RE: Bhai Behen Sex Kahani साला बहन्चोद कहीं का
दीपा घर पे चली जाती है ओर रतन लाल शाम से लेकर टेन्षन मे था... कि अगर उसकी माँ ने पैसे देख लिए तो....? या उसने पूछ लिया कि तुम्हे वो इतने पैसे केसे दे सकता है ज़रूर कुछ गड़बड़ है....
4-5 घंटे बीत गये ऑर वो टेन्षन ले ले कर पक गया उसने मन मे सोचा लंड से अब जो होगा देखा जाएगा....
यहाँ दीपा घर पे नॉर्मल की बजाए थोड़ी खुश लग रही थी.... कमला ने पूछा....
कमला- क्या बात है बेटा आज खुश लग रही हो....?
दीपा- आज बड़े पापा ने आइस क्रीम खिलाई मुझे इसलिए......
दीपा घर का काम करती हुई सोच रही थी कि अब बड़े पापा कब उसे चूसने को बोलेगे..... ऑर कब उसे पैसे मिलेगे इस काम के.....
ऑर वो अपने बड़े पापा को खुश करने के लिए मन मे कुछ सोचती है ओर चुटकी बजाते हुए कहती है...
दीपा- हाँ ये ठीक रहेगा... अबकी बार मे ऐसा ट्राइ करके देखुगी फिर देखते है बड़े पापा को केसा लगेगा... अच्छा लगा तो ठीक वरना सॉरी बोल दुगी......
फिर दूसरे दिन से वो दोनो बहुत घुल मिल गये थे.... रतन लाल ऑफीस मे आता तो उसको अपने पास बुला कर उसको अपनी जाँघ पे बिठा कर उसको नोट्स लिखने को कहता ऑर उसकी पीठ भी सहलाता.....
रतन लाल बाहर से कुछ लेकर आता तो वो अपनी चेयर पे आगे सरक के बैठ जाता ऑर अपने पैरो को फेला देता ऑर दीपा को अपने पास बुला कर उसको अपने लंड पे बिठा कर ख़िलाता.....
खिला देने के बाद वो रोज की तरह उसके बूब्स भी दबाता था.... दीपा को भी अब समझ आ गया था कि बूब्स मसल रहा है तो अब इसका मतलब है कि 4आने मिलेगे........
कुछ दिन तक वो दीपा को लंड पे बिठाता ऑर उसके बूब्स भी दबाता....
ऐसा चलता रहा फिर एक वीक बाद रतन लाल उसके पास गया ऑर अपना लंड बाहर निकाल के उसका सर पकड़ के मुँह मे देने लगा.... दीपा अपने बड़े पापा की आखो मे देखती हुई उसके लंड को मुँह मे ले लेती है ऑर अपने हाथ मे पकड़ कर अपने बड़े पापा की आखो मे देखती हुई लंड के सुपाडे पर अपनी जीब को गोल गोल घुमाती है.... जेसा कि उसने उस दिन सोचा था कि वो बड़े पापा जब उसे चूसने को कहेगे तो वो अपनी जीब को गोल गोल घुमा कर चुसेगी....
रतन लाल के चेहरे पे एग्ज़ाइट्मेंट देख के समझ जाती है कि बड़े पापा को अच्छा लग रहा है....
फिर रतन लाल उसके हाथ को पकड़ता है जो दीपा ने लंड पे रखा था ऑर उसको हटा के कहता है
रतन लाल- बेटा थोड़ा ऑर मुँह मे लो.... ऑर वो पूरा ज़ोर लगाती है लंड अंदर तक लेने का पर उसके लंड का सुपाडा उसके हलक तक पहुँच जाता है ऑर दीपा को हिचकी आती है ऑर उल्टी जेसा महसूस होता है ऑर आँख से आसू भी निकल आते है.....
ये देख कर रतन लाल अपना लंड निकाल लेता है ऑर फिर उसकी पीठ को सहलाते हुए कहता है आराम से आराम से कहीं जाना है क्या....?
दीपा फिर लंड चूसने लग जाती है... रतन लाल अपना लंड बाहर निकालता है ऑर उसको खड़ी कर देता है ऑर डेस्क पे झुक के खड़ी रहने को कहता है.....
रतन लाल ने अब उसकी सलवार का नाडा खोला ऑर पैंटी उतार के उसके पीछे खड़ा हो कर अपना लंड घुसा दिया उसकी चूत मे ऑर उसकी पीठ को बढ़ा कर उसको डेस्क के उपेर लिटा दिया..... ऑर धक्के मारने लगा......
दीपा की चूत मे अजीब सा महसूस हो रहा था उसको लगा बड़े पापा गुदगुदी कर रहे है.... जैसे जैसे रतन लाल अपना लंड अंदर घुसाता वैसे वैसे वो हँसती थी......
कुछ दिन ऐसे ही चुदने के बाद उसने गोर किया तो उसे गुदगुदी के बजाए एक अलग आनंद आ रहा था चुदने मे.....
फिर तबसे उसको लंड लेने की आदत पड़ गयी थी.... पूरा दिन लंड के बारे मे सोचना ऑर जहाँ मोका मिले वहाँ चुद जाती थी.. अबतक उसने बहुत लंड लिए है... तब वो समझ गयी थी कि उसकी चूत ही गोलडेन टिकेट है उसे जो चाहिए वो मिलेगा बस अपनी गोलडेन टिकेट देनी पड़ेगी...... ऑर बड़े पापा का तो 6 साल तक लंड चूसा था उसने....
बॅक टू दा प्रेज़ेंट.....
दीपा ने अशोक का लंड पेंट के अंदर तना हुआ देखा तो उसका मन किया कि एक झलक देखु तो सही इसमे कोहरी परिवार वाले गुण है कि नही.........
उसने ज़िप खोली ऑर लंड अंडरवेर से बाहर निकाला......
अशोक अपनी बहन को इमॅजिन कर के बहुत गरम हो गया ही था वो वैसे भी मुट्ठी मारने ही वाला था तो उसने मन मे सोचा.....
अशोक- अपने मन मे... लो मासी अब ये लंड तुम्हारा है कुछ देर के लिए जो करना है कर लो....
उसे क्या पता कि ऐसे लंड तो वो सुबह चाइ के साथ लेती है... वो इससे बड़े बड़े लंड खा कर बैठी है......
फिर दीपा उसके लंड को बाहर निकाल के उसको चारो तरफ से देखती है... ऑर कहती है....
दीपा- बिल्कुल बड़े पापा जेसा लंड है..... ऑर सोचने लगती है कि इसका टेस्ट केसा होगा....???
ये सोच कर वो लंड अपने पास लाती है ऑर फिर अपने होंठो को 'ओ' शेप मे ला कर उसके सुपाडे को अपने होंठो मे पकड़ लेती है.....
ऑर फिर दीपा अपनी टंग की टिप्स से उसके लंड के होल को सहलाने लगी ऑर फिर एक झटके मे पूरा लंड अपनी हलक तक ले लिया ओर अपनी जीब से उसके लंड की स्किन को मुँह के अंदर से रगड़ने लगी...... पहली बार अशोक का लंड किसी के मुँह मे गया था ऑर जिस तरह वो चूस रही थी अशोक का तो मन कर रहा था कि वो अपनी मासी से शादी कर ले ऑर रोज उससे अपना लंड चुस्वाए......
ऑर फिर दीपा ने लंड को बाहर निकाल कर कहा.....
दीपा- म्म्म्ममममममम वैसे ही स्वाद है जेसा लंड का होना चाहिए.... ऑर फिर उसके सुपाडे पर एक पॅपी दे कर उसका लंड वापिस अंदर डालने लगी....
अशोक- अपने मन मे..... अरे नही नही ऑर चूसो साला वापिस क्या अंदर डाल रही हो.....
दीपा उसका लंड अंदर डाल के चली गयी ऑर अशोक के पास मूठ मारने के अलावा ऑर कोई ऑप्षन नही था वो मूठ मार के फ्रेश होने चला गया... कुछ देर मे उसको मासी के साथ जाना जो था....
अबतक तो बाजी पलट चुकी थी अब अशोक खुद चाहता था कि मासी कुछ करे तो वो उसे लंड चूसने को दे देगा..... पर ऐसा कुछ नही हुआ वो लोग बाज़ार हो कर आ भी गये ऑर खाना पीना खा कर सो भी गये.... नेक्स्ट डे मासी को वापिस जाना था.....
अशोक चाहता था कि मासी जाने से पहले एक बार उसका लंड चूस ले......
पर अशोक की मुराद पूरी नही हुई..... ऑर वो चली गयी.......
उसके जाने के बाद घर मे सबसे ज़्यादा मनीषा खुश थी.... ऑर हो भी क्यू ना....? क्यू कि जो आग उसके भाई ने उसकी चूत मे लगाई थी उस आग को अपने भैया के लौडे से बुझानी थी.....
लेकिन अशोक आज खुश नही था.... मनीषा ने आज उसको बहुत मोके दिए मज़ा लेने के पर अशोक रेस्पॉन्स ही नही कर रहा था वो तो कहीं खोया हुआ था......
दूसरे दिन सुबह से फिरसे वैसे का वैसे हो जाता है..... अब घर मे दो ही लोग थे मनीषा ऑर अशोक....
मम्मी मासी के साथ नानी के घर गयी थी.....
अशोक ऑर मनीषा को पूरी आज़ादी मिल गयी थी कुछ भी करने की कोई भी रोकने टोकने वाला नही था घर पे
अशोक भी अकेले पन का फ़ायदा उठाना चाहता था....
शाम को 8बजे घर आ कर उसने अपना पाजामा ऑर टी-शर्ट पहन लिया.... ऑर अशोक अपना लंड बाहर निकाल के घर मे घूमने लगा था.... उसको अपना लंड दीदी को दिखाने मे बहुत मज़ा आ रहा था.... ऑर मनीषा भी उसके लंड को देख देख कर उसकी चूत लंड लेने के लिए तड़प रही थी........
अशोक हॉल मे सोफा पे बैठ कर अपना लंड बाहर निकाले हुए बैठा था ऑर मनीषा हॉल मे उसके सामने ज़मीन पर बैठ कर सब्जी काट रही थी.... ऑर बैठे बैठे लंड को भी देख लेती थी.....
उसकी बहन भी लंड को देख के अनदेखा करने का नाटक कर रही थी........
अशोक को देख कर इसकी चूत मे भी खुजली होने लगी तो इसने पहले से ही फटी हुई सलवार पहनी ही थी तो उसने सोचा अब मेरी बारी... अब मैं अपने भैया को चूत के दर्शन कराउन्गी.....
ऑर फिर उसने आटा गुथने वाला पतीला लाई ऑर अपने पैरो को पतीले के आस पास फेला कर उसको अपने अंगूठे से पकड़ लिया.... पर उसकी कमीज़ उसकी चूत को ढक के रखी थी तो उसने अशोक की तरफ देखा तो उसका ध्यान नही था अपनी बहन पे.... तो मनीषा ने फटाफट कमीज़ को साइड मे कर के देखने लगी कि उसकी चूत क्लियर दिख रही है कि नही.... मनीषा ने जब अपनी चूत को देखा तो उसकी चूत की पलके खुली हुई थी ऑर चूत के अंदर की गुलाबी दीवारे दिख रही थी....
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