RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --22
गतान्क से आगे........................
"क्या हुआ?" उनकी सोच ठाकुर की आवाज़ से टूटी.
"कुच्छ नही" उन्होने धीरे से कहा और लड़के को चलने का इशारा किया "चलो"
वो लड़का आगे आगे और ठकुराइन पिछे पिछे चल पड़े. उस दिन जो छत पर हुआ था उसके बाद ठकुराइन और उस लड़के की अब तक कोई बात नही हुई थी और ना ही उसके बाद उसने कोई और हरकत करने की कोशिश की थी. पर जाने क्यूँ ठकुराइन को लग रहा था के वो अकेले में उन्हें इसलिए ले जा रहा है ताकि उनके साथ फिर कुच्छ कर सके. जो बात उन्हे समझ नही आ रही थी वो ये थी के सब कुच्छ जानते हुए भी वो क्यूँ उसकी हर बात रख लेती थी, करने देती थी उसको वो सब जो की वो करना चाहता था. क्या इसकी वजह ये थी के कहीं दिल में उन्हें भी ये सब अच्छा लग रहा था? क्या वो खुद भी अंजाने में इस खेल में भाग ले रही थी.
"ये खेल जो की इसलिए मज़ेदार था क्यूंकी ये पूरी दुनिया की नज़र में सबसे बड़ा पाप था? और क्यूंकी इसमें किसी को पता चल जाए तो जान जाने का ख़तरा था? क्या पाप और ख़तरे का रोमांच इस खेल को मज़ेदार बना रहा था जिसकी वजह से वो खुद भी बिना सोचे समझे उस लड़के के साथ कदम मिलाए जा रही थी?"
अचानक वो लड़का रुका तो ठकुराइन का सोचने का सिलसिला टूट गया.
"ये सामने" उसने सामने लगे एक हॅंडपंप की तरफ इशारा किया.
ठकुराइन ने देखा के वो बाग के बीच बना एक छ्होटा सा कमरा था जिसमें शायद खेत की ज़रूरत का समान रखा हुआ था. कमरे पर बाहर ताला लगा था और उसके बाहर एक हॅंडपंप लगा हुआ था.
"आप पानी पी लो" लड़के ने नलके की हत्थी को पकड़ा और उपेर नीचे किया. नलके से पानी बह चला
वहाँ पानी पीने के लिए कोई ग्लास या कोई और बर्तन नही था इसलिए ठकुराइन को झुक कर नलके के नीचे हाथ लगाना पड़ा ताकि वो पानी पी सकें. कुच्छ देर तक वो नलके की हत्थी चलाता रहा और ठकुराइन पानी पीती रही. प्यास बुझ गयी तो ठकुराइन ने वैसे ही झुके झुके अपना चेहरा धोना शुरू कर दिया.
अचानक नलके से पानी आना बंद हो गया. ठकुराइन ने चेहरा उठाकर देखा तो वो लड़का अब नलके की हत्थी पकड़े नही खड़ा था वो सोच ही रही थी के अचानक उन्हें अपनी गांद पर 2 हाथ महसूस हुए. वो समझ गयी के हाथ किसके थे.
चेहरा धोते वक़्त उनकी आँखें बंद थी इसलिए उनको पता ही नही चला के कब वो लड़का चुप चाप नालका चलाना छ्चोड़कर उनके पिछे जा खड़ा हुआ.
ठकुराइन के जिस्म को जैसे लकवा मार गया. उनके दिल की धड़कन तेज़ हो गयी और उन्होने फ़ौरन सीधी होने की कोशिश की पर उसने उनकी कमर पर अपना हाथ रखा और उन्हें दबाकर फिर झुका दिया. ठकुराइन ने अपने सामने लगे हॅंडपंप को पकड़ लिया और फिर झुक गयी.
लकड़े ने अपने दोनो हाथों से उनकी गांद को पकड़ रखा था और सारी के उपेर से ही धीरे धीरे सहला रहा था. उसके हाथ उनकी गांद की गोलैईयों की पूरी तरह नाप रहे थे. वो महसूस कर सकती थी के उसके दोनो हाथ काँप रहे थे पर फिर भी वो ऐसे लगा हुआ था जैसे की आटा गूँध रहा हो.
ठकुराइन वैसे ही खामोशी से झुकी रही. खुद उनकी समझ से बाहर था के वो ऐसा क्यूँ कर रही थी.
"क्या वो इसलिए ये सब कर रही थी क्यूंकी ये पाप है और पाप का एहसास इसको और मज़ेदार बना रहा है? क्या इसलिए के इसमें ख़तरा है के वो यूँ खुले में ये सब कर रही थी और ठाकुर कहीं से भी आ सकते थे?" जो भी था, वो वैसे ही झुकी रही.
लड़का थोड़ी देर तक सारी के उपेर से उनकी गांद को दबाता रहा. उसके हाथ धीरे धीरे गांद से उपेर सरक कर सारी और ब्लाउस के बीच उनके नंगे पेट पर आ गये. ठकुराइन के दिल दी धड़कन अपने नंगे जिस्म पर उसके हाथ महसूस करते ही और तेज़ हो गयी और उनके घुटने काँपने लगे.
पर उसके हाथ उनके पेट पर रुके नही. वो धीरे धीरे और उपेर को आते रहे. ठकुराइन समझ गयी के उसके हाथ कहाँ जा रहे हैं पर इससे पहले के वो कुच्छ कहती या करती, हाथ अपनी मंज़िल पर पहुँच गये.
ब्लाउस के उपेर से ही उसने उनकी बड़ी बड़ी चूचियो को अपने हाथों में भर लिया और पूरे ज़ोर से दबा दिया.
और ठीक उसी पल झुकी हुई ठकुराइन की चीज़ पर कोई सख़्त चीज़ आ लगी. वो जानती थी के ये उसका लंड था.
ठकुराइन फ़ौरन उठकर सीधी खड़ी हो गयी और लड़के का हाथ पकड़ कर एक झटके से अपनी छाती से हटा दिया. उनका दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था जैसे अभी छाती से निकलकर उनके मुँह में आ जाएगा.
ठकुराइन उस लड़के से अलग हुई और दो कदम आगे को आकर अपनी उखड़ी हुई साँस संभालने लगी. हैरत उन्हें इस बात की थी के उस वक़्त उनकी खुद की टाँगो के बीच की जगह गीली हो चुकी थी.
वो लड़का फिर धीरे से उनके पिछे आया और ठकुराइन के कंधे पर हाथ रखा. ठकुराइन घबराकर थोड़ा और आगे को हुई और सामने खड़े बड़े से पेड़ के साथ जा लगी. वो लड़का फिर उनके पिछे आ गया और आकर उनसे सॅट गया.
वो लंबाई में ठकुराइन के बराबर ही था इसलिए पिछे से जब वो उनसे सटा तो उसका लंड सीधा फिर उनकी गांद पर आकर दबने लगा. उसकी छाती ठकुराइन की कमर पर और चेहरा उनकी गर्दन पर आ गया.
ठकुराइन बेसूध से पेड़ की तरफ मुँह किए खड़ी थी. उनके चेहरे के सामने उस बड़े से आम के पेड़ का तना था जिसको वो पकड़े खड़ी थी.
आँखें तो उनकी कबकि बंद हो चुकी थी.
"कोई आ जाएगा" उखड़ती हुई सांसो के बीच उन्होने धीरे से कहा
"बस 2 मिनिट" उस लड़के ने जवाब दिया और अपना चेहरा ठकुराइन के कंधे पर उनके बालों के बीच दबा दिया. ठकुराइन भी जैसे उसकी बात मानकर 2 मिनिट के लिए सब भूल गयी. भूल गयी के वो एक आम के बाग में खुले में खड़े थे. उनके चारों तरफ आम के पेड़ थे पर वो ये भूल गयी के थोड़ी ही दूर पर खुद ठाकुर और घर के 3 नौकर थे.
अब वो लड़का साफ साफ उनकी गांद पर अपना लंड रगड़ रहा था. वो पिछे से कपड़े के उपेर से ही उनकी गांद पर इतनी ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था के ठकुराइन का पूरा शरीर पेड़ के तने के साथ घिसने लगा था. वो अब भी अपना चेहरा उनके बालों में च्छुपाए हुए था.
उसके दोनो हाथ अब तक ठकुराइन की कमर को पकड़े हुए थे पर फिर धीरे से उसका एक हाथ ठकुराइन के पेट पर आ गया और उपेर को आने लगा. ठकुराइन जानती थी के वो फिर उनकी छाती पर आकर ही रुकेगा पर अब ना तो उनमें उसको रोकने की हिम्मत थी और ना ही शायद वो रोकना चाहती थी. उसका हाथ उपेर को खिसकता हुआ उनकी चूचियो पर आकर रुका और ब्लाउस के उपेर से वो उनकी चूचियाँ मसल्ने लगा. पीछे से वो अब भी उनकी गांद पर अपना लंड रगड़ रहा था.
फिर एक पल को वो रुका. उसका लंड ठकुराइन की गांद से हट गया और जिस हाथ से उसने उनकी कमर पकड़ रखी थी वो हाथ भी हटा लिया. दूसरे हाथ से वो अब भी उनकी चूचियाँ दबा रहा था. ठकुराइन को लगा के शायद उसका काम हो गया और वो हिलने ही लगी थी के उसने फिर दूसरे हाथ से उनकी कमर को थाम लिया और फिर अपना लंड उनकी गांद से सटा दिया.
ठकुराइन को समझते देर नही लगी के वो क्या कर रहा था. उसने अपना पाजामा खोल कर अपना लंड बाहर निकाल लिया था और अब अब अपना नंगा लंड उनकी सारी के उपेर से उनकी गांद पर रगड़ रहा था.
"कोई आ जाएगा" उन्होने फिर आँखें बंद करते हुए कहा
"बस हो गया" उसने धीरे से उनके कान में कहा
और उसके बाद तो जैसे एक तूफान सा आ गया. उनके पिछे खड़ा वो जैसे वासना से पागल हो उठा था. पूरी तेज़ी से वो अपना लंड कभी उनकी गांद पर रगड़ता तो कभी ऐसे धक्के मारता जैसे सही में उनकी गांद मार रहा हो. उसके हाथ भी अब एक जगाब पर नही रुके. एक हाथ जो कमर तक था अब कपड़ो के उपेर से ही कभी उनकी गांद पर जाता तो कभी उनकी टाँगो पर. दूसरा हाथ कभी चूचियाँ दबाता तो कभी उनके नंगे पेट पर आ जाता.
और फिर उसकी हिम्मत बढ़ती चली गयी.
इस बार उसका हाथ जब छातियो तक आया तो रुका नही. उपेर आता हुआ सीधा ठकुराइन के गले तक आया और अपना रास्ता ढूंढता हुआ सीधा पहले उनके ब्लाउस और फिर उनकी ब्रा से होता हुआ उनकी नंगी चूचियो पर आ रुका.
"आआअहह" ठकुराइन सिर्फ़ इतना ही कह सकी.
उसने एक हाथ से उनकी नंगी चूची पूरे ज़ोर से दबाकर पकड़ ली. अपनी चूत पर कुच्छ महसूस हुआ तो ठकुराइन को पता चला के उसका दूसरा हाथ अब सारी के उपेर से सीधा उनकी चूत पर था.
एक हाथ से उनकी नंगी चूची को पकड़े, दूसरे हाथ से चूत को सारी के उपेर से रगड़ते हुए वो उनकी गांद पर ऐसे धक्के मार रहा था जैसे लंड गांद के अंदर बाहर कर रहा हो.
उसकी साँस बढ़ती चली गयी. धक्को में और तेज़ी आ गयी. ठकुराइन जानती थी के अब क्या होगा.
"मेरी सारी खराब मत करना" उनका इतना कहना ही था के वो लड़का एक झटके से अलग हो गया. ठकुराइन ने उसपर एक नज़र डाली तो वो उनसे अलग खड़ा अपना लंड हिला रहा था. ज़मीन पर गिरते उसके वीर्य को देख कर ठकुराइन को फिर अपने मुँह में उसके टेस्ट की याद आ गयी.
"बड़ी देर लगा दी माँ बेटे ने" थोड़ी देर बाद जब अपनी हालत ठीक करके वो ठाकुर से मिले तो ठाकुर ने कहा "अच्छा आप एक काम करें. आप दोनो हवेली निकल जाओ. मुझे कुच्छ काम है यहाँ खेतों पर तो मैं शाम तक आ जाऊँगा"
थोड़ी देर बाद ठकुराइन उस लड़के के साथ अकेली कार में बैठी हवेली की तरफ जा रही थी. ठाकुर और तीनो नौकर पिछे खेतों पर ही रुक गये थे.
क्रमशः........................................
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