मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
10-08-2018, 01:03 PM,
#1
Rainbow  मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग
मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग

फ्रेंड्स मुझे एक और अच्छी कहानी मिली है फ्रेंड्स पहले ये कहानी बिक्स ने लिखी थी और अब इस को तृष्णा ने आगे बढ़ाया है तो फ्रेंड्स मैं इस कहानी को आपके लिए इस फोरम पर अपडेट कर रही हूँ इस कहानी का पहला हिस्सा राज शर्मा जी पहले ही इस फोरम पर पोस्ट कर चुके हैं क्योंकि काफ़ी सारे रीडर नये हैं इसलिए मैं सारी कहानी नये सिरे से पोस्ट कर रही हूँ जिससे रीडर्स को आधी कहानी के लिए भटकना नही पड़ेगा . 
प्रिय पाठकों, मेरा नाम वीणा है, उम्र 22 साल, फ़िगर 34/27/35, रंग बहुत गोरा. मैं अपना एक नया अनुभव पेश कर रही हूँ जो मेरे साथ तब हुआ जब मैं अपने मामा, मामी और कज़िन भाभी के साथ मेला देखने गई थी.


बात यूँ थी कि हमारे मामा का घर हाज़िपुर ज़िले मे था. ज़िला सोनपुर मे हर साल, माना हुआ मेला लगता है. हर साल की भांती इस साल भी मेला लगने वाला था. मामा का ख़त आया कि दीदी, वीणा बिटिया और नीतु बिटिया को भेज दो. हम लोग मेला देखने जायेंगे. यह लोग भी हमारे साथ मेला देख आयेंगे. पर पापा ने कहा कि तुम्हारी दीदी (यानी कि मेरी मम्मी) का आना तो मुश्किल है और नीतु (यानी कि मेरी छोटी बहन) को तो बहुत बुखार है. पर वीणा को तुम आकर ले जाओ, उसकी मेला घूमने की इच्छा भी है.

तो फिर मामा आये और मुझे अपने साथ ले गये. दो दिन हम मामा के घर रहे और फिर वहाँ से मै यानी कि वीणा, मेरे मामीजी, मामा और भाभी मीना (ममेरे भाई की पत्नी) और नौकर रामु, इत्यादि लोग मेले के लिये चल पड़े.

रविवार को हम सब मेला देखने निकल पड़े. हमारा कार्यक्रम 8 दिनों का था. सोनपुर मेले मे पहुँच कर देखा कि वहाँ रहने की जगह नही मिल रही थी. बहुत अधिक भीड़ थी.

मामा को याद आया कि उनके ही गाँव के रहने वाले एक दोस्त ने यहाँ पर घर बना लिया है. सो सोचा कि चलो उनके यहाँ चल कर देखा जाये. हम मामा के दोस्त यानी कि विश्वनाथजी के यहाँ चले गये. उन्होने तुरन्त हमारे रहने की व्यवस्था अपने घर के उपर के एक कमरे मे कर दी. इस समय विश्वनाथजी के अलावा घर पर कोई नही था. सब लोग गाँव मे अपने घर गये हुए थे. उन्होने अपना किचन भी खोल दिया, जिसमे खाने-पीने के बर्तनों की सुविधा थी.

वहाँ पहुँच कर सब लोगों ने खाना बनाया और विश्वनाथजी को भी बुला कर खिलाया. खाना खाने के बाद हम लोग आराम करने गये.

जब हम सब बैठे बातें कर रहे थे तो मैने देखा कि विश्वनाथजी की निगाहें बार-बार भाभी पर जा टिकती थी. और जब भी भाभी कि नज़र विश्वनाथजी कि नज़र से टकराती तो भाभी शर्मा जाती थी और अपनी नज़रें नीची कर लेती थी. दोपहर करीब 2 बज़े हम लोग मेला देखने निकले. जब हम लोग मेले मे पहुँचे तो देख कि काफ़ी भीड़ थी और बहुत धक्का-मुक्की हो रही थी.

मामा बोले कि आपस मे एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चलो वर्ना कोई इधर-उधर हो गया तो बड़ी मुश्किल होगी. मैने भाभी का हाथ पकड़ा, मामा-मामी और रामु साथ थे. 

मेला देख रहे थे कि अचानक किसी ने पीछे से गांड मे उंगली कर दी. मैं एकदम बिदक पड़ी, कि उसी वक्त सामने से किसी ने मेरी चूचि दबा दी. कुछ आगे बढ़ने पर कोई मेरी चूत मे उंगली कर निकल भागा.

मेरा बदन सनसना रहा था. तभी कोई मेरी दोनो चूचियां पकड़ कर कान मे फुसफुसाया - "हाय मेरी जान!" कह कर वह आगे बढ़ गया. हम कुछ आगे बढ़े तो वही आदमी फिर आकर मेरी जांघों मे हाथ डाल मेरी चूत को अपने हाथ के पूरे पंजे से दबा कर मसल दिया. मुझे लड़की होने की गुदगुदी का अहसास होने लगा था. भीड़ मे वह मेरे पीछे-पीछे साथ-साथ चल रहा था, और कभी-कभी मेरी गांड मे उंगली घुसाने की कोशिश कर रहा था, और मेरे चूतड़ों को तो उसने जैसे बाप का माल समझ कर दबोच रखा था.

अबकी धक्का-मुक्की मे भाभी का हाथ छूट गया और भाभी आगे और मै पीछे रह गयी. भीड़ काफ़ी थी और मै भाभी की तरफ़ गौर करके देखने लगी. वह पीछे वाला आदमी भाभी की टांगों मे हाथ डाल कर भाभी की चूत सहला रहा था. भाभी मज़े से चूत सहलवाती आगे बढ़ रही थी. भीड़ मे किसे फ़ुर्सत थी कि नीचे देखे कि कौन क्या कर रहा है. मुझे लगा कि भाभी भी मस्ती मे आ रही है. क्योकि वह अपने पीछे वाले आदमी से कुछ भी नही कह रही थी.

जब मै उनके बराबर मे आयी और उनका हाथ पकड़ कर चलने लगी तो उनके मुंह से "हाय!" की सी आवाज़ निकल कर मेरे कानों मे गूंजी. मै कोई बच्ची तो थी नही, सब समझ रही थी. मेरा तन भी छेड़-छाड़ पाने से गुदगुदा रहा था. 

तभी किसी ने मेरी गांड मे उंगली कर दी. ज़रा कुछ आगे बढ़े तो मेरी दोनो बगलों मे हाथ डाल कर मेरी चूचियों को कस कर पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया. इस तरह मेरी चूचियों को पकड़ कर खींचा कि देखने वाला समझे कि मुझे भीड़-भाड़ से बचाया है.

शाम का वक्त हो रहा था और भीड़ बढ़ती ही जा रही थी. इतनी देर मे वह पीछे से एक रेला सा आया जिसमे मामा मामी और रामु पीछे रह गये और हम लोग आगे बढ़ते चले गये. कुछ देर बाद जब पीछे मुड़ कर देखा तो मामा मामी और रामु का कहीं पता ही नही था. अब हम लोग घबरा गये कि मामा मामी कहाँ गये.

हम लोग उन्हे ढूँढ रहे थे कि वह लोग कहाँ रह गये और आपस मे बात कर रहे थे कि तभी दो आदमी जो काफ़ी देर से हमे घूर रहे थे और हमारी बातें सुन रहे थे वह हमारे पास आये और बोले, "तुम दोनो यहाँ खड़ी हो और तुम्हारे सास ससुर तुम्हें वहाँ खोज रहे हैं."

भाभी ने पूछा, "कहाँ है वह?" तो उन्होने कहा कि चलो हमारे साथ हम तुम्हे उनसे मिलवा देते है. (भाभी का थोड़ा घूंघट था. उसी घूंघट के अन्दाज़े पर उन्होने कहा था जो कि सच बैठा.)

हम उन दोनो के आगे चलने लगे. साथ चलते-चलते उन्होने भी हमे छोड़ा नही बल्कि भीड़ होने का फ़ायदा उठा कर कभी कोई मेरी गांड पर हाथ फिरा देता तो कभी दूसरा भाभी की कमर सहलाते हुए हाथ उपर तक ले जाकर उसकी चूचियों को छू लेता था. एक दो बार जब उस दूसरे वाले आदमी ने भाभी कि चूचियों को जोर से भींच दिया तो ना चाहते हुए भी भाभी के मुंह से आह सी निकल गयी और फिर तुरन्त ही सम्भालकर मेरी तरफ़ देखते हुए बोली कि "इस मेले मे तो जान की आफ़त हो गयी है! भीड़ इतनी ज़्यादा हो गयी है कि चलना भी मुश्किल हो गया है."

मुझे सब समझ मे आ रहा था कि साली को मज़ा तो बहुत आ रहा है पर मुझे दिखाने के लिये सती सवित्री बन रही है.

पर अपने को क्या ग़म? मै भी तो मज़े ले ही रही थी और यह बात शायद भाभी ने भी ग़ौर कर ली थी. तभी तो वह ज़रा ज़्यादा बेफ़िकर हो कर मज़े लूट रही थी. वह कहते है ना कि हमाम मे सभी नंगे होते हैं. मैने भी नाटक से एक बड़ी ही बेबसी भरी मुसकान भाभी तरफ़ उछाल दी.

इस तरह हम कब मेला छोड़ कर आगे निकल गये पता ही नही चला.

काफ़ी आगे जाने के बाद भाभी बोली, "वीणा हम कहाँ आ गये? मेला तो काफ़ी पीछे रह गया. यह सुनसान सी जगह आती जा रही है. तुम्हारे मामा मामी कहाँ है?"
Reply


Messages In This Thread
मेले के रंग सास, बहु, और ननद के संग - by sexstories - 10-08-2018, 01:03 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,559,132 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,964 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,257,751 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 950,803 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,687,353 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,109,299 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,999,637 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,218,179 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,090,690 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,570 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 7 Guest(s)