RE: Bhai Behen Sex Kahani साला बहन्चोद कहीं का
अशोक वही खड़े खड़े ब्रश करने लगा ऑर उसकी बेहन उसको चिल्ला रही थी कि फटा फट करो पर उसका ध्यान तो उसकी बेहन के निपल पे था जो शर्ट मे से सॉफ सॉफ झलक रहे थे...
उसकी बेहन ने ध्यान नही किया कि वो सचमुच उसके निपल देख रहा है या वो अभी नींद मे है...
वो अपने सर को झुकाए ब्रश कर रहा था ऑर उसकी बेहन के छोटे छोटे निपल को घूर रहा था.. ऑर मंन मे सोच रहा था कि अगर दीदी मेरी गर्लफ्रेंड होती तो मे अभीॉ इसके निपल को शर्ट के उपेर से मसलता ऑर निचोड़ता ऑर फिर अपने दातों के बीच मे दबा कर उसको रगड़ता म्म्म्ममममममम... मज़ा आ जाता.
इतने मे उसे होश आता है जब उसकी बेहन उसको चिल्ला कर कहती है.
मनीषा- सुनाई नही दे रहा क्या.? चल जल्दी कर मुझे बोहोत काम करने बाकी है...
अशोक- मन मे ( पाजामा उतारेगी तभी तो मे जल्दी से अपना लंड तुम्हारी चूत मे डाल पाउन्गा )
ऑर फिर वो ब्रश कर के नहाने चला जाता है ऑर मनीषा उसके लिए ब्रेकफास्ट बनाती है...
नहा वहा के कपड़े पहन कर रेडी हो जाता है ऑर ब्रेकफास्ट के लिए मनीषा को आवाज़ देता है मनीषा नाश्ता लेके आती है ऑर उसको देती है. ऑर अशोक जाने से पहले एकबार अच्छे से उसकी बेहन के निपल को देख कर नाश्ता लेता है ऑर जब वो मूड के जाने लगती है तो उसकी मटकती गान्ड पे भी नज़र मार लेता है... मन मे कहता है काश ऐसे ही रोज सुबह दीदी के बूब्स के दर्शन होते रहे ओर ऐसे ही मटकती गांद के रोज दर्शन हो...
फिर ऑफीस जाते जाते उसके मन मे ख़याल आता है कि आज दीदी ने ब्रा क्यूँ नही पहनी थी..?
क्या आज गर्मी ज़्यादा थी या फिर उसके सभी ब्रा धुले हुए नही थे..?
या फिर उसने जानबूज के नही पहनी थी ब्रा...?
मेने ध्यान नही दिया कि दीदी ने पैंटी भी पहनी थी या नही...?
फिर अशोक उस सीन को दुबारा अपने मन मे दोहराता है ऑर याद करने की कोशिश करता है कि उसके पाजामे के साइड मे पैंटी की आउटलाइन थी या नही...
बहुत याद करने की कोशिश करता है पर उससे याद नही आता क्यू कि उस वक्त उसका ध्यान सिर्फ़ उसकी दीदी की गान्ड के बीच मे जो गॅप था वहाँ था वो उस वक्त अपने लंड को उसकी गान्ड के गॅप के सीध मे रखा था... अगर उसकी बेहन नंगी होती थी तो अशोक का लंड सीधा अपनी बेहन की गान्ड के होल मे घुस जाता... ये सब बाते याद कर के उसका लंड फिर खड़ा होने लगता है..
वो इन सब बातो से ध्यान हटा ता है ऑर रोड पे आती जाती औरतो की मटकती गान्ड ऑर उनके उछलते बूब्स को देखने की कोशिश करता है कही कुछ दिख जाए..
फिर शाम को 6 बजे वो ऑफीस से निकलता है ऑर घर पर आते आते 7 बज जाते है ऑर वो अपनी बॅग रख के फ्रेश हो जाता है ऑर कपड़े चेंज कर के पाजामा ऑर टी-शर्ट पहन लेता है ऑर अंदर अंडरवेर नही पहनता ये सोच के कि उसकी बेहन को लंड के उभर के दर्शन कराउन्गा ऑर वो अपने लंड को पाजामे के उपेर से मसल कर सेमी एरेक्ट कर देता है ऑर उसका लंड पाजामे के बाहर से उभर कर दिखाई देता है.. फिर वो हॉल मे जाता है उसकी बेहन नीचे बैठे बैठे सब्जी काट रही थी ऑर उसका ध्यान टीवी मे था... अशोक सोचता है चलो दीदी को पाजामे के उपेर से अपना लंड दिखाया जाए... ऑर वो हॉल मे पहुँचते ही मनीषा के पास खड़ा होकर उससे मम्मी के बारे मे पूछता है...
अशोक- मम्मी कब आएगी..?
मनीषा- मम्मी ने बोला था वो रात को 10-11 बजे तक आ जाएगी..
(मम्मी यानी कि मंजू उसके पति को एक्सपाइर हुए काफ़ी समय हो गया था ऑर उसके सिर्फ़ 2 ही बच्चे थे अशोक ऑर मनीषा.. इस वक्त वो अपने भाई के घर गयी थी क्यू कि उसकी मम्मी की तबीयत ठीक नही थी तो वो अपनी माँ से मिलने गयी थी)
अशोक निराश हो रहा था क्यू कि उसकी बेहन मनीषा का ध्यान टीवी पे ही था वो उसकी तरफ बस एक झलक देखती ऑर फिर अपनी आखे टीवी पे टिका देती... फिर उसने दिमाग़ चलाया कि बाते करते करते मैं उसके सामने खड़ा हो जाता हूँ.. ऑर फिर वो उसके सामने खड़ा हो जाता है ऑर बाते करने लगता है..
रात क 7:45 बज चुके थे ऑर वो सब्जी भी काट चुकी थी ऑर आटा गुंथने के लिए पतीले को अपनी तरफ खिचा ऑर अशोक से बाते करने लगी.. ऑर अशोक अपनी कमर को आगे की ओर कर के अपने लंड का उभार स्पष्ट दिखाने के लिए ऐसा खड़ा हो गया... पर मनीषा तो उसके लंड को नही उसके चेहरे को देख रही थी...
अशोक का जोश ठंडा होने लगा.. ऑर वो मन मे कह रहा था अरे दीदी मैं तुम्हारे लिए इतना मस्त मोटा लंड दिखा रहा हूँ ऑर तुम हो कि मेरा चेहरा देख रही हो...
फिर मनीषा ने अपना आटा गुंथने वाला पतीला को अपने सामने रखा ऑर अपने पैरो को फैला दिया ऑर अपने पैर का एक अंगूठे से एक साइड से थाम लिया ऑर दूसरे अंगूठे से दूसरी साइड से थाम लिया ऑर आटा गुंथने लगी
जब अशोक ने अपनी बेहन को इस पोज़िशन मे देखा तो वो इमॅजिन करने लगा कि जब दीदी ने अपने पैरो को फेलाया होगा तब उसकी चूत के गुलाबी हॉट भी खुल गये होगे... ऑर अशोक वही खड़ा हो कर उसकी बेहन को देखता है उसकी नज़र उसकी बेहन की चूत के यहाँ ही थी ऑर वो यही सोच रहा था कि... काश इस वक्त दीदी नंगी होती ऑर मे उसकी खुली हुई कुवारि चूत के छेद को देख पाता ऑर उनकी रसीली गुलाबी चूत की पलके केसी दिखती होगी...?
यही सोच सोच कर उसका लंड ऑर जोश मे आ जाता है फिर वो मसल्ते हुए वहाँ से हट जाता है क्यू कि अब उसका लंड बिल्कुल खड़ा हो गया था ऑर उसने अंडरवेर भी नही पहना था उसके लंड ने पाजामे मे तंबू बना दिया था...
फिर वो सोफा के साइड मे तिरछा हो कर बैठ जाता है ऑर अपनी बेहन की चूत को कपड़ों के उपेर से देख कर सोचने लगता है कि अगर दीदी ने ये सलवार ऑर पैंटी उतार के ऐसी बैठी होती तो मे उसे झुकाता ऑर अपना मोटा लंड उसकी चूत के उपर पहले रगड़ता ऑर अपने लंड के सुपाडे से उसकी चूत के रसीले होटो पे रगड़ कर फेलाता ऑर फिर अपने लंड को उसकी चूत पे मार कर उसकी चूत के गुलाबी रसीले होटो को लाल कर देता...
ऑर फिर अशोक अपने लंड को मसल्ते हुए साला कब चोदने मिलेगा...? दीदी भी लगता है लंड मे इतना इंटेरेस्ट नही रखती..
फिर उसके मन मे ख़याल आता है कि बी प्रॅक्टिकल अशोक. ऐसा इंपॉसिबल है कि लड़के को चूत मे ऑर लड़की को लंड मे इंटेरेस्ट ही ना हो... ऐसा आजतक कोई माई का लाल पैदा नही हुआ जिसे चूत मे या लड़की को लंड ना पसंद हो... मे उसका भाई हूँ इसलिए शायद वो मुझे हवस की नज़रो से नही देखती वरना मेरा मोटा लंड देख ले तो साला अभी अपने नरम नरम मुलायम हाथो मे पकड़ के अपनी कुवारि चूत की जड़ों तक घुसा ले...
अब साला ऐसा क्या करूँ कि इसको भी मेरी तरह हवस की पुजारन बना दूं..
अपने मन मे सोचता है. इसको अपना मोटा लंड दिखा दूं क्या...?
नही नही साला कुछ गड़बड़ हो गयी तो मेरे लॉवडे लग जाएगे..
तो फिर क्या करूँ...?
अशोक सोच मे पड़ा था ऑर अपना लंड भी मसल रहा था ऑर उसकी बेहन की चूत के यहाँ ही नज़र थी उसकी ऑर उसकी बेहन आटा गुन्थते हुवे टीवी मे नज़र टिकाए हुए थी..
फिर अशोक ने अपना ध्यान टीवी पे लगाया तो वहाँ सास बाहू का वोही पुराना घिसा पिटा नाटक चल रहा था तो उसने चॅनेल चेंज किया ऑर हिन्दी डब्ब्ड हॉलीवुड मूवी देखने लगा उतने मे मनीषा ने कहा.
मनीषा- मेने तुझे सुबह ही बोला था ना मे अपना सीरियल मिस नही करना चाहती.. चला वो चॅनेल अभी 8 बजने वाले है ऑर वो चालू होगा अभी.. चॅनेल लगा मुझे देखना है..
अशोक- मन मे कहता है दीदी मेरा लौडा देख लो फिर तुम्हे ये सब आल्टू फालतू शो देखने का मन नही करेगा. दिन रात मेरा ही लंड देखती रहना... नही दीदी मुझे ये मूवी देखनी है...
इतने मे मनीषा ने उठ कर रिमोट झट से उठा लिया ऑर चॅनेल चेंज कर दिया...
अशोक सोफा से उठ कर रिमोट लेने के लिए उठा तो मनीषा ने रिमोट अपने दोनो हाथो मे पकड़ के अपने पेट के यहाँ रख के बढ़ा दिया ऑर जेसे ही अशोक उसके पास गया रिमोट लेने के लिए तो मनीषा घूम गयी ऑर अशोक का लंड सीधा मनीषा की गान्ड की साइड से टकरा गया... अशोक इस मोके का भरपूर फ़ायदा उठना चाहता था उसने भी रिमोट छिनने के बहाने अपना लंड बेहन की गान्ड के साइड से रगड़ लिया... ऑर उसका लंड तन के खड़ा हो गया... अशोक तो बस साइड साइड से अपना रगड़ कर मज़े ले रहा था पर उसे नही पता था कि कब उसकी बहना छूटने के चक्कर मे थोड़ा ऑर मूड गयी ऑर उसके लंड का सुपाडा सीधा सलवार के अंदर धस्स कर उसकी गान्ड के छेद तक पहुँचने वाला था... उसके लंड मे तो एक अजीब कशिश दौड़ गयी जब उसका लंड अपनी बेहन की गान्ड की दरार मे धस्स गया तब पर अशोक की हालत खराब हो गयी उसने सोचा मेने जोश जोश मे क्या कर दिया साला कहीं मम्मी को बोल दिया तो वॉट लग जाएगी... ऑर उसने अपनी बेहन के चेहरे को देखा तो महसूस हुवा कि उसके क्वेस्चन मार्क है वो कुछ गुत्थी सुलझा रही थी जो उसने अपनी गान्ड पे महसूस किया वो क्या था...?
क्या सचमुच अशोक का लंड था.? या फिर कुछ ऑर... अशोक को कुछ समझ मे नही आ रहा था कि वो अब क्या करे उसने अपनी बेहन को हल्का सा धक्का दिया ऑर बोला ले मर देख जो तुझे देखना है ऑर फटा फट मूड गया ऑर अपने रूम की ओर चल देता है..
मनीषा झट से पलट कर ये देखने की कोशिश करती है कि वो क्या चीज़ थी जो उसके गान्ड के बीच मे चुभि थी...?
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