RE: Behen Chudai Kahani जुड़वाँ बहनों की चुदाई
धरम समझ गये। मैं धरम के साथ मार्केट चली गयी। हम दोनों मार्केट से दो घंटे बाद वापस आये तो देखा कि सीमा सिर्फ सैंडल पहने एक दम नंगी ही एक चादर ओढ़ कर बेड पर लेटी थी और राज ने केवल एक लुँगी पहन रखी थी। मैं समझ गयी कि सीमा ने राज से चुदवा लिया है।
धरम ने मज़ाक करते हुए सीमा से पूछा, “मज़ा आया?”
वो बोली, “हाँ, बहुत मज़ा आया। आप ही ने तो मुझे सैक्सी बनाया है।”
राज ने बड़े प्यार से मेरे गालों को चूम लिया और बोले, “मैं तुम्हारा पूरी ज़िंदगी एहसानमंद रहुँगा।”
शाम के आठ बज रहे थे। मैं सीमा के साथ खाना बनाने जाने लगी तो राज ने कहा, “तुम सब जिस तरह रहते थे उसी तरह हो जाओ और तब खाना बनाओ।”
धरम ने भी कहा, “तुम दोनों एक दम नंगी हो जाओ। फिर खाना बनाओ।”
मैंने और सीमा ने ऊँची हील के सैंडलों के अलावा अपने सारे कपड़े उतार दिये। राज ने अपने कपड़े नहीं उतरे थे। मैंने राज से कहा, “आप क्यों लड़कियों की तरह शर्मा रहे हैं। आप भी तो कपड़े उतारिये!”
राज ने भी थोड़ा शरमाते हुए अपने कपड़े उतार दिये। धरम कपड़े नहीं उतार रहा था। मैंने धरम से कपड़े उतारने को कहा तो वो बोला, “सीमा जब मेरे कपड़े उतारेगी तब ही मैं अपने कपड़े उतारूँगा।”
राज ने सीमा को इशारा किया तो उसने धरम के कपड़े उतार दिये।
उसके बाद हम दोनों खाना बनाने जाने लगे तो राज ने धरम से कहा, “तुम एक बार मेरे सामने सीमा कि चुदाई कर दो, उसके बाद ये दोनों खाना बना लेंगी!”
धरम ने सीमा से पूछा तो वो बोली, “ठीक है।”
धरम ने सीमा को डॉगी स्टाइल में कर दिया और उसे चोदने लगा। राज सीमा को चुदवाते देख रहे थे। तभी धरम ने राज से कहा, “आप क्यों चुपचाप बैठे देख रहे हैं। आप हेमा की चुदाई शुरु कर दो!”
राज ने मुझे भी डॉगी स्टाइल में कर दिया और मुझे चोदने लगे। धरम मुझे चुदवाते हुआ देख रहा था और राज सीमा को।
लगभग दस मिनट की चुदाई के बाद जब धरम सीमा की चूत में झड़ गया तो उसने राज से कहा, “आप कहो तो मैं सीमा की गाँड भी मार लूँ?”
राज ने कहा, “ये तो बहुत अच्छा है। आप इसकी गाँड मारो मैं हेमा की गाँड मारता हूँ!”
उसके बाद धरम ने अपना लंड सीमा की चूत से बाहर निकाला और उसकी गाँड मारने लगा। इधर राज ने भी मेरी गाँड मारनी शुरु कर दी। चुदाई का ये खेल लगभग एक घंटे तक चलता रहा। हम सब बहुत खुश थे। उसके बाद मैं और सीमा खाना बनाने चले गये। खाना बन जाने के बाद हम सब ने खाना खाया। रात के ग्यारह बज रहे थे। धरम और राज ने बारी-बारी से पूरी रात मेरी और सीमा की खूब चुदाई की और गाँड भी मारी। पूरी रात हम सब नहीं सोये थे। सुबह होने पर हम सब सोये।
दोपहर के ग्यारह बजे हम सब उठ गये। नाश्ता करने के बाद राज ने धरम से कहा, “अब मैं वापस जाना चाहता हूँ।”
सीमा ने राज से कहा, “अगर तुमको कोई ऐतराज़ ना हो तो मैं आठ-दस दिन धरम से और चुदवा लूँ।”
राज ने कहा, “मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है लेकिन तब तक मैं क्या करूँ?”
धरम ने कहा, “आप हेमा को साथ ले जाओ और उससे अपना काम चला लो।”
मैंने कहा, “ठीक है।”
मैं राज के साथ चली गयी। मैंने राज से खूब चुदवाया और गाँड भी मरवायी। इधर सीमा ने भी धरम से जी भर कर चुदवाया और खूब गाँड मरवायी। दस दिन बाद हम दोनों अपने अपने घर आ गये।
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