College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
08-25-2018, 04:24 PM,
#38
RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--20 

गतान्क से आगे.............. 

उसने मुझे रोका और कहा के मैं भी चाहती हूँ के ऐसा कुच्छ मेरे साथ भी हो और मैं अपने पुराने अनुभव भूल कर लड़कों का साथ एंजाय कर सकूँ. मुझे अपने से अधिक चिंता अपने पेरेंट्स की है क्योंकि वो मेरे इस व्यवहार से बहुत परेशान हैं और मैं उनको परेशान नही देख सकती. तुम जो कुच्छ कह रहे हो यदि वो हो सकता है तो मुझे थोड़ा बहुत नापसंद भी सहना मंज़ूर है पर क्या तुम मुझे यह सब अनुभव करवा सकते हो जो कह रहे हो? क्या इसमे बहुत मज़ा आता है मास्टरबेशन से भी ज़्यादा? मैने कहा के इतना ज़्यादा की तुम मास्टरबेशन के मज़े को भूल जाओगी और केवल मजबूरी में जब कोई और विकल्प नही होगा तभी मास्टरबेशन करोगी वरना यही मज़ा लोगि. उससने कहा के फिर बताओ क्या और कैसे करना है. मैने कहा के अपने आप को पूरी तरह मेरे हवाले कर दो और जो मैं करता हूँ मुझे करने दो तुम्हें अपने आप पता लग जाएगा की तुमने क्या करना है और जहाँ नही पता लगेगा वहाँ मैं हूँ ही सब सीखा दूँगा. पहले मैं तुम्हारे इस सुंदर शरीर को प्यार से सहला के, चूम के, चाट के तुम्हें उत्तेजित करूँगा फिर तुम्हारी इस जादू की डिबिया चूत को चाटूँगा, अपनी जीभ से तुम्हें चोदून्गा और फिर अपने लंड को तुम्हारी चूत पर रख के इसकी गर्मी तुम्हारी चूत को दूँगा और तुम्हारी चूत की गर्मी अपने लंड से महसूस करूँगा. फिर तुम्हारी चूत के अंदर अपना लंड घुसा दूँगा और तुम्हारी कुमारी झिल्ली को फाड़ कर अपना लंड पूरा तुम्हारी चूत में अंदर बाहर करके तुम्हें घर्षण कास्पर्श सुख दूँगा और जब तुम उत्तेजना के शिखर पर पहुँच कर जधोगी और तुम्हारी चूत अपना पानी छ्चोड़ेगी तब तुम्हें इतना मज़ा आएगा कि उस मज़े को केवल अनुभव किया जा सकता है बताया नही जा सकता. वो बोली के इतना बोल रहे हो कर के दिखाओ तो मानूँगी. 

मैने अब प्रॅक्टिकल शुरू कर दिया. मैं जल्दी से बेड के हेडबोर्ड से अपनी पीठ लगाकर और अपने पैर खोलकर बैठ गया. दो तकिये मैने लंबे करके अपने सामने लगा दिए और आँचल को उनपर सीधा लिटा दिया के उसका सिर मेरे पैरों की ओर था और टाँगें हेड बोर्ड के ऊपेर. उसको मैने अपने और पास खींच लिया. अब उसकी गंद मेरी पसलियों को छ्छू रही थी और नीचे तकिये होने के कारण उसको कोई परेशानी नही थी. मैने अपना मुँह नीचे किया और उसकी चूत को बिल्कुल पास से देखने लगा. मैने अपनी पूरी हथेली उसकी चूत पर रख दी और उसको धक लिया. जब मैने प्यार से उसकी चूत को सहलाया तो वो सिहर उठी. उसकी चूत इतनी मुलायम थी के मेरा हाथ उस पर फिसल रहा था. चूत की दोनो फाँकें आपस में चिपकी हुई थीं और एक पतली सी लकीर नज़र आ रही थी. मैने उस लकीर पर अपनी जीभ बहुत प्यार से फेरी. वो फिर सिहर उठी. मैं अपने दोनो हाथों से उसकी जांघों को सहला रहा था और अपनी जीभ की नोक उसकी चूत की दरार में फिरा रहा था. थोड़ी देर ऐसे ही करने के बाद मैने अपने हाथों को उसकी चूत पर लाकर दोनो अंगूठो की सहाएता से उसकी चूत की फांकों को खोला और उसकी गुलाबी चूत को देखता ही रह गया. ग़ज़ब की थी उसकी चूत अंदर से. दोनो पंखुड़ियाँ गुलाब की पट्टियों के समान थीं और उसके हल्के स्राव से भीग कर उसकी चूत की छटा देखने लायक थी. मैने अपने जीभ से दोनो कोमल पंखुड़ियों को टटोला तो वो बहुत ज़ोर से काँप गयी और बोली के हां ऐसे ही करो बहुत अच्छा लग रहा है. मैने अपनी जीब का दबाव थोड़ा सा बढ़कर उनको चॅटा तो वो और काँप गयी. फिर मैने अपनी जीभ को आक़ड़ाकर उसकी चूत के सुराख मे डालने की कोशिश की. बहुत गरम थी उसकी चूत और ऐसे लग रहा था के मेरी जीभ को जला देगी. मैने अपनी जीभ का दबाव बढ़ाया और मेरी जीभ थोड़ी सी उसकी चूत में घुस गयी. वो एक बार फिर काम्पि और उसकी चूत से थोड़ा स्राव और निकला और मैं उसको अपनी जीभ से चोदने लगा. उसकी उत्तेजना अब बढ़ती जा रही थी और फिर उत्तेजना के आधी बढ़ जाने से उसने अपने हाथ अपने मम्मों पर रख दिए और उनको मसल्ने लगी. उसके निपल अब तन कर बाहर आ गये थे और ऐसे लग रहे थे जैसे पिस्टल के कारतूस की नोक होती है. 

मैने अपना ध्यान वापिस उसकी चूत की ओर किया और पूरी तन्मयता से कभी अपनी जीभ से उसे चोद और कभी चाट रहा था. धीरे धीरे उसकी उत्तेजना बढ़ती गयी और इतनी बढ़ गयी कि वो उच्छलने लगी और उसको संभालना मुश्किल हो गया. उसका शरीर झटके खाने लगा और फिर वो झाड़ गयी. 

वो तकिये हटाते हुए मेरी ओर पलटी और मुझसे लिपटकर कहने लगी के यह तो कमाल हो गया, मैने तो कभी सोचा भी नही था के एक मेल से मुझे इतना आनंद मिलेगा. मैने कहा के अभी तो कुच्छ भी नही हुआ असली मज़ा तो अभी बाकी है. मैं उसके साथ चिपके हुए ही नीचे को हुआ तो वो मेरे ऊपेर हो गयी. उसके मम्मे मेरी छाती में गढ़ने लगे और उसके निपल मेरी छाती मे चुभ रहे थे. मैं अपने हाथ उसकी पीठ पर ले गया और उसकी पीठ सहलाने लगा. अब उसको मेरे हर काम में मज़ा आ रहा था. अब उसका शरीर एक सितार बन चुक्का था और मेरी हर हरकत जैसे उस सितार को छेड़ रही थी और वो मेरे हर इशारे पर बज रही थी. मेरी हर छेड़छाड़ उसकी आँखों और चेहरे से प्रकट हो रही थी. मेरे हाथ घूमते हुए उसके मम्मों पर आ गये और मैने बहुत प्यार से उनको सहलाना शुरू कर दिया. उसने भी छाती तानकर मेरे हाथों को जैसे निमंत्रण दिया कि आओ और इतने हल्के नही थोड़ा ज़ोर से हमें दबाओ. 

मैने उसको अपने साथ चिपका कर साइड ली और अपनी एक टाँग उसकी टाँगों में डाल कर रगड़ने लगा. उसने मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा और बोली के हाए राम मुझे नही पता था के इतना मज़ा आता है वो आंटी तो बहुत झूठी है. मैने पूछा के कौन आंटी? तो वो बोली कि है एक आंटी. मेरी मम्मी की पहचान वाली है. उसने ही मुझे लड़कों के खिलाफ भड़काया था और मैं अपने पुराने एक्सपीरियेन्सस की वजह से उसकी बातों में आ गयी थी. अब मैं कभी उस आंटी से बात नही करूँगी. मम्मी ठीक कहती थी के वो हमारी फॅमिली से जलती है और इसीलिए वो मेरे साथ ऐसा कुच्छ कर रही है जो ठीक नही है. अब मैं उस आंटी की तो छुट्टी कर दूँगी ऐसा सबक सिखाऊँगी के भूल जाएगी लड़कियों को बहकाना. मैं उसकी बात ख़तम होने तक चुप रहा और फिर उसको पूछा के कहीं वो लेज़्बीयन तो नहीं है. वो बोली के हां वो लेज़्बीयन है और मर्द उसको पसंद नही हैं. मैने कहा के तभी वो तुम्हे उल्टा सीधा पाठ पढ़ाती रही है पर अब तुम्हें सब पता लग ही गया है तो सब ठीक हो जाएगा. वो बोली के ये क्या बातें करने लगे गये हम, अब जल्दी से आगे का प्रोग्राम शुरू करो. मैं चाहती हूँ के अब तुम मुझे चोद कर जल्दी से वो मज़ा दो जिसके बारे में तुमने बता कर मेरी उत्सुकता बढ़ा दी है. 

मैने उसको अपने साथ चिपका लिया और बोला के अभी लो मेरी जान मैं अभी तुमको वो मज़ा दूँगा जिसका तुम्हें इंतेज़ार है. फिर मैने पूरे जी जान से उसको उत्तेजित करना शुरू कर दिया. धीरे धीरे उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी. उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा और बोली के तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है यह मेरी चूत में कैसे घुसेगा. मैने कहा के देखती जाओ यह जो तुम्हारी चूत है ना यह एक जादू की डिबिया है और इसमे बहुत जगह होती है और इसमे मेरे लंड से भी मोटे लंड घुस सकते हैं. वो बोली के कैसे मैने कहा के यह खुल जाती है फिर कोई परेशानी नही होती. हां पहली चुदाई में ज़रूर दर्द होता है कुमारी झिल्ली फटने पर, लेकिन उसके बाद मज़ा ही मज़ा है. वो बोली के क्या मैं इसको चूम लूँ, यह बहुत प्यारा लग रहा है. मैने कहा के इसको चूमो ही नही इसको मुँह में लेके चूसो भी, मुझे बहुत अच्छा लगेगा. उसने मेरे लंड को मुँह में लिया और थोड़ा सा अंदर करके अपनी जीभ उस पर फिराने लगी और फिर मेरे लंड को चूसने लगी. मैने उसकी चूत में अपनी बीच की उंगली डाल दी और चूत के छेद पर चलाने लगा. उसकी चूत फिर गीली हो चुकी थी और मेरी उंगली उसकी चूत के छेद पर चलाने से उसकी चूत का छेद थोड़ा खुल गया और मैने अपनी एक उंगली और उसमे डाल दी और घुमाने लगा. बाहर मेरा अंगूठा उसके भज्नासे को रगड़ रहा था और उसकी उत्तेजना लगातार बढ़ती जा रही थी. थोड़ी देर में उसकी उत्तेजना इतनी बढ़ गयी के उसके मुँह से ग……ओ……ओ…..न, ग…..ओ…..ओ…..न की आवाज़ें निकलनी शुरू हो गयीं. मेरा लंड उसके मुँह में होने से वो स्पष्ट कुच्छ नही बोल पा रही थी. 

मैं समझ गया के अब देर करना उचित नही है और मैने उसको सीधा करके लिटा दिया और उसकी टाँगों के बीच में आ गया. अपने लंड को हाथ में लेकर मैने उसकी चूत के मुहाने पर रगड़ना शुरू किया. उसकी थूक से गीला लंड उसकी चूत के स्राव से और गीला हो गया और बड़े प्यार से फिसलने लगा. मैने उसकी चूत के छेद पर अपने लंड को फ़साते हुए दबाव डाला और दबाता चला गया. मेरा लंड उसकी चूत के मुँह को खोलते हुए अंदर घुसा और जाकर सीधा उसकी कुमारी झिल्ली से जा टकराया. झिल्ली पर दबाव पड़ते ही वो चिहुनक गयी और उसके मुँह से एक आह निकली. दर्द हुआ क्या मैने पूछा? वो बोली नही दर्द तो नही हुआ पर बहुत भारी भारी लग रहा है. मैने कहा के अब जो मैं करने जा रहा हूँ उसमे तुम्हें दर्द होगा और बस उसके बाद तुम्हें कभी भी चुदवाने में दर्द नही होगा. और मैने उसको बातों में उलझा लिया और उसके मम्मे दबा कर तथा उसके भज्नासे को मसलकर उसकी उत्तेजना को बढ़ाते हुए उसके ध्यान को बटा दिया और एक ज़ोर का धक्का मार कर अपने लंड को उसकी चूत में जड़ तक घुसा दिया. उसकी ज़ोर की चीख निकली. उसकी कुमारी झिल्ली फॅट चुकी थी और उसकी चूत से खून निकलने लगा. मैं रुक गया और उसको प्यार करने लगा उसके मम्मे को मुँह में लेकर चुभलना शुरू कर दिया और उसके भज्नासे को भी मसलना जारी रखा. थोड़ी देर में ही उसकी आँखों और चेहरे से दर्द के भाव गायब हो गये और उनकी जगह मस्ती ने ले ली. उसस्की आँखों में लाल डोरे चमकने लगे और मुँह से आ……आ……ह, आ…..आ…..ह….. की आवाज़ें निकालने लगीं. 

मैने अपना लंड दो इंच के करीब बाहर निकाला और वापिस उसकी चूत में पेल दिया. उसके मुँह से उ……..उ……..न……..ह की आवाज़ निकली, मैने दोबारा अपना लंड निकाल के वापिस डाल दिया और इसी तरह करने लगा. उसको भी मज़ा आना शुरू हो गया था और वो भी नीचे से हिलने लगी थी. मैने अपनी रफ़्तार थोड़ी सी बढ़ा दी और लंड भी 3-4 इंच निकाल कर घुसाने लगा. आँचल की आँखें मूंद गयीं और वो अपनी गांद उठा कर मेरे लंड को जल्दी जल्दी अपनी चूत में लेने लगी. पता नही क्यों मुझे नीरू का ख़याल आ गया और मैं सोचने लगा कि उसको कोई परेशानी नही रहेगी अब. उसकी बेटी अब बिल्कुल नॉर्मल हो गयी है और चुदाई का पूरा मज़ा ले रही है. मैं यह सब सोच रहा था और पता ही नही चला के आँचल झाड़ गयी और उसने अपने हाथ मेरी पीठ पर कस्स दिए और जब उसके नाख़ून मेरी पीठ में गढ़े तो मुझे होश आया और मैं चौंक गया. क्यों क्या हुआ मज़ा आ रहा है, मैने पूछा? आ भी गया मुझे तो, वो बोली, और इतना ज़्यादा मज़ा आया है की पूछो मत. मैने कहा के अभी और भी आएगा तुम तैयार हो जाओ मैं तुमको अभी और ज़्यादा मज़ा देने वाला हूँ. वो बोली के देखो कहीं मैं मज़े में मर ही ना जाऊं. मैने उसको प्यार से समझाया के मरने की बात मत करो आज तो पहली बार मज़ा आया है, अभी तो तुमने बहुत बहुत मज़ा लेना है. आगे तुमको और भी ज़्यादा मज़े मिलेंगे. 

फिर मैने उसको उत्तेजित करने के लिए अपने हाथ चलाने शुरू किए. मेरे हाथ उसके शरीर पर कोमलता से दौड़ रहे थे. और मेरे हाथों के कोमल स्पर्श से उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. मेरा लंड उसकी चूत में लगातार अंदर बाहर हो रहा था. उसकी चूत में झड़ने से जो गीलापन आने से जो फिसलन पैदा हो गयी थी वो 10-15 धक्कों के बाद काफ़ी कम हो गयी थी और अब मुझे घर्षण का भरपूर आनंद आ रहा था. मेरी भी उत्तेजना बढ़ने लगी. आँचल ने अपनी टाँगें उठाकर मेरी पीठ पर बाँध लीं और मेरे धक्कों का जवाब अपने गांद उठाकर देने लगी. फिर वो बोली की ज़ोर से चोदो. फाड़ दो मेरी चूत को. बहुत तड़पाती है यह मुझे. आज थोड़ा आराम मिला है तुम्हारी चुदाई से पर अब फिर फड़फड़ाने लगी है यह. मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी और पूरे ज़ोर से धक्के लगाने लगा. उसकी चूत ने अब मेरे लंड पर अपना कसाव बढ़ाना शुरू कर दिया था और फिर थोड़ा सा स्राव छ्चोड़ देती और ढीली पड़ जाती. फिर कस्स जाती. फिर वो काँपने लगी और मैं समझ गया के फिर से झड़ने वाली है. मैने पूरी ताक़त लगाकर आँचल की चूत मारने लगा. वो झड़ी और उसके झड़ने पर उसकी चूत ने मेरे लंड को जाकड़ लिया और मैं भी दो धक्के मार के झाड़ गया और मेरे लंड ने वीर्य की एक ज़ोरदार पिचकारी उसकी चूत में छ्चोड़ दी और फिर 3-4 छ्होटी छ्होटी पिचकारियाँ और छ्चोड़ के शांत हो गया. आँचल भी निश्चल पड़ी हुई लंबी लंबी साँसें ले रही थी. मैं भी उसकी बगल में लेट गया और अपनी साँसों पर काबू पाने की कोशिश करने लगा. 

कुच्छ देर ऐसे ही पड़ा रहा मैं. फिर मैने आँचल की ओर करवट ली और उसका चेहरा निहारने लगा. बहुत शांति थी उसके चेहरे पर और उसके होंठों पर एक दिलकश मुस्कान उसकी सुंदरता को चार चाँद लगा रही थी. उसने अपनी आँखें आधी खोल कर मेरी ओर देखा और उसकी मुस्कुराहट और गहरी हो गयी. वो मेरी ओर पलटी और मुझे अपनी बाहों में भर लिया और बोली के आज का दिन वो कभी नही भूल पाएगी. आज उसने अपनी ज़िंदगी का सबसे बड़ा और प्यारा मज़ा लिया है और यह कहकर उसने मुझे चूम लिया. 

मैने भी उसको वापिस चूमा और उसको अपने साथ चिपकाते हुए भींच लिया. उसके मम्मे मेरी छाती में एक अनोखा दबाव डाल रहे थे. अनोखा इसलिए कि वो कोमलता से भरा हुआ एक सख़्त दबाव था जो विरोधाभास का परिचायक है. पर मुझे इसके अतिरिक्त शब्द नही मिल रहे उस दबाव के बारे में बताने के लिए. 

क्रमशः...... 
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