Antarvasna kahani मासूम
10-08-2018, 01:32 PM,
#1
Shocked  Antarvasna kahani मासूम
INNOCENT (मासूम)


फ्रेंड्स मैं एक और नई शुरू कर रहा हूँ जो आपको पसंद आएगी .और आप सब भी साथ बनाए रखेंगे. दोस्तो 

मैं घर मैं सब से छोटा हूँ और सब को बहुत प्यारा लगता हूँ मैं जब छोटा था तो बहुत इनोसेंट था लेकिन घर वालो की नज़र मे लेकिन बाहर मैं किसी लड़की को देखता तो उसकी हर वो चीज़ देखता जो एक हज़्बेंड ही देख सकता है मैं अपने दिमाग़ मैं तस्वीर बना लेता मतलब इमॅजिन करता था उस का फिगर देखता बहुत बहुत ज़्यादा हरामी हूँ मैं बचपन से ही.

मेरे मोम डॅड की काफ़ी यियर्ज़ पहले डेत हो गई जब मैं 6 साल का था और मेरे भाई और बड़ी बहन ने हम सब का बहुत ख्याल रखा जॉब कर के हमारी हर ज़रूरत को पूरा किया हमारा सारा बोझ उन पे था. मेरी दीदी कविता की जॉब बॅंक मे है प्राइवेट बॅंक मे. भाई की पहले यहाँ जॉब थी लकिन उन्हे यूएई का वीसा मिला तो भाई वहाँ चले गये.

मेरा जब जहाँ दिल करता वहीं सो जाता मतलब कभी किसी सिस्टर के साथ कभी किसी के साथ क्योंकि मैं सब से छोटा था तो मुझे कोई मना भी नही करता था.

ये बात काफ़ी साल पहले की है उमर नही लिख सकता वरना स्टोरी पोस्ट नही हो गी.
मेरी दीदी कविता मुझे नहलाती थी जब मैं छोटा था उस वक़्त मुझे सेक्स का कुछ पता नही था मैने मूठ मारना 14 साल की उमर मे शुरू किया था

हमारा मुहल्ला बहुत गंदा है मतलब बच्चे बच्चे को हर बात का पता है

मोम डॅड थे नही इस लिए कोई मुझे बाहर जाने खेलने या किसी भी बात से नही रोकता था जिस की वजह से मैं भी उन बाय्स के साथ खेल खेल के ऐसी बाते सीख गया और सेक्स का भी पता चल गया कि ये किया होता है और कैसे होता है

मुझे याद है जब मैं पहली बार मूठ मार रहा था लेट नाइट जब सब सो गये थे गर्मी का मौसम था और हम एक ही रूम मे सोते थे क्योंकि एसी सिर्फ़ एक ही अफोर्ड कर सकते थे.

मैं तेल लगा के मूठ मार रहा था मुझे बहुत मज़ा आ रहा था जिस की वजह से मैं तेज़ तेज़ हाथ चला रहा था और पचक पचक की आवाज़ निकल रही थी कि अचानक कविता दीदी ने मुझसे पुछा 

कविता दीदी : भाई क्या कर रहे हो? क्या बबल गम खा रहे हो?

बिल्कुल वैसी आवाज़ थी जब मूह खोल के बबल गम को चबाओ तो मैं ने फ़ौरन कह दिया "जी दीदी बबल गम खा रहा हूँ"

" भाई इतनी रात को बस करो और सो जाओ" दीदी बोली

फिर मैने आराम आराम से मूठ मारी और पहली बार झाड़ा मुझे बहुत मज़ा आया फिर मैं सो गया. कुच्छ दिन मैं डेली मूठ मारता रात मे फिर मैं दिन मे नहाने जाता तो साबुन लगा के मूठ मारता मैं बहुत कुच्छ सीखता डेली कुच्छ ही मंत्स मे लगभग फुल सेक्स का पता चल गया मुझे.

हम सब लाइफ को बहुत एंजाय कर रहे थे हम ने इस साल होली भी खेली घर मे भाई काम पे गये हुए थे मैं और बाकी सब सिस्टर्स घर पे थी मैं बाजार से काफ़ी कलर ले आया और हम ने फुल तैयारी कर ली फिर हम बाहर आ गये गार्डन मे और होली स्टार्ट की सब एक दूसेरे पे रंग फेक रहे थे कुछ पानी मे रंग मिला के कलर वाला पानी एक दूसरे पे डाल रहे थे. मैं ने भी सब सिस्टर पे रंग डाला उनको गालों पे रंग लगाता मुझे बहुत मज़ा आ रहा था कभी मेरा हाथ किसी की गान्ड पे टच होता कभी किसी के बूब्स पे सब से ज़्यादा मज़ा मुझे आ रहा था हम काफ़ी देर तक खेलते रहे और मैं ने पूरे टाइम बहुत मज़ा किया सब के जिस्म को टच कर के फील कर किया फिर हम सब घर आ गये और सब ने नहा के कपड़े चेंज कर लिए.

एक रात हम सब रूम मे सो रहे थे मेरी एक साइड पे कविता दीदी सो रही थी और ऐक साइड पे प्रीति दीदी सो रही थी मैं सब के सोने का वेट कर रहा था जब सब सो गये तो मैने मूठ मारना शुरू कर दिया तभी मेरे दिमाग़ मे आया क्योना कविता दीदी की गान्ड पे टच करूँ मैने एक हाथ मे अपना लंड जो उस वक़्त छोटा सा था को पकड़ा हुआ था और एक हाथ कविता दीदी की गान्ड पे रख दिया कुछ देर मैने अपना हाथ ज़रा भी नही हिलाया लेकिन मैं कविता दीदी की गान्ड को फील करना चाहता था तो मैने आराम से अपना हॅंड मूव किया दीदी की गान्ड पे. मैं दीदी की गान्ड पे हाथ फेरने लगा और फिर मैने अपना हाथ दीदी की गान्ड की लाइन मे ले गया मुझे बहुत मज़ा आया क्योंकि वो जगह बहुत गरम थी.

कुच्छ देर मज़ा करने के बाद मैं फारिग हो गया और सो गया.

नेक्स्ट नाइट फिर वैसे ही सोए थे हम और दोबारा काफ़ी देर बाद मैने अपना हॅंड कविता दीदी की गान्ड पे रखा और मज़ा करने लगा लेकिन लालच बढ़ गया था तो मैने करवट ली दीदी के पिछे और अपना लेफ्ट हॅंड दीदी के उपेर रखा बाजू पे शोल्डर के करीब दीदी ने कुच्छ नही कहा वो सो रही थी मैने हिम्मत कर के अपना हॅंड मूव किया और दीदी की कमीज़ साइड पे कर के अंदर ले गया और थोड़ा अंदर ले जा के दीदी के पेट पे रख दिया दीदी का पेट भी गरम था लेकिन बहुत मुलायम था.

कुछ देर बाद मैने अपना हॅंड वहाँ से मूव किया और थोड़ा आगे ले गया तो मेरा हॅंड दीदी के बूब्स को टच हुआ.

दीदी करवट पर सो रही थी जिस की वजह से दीदी के बूब्स साइड पे थे और ब्रा लूस हो गया था और तक़रीबन दीदी के हाफ बूब्स ब्रा मे थे और दीदी का हाफ ब्रा फ्री था और मेरा हॅंड दीदी के दोनो बूब्स के बीच था.

मैं अपनी बड़ी दीदी के बूब्स को फील करने लगा वो बहुत सॉफ्ट और मुलायम थे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था मैं काफ़ी देर कविता दीदी के बूब्स को फील करता रहा और जब मूठ मारते मारते झाड़ गया तो सो गया.

नेक्स्ट नाइट दोबारा मैने अपना हॅंड दीदी की कमीज़ मे डाला और दीदी के बूब्स तक पहुँच गया. आप यकीन नही करोगे दीदी ने उस रात ब्रा नही पहना हुआ था उफ्फ मेरा तो खुशी से बुरा हाल था खैर मैने आराम से दीदी का लेफ्ट बूब पकड़ लिया और आराम से दबाने लगा फिर मैने दीदी के निपल को टच किया तो वो हार्ड था.

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं दीदी के बूब्स के साथ खेलने लगा अचानक दीदी थोड़ा सा हिली तो मैने डर से फ़ौरन अपना हॅंड बाहर निकाल लिया

लेकिन तभी मुझे दीदी की आवाज़ सुनाई दी

"भाई आराम से सो जाओ या उठाऊ बादल को" दीदी धीरे से बोली

मेरी तो गान्ड ही फट गई क्योंकि भैया भी वहीं सोए हुए थे और यू ही गान्ड फट.ते फट.ते पता नही मैं कब और कैसे सो गया

सुबह उठा तो सब कुच्छ नॉर्मल था किसी ने कोई बात नही की ना ही भैया न्र और ना ही कविता दीदी ने.

उस रात मेरी ऐसी गान्ड फटी कि कई दिन तक मैने सेक्स का सोचा ही नही.

एक दिन मैं कविता दीदी के रूम मे गया दीदी बेड पे बैठी हुई थी मैं साथ जा के बैठ गया.

"दीदी क्या बात है आप परेशान लग रही हैं और चुप चुप भी है सब ठीक तो है ना?" मैने दीदी को परेशान देख कर पुछा
"कुछ नही भाई ऐसे ही थक गयी हूँ आज कल काम बहुत होता है इस लिए थक जाती हूँ" दीदी बोली

"दीदी आप कहे तो मैं आपके हाथ पैर दबा दूँ बहुत आराम मिलेगा आपको" मैं बोला

"नही भाई मैं ठीक हूँ रहने दो" दीदी बोली

"दीदी आप लेट जाओ ना प्लीज़ मेरा दिल कर रहा है अपनी प्यारी दीदी को दबाने का" मैं ज़िद करते हुए बोला और मैने दीदी को ज़बरदस्ती बेड पे लिटा दिया और दीदी के पैर दबाने लगा.

मैने दीदी को दबाना शुरू किया तो दीदी को आराम मिलने लगा कुच्छ देर बाद दीदी की आँख लग गई अब मैं दीदी के बदन को दबा भी रहा था और फील भी कर रहा था और मज़े कर रहा था.

कुच्छ देर बाद प्रिया दीदी अंदर आई और मुझे दीदी को दबाते देख के मुस्कुराने लगी



"अरे वाह भाई तुम्हे दबाना भी आता है मुझे तो कभी नही दबाया क्या मैं तुम्हारी बहन नही हूँ" प्रिया दीदी बोली

"दीदी जब आप थकि होंगी तब आप को भी दबा दूँगा" मैं भी मुस्कुराते हुए बोला

तभी दीदी उठ गई और बोली "भाई बस करो तुम थक गये होंगे. हां प्रिया बेटा क्या बात है"

दीदी हम सब को बेटा बुलाती थी.

प्रिया दीदी :- कोई काम नही है दीदी वैसे ही आ गई, वैसे आपकी तबीयत तो ठीक है ना छोटा दबा जो रहा है आपको?

कविता दीदी :- हां मैं ठीक हूँ बस थकि हुई थी तो छोटा ज़िद करने लगा कि दीदी आप लेट जाओ मैं दबा देता हूँ और इसने इतना अच्छे से दबाया कि मेरी आँख लग गई
प्रिया दीदी :- अच्छा दीदी फिर आप रेस्ट करो मैं जा रही हूँ

प्रिया दीदी चली गई तो मैं कविता दीदी को दोबारा दबाने लगा................


कविता दीदी :- भाई बस करो मैं ठीक हूँ अब.

"नही दीदी कुच्छ देर तो दबाने दो आज मैं अपनी दीदी की खिदमत कर लूँ पता नही फिर कब ये मौका मिलता है" मैं बोला

"भाई पढ़ते भी हो या सारा दिन खेलते ही रहते हो?" दीदी बोली

"पढ़ता हूँ दीदी सारा काम ख़तम कर दिया है इसलिए तो आप के पास बैठा हूँ" मैं बोला और वापस दबाने लगा अब दीदी भी आराम से दबवा रही थी

"दीदी आप शादी कब करेंगी, आप शादी कर लो ना सच बहुत मज़ा आएगा" कुच्छ देर बाद मैं बोला

"भाई तुम्हे मेरी शादी की इतनी फिकर क्यों है अगर मैने शादी कर ली तो घर कौन संभाले गा और मैने सोच लिया है कि पहले मैं अपनी सिस्टर्स की शादी करूँगी बाद मे अपनी शादी का सोचूँगी" दीदी बोली

"नही दीदी मैं तो वैसे ही कह रहा था क्यों कि सब लड़किया तक़रीबन आप की एज मैं शादी कर लेती हैं ना वैसे दीदी शादी क्यों होती है और शादी करके क्या फ़ायदा होता है" मैने पुछा

"भाई शादी के बाद हज़्बेंड अपनी वाइफ का और वाइफ अपने हज़्बेंड का ख्याल रखते हैं एक दूसरे से बहुत प्यार करते है और शादी के बाद बच्चे पैदा होते है जिस से माँ और बाप दोनो को खुशी मिलती है बुढ़ापे के लिए सहारा मिल जाता है" दीदी ने बताया
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