RE: Free Hindi Sex Kahani मर्दों की दुनिया
पहले तो दोनो ने शरम के मारे नज़रें झुका ली. "हम वही करेंगी
जो हमे दीदी कहेंगी," वो दोनो धीरे से बदबूदाई. लेकिन उनकी
आँखों की चमक ने बता दिया कि वो दोनो बहोत खुश थी.
"तुम दोनो बहोत शैतान हो?" मेने कहा, "तुम दोनो सब कुछ मुझे
पर ही क्यों डाल देती हो. मैं जानती हूँ कि दोनो नये लंड से
चुदवाने के ख़याल ने ही तुम्हारी चूत को गील कर दिया है, लाओ
में देखती हूँ कि तुम्हारी चूत गीली हुई है कि नही."
"नही दीदी नही....." कहकर वो दोनो वापस किचन मे भाग गयी.
"हम सब सफ़र कैसे करेंगे? क्या ट्रेन से." अनु ने पूछा.
"ट्रेन से सफ़र करने की कोई ज़रूरत नही है." सुमित ने
कहा, "ड्राइवर तुम सभी को क्वायलिस मे ले जाएगा और वहाँ छोड़ कर
वापस आ जाएगा. फिर हम उसके साथ तुम्हारे पास पहुँच जाएँगे."
"जिस सुबह हमे रवाना होना था सुमित ने हमसे कहा, "देवियों जब
तक हम ना कहे तुम दोनो अपने जीजू और जीजाजी से नही चुद्वओगि.'
"बिल्कुल नही में वादा करती हूँ." मैने कहा.
"में भी वादा करती हूँ." अनु ने पाने सिर पर हाथ रख कर कहा.
"और हां इन लंड की भूकियों पर भी नज़र रखना." अमित ने अखा.
"इसकी तुम चिंता मत करो, हम ध्यान रखेंगे." अनु ने कहा..
हम शाम को 6.00 बजे उस बुंगलोव पर पहुँच गये जो जीजाजी ने
किराए पर लिया था. बुंगलोव सहर से करीब एक घंटे के रास्ते पर
था.
एक दूसरे से मिलने के बाद हमारी बहने हमे बुंगलोव दीखाने लगी.
"ये हमारा बेडरूम है." मेने देखा कि उसमे चार पलंग थे.
"तो अब आप खुले आम सब कोई साथ साथ सोते हो?" मैने हंसते हुए
कहा.
"नही ऐसी कोई बात नही है," माला दीदी ने जवाब दिया, "असल मे इन
बंग्लॉ मे तीन ही बेडरूम है. और हर बेडरूम मे चार चार पलंग
है, तुम चारों को भी एक ही कमरे मे रहना होगा क्यों कि तीसरा
कमरा नौकरानियों का होगा."
"ओह दीदी हमे कोई प्राब्लम नही है" अनु ने मुस्कुराते हुए कहा.
"ओह... तो तुम लोग भी....." सीमा दीदी ने कहा, "कब से चल रहा
है ये सब?"
"दीदी यही कोई कुछ महीनो से." मेने जवाब दिया.
"चलो पहले कुछ चाइ नाश्ता कर लेते है फिर बात करते है."
माला दीदी ने कहा.
"तुम दोनो खुश तो हो ना?" सीमा दीदी ने कहा.
"हां दीदी," मेने कहा और फिर उन्हे सब कुछ विस्तार से बता दिया.
"तो ये मोना और रीमा है." दीदी ने पूछा.
"हां दीदी." अनु ने जवाब दिया
"तुम्हे इन्हे अपने साथ नही लाना चाहिए था, मुझे तो लगता है कि
तुम दोनो की तकलीफ़ की जड़ ये दोनो ही है." सीमा दीदी ने कहा.
"नही दीदी इसमे इनकी कोई ग़लती नही है, शायद ये तो होना ही था."
मेने जवाब दिया.
"बहुत सुंदर और प्यारी है दोनो." जीजू ने कहा.
"और चोदने मे भी मज़े दार होंगी में दावे से कह सकता हूँ."
जीजाजी ने कहा. "तुम क्या कहते हो अजय?"
"हां इनकी चूत मे लॉडा घुसाने मे मज़ा कुछ ख़ास ही आएगा."
"बहुत मज़ा आएगा." अनु हंसते हुए बोली, "हमारे पति देव ने इन्हे
ख़ास आप लोगों के लिए ही भेजा है. उन्होने कहा कि जब हमारे
आदर्निय जीजाजी लोग हमारे लिए कुँवारी चूत का इंतेआज़म कर
सकते है तो हम कम से कम उन्हे नई चूत तो तोहफे मे दे ही सकते
है."
"वो तो ठीक है, पर क्या ये दोनो तय्यार है?" जीजू ने पूछा.
"हां ये पूरा सहयोग देंगी, लंबा और मोटा लंड इन्हे पसंद है,"
मेने हंसते हुए कहा, "लेकिन आप दोनो को हमारे पति देव के आने का
इंतेज़ार करना होगा."
"बस हमारे बारे मे बहोट हो गया," मैने कहा, "दीदी वो दोनो
कुँवारियाँ कहाँ है?"
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