Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास
07-19-2018, 12:24 PM,
#7
RE: Incest Porn Kahani जिस्म की प्यास
जिस्म की प्यास--5

गतान्क से आगे……………………………………

ललिता को उस रिक्शा वाले के बदन से ही बू आ रही थी.... पिच्छली बार की तरह वो फिर से काफ़ी तेज़ चला रहा था

रिक्शा मगर साथ ही साथ उसकी नज़रे सानिया के मम्मो पर भी थी जोकि हर हल्के से झटके से उपर नीचे

हुए जा रहे थे... ललिता की ब्रा का पतला सा गुलाबी स्ट्रॅप भी उसपे कंधे पे नज़र आ रहा था उस रिक्शा वाले को...

2-3 बारी उसको अपने लंड को ठीक करना पड़ा क्यूंकी वो उसके कच्छे के साथ कुश्ती में लगा हुआ था...

फिर वहीं थोड़े सुनसान सड़क पे जाके उसने रिक्शा रोक दिया और 2 मिनट का वक़्त माँग कर उन्ही झाड़ियों की तरफ बढ़ा...

वो सड़क पिच्छली बार से ज़्यादा सुनसान लग रही थी ललिता को शायद उसकी सहेली रिचा के ना होने की वजह से ऐसा था...

ललिता की नज़रे उस रिक्शा वाले की ओर ही भटक रही थी... पिच्छली बार की तरह आज उसने पॅंट नहीं पहनी थी...

ललिता को समझ नहीं आ रहा था कि उस लूँगी में वो कैसे पिशाब करेगा....

ललिता चौक गयी देख कर जब उस रिक्शा वाले ने अपनी लूँगी उतार के अपने कंधे पे रख दी और एक गंदा

सा काले रंग के कच्छे को हल्का से नीचे करके मूतने लगा... सानिया ने बचपन में अपने भाई/पापा को

ऐसा देखा होगा मगर इस जवानी में वो पहली बारी किसी मर्द को ऐसे देख रही थी...

इस बारी झाड़ियो पे पिशाब की आवाज़ ज़्यादा तेज़ थी... उस रिक्शा वाले ने मौका नहीं छोड़ा और हल्का सा टेडा

हो गया ताकि रिक्शा में बैठी हुई लड़की उसे देख पाए और वैसा ही हुआ... रिक्शा वाला ने अपनी मुन्डि नही उठाई

मगर ललिता ने उसकी पिशाब की लंबी धार को देख लिया.. नज़ाने क्यूँ उसकी आँखें उस धार को नीचे से उपर

देखती हुई उसकी लंड की तरफ बढ़ी मगर ज़्यादा अंधेरा होने के कारण वो उसे ढंग से देख नहीं पाई... जैसे ही

रिक्शा वाले ने अपने लंड को कच्छा में डाला ललिता ने अपनी नज़रे उल्टी तरफ करदी...

रिक्शा वाले को पता था कि ललिता की नज़रे पहले कहाँ थी और वो लूँगी पहेन कर वापिस रिक्शा में बैठ गया...

वो काफ़ी धीरे धीरे रिक्शा चलाने लगा जैसे वो उस सुनसान सड़क पे ही रहना चाहता हो...

परेशान होके ललिता ने उसे बोला " भैया पॅड्ल पे पाँव मारो और ज़रा जल्दी चलाओ"

ये सुनके रिक्शा वाले ने अपनी भारी आवाज़ में कहा " पॅड्ल की जगह कुच्छ और मारने का मन कर रहा है"

ललिता एक दम चुप हो गयी थी... वो वैसे बहुत ज़्यादा बनती थी अपने परिवार और दोस्तो के सामने मगर उसने इधर

चुप रहना ही ठीक समझा....

जैसे तैसे ललिता घर पहुचि और इस बार ललिता ने उसको पूरे पैसे दिए मगर उस शातिर रिक्शा वाले ने ललिता की

उंगलिओ को छुते हुए पैसे रख लिए...

ललिता का दिमाग़ उस रिक्शा वाले पर ही था और जब वो घर पहुचि तो शन्नो ने उसको अच्छी ख़ासी डाँट लगा दी इतनी लेट घर आने के लिए... दोनो के बीच में काफ़ी बहस हो गई जिसको डॉली और चेतन को सुल झाना पड़ा...

ललिता को चिढ़ इस बात की थी जब डॉली अपने दोस्त के घर पार्टी में जा सकती है तो वो अपनी क्लसेस सेथोड़ी देर से

क्या आ गई तो कौनसा तूफान मच गया....

खैर माहौल फिर से ठीक हो गया और कुच्छ देर डॉली नहा के तैयार होने लग गयी....

उसने एक गहरे हरे रंग की सारी निकाली जिसपे काले रंग की एमब्रोयिडारी थी.. उसके साथ काला ब्लाउस और काला पेटिकोट पहेन लिया....

आँखो पे काजल लगाके और हल्की लाल लिपस्टिक लगा के वो प्रिया की पार्टी के लिए निकल गयी...

उसको घर से पिक कर लिया उसकी बाकी सहेलिया आ रही थी गाड़ी में... वो प्रिया के घर पहुचि तो वहाँ काफ़ी रौनक थी..

अच्छा म्यूज़िक चल रहा था, शोर शराबा लज़ीज़दार खाना और पीने के लिए कोक से लेके बियर तक थी और काफ़ी

अच्छे लोग थे जिनसे डॉली अब कुच्छ ज़ादा दूर चली जाएगी.... उसके पापा-मम्मी आज घर पर नहीं थे तभी

ये सब कुच्छ मुमकिन हो रहा था... काफ़ी लड़कियों और एक-दो लड़को ने डॉली की सारी की तारीफ करी मगर कुच्छ देर के बाद उधर नेहा आई उसने एक पर्पल रंग का नूडल स्ट्रॅप ड्रेस पहेन रखा था जिसकी लंबाई घुटनो के उपर तक थी...

उसने स्ट्रेप्लेस्स ब्रा पहेन रखी थी जिससे कुच्छ लड़को उमीद थी कि शायद इसने अंदर कुच्छ पहना भी ना हो....

ऐसी उमीद इसलिए थी क्यूंकी बड़ी आसानी से राज ने इसको पटा लिया था और उन दोनो के अश्लीलता के काफ़ी चर्चे भी

चल रहे थे कॉलेज में.... उसको देखकर सारे लड़के मानो उसके दीवाने हो गये हो... सब एक दूसरे के कान मे नेहा की

तारीफ करने लगे कुच्छ लड़के अपनी आँखो से उसके कपड़े उतारने लगे... डॉली ने नेहा से दूरी ही रखनी अच्छी समझी....

फिर जब भी दोनो की नज़रे टकराती तो नेहा की नज़रो में एक गुरूर झलक रहा था जैसे कि उसने डॉली को हरा दिया हो

जैसे कि वो डॉली काफ़ी ज़्यादा बढ़िया दिखती है..... सब कुच्छ अच्छा ही जा रहा था फिर डॉली के सेल पे कॉल आया उसकी मम्मी का तो वो बाल्कनी में जाके वो उनसे बात करने लगी... बात करते करते उसने देखा कि उसके पीछे नेहा खड़ी है... डॉली ने फोन काटा तो नेहा ने उसे नीचे गिराते हुए कहा "क्या हुआ डॉली यहाँ आके अकेले रो रही है क्या??

कि नेहा ने मेरे बॉय फ्रेंड को छीन लिया.. उसने मुझे धोका दिया..." डॉली को उसके मुँह से बियर की स्मेल आ रही थी और उसने कुच्छ जवाब ना देना बेहतर समझा और वहाँ से जाने लगी

नेहा फिर से बोली " ऐसी सब कुच्छ तू पूरी दुनिया को सुना रही है ना कि मैं कितनी बड़ी कमिनि हूँ जो बहला फुसला के

राज को तुझसे दूर कर दिया और उसके घर में उससे चुद्वाने चली गयी"

डॉली वक़्त की नज़ाकत को समझते हुए बोली "देख मुझे तुझसे इस बारे में कुच्छ बात नहीं करनी है" ये कहते हुए

वो बाल्कनी का दरवाज़ा खोलते हुए घर के अंदर बढ़ी तो

नेहा ने ज़ोर से डॉली की कलाई पकड़ी और चिल्ला के बोली "साली खुद तो अपने बॉय फ्रेंड को खुश नहीं कर पाई और फिर बच्ची की तरह रोती रहती है... अगर ज़रा सा भी औरत होती ना राज तुझे छोड़ता ही नहीं"

ये सुनके घर में सारे लोग दन्ग रह गये थे... सबको पता था इन दोनो लड़कियों की किस बात पे बहस हो रही थी....

जब डॉली ने देखा कि सब उसे और नेहा को ही देख रहे है तो उसने अपनी कलाई छुड़ाई नेहा के हाथो से और गुस्से में

बोली "मुझे कुच्छ नहीं लेना देना तुझसे या फिर राज से... भाड़ में जाओ तुम दोनो"

माहौल इतना गरम हो गया था कि नेहा ने डॉली के कंधो पे इतनी ज़ोर से धक्का दिया कि वो अपनी गान्ड पे जाके ज़मीन पे गिरी...

ज़मीन कार्पेट से धकि हुई थी जिस वजह से उसको चोट नहीं आई.... मगर उसकी जूती की हील टूट गयी और उसका पैर भी मूड गया...

डॉली ने नेहा की टाँग को जकड़ा और उसको अपनी तरफ ज़ोर से खीचा जिस वजह से नेहा भी वही पे गिर गयी...

दोनो लड़किया एक दूसरे के हाथा पाई करने लगी... किसी को कुच्छ समझ नहीं आ रहा था कि कौन किसको रोके....

हाथ पाई में डॉली की पिन खुल गयी और उसकी सारी का पल्लू उसके कंधे से लहराता हुआ ज़मीन पे गिरा...

डॉली ने नेहा के हाथ पकड़े और ताक़त लगाते हुए उसको ज़मीन पे रोके रखा... नेहा ज़मीन पे आधी लेटी हुई थी...

वो गुस्से में अपनी टाँगें उठाने लगी ताकि डॉली को मार सके वो तो हो नहीं पाया मगर उसकी ड्रेस

नीचे से काफ़ी उपर हो गयी.... उसकी गुलाबी रंग की चड्डी सबकी नज़र में आ गयी....

सारे लड़के आँखें फाड़ फाड़ के नेहा की चिकनी जाँघ को घूर्ने लगे... कईयो की हँसने की आवाज़ भी आ रही थी...

प्रिया ने डॉली को समझाने की कोशिश करी मगर वो अभी काफ़ी गुस्से में थी और उसकी एक नहीं सुन रही थी....

नेहा ने किसी तरह अपना हाथ छुड़वाया और डॉली के काले ब्लाउस को जकड़ते हुए खीच दिया...

आगे से डॉली का ब्लाउस फॅट गया उसकी काली ब्रा दिखने लगी सबको... उसके कोमल मम्मो की सड़क का भी नज़ारा दिखने लगा...

डॉली शर्मिंदा होकर वहाँ से उठी और अपनी सारी का पल्लू ठीक कर दिया ताकि कोई उसके संतरो को देख ना पाए...

प्रिया डॉली को लेके कमरे में चली गयी और उसको एक टी-शर्ट पहनने के लिए देदि... नेहा भी गुस्से में उस घर

से चली गयी थी और सब शांत हो गया था.... प्रिया को पार्टी बीच में हो रोकनी पड़ी और वो खुद जाके डॉली को

उसके घर छोड़ कर आई....

रात के कुच्छ 12 बज रहे थे और डॉली पापा मम्मी को जगाना नहीं चाहती थी इसलिए उसने चेतन के मोबाइल पे कॉल

किया ताकि वो दरवाज़ा पहले से खोलके रखे.... घर पहूचकर ही वो सीधा अपने कमरे में पहुचि और रोने लगी...

घर में सिर्फ़ चेतन जगा हुआ था उसे समझ नहीं आया कि दीदी बिना मिले सीधा अपने रूम में क्यूँ गयी है....

उसे डर लगा कि कहीं दीदी को पता तो नहीं चला कि उसने उनकी आज की उतरी पैंटी को चुपके से वॉशिंग मशीन से

निकाला था और फिर उसके सूंग कर मूठ मारा था... उसके दिमाग़ में ख़याल आया मगर फिर उसको एहसास हुआ दीदी तो

घर पर ही नहीं थी शाम से तो उनको कैसे पता चला होगा... डॉली के कमरे के पास खड़ा होकर एक गहरी

साँस ली उसने और फिर धीरे से उसका दरवाज़ा खोला... कमरे में अंधेरा था और डॉली बिस्तर पे लेटी हुई थी...

चेतन को डॉली के रोने की आवाज़ आने लगी तो उसने घबराकर पूछा "क्यूँ हुआ दीदी"

डॉली ने उसको कुच्छ जवाब नहीं दिया...

चेतन ने दरवाज़े को आराम से भेड दिया ताकि किसिको दीदी के रोने की आवाज़ ना आए... वो डॉली के बिस्तर के पास गया

और घुटनो के बल जाके बैठ गया... "डॉली दीदी क्या हुआ आपको... आप रो क्यूँ रही हो" ये कहने के बाद ही चेतन हिल

गया क्यूंकी डॉली ने उसको कस के गले लगा लिया और रोने लगी.... चेतन को समझ नहीं आ रहा था कि वो डॉली के आँसू

पौछे या फिर उसके स्तनो का मज़ा ले जोकि उसकी छाति से चिपके हुए थे...
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