RE: Hindi Sex Porn खूनी हवेली की वासना
खूनी हवेली की वासना पार्ट --50
गतान्क से आगे........................
"कुच्छ लेंगे आप?" बीच में एक औरत की आवाज़ आई तो दोनो ने अपनी नज़र एक दूसरे से हटाई. ख़ान ने पलटकर आवाज़ की तरफ देखा. वो रूपाली थी.
"कुच्छ चाइ वगेरह?" रूपाली ने पुछा. उसके चेहरे की मुस्कुराहट को देख कर ही लग रहा था के बस वो माहौल को नॉर्मल करना चाह रही थी.
"जी नही" ख़ान ने कहा "मुझे बस एक बार ठाकुर साहब का कमरा देखना है"
"प्लीज़ फॉलो मी" रूपाली ने कहा और ख़ान को रास्ता दिखाती आगे आगे चल पड़ी.
कुच्छ देर बाद ही दोनो ठाकुर के कमरे में खड़े थे.
ख़ान चलता हुआ कमरे के बीच पहुँचा और चारो तरफ का जायज़ा लेने लगा.
"आपको ऐसा क्यूँ लगता है के जै ने खून नही किया" रूपाली ने पुछा. वो वहीं खड़ी ख़ान को देख रहे थे.
"आइ हॅव माइ रीज़न्स" ख़ान ने जवाब दिया और चलता हुआ खिड़की तक पहुँचा.
"आप ने बताया के आप उस शाम कपड़े उतारने के लिए हवेली के पिछे आई थी" वो रूपाली की तरफ घूमते हुए बोला
"जी हां" रूपाली ने जवाब दिया
"क्या कपड़े वहाँ सूख रहे थे?" ख़ान ने खुली खिड़की से बाहर की तरफ इशारा किया. कुच्छ दूर पर दो डॅंडो पर एक तार बँधा हुआ था.
"जी हां" रूपाली ने जवाब दिया.
"क्या आपको याद है के उस रात जब आप आई तो खिड़की खुली थी या बंद?"
"खुली हुई थी" रूपाली ने कहा
"मतलब अगर आप वहाँ उस तार के पास खड़ी थी और खिड़की खुली थी तो ये मुमकिन है के आपको कमरे के अंदर नज़र आया हो?" ख़ान ने सवाल किया
"अगर मेरी नज़र कमरे की तरफ होती तो शायद दिखाई दे सकता था"
"मतलब आपकी नज़र कमरे की खिड़की की तरफ नही थी?"
"जी नही" रूपाली ने जवाब दिया
"कमाल हैं. इतनी रात को आप वहाँ से कपड़े उतार रही थी तो अंधेरे में आपकी नज़र किस तरफ हो सकती थी?" ख़ान फिर खिड़की से बाहर झाँकता हुआ बोला
"किसी तरफ भी थी पर मैं कमरे के अंदर नही झाँक रही थी" रूपाली ने फ़ौरन जवाब दिया
ख़ान मुस्कुराता हुआ पलटकर उसकी तरफ आया.
"तो मतलब आपने कमरे के अंदर देखा था? या यूँ कहूँ के झाँका था?"
"मैने ऐसा कुच्छ नही किया था"
"आप बहुत अच्छी तरह से जानती है के मैं क्या पुच्छना चाह रहा हूँ" ख़ान अब भी मुस्कुरा रहा था.
"आइ हॅव नो आइडिया" रूपाली ने मुँह दूसरी तरफ फेर लिए
"देखिए जो बात आप बताना नही चाह रही हैं वो पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट में साफ आ चुकी है. मैं सिर्फ़ आपसे कन्फर्मेशन माँग रहा हूँ"
"जब बात पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट में आ चुकी है तो मेरी कन्फर्मेशन से क्या फायडा?" रूपाली के चेहरे पर गुस्सा नज़र आने लगा था
"पोस्ट मॉर्टेम रिपोर्ट ग़लत भी हो सकती है" ख़ान ने जवाब दिया "पायल, राइट?"
रूपाली चुप रही. पर उसकी चुप्पी में ही उसका इकरार भी छुपा हुआ था.
"आप जानती हैं ना के आपका देवर प्यार करता है उससे, शादी करना चाहता है. घर की नौकरानी को आपकी देवरानी बना चाहता है?"
और इस बात ने काम कर दिया.
"बकवास कर रहे हैं आप" रूपाली पलटकर बोली
"आप पुच्छ लीजिए उससे" ख़ान ने कहा
"ज़रा सोचिए, घर की नौकरानी, एक लड़की जो आपके ससुर के साथ ..... अगर वो इस हवेली की छ्होटी बहू बनेगी, आपकी देवरानी बनकर आपके साथ बैठेगी ......"
"क्या चाहते हैं आप?" रूपाली ने बात काटकर कहा
"कन्फर्मेशन" ख़ान ने भी सीधा ही जवाब दिया
"यस इट वाज़ पायल" रूपाली ने आख़िर मान ही लिया
"गुड. बस अब एक आखरी काम और कीजिएगा. प्लीज़ जब तक मैं ना कहूँ, अपने देवर से इस बारे में बात ना करें" ख़ान रूपाली को समझाता हुआ बोला
"क्यूँ?
"आपके क्यूँ का भी जवाब दे दूँगा. प्लीज़ बस फिलहाल मेरी बात मान लीजिए"
"ओके. कितने दिन तक?" रूपाली ने सवाल किया
"सिर्फ़ 2-3 दिन"
"ओके. मैं चुप रहूंगी फिलहाल, पर सिर्फ़ 3 दिन तक"
"डन. थॅंक यू" ख़ान ने कहा
"अरे यू डन हियर? देख लिया आपने जो देखने आए थे?"
"बस एक आखरी चीज़" कहता हुआ ख़ान बाथरूम की तरफ बढ़ गया.
रूपाली भी हैरत में उसको देखती बाथरूम के दरवाज़े के पास आकर खड़ी हो गयी. ख़ान सामने बने सींक को गौर से एक देख रहा था. फिर उसने अपनी जेब से एक लेंस निकाला और सींक को देखने लगा.
"क्या देख रहे हैं?" रूपाली ने सवाल किया पर ख़ान ने जवाब नही दिया. वो बड़ी देर तक कभी सींक और कभी नीचे फ्लोर पर कुच्छ ढूंढता रहा.
"इफ़ यू डोंट माइंड" कहते हुए थोड़ी देर के लिए बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया.
रूपाली को कुच्छ भी समझ नही आ रहा था. तकरीबन 2 मिनट बाद ही ख़ान ने दरवाज़ा खोला और बाहर आ गया.
"नाउ आइ आम डन. थॅंक यू"
जब वो हवेली से निकला तो तस्वीर पूरी तरह सॉफ हो चुकी थी. तस्वीर का हर टुकड़ा अपनी जगह पर आकर फिट हो गया था. उसने अपना सेल निकाल कर पोलीस स्टेशन का नंबर मिलाया.
"थाने में कितने लोग हैं अभी?"
"6 पूरे हैं सर" दूसरे तरफ से एक कॉन्स्टेबल की आवाज़ आई.
"एक काम कर. हेडक्वॉर्टर फोन कर. बॅक अप मॅंगा. बोल के कम से कम 10 आदमी चाहिए और. फ़ौरन"
हवेली के बाहर पोलीस की 2 गाड़ियाँ खड़ी थी. 4 पोलिसेवाले बाहर गेट पर खड़े थे ताकि ना तो कोई अंदर से बाहर जा सके और ना ही कोई बाहर से अंदर आ सके.
अंदर हवेली में सबका पारा चढ़ा हुआ था.
"तू गया इनस्पेक्टर" पुरुषोत्तम बोला "यू हियर मे? तू गया. पहले तेरे जिस्म से तेरी तेरी वर्दी उतरेगी और उसके बाद तेरी खाल. कुत्ते की मौत मरेगा तू. आज तक हवेली के सामने से भी लोग गुज़रते तो अदब से सर झुका कर निकलते थे और तेरी इतनी हिम्मत के तू 15-16 पोलिसेवाले लेके हवेली के अंदर आ घुसा"
ख़ान चुप चाप खड़ा उसकी बात सुन रहा था.
"ये पोलिसेवाले कब तक अपने साथ घुमाएगा? तुझे लगता है के यहाँ हमारे राज में तू 15-16 पोलिसेवालो की मदद से बच जाएगा?" कुलदीप भी गुस्से से लाल था.
"नाउ यू नो वाइ आइ आस्क्ड फॉर सो मेनी कॉप्स? क्यूंकी मुझे पता था के ऐसा होगा" ख़ान अपने साथ खड़ी किरण से बोला. वो अपना नोट पॅड लिए जो हो रहा था सब लिख रही थी
"इमॅजिन के अभी इतना हल्ला मच रहा है. जब मैं बताऊँगा के मर्डरर कौन है और अरेस्ट करूँगा तब कितना बवाल मचेगा"
"यू मीन दा मर्डरर ईज़ हियर नाउ, हवेली में है इस वक़्त?" किरण ने पुछा तो ख़ान ने हां में सर हिला दिया.
"क्या मतलब के मर्डरर यहाँ है?" इस बार रूपाली बोली "हम सब जानते हैं के खून जै ने किया है और वो इस वक़्त जैल में है"
"जानते नही मानते हैं मिसेज़. रूपाली सिंग ठाकुर" ख़ान ने बोलना शुरू किया "जै ने खून किया ऐसा सब मानते हैं और सच कहूँ तो एक पल के लिए मैने भी ये बात मान ही ली थी क्यूंकी जिस तरह से वो पकड़ा गया, उससे कोई बच्चा भी यही कहता के खून जै ने किया है"
"कमाल हैं" इस बार इंदर बोला "बच्चे भी आपसे ज़्यादा समझदार हैं"
"कौन कितना समझदार है अभी पता चल जाएगा मिस्टर. राणा. इस वक़्त मैं रिक्वेस्ट करूँगा के हवेली के सब लोग प्लीज़ ड्रॉयिंग रूम में आ जाएँ"
ख़ान ने कह तो दिया पर कोई अपनी जगह से हिला नही.
"और मैं ये भी रिक्वेस्ट करूँगा के ये काम जितना बिना ज़ोर ज़बरदस्ती के हो जाए उतना अच्छा है" उसने ड्रॉयिंग रूम में खड़े पोलिसेवालो की तरफ इशारा करते हुए कहा.
"इस सबका अंजाम जानते हो ना ख़ान?" पुरुषोत्तम बोला "डर नही लग रहा तुम्हें ये सोचके?"
"मैं सिर्फ़ उपेरवाले से डरता हूँ मिस्टर. ठाकुर" ख़ान ने कहा "अब प्लीज़ ......"
थोड़ी ही देर बाद हवेली के सब लोग ड्रॉयिंग हॉल में जमा थे.
"गुड" ख़ान ने लंबी साँस लेते हुए कहा "एवेरिवन ईज़ हियर"
"सो हू ईज़ थे मर्डरर?" किरण अपने पेन लिए तैय्यार खड़ी थी.
"बताऊँगा" ख़ान ने कहा "फर्स्ट, लेट्स गो ओवर दा हॅपनिंग्स ऑफ दट नाइट. उस रात हवेली में हर कोई मौजूद था, इस पूरे परिवार का हर मेंबर. उनके अलावा इंदर साहब भी यहाँ मौजूद जिनके यहाँ होने का मकसद कामिनी को लेकर उस रात भाग जाने का था"
"क्या?" पुरुषोत्तम फ़ौरन इंदर की तरफ पलटा
"भाई साहब मैं आपको बताने ही वाला था ....." इंदर ने कहना ही शुरू किया था के ख़ान ने बीच में बात काट दी.
"लेट्स स्टे फोकस्ड प्लीज़. आप अपने घरेलू मामले बाद में सुलझा सकते हैं"
क्रमशः........................................
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