RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --46
गतान्क से आगे........................
"किसका खून?" पायल ने एक झटके से पुछा और फिर ख़ान के घूर कर देखने पे फ़ौरन संभाल गयी "ओह बड़े साहिब का. नही मैं वहाँ पहुँची तो बस मैने उन दोनो को ऐसे ही देखा और शोर मचा दिया"
"और कितने खून देखे हैं तुमने?"
"जी कोई नही" पायल को देख कर ही लग रहा था जैसे अभी रो पड़ेगी
"तो ये क्यूँ पुछा के किसका खून?"
"जी ऐसे ही मुँह से निकल गयी. भगवान की कसम साहिब, मैने कुच्छ भी नही किया"
"तो मैने कब कहा के किया है. तुम खुद ही बोले जा रही हो"
तभी किरण ने उसकी तरफ थोड़ा घूर कर देखा जैसे कह रही हो के बस करो ज़्यादा हो रहा है.
"हवेली में रहने वालो के बारे में तुम क्या बता सकती हो?"
"जी किसके?"
"सबके" ख़ान ने कहा
"सब बोले तो?"
"अर्रे सब बोले तो सब" ख़ान लगभग चिल्ला ही पड़ा.
"रूपाली" उसने अपनी आवाज़ थोड़ी नीचे करते हुए कहा "रूपाली के बारे में क्या बता सकती हो?"
"अच्छी हैं बहुत" पायल बस रो ही देने वाली थी
"और?"
"और बस अच्छी हैं. अभी कुच्छ दिन पहले ही मुझे एक गुलाबी रंग का अपना सलवार कमीज़ दिया. ऐसे कपड़े देती हैं मुझे वो"
"और क्या क्या देती हैं?"
"बस कपड़े देती हैं और बहुत अच्छे से बात करती हैं"
"तेरे से इतना प्यार क्यूँ करती हैं?"
"वो सबसे ऐसे ही प्यार करती हैं. मेरी माँ कहती है के उनको कोई बच्चा नही है ना इसलिए वो मेरे से इतना हँसके मिलती हैं. बच्चो से बहुत प्यार है उनको. बेचारी"
"बेचारी क्यूँ?" ख़ान ने पुछा
"सब उनको बांझ कहते हैं जबकि असल में तो ......" पायल बोलते बोलते एकदम चुप हो गयी
"असल में?" ख़ान ने उसकी अधूरी बात पर ज़ोर डाला.
वो कुच्छ नही बोली
"असल में?" इस बार ख़ान अपनी आवाज़ को थोड़ा और सख़्त किया.
पायल अब भी कुच्छ नही बोली. ख़ान जानता था के वो क्या नही बोल रही है और इस बारे में आगे किससे पता करना है.
"चलो छ्चोड़ो. कुलदीप के साथ क्या रिश्ता है तुम्हारा?"
इस बात ने जैसे गरम लोहे पर हथौड़े का काम किया. पायल ने फ़ौरन आँखें फाडे उसकी तरफ देखा जैसे चोरी पकड़ी गयी हो.
"देखो सब पता है मुझे" ख़ान बोला "के क्या चल रहा है तुम्हारे और कुलदीप के बीच. पुरुषोत्तम को पता है ये बात?"
"नही साहिब नही" पायल रोने लगी "उनको अगर पता चल गया तो मुझे और उनको दोनो को मार डालेंगे और साथ में मेरी माँ को भी"
ख़ान जानता था के उनको से पायल का इशारा किस तरफ था.
"काब्से चल रहा है ये सब?"
"जी 2 साल से"
"किसी और को पता है?"
पायल ने इनकार में सर हिला दिया.
उसी शाम ख़ान और शर्मा दोनो उसके कमरे में बैठे हुए थे के तभी ख़ान का मोबाइल फोन बज उठा. कॉल मोबाइल सर्विस वालो की थी.
"ओके थॅंक्स" एक पेन पेपर पर ख़ान ने एक नंबर लिख लिया.
"क्या हुआ सर?"
"ये वो नंबर है जहाँ से मुझे उस रात फोन आया था. इससे एक सवाल का तो जवाब मिल गया पर दूसरा अभी भी बाकी है"
"कौन सा सवाल सर?"
"जै ने मुझे कहा था के उस रात उसका फोन मार पीट में कहीं हवेली में ही गिर गया था. मैने हवेली में पुछा पर किसी को मिला नही. मुझे फोन उसी के सेल से आया था मतलब जिस वक़्त उसको हवेली में मारा पीटा जा रहा था, किसी ने उसका सेल उठाया और मुझे फोन कर दिया. पर दूसरा सवाल अब भी बाकी है के किसने किया?"
"सर मैं जा रहा हूँ घर. सर में दर्द हो रहा है मेरे. आप लगाओ अपना दिमाग़, मेरे पास इतना है नही"
शर्मा उठकर जाने ही लगा था के पलट कर ख़ान की तरफ देख मुस्कुराया.
"सर एक बात पुच्छू तो बुरा तो नही मानेंगे?"
"नही पुच्छ"
"ये आप और किरण जी के बीच ......" उसने बात अधूरी छ्चोड़ दी
"बीच क्या ...... ?"
"कोई प्यार व्यार का चक्कर?" शर्मा ने बात को धीरे से कहा. ख़ान ने हां में गर्दन हिला दी.
"बहुत पुरानी कहानी है दोस्त. कभी फ़ुर्सत में सुनाऊंगा" वो हॅस्कर बोला
"सही है सर" शर्मा बोला "एक यही काम मुझसे कभी हुआ नही. प्यार"
"क्यूँ तेरी लाइफ में कभी कोई लड़की नही आई?"
"आई थी ना सर"
"फिर?"
"फिर यूँ हुआ के अर्ज़ किया है .....
जबसे उनसे दिल लगा बैठे,
सुकून की माँ चुदा बैठे,
उनके भोस्डे में लंड किसी और का था,
और हम मुफ़्त में अपनी गांद जला बैठे
हस्ता हुआ शर्मा दरवाज़ा खोल कर कमरे से निकल गया.
"मैं जानता था के आप मुझसे बात करने की कोशिश ज़रूर करेंगे" ख़ान के सामने बैठे कुलदीप ने कहा
"कैसे जानते थे?"
"ओह कम ऑन" कुलदीप ऐसे हसा जैसे मज़ाक उड़ा रहा हो "आपको क्या लगता है. मैने उस दिन शर्मा को देखा नही था?"
"किस दिन?" ख़ान अंजाना बनता हुआ बोला
"उसी दिन इनस्पेक्टर साहब जिस दिन शर्मा ने आकर आपको कहानी सुनाई थी मेरी और पायल की" कुलदीप एकदम सॉफ बोला
ख़ान को समझ नही आया के कैसे जवाब दे.
"देखिए यहाँ जो हो रहा है उससे मेरा कुच्छ लेना देना नही है. मैं तो बस छुट्टियो पर आया हुआ था आंड फ्रॅंक्ली स्पीकिंग आइ डोंट ईवन प्लान टू लिव हियर. मैं लंडन में ही सेट्ल होने जा रहा हूँ और पायल को अपने साथ वहीं ले जाने का प्लान है"
"आप बात तो ऐसे कर रहे हैं जैसे आपको अपने पिता की मौत का ज़रा भी अफ़सोस ना हो" ख़ान बोला
"अफ़सोस है ख़ान साहब" कुलदीप ने जवाब दिया "पर इतना अफ़सोस नही है के मैं उस वजह से अपनी लाइफ खराब कर दूं. देखिए मैने अपनी सारी लाइफ लंडन में ही बिताई है आंड आइ जस्ट वाना गो बॅक देर, गेट अवे फ्रॉम दिस मॅडनेस"
"बोलते रहिए" ख़ान सुन रहा था
"उस दिन जब शर्मा ने हमें देखा तो मैने उसको वापिस जाते देख लिया था. पता नही कब्से देख रहा होगा पर जब आपने पायल को बुलवा भेजा तो मैं समझ गया के उसने वो कहानी आपको भी सुना दी है"
"ऑल राइट दटस ट्रू" ख़ान ने आख़िर मान ही लिया के वो जानता था.
क्रमशः........................................
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