RE: Bhai Behen Sex Kahani साला बहन्चोद कहीं का
अशोक सोफे पे बैठा बैठा टीवी देख रहा था ऑर मनीषा किचन मे माँ के साथ खाना बना रही थी... मंजू रोटी बना रही थी ऑर मनीषा सब्जी... मनीषा ने तड़का लगा दिया था मसाले का ऑर वो कटी हुई सब्जी लेने हॉल मे आने के लिए किचन से निकलती है ऑर आते आते पीछे से अपनी कमीज़ को थोड़ा तिरछा कर के अपनी सलवार के उपेर इलास्टिक मे फसा देती है यानी कि उसकी गान्ड का आधा हिस्सा वाइट कलर की सलवार मे से दिख रहा था ऑर उसकी पैंटी भी नज़र आ रही थी... वो उसके पास जा कर झुक जाती है ऑर अशोक जब उसकी बेहन की उभरी हुई गान्ड देखता है तो उसका कमीनपन जाग जाता है वो अपनी जीब ( टंग ) निकाल कर अपनी बीच की उंगली को गीली कर के उसकी गान्ड से थोड़ा दूर घुसाने की आक्टिंग करता है ऑर चेहरे पे मज़े आने वाले एक्सप्रेशन लाता है....
मनीषा लेफ्ट मे पड़े शोकेस की तरफ देखती है तो उसे अपने भाई को उसकी गान्ड मे उंगली करने की आक्टिंग करते हुए देख लेती है... फिर वो भी अपने भाई की हरकत का सपोर्ट करती है मतलब वो भी अपने भाई के मज़ाक को थोड़ा रियलिस्टिक बनाते हुवे अपने पैरो को साइड बाइ साइड कर के अपनी गान्ड को थोड़ा फेला देती है.... अशोक के शरीर से ल़हेर उठ कर उसके लंड तक दौड़ जाती है जब वो देखता है कि उसकी बेहन ने अपनी गान्ड को फेला दिया....
उसे महसूस होता है कि जेसे उसकी दीदी को पता था कि मे उसकी गान्ड मे उंगली करने का नाटक कर रहा हूँ ऑर वो भी अपनी गान्ड चौड़ी कर के उंगली गान्ड मे लेने का नाटक कर रही है.....
जब उसने उसके पैरो के अगल बगल देखा तो उसकी बेहन का फेस नही दिखा ऑर जब उसके पैरो के बीच मे देखा तो उसकी आगे की कमीज़ की वजह से वो अपने भाई को नही देख सकती थी... तो अशोक के मन हुआ कि शायद इतफाक था उसकी बेहन ने उसी वक्त अपनी गान्ड फेला दी होगी जब वो उसकी गान्ड मे उंगली डालने का मज़ाक कर रहा था
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