Maa Sex Chudai माँ बेटा और नौकरानी
10-10-2018, 01:31 PM,
#8
RE: Maa Sex Chudai माँ बेटा और नौकरानी
“तो मज़ा आया मेरे बेटे का लौड़ा चूस कर मुन्ना?” आँख मारकर मुस्कराते हुए उसने पूछा |

मैं शर्मा कर बोला, “हाँ बाई, बहुत स्वाद आया” 

अपनी चोली उतारते हुए झुमरी बोली, “घोटू कह रहा था कि तू जन्मजात गान्डू और चुदक्कड है, इतना मस्त चूसा तूने उसका लौड़ा पहली बार में कि तुझ पर मर मिटा है, वो कह रहा था कि सधी हुई रंडियाँ भी इतना मस्त नहीं चूसतीं”

अपनी प्रशंसा सुनकर मैं और शर्मा गया | पर अब मेरी आँखें झुमरी बाई पर लगी हुई थीं |

अब तक उसके मम्मे नंगे होकर मेरे सामने आ गये थे | मस्त मांसल छोटी पर एकदम कडक चूचियाँ थी उसकी, नासपती जैसी, चूचुक छोटे छोटे भूरे रंग के बेरों जैसे थे | बड़ी सहजता से उसने मुझे पास खींचा और एक चूची मुँह में दे दी |

“चूस ले, वैसे इसमें अब दूध नहीं आता... पर तुझे अपनी भोसड़ी का पानी ज़रूर चखा सकती हूँ.... दूध पीना तू अपनी माँ का... एक अच्छे बेटे जैसे”

झुमरी के कड़े चूचुक मैं मन लगा कर चूस रहा था | बहुत मज़ा आ रहा था पर माँ के दूध की बात सुनकर मैं चकरा गया | माँ के स्तनों में दूध आता है? लौड़ा उच्छलने लगा | 

झुमरी मेरी परेशानी देखकर बोली, “अरे अचरज की क्या बात है…. दो साल पहले घोटू ने चोदकर उसे फिर माँ बना दिया था.... बच्चा जनने वो मेरे गाँव में चली गयी थी.... वहाँ के ज़मीनदार को बच्चा नहीं था.... उसने गोद में ले लिया... अब मालकिन को ऐसा दूध छूटता है... जैसे दुधारू गाय हो”

मैने पूछा, “किसे पीलाती है अम्मा?” 

“हम दोनों को पीलाती है... अब तुझे पिलाएगी.... उस रात तू जल्दी चला गया लगता है.... चुदाई के बाद उसका दूध पीते हैं हम.... ताज़ा कर देता है उसका गरम मीठा दूध... फिर चुदाई शुरू करने की ताक़त आ जाती है.... दिन में भी दो तीन बार मिल जाता है”, कहकर झुमरी ने अपनी साड़ी भी उतार दी |

वो अंदर कुछ और नहीं पहनती थी इसलिए अब मादरजात नंगी मेरे सामने बैठी थी | घोटू ने ठीक कहा था, एकदम घनी झाँटें थी उसकी | उनके बीच चूत की लाल लकीर दिख रही थी | 

अपनी चूत में उंगली करते हुए बोली, “मुन्ना, भोसड़ी देखी है कभी?”

मैने ना में सर हिलाया | मेरी साँसें अब ज़ोर से चल रही थी | झुमरी की चिकनी साँवली पुष्ट टाँगें मुझे बहुत अच्छी लग रही थीं | लगता नहीं था कि चालीस साल की होगी | तीस साल की जवान औरत सी लगती थी | मेरी आँखों में उभर आए कामना के भाव से वो बहुत खुश हुई |

“पसंद आई झुमरी बाई लगता है मुन्ना! यानी अभी मेरी इतनी उमर नहीं हुई कि तुझ जैसे बच्चे को ना रिझा सकूँ... अरे भोसड़ी चाट कर देख, निहाल हो जाएगा... घोटू तो चूसता ही है, तेरी माँ भी इस भोसड़ी की दीवानी है... ले स्वाद देख” कहकर उसने भोसड़ी से निकाल कर मेरे मुँह में उंगली डाल दी |

उंगली पर चिपचिपा सफेद शहद जैसा लगा था | भीनी मादक खुशबू आ रही थी | मैने उंगली मुँह में लेकर चूसी तो बहुत अच्छा लगा | मेरे चेहरे के भाव देखकर झुमरी ने मुस्कराकर मेरा सिर अपनी जांघों के बीच खींच लिया | 

“मैं जानती थी तुझे पसंद आएगा.... ले चाट ले बेटे, मुँह मार ले मेरी भोसड़ी में”

मुँह लगाने से पहले उस लाल रिसती भोसड़ी से खेलने का मेरा मन हो रहा था | मैने झुमरी की भोसड़ी में उंगली डाल दी | तपती गीली भोसड़ी में उंगली सट से चली गयी | मैने दो उंगली डालीं |

झुमरी बोली, “अरे बेटे, घबरा मत, चल सब उंगली डाल दे, हाथ भी चला जाएगा तेरा, मेरे बेटे का लौड़ा है तेरे हाथ जितना”

मैने चार उंगलियाँ झुमरी की भोसड़ी में डाल दीं | सच में भोसड़ी क्या थी, भोसड़ा था!

“हाथ डाल ना पगले... खेल ले मन भर कर, फिर चूसने लग जा” 

झुमरी को भोसड़ी चुसवाने की जल्दी हो रही थी | मैने उंगलियाँ आपस में सटाकर धीरे से अपनी हथेली अंदर डालना शुरू की | उसकी भोसड़ी रबर की थैली जैसे फैल गयी और सट से मेरा हाथ अंदर चला गया | लग रहा था जैसे मखमल की गीली तपती थैली में हाथ डाला है |

“झुमरी बाई, बहुत अच्छा लग रहा है... गरम गरम है तुम्हारी भोसड़ी”

“और अंदर डाल! देख झुमरी बाई की भोसड़ी की गहराई! अरे मैं तो तुझे पूरा अंदर ले लूँ, तेरा हाथ क्या चीज़ है!”, झुमरी मस्ती में आकर बोली |

मैने हाथ और अंदर घुसेडा | आधी कोहनी तक मेरा हाथ घुस गया | हाथ में अंदर कुछ गोल गोल गेंद जैसा आया | उसे पकड़ा तो मज़ा आ गया | 

“ये क्या है झुमरी बाई?” मैने पूछा | 

सिसकारियाँ लेते हुए झुमरी बोली, “मेरी बच्चेदानी का मुँह है राजा... हाय मुन्ना, आज मज़ा आ गया.... बहुत दिन बाद किसी ने हाथ डाला अंदर... बचपन में घोटू डालता था.... अब लौड़ा डालता है, बच्चेदानी तक.... पर हाथ से ऐसे पकड़ने में बहुत मज़ा आता है.... अंदर बाहर कर ना अपना हाथ! ज़रा दबा मेरी बच्चेदानी का मुँह” |

मैं हाथ अंदर बाहर करके झुमरी की मूठ मारने लगा | बीच में उंगलियों से उस गेंद को मसल देता था | 

झुमरी को इतना मज़ा आया कि वो कसमसा कर झड़ गई | हांफ'ते हुए दो मिनिट रुकी और फिर बोली, “निहाल कर दिया रे लडके तूने, मज़ा आ गया... अगली बार कंधे तक तेरा हाथ भोसड़ी में लूँगी.... मेरा बस चले तो तुझे पूरा अपनी भोसड़ी में घुसेड़कर छुपा लूँ! पर अब चूस ले रे मेरे राजा... आज तो इतना शहद निकाला है तूने, तेरा हक है उस पर” |

मैने हाथ झुमरी की भोसड़ी से बाहर निकाला | उसपर गाढा सफेद घी जैसा लगा था | झुमरी मेरी ओर देख रही थी कि मैं क्या करता हूँ | मैने जब अपना हाथ चाटकर सॉफ किया तो आनंद से उसकी आँखें चमकने लगीं | हाथ पूरा चाट कर फिर मैं झुक कर झुमरी की भोसड़ी चाटने लगा | झुमरी ने मेरा सिर अपनी भोसड़ी पर दबा लिया और कमर हिला हिला कर भोसड़ी चुसवाने लगी | 

झुमरी ने खूब देर अपनी भोसड़ी मुझसे चटवायी | अलग अलग तारीके सिखाए | कुत्ते जैसे पूरी जीभ निकालकर भोसड़ी को ऊपर से नीचे तक चाटना, छेद के अंदर जीभ डालना, मुँह में भगोष्ठ लेकर आम जैसा चूसना, दाने को जीभ से रगड़ना, सब मैने उसी दिन सीख लिया | वो बहुत खुश थी |

“मस्त चूसता है तू मुन्ना... एक दिन में अनुभवी हो गया बदमाश! मालकिन बहुत खुश होगी... दिन रात अपने बेटे से भोसड़ी चुसवाएगी वो हरामन”, प्यार से गाली देते हुए वो बोली |

“अब मुझे चोदने दो ना बाई”, मैने आग्रह किया | लौड़ा कसकर तन्नाया था और मुझसे रहा नहीं जा रहा था |

“आज नहीं बेटे, अभी मैं चूस लेती हूँ. चुदवाऊंगी कल घोटू के सामने... पर आज रात मैं तेरे साथ सोऊंगी.... रात भर मज़ा करेंगे” | 

“घोटू आज नहीं आएगा बाई?” मैने पूछा | मुझे निराशा भी हुई थी कि घोटू का लौड़ा चूसने का मौका अब कल ही मिलेगा | खुशी भी थी कि झुमरी के साथ अकेले मज़े करूँगा | घोटू का लौड़ा आज लेने से बच गया इससे भी एक राहत सी लग रही थी, नहीं तो वो ज़रूर मेरी मार लेता |

“आज उसे काम है मुन्ना. कल से वो भी हमारे साथ सोएगा, जब तक तेरी माँ ठीक नहीं हो जाती... अब आ, मुझे लौड़ा दे अपना”, झुमरी बोली
|
मुझे पास खींचकर उसने मेरा लौड़ा मुँह में लिया और दो मिनट में चूस कर झाड़ दिया | मुझे बहुत मज़ा आया | झुमरी के चूसने का ढंग अलग था पर घोटू के चूसने का जादू कुछ और ही था | झड़ कर मैं सुस्ताने लगा | होंठो पर जीभ फेरती हुई झुमरी बोली, “अब आराम कर... मैं खाना बनाती हूँ... पर पहले जाकर मालकिन का दूध पी आऊँ... उनकी चूचियां भर कर सनसना रही होंगीं” | 

“मैं भी आऊँ माँ का दूध पीने?” मैने उत्साह से पूछा | 

“नहीं, इन माहवारी के दिनों में वो चिडचिडी हो जाती है... मुझे छोड़ कर किसी को पास नहीं आने देती, घोटू को भी नहीं”, कहकर झुमरी चली गयी |

मैं पड़ा पड़ा रात के बारे मे सोचने लगा | रात को सब सॉफ सफाई करके झुमरी मेरे कमरे में आई तो मैं नंगा पड़ा पड़ा लौड़ा मुठिया रहा था | 
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