RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
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रेणु के मन मे द्वंद चल रहा था ...एक तरफ उसे लगता कि नही जो कुच्छ हुआ उसमे मेरी कोई ग़लती नही है और दूसरी तरफ ये भी कि वो ये सब बर्दास्त क्यू करती रही ...रोहन के हाथो का स्पर्श उसे बुरा लगा तो उसने रोहन को इतना आगे क्यू बढ़ने दिया ..इन्ही ख्यालो मे उसकी आँख लग गई.
सुबह रेणु उठी और फिर से अपने डेली के कामो मे लग गई...साहिल उठकर खेतो पर अपने पापा के साथ चला गया था ..जबकि आरती और रोहन अभी भी सो रहे थे..
सुबह 9.00 बजे के आस पास साहिल खेतो से वापस आता है..रेणु सब लोगो को चाइ और ब्रेकफास्ट दे चुकी थी और रोहन को उसने उसकी माँ के हाथो भिजवा दिया था ...वो रोहन का सामना नही करना चाह रही थी और उसके मन मे अभी भी वही द्वन्द चल रहा था .
साहिल ब्रेकफास्ट करके ,नहाता है और फिर रेडी होने लगता है ...
साहिल की दीदी : अरे साहिल तू कहीं जा रहा है ?"
"हाँ दीदी वो मुझे यूनिवर्सिटी जाना है अपना सर्टिफिकेट निकलवाने"
"मामा, मैं भी आपके साथ चलूंगी ,,,सब लोग तो अपने काम में लग जाते है और मैं बोर हो जाती हूँ ..प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़"
आरती ने इतने प्यार से कहा था कि साहिल को मना करते नही बनता...पर वो खुद से हाँ भी नही कर सकता था ..वो चुप चाप होकर दीदी की ओर देखने लगता है...
'ले जा उसे भी , अब वो कौन सा मान जाएगी मना करने पर भी ...तेरी लाडली है ..हर बात उसकी मानता है तू तभी इतनी फरमाइश करती है मेडम"
दीदी थोड़ा मुस्कुराते हुए आरती को गुस्सा करती है...
"हाँ लाडली तो है ये मेरी और हमेशा रहेगी" साहिल भी मुस्कुरा देता है ...आरती खुशी से उच्छल पड़ती है ..थॅंक यू मामा, यू आर दा बेस्ट मामा इन दा वर्ल्ड"
साहिल मुस्कुरा कर रह जाता है ..
रोहन आरती और साहिल को जाता देख मन ही मन खुश होता है.
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