RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--52
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गतांक से आगे ......................
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उनके लंड को अन्दर तक महसूस करते हुए , उनकी आँखों में आँखे डालकर रितु ने कहा : "जो भी हो पंडित जी ...आप मजे बड़े सही देते हो ....उम्म्म्म ....मन करता है ...सारा दिन .....आपके लंड के ऊपर ही बैठी रहू ...बस ...मम्मी ना बुला ले ....ही ही ... ''
उसने अपनी माँ की तरफ देखा और जोरों से हंसने लगी ..
उसकी माँ की चूत में भी अब चिंगारियां सुलगनी शुरू हो गयी थी ..पहली बार वो जल्दी झड़ जाए तो अगली बार उसको ज्यादा समय लगता था ..उसने आँखों ही आँखों में अपनी बेटी को कुछ इशारा किया और वो चुपचाप उनके लंड से उतर गयी ...और अपनी माँ के पास आकर उन्हें उठाया और पंडित जी के ऊपर जाकर उन्हें उनके लंड पर विराजमान करवा दिया ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......स्स्स्स .....उम्म्म्म्म्म्म्म .......''
माधवी की गीली चूत के अन्दर पंडित जी का लंड फिसल कर पूरा अन्दर आ गया ...
एक मिनट पहले जहाँ रितु बैठी थी, वहां अब उसकी माँ माधवी थी ..और उसकी गुलगुलाती हुई चूत के अन्दर अपना सनसनाता हुआ लंड फंसा पाकर पंडित जी के पुरे शरीर में चिंगारियां सी निकलने लगी ...और उन्होंने उसके मोटे मुम्मों को देखते हुए नीचे से जोर-२ से धक्के लगाने शुरू कर दिए ...
सच में ...माँ आखिर माँ होती है ...और ये माधवी ने पंडित जी को दिखा दिया ..अपनी चूत में उनके लंड को लेकर मसलने की कला जो उसके पास थी ..वैसा रितु शायद ही अगले दस सालों में सीख पाए ..
अगले पांच मिनट तक माधवी की चूत में अपना लंड रगड़ने के बाद पंडित जी को रितु का ख़याल आया ...उन्होंने उसको फिर से अपनी तरफ बुलाया और उसको लिटा कर खुद उसकी खुली टांगो के बीच पहुँच गए और वहां से उसके अन्दर दाखिल हो गए ..
रितु : "उम्म्म्म .........माँ ......तुम भी आ जाओ ....मेरे ऊपर ....मुझे चूसनी है ....तुम्हारी चूत .....जल्दी आओ यहाँ ...''
माधवी के अन्दर भी अब आग पूरी तरह से भड़क चुकी थी ..और उसकी शर्म - हया भी अब निकल गयी थी ..वो भागती हुई सी रितु के ऊपर आई और उसके मुंह के दोनों तरफ पैर करके नीचे बैठ गयी ...
और रितु ने अपने हाथ फेला कर अपनी माँ की चोडी गांड को उनमे समेट लिया और रसीली चूत को सीधा अपने मुंह के ऊपर लगा कर उसके अन्दर से निकल रहा मीठा रस पीने लगी ...
''उम्म्म्म्म्म्म .....ओह्ह्ह्ह्ह माँ ...सदप ......उम्म्म्म्म…। पुच .......पुच ........अह्ह्ह्ह .......''
उसने अपनी माँ की कटोरी में से सारी खीर निकाल कर खानी शुरू कर दी ...माधवी भी अपनी कमर मटका कर अपने दाने को उसकी जीभ से लगा कर मजे ले रही थी ...और नीचे से पंडित जी अपनी ही मस्ती में रितु की चूत सुरीले संगीत की तरह से बजा रहे थे ..
पुरे कमरे में सेक्स की हवा और आवाजें फेली हुई थी ..
इस बीच रितु दो बार झड गयी थी ...एक बार तो जब उसकी माँ की चूत उसके मुंह के ऊपर आई और दूसरी बार जब पंडित जी ने माधवी की भरवां गांड को मचलते हुए देखा रितु के चेहरे पर तो उन्होंने कुछ शॉट्स ज्यादा ही तेज लगा दिए ...
और आखिरकार पंडित जी के लंड के अन्दर से भी आवाजें आने लगी ..की वो उल्टी करने वाला है ......और पंडित जी के सामने दो-२ यजमान थे ...इसलिए बराबर का प्रसाद वितरण भी जरुरी था ..उन्होंने अपना लंड रितु की लीक हो चुकी चूत से बाहर निकाला और दोनों को अपने सामने बिठा लिया ...
और अपने लंड को हिलाते हुए उन्होंने एक जोरदार पिचकारी दोनों के चेहरे की तरफ छोड़ दी ..
गाड़े रस की पहली पिचकारी रितु के खुले हुए मुंह के अन्दर जाकर गिरी ...जिसे वो एक ही चटखारे में निगल गयी ...फिर पंडित जी की पिचकारी माधवी की तरफ घूमी ..और उसके चेहरे पर भी सफ़ेद धब्बो से ढक दिया ...माँ बेटी में जैसे प्रतिस्पर्धा लगी हुई थी की किसके हिस्से में कितना ''माल'' आयेगा ...
माधवी ने पंडित जी के लंड को पकड़ा और उसे अपने मुंह में लेकर बाकी का बचा -खुचा ''जीवन-रस'' निकाल कर पी गयी ...
पर इतने से भी उसका पेट शायद नहीं भरा था ...रितु के चेहरे पर लगे हुए रस को देखकर माधवी की जीभ फिर से लपलपाने लगी ..और उसने रितु के चेहरे को घुमा कर साइड में किया और अपनी लम्बी जीभ निकाल कर उसके गालों पर ओस की बूंदों की तरह पड़े हुए रस की बूंदों को इकठ्ठा किया और उन्हें भी पी गयी ...
और बात यहीं ख़त्म नहीं हुई .....माँ की ममता देखिये ...उसने अब तक जितना भी रस अपने मुंह से चूसा था वो सब वहीँ इकठ्ठा कर लिया था ..और आखिर में उसने अपनी बेटी के होंठों को अपनी तरफ किया और उसे फ्रेंच किस करते हुए और अपनी मेहनत का सारा रस उसके मुंह में उड़ेल दिया ...
अपनी माँ के इस त्याग को देखकर रितु की आँखों में आंसू आ गए ...और उसे अपने आप पर शर्मिंदगी महसूस हुई की कहाँ थोड़ी देर पहले वो अपनी माँ को नीचा साबित करने के लिए पंडित जी की अट्टेंशन ले रही थी और यहाँ खुद उसकी माँ उसके लिए ऐसे त्याग कर रही है, जिसके बारे में वो खुद सोच भी नहीं सकती ...
ये सब देखकर रितु ने अपनी माँ को भी उतनी ही गर्मजोशी के साथ चूम लिया ...
अब उसकी समझ में आ गया था की माँ आखिर माँ ही होती है ..और बेटी ...बेटी होती है .
फिर कुछ देर के बाद उन्होंने अपने-२ कपडे पहने और घर की तरफ निकल गए ..
अगले दिन पंडित जी सुबह दस बजे ही तैयार होकर बैठ गए ..क्योंकि शीला ने बोल था की वो कोमल को दस बजे उनके पास भेज देगी ..और उन्हें ज्यादा इन्तजार भी नहीं करना पड़ा ..जल्द ही कोमल उनके दरवाजे पर खड़ी थी ..और उसके चेहरे पर जो मुस्कान थी वो तो देखते ही बनती थी ..उसने आते ही दरवाजा बंद किया और पंडित जी का हाथ पकड़कर उन्हें अन्दर ले आई और
बोली : "ये आपने क्या जादू कर दिया है दीदी पर ...पता है उन्होंने खुद ही मुझे आपके साथ जाने के लिए कहा ..मैं तो सोच भी नहीं सकती थी की आप ऐसा कर सकते हो ..''
पंडित जी ने उसे बताना जरुरी नहीं समझा की असल में हुआ क्या था ..वो तो बस कोमल के सामने हीरो बनने में लगे हुए थे , वो बोले : "अभी तुमने देखा ही क्या है ..आगे-२ देखो मेरा कमाल ..अच्छा अब बताओ ..आज का क्या प्रोग्राम है ..मतलब आज अपने दिल की कौन सी इच्छा पूरी करनी है तुम्हे ..''
कोमल : "वो तो अभी सीक्रेट है ...बाद में पता चल जाएगा आपको ..अभी तो मुझे पहले कपडे बदलने है ..''
इतना कहकर उसने अपने साथ लाया हुआ एक बेग निकाला और उसमे से टी शर्ट और मिनी स्कर्ट निकाल कर बेड पर रख दी ..
उसने आज वैसे तो पीले रंग का सूट पहना हुआ था ..पर घर से तो वो ऐसे कपडे पहन कर निकल नहीं सकती थी न ..पंडित जी उससे कुछ कहते इससे पहले ही उसने अपने सूट के कुर्ते को पकड़ा और ऊपर करते हुए उसे अपने सर से घुमा कर निकाल दिया ..
पंडित जी अवाक से उसे देखते ही रह गए ..वो अब उनके सामने सिर्फ ब्रा और सलवार में खड़ी थी ..
पंडित जी को अपनी तरफ ऐसे घूरते हुए देखकर वो बोली : "क्या ...आप ऐसे क्यों देख रहे हो ..कल तो आप मुझे ऐसा देख ही चुके हो ...अब आपसे छुपकर कपडे बदलने का क्या मतलब ..''
'जियो मेरी रानी ...मुझे क्या परेशानी होगी ..मेरी तरफ से तो तू नंगी हो जा अभी ..जो एक न एक दिन तुझे होना ही है ..'
ये सोचते हुए पंडित जी मुस्कुराने लगे ..
और उसके बाद कोमल ने अपनी सलवार भी निकाल दी ..और अब उसका संगमरमरी जिस्म सिर्फ ब्रा-पेंटी में था ..और ये सेट वही था जो कोमल ने कल लिया था ..बड़ी ही सेक्सी लग रही थी वो ..उसके बाद वो शीशे के सामने खड़े होकर अपनी ब्रा-पेंटी की फिटिंग को एडजस्ट करने लगी, जैसा की अक्सर लड़कियां करती है ..वो शायद भूल गयी थी की वहां पंडित जी भी खड़े हैं जो अपनी गिद्ध जैसी आँखों से उसे देखकर अपनी कुत्ते जैसी जीभ निकाल कर खड़े हैं ..
कोमल अपने बूब्स को ऊपर नीचे करके और अपनी ब्रा के स्ट्रेप को लूस करके वहां एडजस्टमेंट कर रही थी और यहाँ पंडित जी का लंड वो सब देखकर आपे से बाहर हो रहा था ..
और फिर कोमल ने वो किया जिसकी पंडित जी को भी आशा नहीं थी ..उसने अपनी पेंटी के अन्दर हाथ डाला और अपनी चूत के अन्दर अपनी उँगलियों को डुबोकर बाहर निकाला और अपने मुंह में डाल लिया ...उसने ये सब इतनी जल्दी से किया था की पंडित जी की नजरें अगर कहीं और होती तो शायद वो देख ही ना पाते ...और शायद वो यही सोच रही थी की पंडित जी शायद कहीं और देख रहे हैं ..पर वो तो तिरछी नजरों से उसे ही देखने में लगे हुए थे ..
अब पंडित जी को पूरा विश्वास हो गया की मस्ती तो इसे भी चढ़टी है ..
फिर कोमल ने अपनी टी शर्ट और स्कर्ट पहन ली ..उसकी टी शर्ट इतनी टाईट थी की उसकी ब्रा के अन्दर के निप्पल भी साफ़ दिखाई दे रहे थे ..पर पंडित जी को भला क्या शिकायत हो सकती थी ..वो चुप रहे .
पंडित जी ने भी नकली मूंछ और चश्मा लगा कर टोपी पहन ली ..और थोड़ी देर के बाद दोनों तैयार होकर बाहर निकल पड़े .
बाहर निकलते ही कोमल ने पंडित जी के हाथों को अपनी बगलों में समेट लिया ...जैसे उनकी लवर हो वो ..उन्हें कोमल के कोमल-२ मुम्मों का आभास अपनी कोहनी पर साफ़ महसूस हो रहा था ..
चलते-२ कोमल बोली : "आज मुझे अपने दिल की वो इच्छा पूरी करनी है जिसमे आप मेरे बॉयफ्रेंड बनोगे और मैं आपकी गर्लफ्रेंड ..मैंने अक्सर देखा है लड़के-लड़कियों को ऐसे घुमते हुए ..और उन्हें देखकर मैं अन्दर से जल सी जाती थी ..मैंने तब से ही सोच कर रखा था की मैं भी ऐसे घुमुंगी ..अब जब मेरा बॉयफ्रेंड होगा तब तक मुझसे इन्तजार नहीं होता ..मैं भी तो देखू की उन लोगो को ऐसा करने में क्या मजा आता है ..''
पंडित जी इस बार फिर से उसकी बचकाना सोच पर अपना माथा पीट कर रह गए ..पता नहीं क्या -२ फितूर भरे पड़े हैं इस लड़की के दिमाग में ..पर अगले ही पल उन्हें ये भी एहसास हुआ की वो अपनी मन की इच्छाओं की पूर्ति करते हुए उन्हें भी तो मजे का एहसास देगी ...जैसे कल उन्हें शोरूम में मिला था ...शायद आज भी कुछ ख़ास कर जाए ये अपने पागलपन को पूरा करने के चक्कर में ..
बस ये सब सोचकर पंडित जी मन ही मन मुस्कुरा दिए ..और उसके साथ चलते रहे ..
वैसे बात तो ये सच है ...जिन लड़के या लड़कियों के लवर नहीं होते वो अक्सर दुसरे जोड़े को एक साथ देखकर जल सा जाते हैं ..और अक्सर वो खुद को उस लड़के या लड़की की जगह रखकर सोचते हैं की इससे अच्छा तो मुझे ले चलता / चलती ये साथ ...मुझमें आखिर कमी क्या है .. और शायद यही कोमल ने भी सोचा था ..
खैर ..आज वो काफी सेक्सी लग रही थी ..उसके कपडे थे ही इतने सेक्सी की हर कोई उसे देखकर घूरने में लगा हुआ था ..खासकर उसकी नंगी टांगों और मोटी जाँघों को देखकर ...और ऊपर की तरफ लटके हुए अल्फ़ान्सो आमों को देखकर ..जिनमे से उसके निप्पल अपने दर्शन पुरे शहर को करवा रहे थे ..और ये सब देखकर और महसूस करके कोमल बहुत खुश हो रही थी ..
तभी पंडित जी के मन के एक विचार आया ..क्यों न इसको उसी पार्क में ले चले ..जहाँ उन्होंने नूरी के साथ मजे लिए थे ..वहां का माहोल भी ऐसा रहता है ..ज्यादातर लड़के - लड़कियां ही आते हैं वहां ..चूमा -चाटी करने के लिए ..
पंडित जी ने कोमल को कहा की वहां एक पार्क है ..जहाँ घूमने में बड़ा मजा आयेगा ..वो मान गयी और दोनों उस पार्क की तरफ चल दिए ..
अभी सुबह का समय था, इसलिए सिर्फ आशिकों से भरा पड़ा था वो पार्क ..ज्यादातर स्कूल और कॉलेज से बंक मारकर आये हुए लड़के-लड़कियां थे ..वहां का माहोल देखकर तो वो ख़ुशी से चिल्ला ही पड़ी : "ओहो ....ऐसे ही देखती थी मैं ...अब मजा चखाती हु सबको ....''
वो तो जैसे आशिकों की दुनिया से कोई इंतकाम लेने निकली थी आज ..अपने दिल की जलन को वो किस तरह से आराम पहुँचाना चाहती थी ये तो पंडित जी को भी अंदाजा नहीं था ..
पार्क के हर पेड़ के पीछे एक जोड़ा बैठा था ....कहीं लड़की, लड़के की गोद में सर रखकर लेटी थी और कहीं लड़का ..कोई किसी को चूम रहा था तो कोई किसी के मुम्मे दबा रहा था ..और ये सब देखकर कोमल का तो पता नहीं पर अपने पंडित जी का लंड हरकत में आना शुरू हो गया था .
और एक बात पंडित जी ने भी नोट की ..जहाँ -२ से कोमल निकल रही थी ..सभी लड़के अपनी गर्लफ्रेंड को छोड़कर कोमल को देखने में लग गए थे ..वो चीज ही ऐसी थी ..और ऊपर से उसने दूसरी लड़कियों की तरह स्कूल यूनिफार्म नहीं पहनी थी ..उसका गुदाज जिस्म और गोरा रंग पुरे पार्क में आग लगा रहा था ..
पंडित जी उसे लेकर उसी जगह पर पहुँच गए जहाँ बैठकर उन्होंने नूरी से मजे लिए थे ..दो पेड़ो के बीच बनी जगह और पीछे की तरफ घनी झाड़ियाँ होने से वो जगह काफी छुपी हुई सी थी ..
पंडित जी घांस पर बैठ गए ..कोमल की छोटी सी स्कर्ट होने की वजह से उसे बैठने में मुश्किल हो रही थी ..पर फिर भी बड़ी मुश्किल से वो एक ही तरफ दोनों घुटनों को मोड़कर बैठ गयी ..
पंडित जी की तेज नजरें उसकी स्कर्ट की दरार को भेदकर अन्दर देखने की कोशिश कर रही थी ..
उनके आस पास के पेड़ों के नीचे दो जोड़े और भी बैठे थे ..जो दुनिया से बेखबर होकर एक दुसरे में खोये हुए थे ..
उनकी तरफ देखकर कोमल को लगा की वो लड़के भी उसे देखकर अपनी गर्लफ्रेंडस को भूल जायेंगे ..पर वो तो अपनी दुनिया में ही मस्त थे ..एक लड़के ने लड़की को अपनी गोद में लिटाया हुआ था ..और उसके रेशमी बालों में हाथ फिराते हुए उससे बातें कर रहा था ..और बीच-२ में झुककर उसके होंठों को भी चूम लेता था ..
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