RE: Kamukta Kahani अनौखा इंतकाम
ऐसे ही दिन गुज़र रहे थे. कहते हैं ना कि वक़्त सब से बड़ा मरहम होता है. इसलिए हर गुज़रते दिन के साथ साथ रूबीना का रवईया आहिस्ता आहिस्ता अपने शोहर से दुबारा थोड़ा बहतर होने लगा था.
उन दिनो गन्नों की बुआई का सीज़न चल रहा था. जिस वजह से मक़सूद दिन रात अपने खेतों में बिजी रहते थे. इसलिए पिछले दो हफ्तों से वो और रूबीना आपस में चुदाई नही पाए थे.
लेकिन आज सुबह जब रूबीना गाड़ी में बैठ कर हॉस्पिटल के लिए निकल रही थी. तो मक़सूद उस के पास आ कर कहने लगा कि काम ख़तम हो गया है और अब में फ्री हूँ .फिर उस ने आँख दबा कर रूबीना को इशारा किया “आज रात को” और खुद ही हंस पड़ा.
रूबीना ने मक़सूद की बात का कोई जवाब नही दिया और खामोशी से अपनी गाड़ी चला दी.
बेशक रूबीना मक़सूद के सामने खामोश रही थी. मगर हॉस्पिटल की तरफ गाड़ी दौड़ाते हुए रूबीना ने बेखयाली में जब अपनी चूत पर खारिश की. तो उसे अपनी टाँगों के बीच अपनी चूत बहुत गीली महसूस हुई.
रूबीना समझ गई कि अंदर ही अंदर आज काफ़ी टाइम बाद उस की फुद्दी को खुद ब खुद लंड की तलब हो रही थी.
उस रोज ना चाहते हुए भी बे इकतियार रूबीना सारा दिन बार बार अपनी घड़ी को देखती रही कि कब दिन ख़तम हो और कब वो घर जाय और अपने शोहर का लंड अपनी फुद्दी में डलवाए.
आज उस के दिल में एक अजीब सी एग्ज़ाइट्मेंट थी. और उस दिन दोपहर के बाद दो मेजर सर्जरी भी थीं सो काम भी बहुत था.
खैर दूसरी सर्जरी के दौरान रूबीना को उम्मीद से ज़यादा टाइम लग गया और वो बुरी तरह थक भी गई थी.
दो घंटे और थे और फिर वो होती और उस का शोहर और पूरी रात................................
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रात को अचानक रूबीना की आँख खुली. उस का बदन कमरे में गर्मी की शिद्दत से पसीना पसीना हो रहा था.
रूबीना को अहसास हुआ कि उस की कमीज़ उतरी हुई है और वो सिर्फ़ ब्रा और शलवार में अपने बेड पर लेटी हुई है.
गर्मी की शिद्दत की वजह से ना जाने कब और कैसे रूबीना ने अपनी कमीज़ उतार दी इस का उसे खुद भी पता नही चला.
रूबीना अभी भी नींद की खुमारी में थी और इस खुमारी में रूबीना ने महसूस किया उस के हाथ में उस के शोहर का लंड था.
जिसे वो खूब सहला रही थी. और शलवार में मौजूद उस के शोहर का लंड रूबीना के हाथों में झटके मार रहा था.
इतने में रुबीना का दूसरा हाथ मक़सूद के पेट से हल्का सा टच हुआ तो रूबीना को अंदाज़ा हुआ कि उस की तरह उस के शोहर की कमीज़ भी उतरी हुई है.
रूबीना अपने शोहर के लंड को अपने काबू में पा कर मुस्कराने लगी मगर सोते हुए भी उसने लंड को नही छोड़ा.
कमरे में अंधेरा था.जिस की वजह से कोई भी चीज़ दिखाई नही दे रही थी. मगर रूबीना को कमरे में गूँजती हुई अपने हज़्बेंड की तेज तेज़ सांसो से पता चल रहा था कि वो भी जाग रहे हैं.
रूबीना ने अपने शोहर के लंड पर नीचे से उपर तक हाथ फेरा तो उस के शोहर के मुँह से एक ज़ोरदार सी “सस्स्स्स्स्स्सस्स” सिसकारी निकली गई.
सिसकारी की आवाज़ से लगता था आज रूबीना का शोहर कुछ ज़यादा ही गरम हो रहा था.
रूबीना को भी अपने हाथ में थामा हुआ अपने शोहर का लंड आज कुछ ज़यादा ही लंबा,मोटा और सख़्त लग रहा था. खास कर लंड की मोटाई से तो आज ऐसे महसूस हो रहा था कि लंड जैसे फूल कर डबल हो गया हो.
रूबीना को पूरे दिन की सख़्त मेहनत का अब फल मिल रहा था.
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