RE: Desi Kahani Jaal -जाल
जाल पार्ट--94 गतान्क से आगे...... उसके हाथ रंभा की बगल मे गये & लहँगे को खोल उसके जिस्म से उतार दिया.अब रंभा केवल चोली & पॅंटी मे थी.शाह उसके हुस्न को देख दीवाना हो रहा था.वो झुका & अपनी दुल्हन को बाहो मे भरा तो उसकी मस्ती मे डूबी बीवी ने भी उसे बाहो मे कस लिया.रंभा के हाथ उसके कुर्ते मे घुस गये & उसकी पीठ पे घूमने लगे.रंभा उसकी पीठ को वैसे ही भींच रही थी जैसे बिस्तर की चादर को.वो भी शाह को नंगा देखना चाहती थी & उसने उसका कुर्ता खींच दिया. कुर्ता निकालने के बाद उसने शाह को पलट के बिस्तर पे लिटाया & उसके चेहरे पे किस्सस की झड़ी लगा दी.उसके हाथ शाह के सीन एके बालो को खींच रहे थे & कुच्छ ही देर बाद उसके होंठ भी उन्ही बालो मे थे.वो शाह के सीने को चूमती & फिर उसके निपल्स को चूस लेती.शाह आँखे बंद करके आह भरता तो वो सीने पे काट लेती.शाह जोश मे पागल हो रहा था.रंभा चूमते हुए उसके पेट तक आ पहुँची थी.उसने शाह की नाभि मे जीभ फिराई & फिर वाहा के बालो को दाँत मे पकड़ के खींचा.शाह का लंड अब पाजामे की क़ैद से बाहर आने को बिल्कुल बहाल हो गया. रंभा ने पाजामे की डोर को दाँत से पकड़ उसकी गाँठ खोली & उसे नीचे सरका दिया.शाह अब पूरा नंगा था.रंभा ने लंड की फोर्सकीन को दन्तो मे बहुत हल्के से पकड़ के नीचे की तरफ खींचा तो शाह दर्द & अंसती के मिलेजुले एहसास से कराहा.रंभा मुस्कुराइ & उसकी फॉरेस्किन को नीचे कर उसके प्रेकुं से गीले सूपदे को चूसने लगी.अब कसमसाने की बारी शाह की थी.रंभा उसके आंडो को दबाती उसके सूपदे को चुस्ती रही.उसके बाद उसने लंड को हिलाते हुए चूसना & चाटना शुरू कर दिया.जीभ की नोक को लंड की लंबाई पे चलाते हुए जब उसने आंडो को मुँह मे भरा तो शाह मस्ती से आहत हो उठ बैठा & रंभा को पकड़ के अपनी बाहो मे भर लिया. दोनो बिस्तर पे घुटनो पे खड़े 1 दूसरे से लिपटे चूम रहे थे.शाह उसकी नंगी कमर को मसल रहा था & वो शाह की उपरी बाहो & कंधो पे अपने हाथ गर्मजोशी से घुमा रही थी.शाह के हाथ उसकी कमर से फिसल उसकी पॅंटी मे घुस गये.रंभा को कोमल गंद पे उसके हाथो का सख़्त एहसास बहुत अच्छा लग रहा था.उसकी चूत मे सनसनाहट होने लगी थी.शाह उसकी गंद की फांको को कभी आपस मे दबाता तो कभी बिल्कुल फैला देता.रंभा ने मस्ती मे सर पीछे झुका लिया था & अब उसके हाथ शाह की पीठ पे थे.शाह उसके क्लीवेज को चूम रहा था. शाह ने रंभा की पॅंटी नीचे सर्काई & घुटनो पे ही उसके पीछे आ गया & उसकी ज़ुल्फो को उसके बाए कंधे के उपर से आगे कर दिया & उसकी गर्दन & पीठ को चूमने लगा.उसकी चोली की गाँठ के पास पहुँचते ही उसने उसे दन्तो से खींच के खोल दिया.वो चूमता वो नीचे बढ़ा & उसकी कमर के मांसल हिस्सो को जम के चूमा. रंभा की गंद शाह के होंठो का अगला निशाना थी & हर बार की तरह इस बार भी वो उसे देख पागल हो गया & उसकी फांको को चूमने ,चूसने के साथ-2 काटने भी लगा.उसने रंभा की पॅंटी को उसके जिस्म से पूरी तरह अलग किया & फिर घुटनो पे ही उसके पीछे आ खड़ा हुआ.रंभा के गले से चोली को निकाल उसने उसकी बाहे उपर कर दी & उन्हे सहलाने लगा.रंभा पीछे झुक गयी & उसके बाए गाल को चूमने लगी.गंद मे चुभता लंड अब उसके जिस्म की आग को बहुत भड़का चुका था.शाह के हाथ उसकी मुलायम चूचियो से आ लगे थे & उन्हे मसल रहे थे.रंभा के हाथ अपने शौहर के हाथो के उपर आ लगे & उन्हे बढ़ावा देने लगे.शाह का लंड गंद की दरार मे अटक चुक्का था & रंभा अब गंद पीछे धकेल अपने दिल की हसरत जता रही थी.शाह का बाया हाथ उसकी चूचियो से ही चिपका रहा & दाया नीचे आया & उसकी चूत मे घुस गया.रंभा ने पीछे सर झटकते हुए आह भरी & टाँगे फैला दी.काफ़ी देर तक उसकी गर्दन & गाल चूमते हुए शाह उसकी चूचियो & चूत से खेलता रहा.जब उसने देखा की रंभा की गंद लंड पे कुच्छ ज़्यादा ही ध्यान दे रही है तब उसने चूत से हाथ को अलग किया & उसकी जगह अपने लंड को उसमे उतार दिया.रंभा ने बाई बाँह शाह की गर्देन मे डाल दी & दाए हाथ को अपनी कमर को जकड़े शाह की दाई बाँह पे रख दिया & उसकी चुदाई का मज़ा लेने लगी. शाह जब धक्का लगता तो उसके लंड की आस-पास का हिस्सा रंभा की मोटी गंद से टकराता & उसके आंडो मे अजीब सा मज़ा पैदा होता जिसकी तासीर वो पूरे जिस्म मे महसूस करता.शाह रंभा के कंधो & चेहरे को चूमता हुआ धक्के लगाए जा रहा था.रंभा अपनी चूत के अंदर-बाहर होते शाह के मोटे लंड की रगड़ से पागल हो रही थी.उसकी चूत अब शाह के लंड पे & कसने लगी तो वो समझ गया कि रंभा झड़ने के करीब है.उसने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी & रंभा के दाए कंधे पे अपने होंठ दबा दिए & उसकी चूचियो को बहुत ज़ोर से भींचा.शाह का लंड चूत मे कुच्छ & अंदर जाने लगा & रंभा की चूत ने उसे अपनी क़ातिल गिरफ़्त मे कस लिया.रंभा अपने शौहर की बाहो मे झाड़ रही थी. वो निढाल हो आगे झुक गयी & बिस्तर पे घुटनो & हाथो पे हो गयी.शाह उसकी कमर पकड़े उसकी गंद की फांको को मसलता धक्के लगाए जा रहा था.रंभा मस्ती की 1 लहर से उतार दूसरी पे सवार हो गयी थी.वो & आगे झुकी & बिस्तर पे लेट गयी.शाह भी उसके उपर लेट गया & उसके जिस्म के नीचे हाथ ले जाके 1 बार फिर उसकी चूचियो को जाकड़ लिया.दोनो को जिस्मो के भर तले फूलो की पंखुड़िया पिस रही थी & उनकी खुश्बू कमरे मे फैल रही थी.रंभा शाह के नीचे मदहोशी मे आहे भरती छॅट्पाटा रही थी.शाह के लंड की रगड़ ने उसे फिर से झाड़वा दिया. शाह उसके जिस्म से उपर उठा & बिना लंड बाहर खींचे रंभा को घुमा के सीधा लिटा दिया.उसने उसकी बाई टांग को उठा के अपने दाए कंधे पे रखा & उसे चूमते हुए चोदने लगा.रंभा अब पूरी तरह मदहोश थी & अपने हाथो से अपने चेहरे & जिस्म को बेसरबरी से सहला रही थी. महादेव शाह के हर धक्के पे रंभा के पैरो की पायल बजती & उसकी छन-2 सुन रंभा को हया & मस्ती का मिलाजुला अजब मदहोश करने वाला एहसास होता.शाह तो उसकी बाई टांग को चूमते हुए पायल की खनक से मतवाला हो रहा था.रंभा पानी से निकली मच्चली की तरह बिस्तर पे छॅट्पाटा रही थी.शाह का लंड उसकी कोख पे छोटे पे चोट कर रहा था & वो मस्ती मे बावली हुई जा रही थी.उसके होंठो से आहो के साथ मस्तानी आवाज़ें निकल रही थी.शाह ने उसकी दूसरी टांग भी अपने दूसरे कंधे पे चढ़ा ली & आगे झुका. ऐसा करने से रंभा की गंद हवा मे उठ गयी & शाह का लंड उसकी चूत के & अंदर जा उसकी कोख पे थोड़ा और ज़ोर से चोट करने लगा.उसकी जंघे उसकी छातियो पे दबी थी & उसका शौहर उसके चेहरे को थाम उसे चूम रहा था.रंभा के हाथ शाह की बाहो से लेके कंधे & सर के बालो से लेके जाँघो तक घूम रहे थे.जब से शाह ने उसे सीधा करके चोदना शुरू किया था तब से रंभा कितनी बार झाड़ चुकी थी ये उसे पता नही था. वो शाह को बाहो मे भरना चाहती थी,अपनी कमर उचका उसकी ताल से ताल मिला चुदाई मे उसका भरपूर साथ देना चाहती थी पर शाह के कंधो पे चढ़ि उसकी टाँगे इस काम मे आड़े आ रही थी.शाह भी उसके जिस्म के साथ अपने जिस्म को पूरी तरह से मिलाना चाहता था.उसने उसकी टांगको कंधो से उतारा & दोनो प्रेमियो ने 1 दूसरे को आगोश मे भर लिया.रंभा ने अपनी टाँगे शाह की टाँगो पे चढ़ा फँसा दी & उनके सहारे कमर उचका उसके हर धक्के का जवाब देने लगी.शाह के हाथ उसके कंधो के नीचे से फिसल उसकी गंद के नीचे जा पहुँचे थे & उसकी फांको को मसल रहे थे.रंभा के हाथ शाह की पीठ & गंद को छल्नी करने मे जुटे थे. शाह भी बहुत तेज़ धक्के लगा रहा था & रंभा की कमर भी उतनी ही तेज़ी से उचक रही थी.दोनो के बेसब्र जिस्म अब बस चैन पा जाना चाहते थे.दोनो 1 दूसरे को ऐसे पकड़े हुए थे मानो छ्चोड़ने पे क़यामत आ जाएगी!कमरे मे जिस्मो के टकराने की आवाज़ के साथ-2 रंभा की आहें गूँज रही थी की तभी रंभा की तेज़ आह के साथ 1 और आह भी गूँजी.ये आह शाह ने भरी थी जोकि इस बात का एलान थी कि अपनी दुल्हन के साथ-2 वो भी झाड़ गया है.रंभा की कोख मे जैसे ही शाह का गर्म,गाढ़ा वीर्य गिरा उसके जिस्म मे दौड़ती बिजली और भी तेज़ हो गयी.वो झड़ने की ऐसी शिद्दत से बिल्कुल मदहोश हो गयी.शाह का जिस्म भी झटके पे झटके खाए जा रहा था.रंभा की चूत उसके लंड पे ऐसे कसी हुई थी मानो उसके सारे वीर्य को निचोड़ लेना चाहती हो.दोनो लंबी-2 साँसे ले रहे थे.शाह का सर रंभा की छातियो पे था & वो आँखे बंद किए अपनी दुनिया मे खोई हुई थी.कुच्छ पल बाद जब मदहोशी थोड़ी कम हुई तो दोनो मस्ती मे सराबोर प्रेमी 1 दूसरे को चूम 1 दूसरे को इतनी खुशी महसूस करने का शुक्रिया अदा करने लगे. "वाह!बहुत अच्छे!शाह जी विधवा से शादी कर आप तो आज समाज सेवक भी बन गये!",कमरे का दरवाज़ा धड़ाक से खुला & 1 खिल्ली उड़ाती आवाज़ आई तो दोनो चौंक के घूमे और सामने खड़े शख्स को देख हैरत से उनकी आँखे फॅट गयी. रंभा ने जल्दी से पैरो के पास रखी चादर खींच अपने नंगे बदन को ढँका. "वाह!बहूरानी..",कमर पे हाथ रखे रीता उसे देख मुस्कुरा रही थी,"..जवानी ने इतना परेशान कर दिया तुम्हे!", "रीता..",महादेव शाह अपने कपड़े पहनता उसकी ओर बढ़ा. "चुप,कामीने!",रीता गुस्से से चीखी,"..वही खड़ा रह धोखेबाज़!",शाह और रंभा ने देखा की रीता के दोनो तरफ प्रणव और शिप्रा आ खड़े हुए थे और प्रणव के हाथ मे 1 पिस्टल थी.बंदूक देख रंभा के होश फाख्ता हो गये.उसका दिल बहुत ज़ोरो से धड़कने लगा.उसने सपने मे भी नही सोचा था कि खुद रीता वाहा आ जाएगी & वो भी इस रूप मे,"प्रणव,बांधो दोनो को." रीता ने उस से पिस्टल ले दोनो की ओर तान दी.प्रणव 1 छ्होटे से बॅग को लेके आगे बढ़ा.रंभा ने देखा की शाह बिल्कुल खामोश खड़ा था.प्रणव ने बॅग खोल 1 डक्ट टेप का रोल और 2 हथकड़िया निकाली & शाह के हाथ उसके बदन के पीछे बाँधने लगा.रंभा अपने कपड़े पहनने लगी.उसकी समझ मे नही आ रहा था कि आख़िर वो लोग उन्हे बाँध क्यू रहे हैं?..पोलीस बुलाके उन्हे उसके हवाले क्यू नही करते!..ऐसी सूरते हाल मे तो पोलीस को शक़ नही पूरा यकीन होगा कि समीर की मौत मे शाह और रंभा का ही हाथ है. "ले चलो दोनो को.",रीता का रूप देख रंभा को सबसे ज़्यादा हैरानी थी.तीनो ने दोनो बंधको को बाहर निकाल 1 कार मे डाला & चल दिए.दोनो के मुँह पे टेप लगा था & मुँह से आवाज़ निकाल मदद के लिए चिल्लाना नामुमकिन था.रंभा बाहर देख रही थी & उसकी समझ मे आ रहा था कि वो कहा जा रहे हैं. "उतरो!",रीता की कड़कदार आवाज़ गूँजी.रंभा ने बिल्कुल सही सोचा था,सब कंधार फॉल्स पे आ गये थे,"..महादेव शाह,बहुत शौक है ना तुम्हे ट्रस्ट ग्रूप का मालिक बनने का.तो आज तुम वही जाओगे जहा इस ग्रूप का पहला मालिक गया है.",रंभा चौंक गयी..तो क्या रीता ही विजयंत मेहरा के इस हाल की ज़िम्मेदार है. "चलो,प्रणव.फेंको दोनो को झरने मे.बहुत शौक है दोनो को रंगरेलिया मनाने का.अब दूसरी दुनिया मे जाके करना जितनी चुदाई करनी है!",रीता के होंठो पे शैतानी मुस्कान थी.ऐसा लगता था जैसे की वो रीता नही उसकी कोई हमशक्ल हो जो रीता होने का नाटक कर रही हो. "मुझे धोखा देने की सोच अच्छा नही किया,शाह.",प्रणव मुस्कुरा रहा था & शाह को झरने के पास बने बॅरियर की ओर ले जा रहा था.शाह अभी भी खामोश था.उसे यकीन नही हो रहा था कि उस से चूक कहा हुई..आज तक वो अपनी ज़िंदगी मे बस 1 उसूल मानता आया था वो ये कि किसी भी लड़की को ज़रूरत से ज़्यादा करीब नही आने दो.उसने वो उसूल तोड़ा & आज देखो उसका खेल ख़त्म होने वाला है.प्रणव ने उसके मुँह से टेप निकाला. "1 सवाल का जवाब मिलेगा?",शाह ने पुछा तो प्रणव ने अपनी सास को देखा. "पुछो.",रीता कमर पे हाथ रखे खड़ी थी. "तुम्हे हम दोनो के बारे मे पता कैसे चला?" ----------------------------------------------------------------------------------------------------------
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