RE: Antarvasna Chudai विवाह
एक बार तो मुझे भी घूर रहे थे. नज़र मिली तो मुस्करा दिए. वैसे स्वाभाव अच्छा है. काफ़ी मीठी बातें करते हैं. वैसे दीदी की ससुराल के सभी लोग हाइ क्लास लगे. किसी ने भी ऐसा नही दर्शाया कि वे लड़के वाले हैं. दीदी बेचारी टेन्षन मे थी. नौकरी नही करती ना, आजकल सबको नौकरी वाली बहू चाहिए. और हमारे घर की आर्थिक परिस्थिति भी कोई बहुत अच्छी नही है. सामने वाले इतने पैसे
वाले हैं, कम से कम नौकरी होती तो .... पर दीदी की होने वाली सास ने उसकी सारी परेशानी दूर कर दी. बड़े प्रेम से लीना दीदी से बोली. "अरे लीना बेटी, नौकरी करना है या नही ये तेरे उपर है. हमे कोई परेशानी नही है. करना चाहती है तो कर, नही तो कोई बात नही. घर मे ही रह मेरे साथ. समय कैसे कटेगा पता ही नही चलेगा. हमारे घर मे वैसे भी काफ़ी 'कामा' रहता है" और अपनी बेटी नीलिमा की ओर देख कर हंस डी. नीलिमा भी मंद मंद मुस्करा रही थी. उन्हे दीदी पसंद थी ये सॉफ था. अच्छा हुआ. मामाजी बेचारे ज़्यादा खर्च नही कर सकते शादी मे. हम दोनो को याने लीना दीदी और मुझे पाला पोसा, बड़ा किया, यही बहुत है. और कोई होता तो कहीं भी ज़बरदस्ती शादी कर देता बिन मा बाप की लड़की की. पर मामाजी ने जहाँ भी बात चलाई वह परिवार देख कर. बोले कि इतनी सुंदर भांजी है मेरी, अच्छी जगह ही ब्याहेंगे. वैसे बाद मे मामाजी बता रहे थे कि असल मे यह मँगनी थी. उन्होने दीदी को कहीं देख लिया था और उन्हे वह बहुत पसंद आई थी. इसलिए उन्होने किसी के हाथ से संदेसा भिजवाया कि बात चलाएँ. वैसे है ही मेरी दी इतनी सेक्सी ... मेरा मतलब है सुंदर! वैसे अनिल जीजाजी की बड़ी बहन नीलिमा भी बहुत स्मार्ट है. क्या मस्त सलवार कमीज़ पहनी थी! उसके तने हुए मम्मे कैसे उभर कर दिख रहे थे कमीज़ मे से! वैसे मुझे ऐसी बातें सोचना नही चाहिए. दीदी की
बड़ी ननद है वह. पर क्या फिगर है उसका, मस्त तने मम्मे तो हैं ही, कमर के नीचे .... मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए, मेरा मन ज़्यादा ही बहकता है. पर इसकी ज़िम्मेदार लीना दीदी की खूबसूरत जवानी ही है! मुझे दीवाना कर दिया है, मुझे ऐसी ऐसी आदतें लगा दी हैं, आख़िर मैं भी क्या करूँ! नीलिमाजी भी लीना दीदी को बराबर घूर रही थी, जैसे लड़की देखने का काम उसी का हो,
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