RE: Maa ki chudai मॉं की मस्ती
आरती रमण से बोली कि अब हम लोग चलते हैं,रमण ने कहा कि ठीक है मैं आप लोगों को छोड़ देता हूँ,तब मनु ने कहा कि रमण भैया उसकी कोई ज़रूरत नही है हम बाइक तो लाए ही हैं,उस पर ही चले जाएँगे.आप को तकलीफ़ करने की कोई ज़रूरत नही है.
रमण बोला कि तकलीफ़ की कोई बात नही ही पर क्यूंकी रात काफ़ी हो गयी है,और तुमने थोड़ी सी पी भी रखी है इसलिए कहीं तुम्हे कोई प्राब्लम ना हो जाए.
मनु बोला कि भैया ऐसी कोई बात नही है,मैने बियर ही तो पी थी और उसको भी बहुत देर हो चुकी है,इसलिए आप परेशान ना हो.
रमण आरती से बोला कि भाभी जी मैं तो आप लोगों की सहूलियत के लिए बोल रहा था.
आरती ने कहा कि ऐसी कोई दिक्कत नही है,मनु आराम -2 से बाइक को ले जाएगा.
फिर मनु ने बाइक स्टार्ट की और आरती को बोला कि मम्मी बैठ जाओ,आरती को बैठने मे थोड़ी सी दिक्कत हुई,तो रमण ने आरती को बाइक पर बैठने मे मदद की ,उसका तो भाग्य एक बार फिर खुल गया,क्यूंकी आरती को बाइक पर मदद करने के बहाने एक बार फिर उसकी जवानी का छू कर मज़ा लेने का मौका जो मिल गया था.
अब वो सब लोग अपने-2 घर को चले गये.
रास्ते मे आरती मनु के पीछे बैठी हुई थी और थोड़ा सा शराब और थोड़ा सा वासना का नशा होने की वज्जह से मनु से बिल्कुल ही चिपकी हुई थी,मनु भी आज पहली बार चूत मार के बहुत खुस था,और अपनी मा को इस रूप मे देख कर उसका लोड्ा फिर से तन गया था.
क्यूंकी जिसको एक बार चूत का मज़ा मिल जाए उसको तो फिर पता चल जाता है कि जन्नत यहीं पर है,फिर आरती सेक्सी तो लग ही रही थी,और आज मनु को याद आ रहा था कि रमण ने एक दिन कहा था कि जो मज़ा खेली खाई चूत मारने मे है वो नयी मे नही है,जैसे आज मनु के लंड को खून लग गया था तो उसको आपनी मा मे भी एक चूत ही लग रही थी,इस कारण से वो बाइक को बहुत ही धीरे-2 और मज़े से चला रहा था,क्यूंकी इस-से आरती के मम्मे मनु को पूरी तरह से महसूस हो रहे थे.और वो मम्मों की गरमी को महसूस कर रहा था.
फिर वो लोग अपने घर पहुँच गये,बाइक खड़ी कर के मनु ने आरती से कहा कि मा अब उतर जाओ,हम घर आ गये,आरती बाइक से उतरी तो उसका बॅलेन्स बिगड़ गया तब जल्दी से मनु ने उतर कर आरती को सहारा दिया ,इस सब के बीच मे मनु के हाथ अपनी मा को मोटे-2 मम्मों पर पड़ गये,पर उसने उनको हटाया नही,फिर जब आरती सीधी हो गयी,तब मनु ने अपने हाथ हटा कर आरती को अपने कंधे का सहारा दिया,और आरती को ले कर घर मे अंदर आ गया,आरती का काफ़ी वजन मनु पर ही था,और वो आरती के मज़े ले रहा था,आज मनु का अपनी मा के प्रति सोचने का नज़रिया बिल्कुल ही बदल गया था और वो अपनी मा की जवानी को पूरी तरह से भोगना चाह रहा था
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