RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
"मामा चलो उधर चलते हैं " दोनो हाथो मे हाथ डाले खेतो के बीच घूम रहे थे जब आरती ने दूर दिखाई दे रही एक पहाड़ी की तरफ इशारा किया.
लेकिन फिर हमे देर हो जाएगी "
"अभी तो बहुत टाइम है .प्ल्ज़्ज़ चलो ना"
और साहिल मुस्कुरा कर हाँ मे सर हिलाता है ..." ठीक है चल."
साहिल बचपन से ही आरती की हर ज़िद पूरी करता है ...किसी भी बात पर दोनो की बहेस हो भी जाती तो मान ना साहिल को ही पड़ता ...आरती के हाथो हारना मानो उसकी सबसे बड़ी जीत होती थी ...क्योकि उस जीत से आरती के चेहरे पर जो खिलखिलाहट आती थी उसके लिए साहिल हज़ारो हार बर्दाश्त कर सकता था .
दोनो वैसे ही एक दूसरे का हाथ पकड़े दो आज़ाद पन्छियो की तरह पहाड़ी की दूसरी तरफ पहुच जाते हैं ...पहाड़ी की गोद मे एक छोटी सी नदी पत्थरों के बीच कल कल करती बहती थी ...पानी बहुत ही साफ था जैसा की पहाड़ी नदियो का होता है ...
आरती नदी को देखकर बहुत खुश होती है और दौड़ती हुई जाकर एक टीले पर बैठकर पैरो को पानी मे डाल देती है ...
"आओ ना ..देखो पानी कितना ठंडा है "
साहिल मुस्कुराता हुआ उसके पास जाकर खड़ा हो जाता है ..
"बैठ भी जाओ मैं कोई काट नही लूँगी आपको"
सुनसान जगह , पहाड़ियो के बीच बहती एक प्यारी सी नदी और एक मासूम सी अकेली लड़की के साथ ...साहिल को थोड़ा अजीब लग रहा था ..
लेकिन फिर भी वो आरती की बात मानकर उसके पास बैठ जाता है ..अपने पैर पानी मे डालकर ...
आरती अपने पैरो से उसके पैरो को धक्का देती है ...साहिल भी जवाबी करवाई करके उसे थोड़ा सा धक्का दे देता है ..इस बार आरती उसे ज़ोर का धक्का देती है ...साहिल भी उसके पैरो को पानी मे ही दूसरी ओर धकेलने लगता है ...आरती का बॅलेन्स बिगड़ जाता है और वा गिरने लगती है ...
साहिल जल्दी से लपकर उसकी कमर मे बाहें डालकर अपनी ओर खिचता है और आरती उसके सीने से लग जाती है...साहिल को अपने सीने मे उसके नरम उभारों को अहसास होता है और साथ ही एक ग़लती का भी ...वो जल्दी से उठकर खड़ा हो जाता है
" सॉरी " साहिल बोलता है
'किस लिए " आरती उसकी उलझन समझ जाती है ..और मुस्कुराते हुए पूछती है.
"वो ...वो....कुच्छ नही ..चलो चलते है .".
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