढ़ाई का काफ़ी हर्ज हो गया है. एक टीचर होने के नाते मेरा फ़र्ज़ है की मैं अपने हर स्टूडेंट का पूरा ख्याल रखू और उनकी पढ़ाई का हर्ज ना होने डून. मैं चाहता हूँ की स्कूल के बाद मैं अलग से ग़ज़ल को पढ़ा दिया करू ताकि बीमारी की वजा से जो इसकी पढ़ाई रह गई है वो रिकवर हो सके. अब्बू सर राज शर्मा की बात सुनकर बोले, राज शर्मा साहिब ये तो मेरी बेटी की खुश नसीबी है कि इसको आप जैसे उस्ताद मिले हैं जो खुद अपने स्टूडेंट की पढ़ाई का ख्याल रख रहे हैं. मैं दिल ही दिल मे मुस्कुराइ की सर को किस वजा से मेरा ख्याल है. अब्बू सर राज शर्मा से बोले, आप ग़ज़ल को किस वक़्त पढ़ाओगे. सर राज शर्मा बोले, देखिए अहमद साहिब मैं बिल्कुल अकेला रहता हूँ और स्कूल के बाद बिल्कुल फारिग होता हूँ मैं सोच रहा था कि स्कूल के बाद ही ग़ज़ल को 1 या 2 घंटे पढ़ा दिया करू. अब्बू ने कहा,मिस्टर राज शर्मा साहिब मैं तो पूरा दिन ऑफीस मे होता हूँ और अक्सर लेट होजाता हूँ. मैं चाहता हूँ की आप ग़ज़ल के साथ वापसी मे यहा घर ही आ जाया करो और इसे पढ़ा दिया करो. सर राज शर्मा बोले, मुझे तो कोई ऐतराज नही है. अब्बू ने फिर कहा, अगर हो सके तो आप मेरे आने तक यही रह कर ग़ज़ल को पढ़ा दिया करो ताकि ये अच्छी तरह अपनी तैयारी कर सके. सर राज शर्मा ने कहा वैसे तो मुझे दिन भर और कोई काम नही होता इस लिए मुझे पूरा दिन पढ़ाने मैं कोई मसला नही है आप ग़ज़ल से पूछ लो कि ये पूरा दिन पढ़ पढ़ कर बोर ना हो जाए. अब्बू कहने लगे, अरे कैसे नही पढ़ेगी अब तो इस के पेपर नज़दीक हैं इस को तो हर वक़्त पढ़ना चाहिए और आप की सोहबत मे रहे गी तो ज़्यादा अच्छी तरह इस की तैयारी हो जाए गी. अब्बू मुझ से बोले, ग़ज़ल क्या तुम्हे कोई ऐतराज है. मुझे क्या ऐतराज होना था मुझे तो पूरा दिन चुदाई करवाने का मोका मिल रहा था तो मैं मना क्यूँ करती. मैं बोली नही अब्बू मुझे क्या ऐतराज हो सकता है. मेरी बात सुनकर अब्बू सर राज शर्मा से बोले, अब आप कल से स्कूल के बाद ग़ज़ल को लेकर यही आजाइये गा. अब्बू की बात सुनकर सर राज शर्मा ने मुझे देखा और अब्बू की नज़र बचा कर मुझे आँख मारी तो मैं मुस्कराने लगी. जब सर राज शर्मा जाने लगे तो अब्बू ने सर राज शर्मा का शुक्रिया अदा किया तो राज शर्मा बोले अहमद साहिब ये तो मेरा फ़र्ज़ है कि मैं अपने स्टूडेंट्स को अच्छी तरह पढ़ाऊ और मैं तो ये चाहता हूँ कि ज़्यादा से ज़्यादा अपना इल्म अपने स्टूडेंट्स तक पहुचाऊ. मैं सर की बात सुनकर मुस्कराने लगी की वो कॉन सा इल्म मुझे देना चाहते हैं. इस तरह अब्बू ने खुद ही सर राज शर्मा के हाथो मेरी चुदाई का सामान कर दिया था.
दूसरे दिन अब्बू मुझे स्कूल छोड़ते हुए अपने ऑफीस चले गये अभी स्कूल नही लगा था क्यूंकी अब्बू मुझे काफ़ी पहले ही स्कूल छोड़ गये थे मैं स्टॅफरुम मे आई तो वाहा सर राज शर्मा अकेले बैठे थे मुझे देख कर उन्हो ने मुझे लिपटा लिया और मेरे किस लेने लगे हम दोनो इतने मशगूल हो गये थे कि दूसरो के आने का पता ही नही चला. हमे होश जब आया जब मेरी ही क्लास के 2 टीचर सर अभिषेक प्रियदर्शी और सर अशोक स्टाफ रूम मे आए. सर राज शर्मा उन्हे देख कर मुझ से अलग हो गये. सर अशोक बोले तो स्कूल टाइम से पहले इस लिए आया जाता है ताकि मज़े किए जाए. सर राज शर्मा मुस्कुराए और बोले यार वो स्कूल मे कोई नही था इस लिए ये सब हुआ है. सर अभिषेक प्रियदर्शी भी बोले अब तो हमे भी शामिल करना होगा. सर राज शर्मा बोले, हा हा क्यूँ नही स्कूल के बाद हम सब ग़ज़ल के घर चल्लेन्गे फिर तीनो भाई मिल कर ग़ज़ल का बाजा बजाएँगे. फिर सर राज शर्मा मुझ से बोले ग़ज़ल तुम्हे तो कोई ऐतराज नही है. मैं मुस्कुराइ और बोली सर आप ने कह दिया बस काफ़ी है मैं ऐतराज करने वाली कॉन हूँ. मेरी बात सुनकर सब मुस्कुरा दिए और फिर उन तीनो ने कुछ देर तक मेरे साथ मस्तियाँ की और मुझे छोड़ दिया.
स्कूल के बाद सर राज शर्मा अपनी कार मे हम सब को लेकर मेरे घर आ गए. घर पहुच कर किसी से भी सबर ना हुआ और वो तीनो मुझ पर टूट पड़े मैं अरी अरे करते ही रह गई. थोड़ी देर मे ही मैं उनके सामने नंगी लेटी हुई थी. सर राज शर्मा मेरे होंटो को चूम रहे थे सर अशोक मेरे मम्मो को चूस रहे थे और सर अभिषेक प्रियदर्शी मेरी चूत को चूम और चाट रहे थे. मुझे तीनो तरफ से मज़ा मिल रहा था और मैं मज़े के आलम मे सिसक रही थी. वो तीनो जगह बदल बदल कर मेरे जिस्म को चूम रहे थे.
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