RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
अनु ने भी अब मेरा साथ देना शुरू कर दिया….और वो अपने होंठो को खोल कर मुझसे चुसवा रही थी…मैने मोका फ़ायदा उठाते हुए अपना एक हाथ नीचे लेजा कर उसकी सलवार का नाडा खींच कर जैसे ही खोला तो, उसकी सलवार उसकी कमर से सरकते हुए उसकी जांघों तक आ गयी….फिर मैने नीचे बैठते हुए उसकी सलवार और पैंटी को एक साथ खींचते हुए उसके पैरो तक सरका दिया…और फिर उसके बदन से अलग करके, एक तरफ फेंक दिया….वो अपनी जाँघो को भींचे नीचे बिछे बिस्तर पर जा बैठी….मेने जल्दी से अपने सर कपड़े उतारे और उसके पीछे जाकर बैठते हुए उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया…..
और उसके सन्तरो जैसी चुचियों को पकड़ कर ज़ोर-2 से मसलना शुरू कर दिया…. “सीईईईईईईई अहह” अनु एक दम से सिसकी और आगे की तरफ लुड़की, पर मैने उसकी चुचियों को कस्के पकड़ा हुआ था…..अब मैने अनु की चुचियों को छोड़ा और उसकी कमीज़ और फिर ब्रा दोनो एक-2 करके उसके बदन से अलग कर दी….मेने अनु को पीठ के बल लिटाया और खुद उसके ऊपर आते हुए, उसके लेफ्ट निपल को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया……”श्िीीईईईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” अनु ने सिसकते हुए दोनो हाथो से मेरे चेहरे को पकड़ लिया….नीचे मेरा लंड अनु की चूत के फांको पर रगड़ खा रहा था….मेने 5 मिनिट तक अनु की चुचियों को चूसा, और फिर अपने घुटनो के बल बैठते हुए अनु की टाँगो को घुटनो से मोड़ कर ऊपर उठा दिया….
अनु आँखे बंद किए हुए सिसक रही थी….जैसे ही मैने अपने लंड के सुपाडे को उसकी चूत के छेद के साथ लगाया, तो उसके बदन ने एक तेज झटका खाया…. और वो सिसक पड़ी….में कुछ देर रुका और फिर एक ज़ोर दार झटका मारा तो मेरे लंड का सुपाडा उसकी टाइट चूत के छेद को फैलाता हुआ अंदर घुसता चला गया…मेरा आधे से ज़यादा लंड उसकी चूत में उतर चुका था….इस धक्के से अनु एक दम से चीख उठी…और अगले ही पल मैने झुक कर अनु के होंठो को अपने होंठो में लेकर एक और जोरदार शॉट मारा….इस बार मेरा लंड उसकी चूत की गहराइयों में उतरता चला गया…
अनु की चूत एक दम पनियाई हुई थी….मैने अनु के होंठो को चूस्ते हुए अपने लंड को धीरे-2 अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…अब अनु की सिसकारियाँ हम दोनो के मुँह में घुट कर दम तोड़ने लगी थी…..में अब पूरी रफ़्तार से अपने लंड को अनु की चूत के अंदर बाहर कर रहा था…..अनु मस्त होकर मुझसे एक दम चिपकी हुई थी….तभी पीछे से कदमो की आहट सुनाई दी….मैने पीछे फेस घुमा कर देखा तो, वीना अंदर आ चुकी थी….कदमो की आहट सुन कर जैसे ही अनु ने आँखे खोल कर सामने खड़ी वीना को देखा तो, वो बुरी तरह से घबरा गयी…..और अपने सर के नीचे रखे तकिये को उठा कर अपनी चुचियों को ढँकने लागी……
वीना: छिनाल अब क्यों छुपा रही है अपने आप को….इतनी ही शरम आ रही है तो, क्यों चुदवा रही है….
वीना ने अनु के पास आकर बैठते हुए तकिये को उसके हाथो से छीन लिया….और एक तरफ फेंकते हुए बोली….”उस दिन तो मुझ पर बड़ा चिल्ला रही थी कि, पापा को सब बता दूँगी….और आज खुद ही अपनी बुर मे लंड पेलवा कर मस्त हो रही है….”
मे: छोड़ो ना वीना इसने गुस्से से में कह दिया होगा….चलो अब इस पर गुस्सा ना करो…देख तेरे बेटी की चूत कितना पानी छोड़ रही है, मेरे लंड पर…
मैने अपना लंड अनु की चूत से बाहर निकाल कर वीना को दिखाते हुए कहा…वीना ने झट से मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़ लिया….और फिर अनु की आँखो में झाँकते हुए बोली….”क्यों री अब क्यों तेरी बुर इतना रस टपका रही है….उस दिन तो कहती थी कि, में गंदे काम करती हूँ….” वीना ने मेरे लंड की मूठ मारते हुए कहा…
अनु ये सब बड़ी हैरानी से देख रही थी….मैने वीना को इशारे से कपड़े उतारने के लिए कहा तो, वीना ने मेरे लंड को पकड़ कर अनु की चूत के छेद पर भिड़ा दिया… ये देख अनु की आँखे हैरानी से फैल गयी…..मेरे एक बार में जबरदस्त शॉट लगाते हुए पूरा का पूरा लंड अनु की चूत की गहराइयों में उतार दिया….”अहह श्िीीईईईईईईईईईईईई” अनु मेरे इस जबरदस्त झटके से तिलमिलाते हुए सिसक उठी……इधर वीना ने अपनी नाइटी उतार फेंकी और फिर अपनी पैंटी निकाल कर एक साइड में रख दी….
अब हम तीनो उस स्टोर रूम में नंगे थे…..अनु ने अपनी आँखे बंद कर ली थी…वो इस हाल में वीना से नज़रें नही मिला पा रही थी….मैने झुक कर अनु की राइट चुचि को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया….तो अनु ने सिसकते हुए अपनी कमर को ऊपर की तरफ उचा किया…और अगले ही पल मेरे इशारे पर वीना ने भी झुक कर अनु की लेफ्ट चुचि को मुँह में भर लिया….जैसे ही अनु को अपनी दूसरी चुचि पर भी किसी की जीभ का अहसास हुआ तो, उसने सिसकते हुए अपनी आँखे खोली और जब उसने देखा क़ी, वीना झुक कर उसके दूसरी चुचि को चुस्स रही है तो वो एक दम से चोंक गयी…उसने अगले ही पल अपनी आँखो को फिर से बंद कर दिया…..
अनु: उम्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईईईईईईई अहह ओह……….
ये सब अनु के लिए बर्दास्त करना बड़ा मुस्किल था….उसका बदन एक दम से ऐंठने लगा….नीचे मेरा लंड पूरी रफ़्तार से उसकी चूत की धज्जियाँ उड़ाता हुआ अंदर बाहर हो रहा था…और ऊपर उसकी दोनो चुचियों की एक साथ जबरदस्त चुस्वाई हो रही थी…..”अहह श्िीीईईईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माँ अम्मी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह……” अनु झड़ते हुए बुरी तरह काँपने लगी…और फिर उसकी कमर तेज झटके खाने लगी…एक के बाद एक फिर जब वो शांत हुई तो, मैने अपने लंड को उसकी चूत से बाहर निकाला तो उसने सहमे हुए अपनी आँखो को खोल कर हम दोनो की तरफ देखा, वीना ने एक बार अनु की तरफ देखा और फिर अपनी पैंटी उठा कर मेरे लंड पर लगे अनु की चूत से निकले कामरस को सॉफ करते हुए बोली…..”बड़ी गरमी थी ना तेरी चूत मे…ले देख सारी निकल गयी…..”
मे: अभी कहाँ जान….अभी तो रात बाकी है…चल आ….
मैने अनु की बगल में लेटते हुए वीना को अपने ऊपर खींच लिया…वीना ने मेरी कमर के दोनो तरफ अपने घुटनो को टिकाया और लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सेट करते हुए अपनी चूत को जैसे ही मेरे लंड पर दबाया तो, मेरे लंड का सुपाडा उसकी चूत को फैलाता हुआ अंदर घुसता चला गया…..”शियीयीयियीयियी ओह तुषार श्िीीईईईईईईई अहह इसस्स मोटे लंड ने अह्ह्ह्ह्ह आग लगा रखी है मेरी चूत मे…. आह्ह्ह्ह हां आज मेरी चूत में अपना लंड ऐसे पेलो कि सारी बुर की सारी गरमी निकल जाए….” वीना ने अपनी गान्ड को ऊपर ले जाकर अपनी चूत को लंड पर पटकते हुए कहा….पास में लेटी अनु तो जैसे बुत बन गयी थी…..
वो ये सब बड़ी हैरानी से देख रही थी….मैने अनु का हाथ पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींचा और फिर थोड़ा सा ज़ोर लगा कर उसे अपने ऊपर ले आया….इस तरह से उसकी चूत बिल्कुल मेरे होंठो के ऊपर आ जाए….और उसका फेस सामने मेरे लंड की सवारी कर रही वीना की तरफ हो….अब दोनो माँ बेटी एक दूसरे के सामने नंगी होकर मेरे ऊपर चढ़ि हुई थी….मैने बिना कोई देर किए, अनु की चूत की फांको पर जैसे ही अपनी जीभ चलाई तो, अनु एक दम से सिसकते हुए कांप उठी…उसकी कमर ने झटके खाने शुरू कर दिए….मैने नीचे से अपनी कमर को हिलाते हुए पूरी रफ़्तार से वीना की चूत की धज्जियाँ उड़ानी शुरू कर दी…और दूसरी तरफ में अनु की चूत की फांको को अपने होंठो को दबा-2 कर खींचते हुए जब चूस्ता तो, वो मदहोश होकर सिसकियाँ भरने लगती…
वीना: श्िीीईईईईईई ओह तुषार उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बहुत मज़ा आ रहा है…..हाईए कभी मेरी बुर तो नही चाटी ऐसे आज तक….इस छिनाल की बुर में क्या शहद लगा है….
वीना ने अपनी गान्ड को पूरी रफ़्तार से ऊपर नीचे करते हुए कहा….”आह साली इसकी बुर में तो सच में शहद भरा हुआ है….ये आज मुझे पीने दे….तेरे सहद का स्वाद किसी और दिन चख लूँगा….तभी वीना ने कुछ ऐसा किया….जिसकी उम्मीद अनु को बिल्कुल भी नही थी…अनु आँखे बंद किए हुए अपनी चूत मुझसे चुसवा कर मस्त हो रही थी…कि तभी वीना ने थोडा सा आगे झुकते हुए, उसको अपनी बाहों में भर कर उसके एक निपल को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया…..”अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह श्िीीईईई ना ना नही मम्मी अहह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…….” वीना की इस हरक़त से अनु की सिसकियाँ अब पूरी रूम में गूंजने लगी थी….
वीना: (अनु की चुचि को मुँह से बाहर निकालते हुए….) चुप कर क्या मम्मी-2 लगा रखा है….सौतन है तू मेरी सौतन….
और ये कहते हुए वीना ने फिर से अनु की चुचि को मसल्ते हुए चूसना शुरू कर दिया….”अहह नही मम्मी प्लीज़ अह्ह्ह्ह मत करो…..” और फिर तभी अनु के मुँह से घुन-2 की आवाज़ आने लगी….जब मैने देखा तो सामने का नज़ारा देखते ही मेरे लंड ने वीना की चूत के अंदर वीर्य की धार छोड़नी शुरू कर दी….वीना ने अनु के होंठो को अपने होंठो में ले रखा था…और वीना उसे अपनी बाहों में भरे हुए उसके होंठो को पागलो की तरफ चूस रही थी….दोनो की चुचियाँ एक दूसरे के निपल्स से रगड़ खा रही थी….
दोस्तो तो यहाँ होता है (ज़िद्द का सफ़र पूरा….) मेरी एक ज़िद्द पूरी हुई…..फिर कभी फिर किसी और ज़िद्द के साथ आपके सामने पेश हो जाउन्गा…. अब कहानी ने आपका कितना मनोरंजन किया ये तो आप ही बताएँगे .
समाप्त
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