RE: Incest Porn Kahani उस प्यार की तलाश में
इस वक़्त हम दोनो बिल्कुल खामोश थे........ना ही विशाल मुझसे कुछ कह रहा था और ना ही मैं.......वो मेरी इन आँखों को बड़े गौर से देख रहा था जैसे वो मुझसे मेरे दिल का हाल पूछ रहा हो........कुछ देर खामोशी के बाद मैने विशाल को अपने पीछे आकर बैठने का इशारा किया.......वो चुप चाप मुझसे बिना कुछ कहे मेरे पीछे आकर बैठ गया........इस वक़्त मेरे अंदर कौन सा तूफान उठ रहा था ये शायद मैं भी नहीं जानती थी........
एक तरफ हमारे बीच रिस्तों की मज़बूत डोर थी तो वही दूसरी तरफ हमारे दरमियाँ अटूट गहरा प्रेम.......मैने अपनी गर्देन पीछे की तरफ घुमाई तो विशाल की नज़र मेरी नंगी पीठ को घूर रही थी........जब उसकी नज़र मुझसे मिली तो उसने अपनी नज़रें फ़ौरन दूसरी तरफ फेर ली.......इस वक़्त मेरी आँखों में कुछ शरम और कुछ हवस दोनो का मिला जुला रंग चढ़ा हुआ था......
अदिति- ऐसे क्या देख रहें हो विशाल........मैं अब पूरी तरह से तुम्हारी हूँ..........मुझपर तुम्हारा पूरा अधिकार है........मेरी आत्मा पर और मेरे इस जिस्म पर भी..........मैं अपने आप को तुम्हारे हवाले कर चुकी हूँ .......अब तुम जैसा मेरे साथ जो करना चाहो कर सकते हो.......मैं तुम्हें अब किसी बात के लिए मना नहीं करूँगी.....
विशाल कुछ देर तक यू खामोश होकर मुझे देखता रहा फिर उसने थोड़ी देर बाद अपनी चुप्पी तोड़ी- दीदी मैं ये तो नहीं जानता कि क्या सही है और क्या ग़लत है.......और आगे चलकर इसका क्या परिणाम होगा.......मगर मेरा दिल कहता है कि जो हो रहा है वो शायद नहीं होना चाहिए........अब भी कहीं ना कहीं मेरे इस दिल में एक ही सवाल बार बार उठ रहा है कि क्या मुझे अपनी बेहन के साथ ये सब करना चाहिए.......जिस भाई बेहन की पवित्र प्रेम को लोग संगया देते है हमारे ऐसा करने से उसके पवित्रता पर एक कभी ना मिटने वाला दाग लग जाएगा...........
अब भी वक़्त है दीदी आप अगर चाहो तो अपना फ़ैसला बदल सकती हो.........मुझे आपका हर फ़ैसला मंज़ूर होगा.......और अगर ये बात मम्मी पापा को पता चली तो.........इतना तो पक्का है कि मम्मी हमे कभी माफ़ नहीं करेगी और शायद पापा हमे गोली मार दें.........मैं पापा के गुस्से को आच्छे से जानता हूँ......और आस पड़ोस के लोग भी हमारे बारे में तरह तरह की बातें करेंगे कि एक भाई अपनी सग़ी बेहन के साथ.......
अदिति- अंजाम की परवाह मुझे नहीं है विशाल.......क्या तुमने मुझसे प्यार करते वक़्त ये सब कभी सोचा था........नहीं ना....फिर आज तुम अपने अंजाम के बारे में क्यों सोच रहे हो..........प्यार किया नहीं जाता विशाल प्यार तो हो जाता है जैसे तुम्हें मुझसे हो गया.......भले ही मैं तुम्हारी अपनी बेहन हूँ......प्यार कोई जात धरम , ऊँच नीच देख कर नहीं किया जाता.........आगे तुम्हारी मर्ज़ी.......मगर इतना याद रखना कि अगर अब तुम मुझसे एक पल भी और डोर रहे तो शायद अब मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं पाउन्गि..........अब तुम्हें इसका फ़ैसला करना है कि तुम्हें इन दोनो में से किसको चुनना है.........इस दुनिया की झूठी रसमें और रीति रिवाज़ों को ........या फिर मेरी ज़िंदगी को...............
विशाल- मुझे आप चाहिए दीदी.........सच तो ये है की मैं भी आपके बगैर एक पल नहीं जी सकता.......
मैं विशाल को कुछ पल तक ऐसे ही देखती रही फिर ना जाने मुझे क्या हुआ मैं अपनी गर्देन आगे बढ़ाकर विशाल के लबों को बहुत प्यार से चूम लिया..........विशाल भी बस मेरी तरफ बड़े प्यार से एक टक देखता रहा.......
अदिति- विशाल..........मुझे प्यार करो विशाल........मुझे इस वक़्त तुम्हारे प्यार की सख़्त ज़रूरत है........मैं तुम्हारी इन मज़बूत बाहों में टूटना चाहती हूँ........पल पल अपने आप को महसूस करना चाहती हूँ.........आओ विशाल अब मुझे हमेशा हमेशा के लिया अपना बना लो.......मैं आज एक लड़की से औरत बनाना चाहती हूँ........मुझे आज एक औरत का सुख दे दो विशाल........आइ लव यू........और इतना कहकर मैने एक बार फिर से विशाल के लबों को बहुत आहिस्ता से चूम लिया.........
विशाल- हां अदिति आज के बाद तुम्हारा गम मेरा गम है और तुम हर खुशी अब मेरी खुशी है.......आइ लव यू टू.......
आज पहली बार विशाल ने मेरा नाम लिया था.......और ना जाने क्यों मुझे ये सुनकर अच्छा भी लगा था......मैं मन ही मन झूम उठी थी.......आज मैं जीत गयी थी.......मगर पता नहीं क्यों मेरे दिल में कहीं ना कहीं ये बात चुभ रही थी कि अब भी वक़्त है अदिति सम्भल जा......नहीं तो आगे ये तपिश हमे कहीं का नहीं छोड़ेगी........मैं कुछ देर तक अपने विचारों में ऐसी ही डूबी रही.......तभी विशाल के होंठ मेरी पीठ पर मुझे महसूस हुए......
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