RE: Desi Kahani Jaal -जिंदगी के रंग अपनों के संग
फिर मामा ऑफीस के लिए निकल गये और मैं तैयार हो के अपने स्कूल के लिए यहाँ कुछ पुराने दोस्तो से बातचीत की फिर ड्क्यूमेंट्स कलेक्ट कर के मामा के ऑफीस के लिए निकल गया. वहाँ पे जाके पता चला कि मामा किसी मीटिंग में है तो मैं उन के कॅबिन मे बैठ के उनका वेट करने लगा. करीब 20 मिनट के बाद मामा आए और उन के साथ उनकी सेक्रेटरी जुली भी थी (जुली एक बहुत ही खूबसूरत लड़की थी और मेरी उससे काफ़ी अच्छी बनती थी).
मामा-सॉरी अजय मुझे किसी काम से अभी बाहर जाना पड़ रहा है इस लिए तुम्हारा काम अब जूली करवा देगी ओके.
मैं-कैसा काम
मामा-तुम्हे जुली के साथ अभी बॅंक जाना है यहाँ पे ये तुम्हारे बॅंक अकाउंट को मेरे अकाउंट से लिंक करवा देगी बॅंक में मेरी बात हो गयी है ताकि फ्यूचर में तुम्हे कभी कोई प्राब्लम ना हो
मैं- इस की कोई ज़रूरत नही मामा मेरे अकाउंट में ऑलरेडी काफ़ी कॅश पड़ा है
मामा-पता है पर फिर भी ये फ्यूचर के लिए है अब तुम इंडिया जा रहे हो और तुम्हे अपना प्रोमिश तो याद है ना कि तुम मेरे बेटे बन के इंडिया जा रहे हो यहाँ जो भी खर्च हो गे वो तुम इस अकाउंट से करोगे समझ गये और अब मैं कोई बहस नही चाहता अब मुझे देर हो रही है तुम जुली के साथ जा के काम करवा लो .
और ये बोल के मामा अपने कॅबिन से निकले और फिर मैने जुली को कहा और जूली क्या चल रहा है आज कल तुम्हारी लाइफ में कुछ इंट्रेस्टिंग है या वोई बोरिंग लाइफ.
जूली-हे मेरी लाइफ बोरिंग नही है मैं अपनी लाइफ फुल एंजाय करती हूँ तुम अपनी सूनाओ कोई गर्लफ्रेंड बनाई या अब भी ऐसे ही हो.
मैं-तुम ने मेरा सवाल मेरे पे ही डाल दिया इंट्रेस्टिंग पहले की तरह अब तुम हिचक नही रही हो गुड.और गर्लफ्रेंड हाई एक बनाई थी पर उस से ब्रेकप कर लिया तुम अपना बताओ
जुली-नही मेरी लाइफ में अभी कोई नही है पर तलाश जारी है जैसे ही कोई मिलता है सबसे पहले मैं तुम को बताउन्गि ओके.
फिर इसी तरह की बातचीत करते हुए हम बॅंक पहुच गये और बॅंक से मैं सीधा घर. घर पे जाते ही मुझे शेली मिली जो सोफे पे बैठ के दीदी से कुछ बात कर रही थे क्या लग रही थी दोस्तो वाइट टीशर्ट वो भी पूरे जिश्म से चिपकी हुई ऐसा लग रहा था कि उस के बूब्स अभी टी-शर्ट फाड़ के बाहर आ जाएगे वो जब भी उपर नीचे होती तो उस के बूब्स भी क्या टाइमिंग के साथ हिलते सच कहूँ तो आज पहली बार शैली को ऐसा देख के मुझे काफ़ी औकवर्ड फील हो रहा था मेरी नज़रे तो जैसे वही ही चिपक गयी थी मुझे पता ही नही चला कि कितनी देर तक मैं उन्हे देखता रहा मेरा ध्यान तो दी की आवाज़ से टूटा और मुझे काफ़ी शर्मिंदगी महसूस हुई और मैं आपने कमरे मे भाग गया.
वहाँ जा के सब से पहले मैने शावर के नीचे खड़े हो के शवर चालू कर दिया और उस सीन को दिमाग़ से धोने की कोशिश करने लगा फिर नहा के बाहर आया और सोचने लगा कि बस और 02 दिन फिर मैं बिल्कुल नये देश में नये लोगो के बीच होउंगा ये सोच –सोच के मैं काफ़ी ऐक्साइट हो रहा था .
फिर मैं नीचे आ गया अब शैली वहाँ नही थी मैं ने रहट की साँस ली फिर मैं ने थोड़ी देर टीवी देख के टाइम पास किया फिर मैं जिम चला गया वहाँ पे अपनी रुटीन एक्सरसाइज करने के बाद थोड़ी देर दोस्तो के पास चला गया कुछ टाइम उन के साथ बिताने के बाद मैं घर आ के डिन्नर कर के सो गया इस उम्मीद में कि कल का दिन मेरा यहाँ पे आख़िर दिन है मुझे अपने रियल मोम डॅड और बेहन के पास जाने की खुशी थी यहाँ मामा-मामी को छोड़ के जाने का दुख .
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