RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
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"क्यू कि वो आप जितने अच्छे और सच्चे नही होते "
आरती जिस पर दिन प्रतिदिन साहिल की सख्सियत अपनी छाप छोड़ती जा रही थी मानो उसके से ही लहजे मे बोल गयी .
क्याअ??"
"हाँ मामा वो आप जैसा प्यार करना नही जानते ...उन्हे नही पता होता प्यार क्या होता है ...मामा ???!"
साहिल उसकी ओर प्रश्नवाचक नज़रो से देखता है ..."हूँ??"
"आप बहुत अच्छे हो " आरती ने दिल की गहराइयो से साहिल की तारीफ की
"तू भी बहुत अच्छी है " साहिल ने भी उसे लहजे मे जवाब दिया ..\इतना बोल कर दोनो चुप हो गये थे मानो कहने को कुच्छ बचा ही ना हो .
"आरती चलते है "
"मामा आप मेरे दोस्त बनोगे...मुझसे दोस्ती करोगे ???" आरती ने साहिल की आँखो मे देखते हुए पुछा.
"क्या ?सच मे ..??... क्या तुम्हारा भी कोई दोस्त नही है ???
साहिल को मानो यकीन नही हो रहा था कि आरती क्या बोली है ..उल्टे सीधे सवाल उसकी ज़ुबान से निकल गये ..
"है तो ..पर आप जैसा कोई नही है "
"आरती एक बात बोलूं तुझसे ...मैं जैसा लगता हूँ वैसा नही हूँ ...मैं कोसिस करता हूँ बहुत मजबूत दिखने की लेकिन मैं बहुत एमोशनल हूँ ...मुझे भी एक दोस्त की कमी बहुत महसूस होती है ..लगता था कि तू ही है वो ..लेकिन कभी कह नही पाया ....कभी ये दोस्ती तोडोगी नही ना??"" साहिल काफ़ी भावुक हो गया था .
"आअपकी कसम कभी भी नही ,,चाहे कुच्छ भी हो जाए " -आरती ने साहिल का हाथ अपने हाथो मे ले लिया मानो उसे भरोसा दिला रही हो कि दुनिया चाहे इधर की उधर हो जाए..हर कोई आपका साथ छोड़ दे पर मैं हमेशा आपके साथ रहूंगी.
साहिल की आँखो से आँसू बहने लगे ..."" थॅंक यू आरती ..थॅंक यू सो मच "
"आप पूरे पागल हो ..इधर आओ " आरती साहिल को अपने सीने से लगा लेती है .साहिल को आज मानो दुनिया भर की दौलत मिल गई थी ...उस प्यारे से रिश्ते को जो एक मामा भांजी के रिश्ते से बहुत आगे निकल चुका था आज एक नाम मिल गया था , एक नई पहचान मिल गई थी और साहिल को "एक दोस्त " मिल गया था
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