RE: Kamukta Kahani अनौखा इंतकाम
कमरे में गूँजती रमीज़ की हल्की हल्की साँसों की आवाज़ से लग रहा था कि वो सो गया है. लेकिन रूबीना की आँखों में तो नींद का नामोनिशान तक ना था.
आख़िर कर रूबीना उठी और बाथरूम की तरफ बढ़ गयी. ये सोचते हुए कि शायद नहा कर बदन को कुछ राहत मिले. या नहाने से शायद उस गुनाह की गंदगी उस के बदन से थोड़ी बहुत उतर जाए. जिस से रूबीना का जिस्म अब भरा पड़ा था.
रूबीना इन ही ख़यालों में डूबी हुई बाथरूम में गयी और दरवाज़ा बंद कर के बाथरूम का बल्ब ऑन किर दिया.
रूबीना ने जब बाथरूम के आयने में अपनी शकल देखी तो उसे खुद खुद पर ही रहम आने लगा.
रूबीना के पूरे बाल बिखरे हुए थे, होंठ थोड़े सूज गये थे, आँखे एकदम सुर्ख हो गयी थीं और उनमे उदासी सी झलक रही थी.
रूबीना ने अपनी एसी हालत पहली बार देखी थी. वो बिना कपड़े पहने ही बाथरूम में चली आई थी.
वैसे भी कमरे में अंधेरा होने की वजह से कपड़े ढूँढने के लिए रूबीना को लाइट जलानी पड़ती. जो वो रमीज़ के जाग जाने के डर से नही करना चाहती थी.
रूबीना की निगाहें आईने में अपने चेहरे से नीचे होते हुए अपने मम्मों पर टिक गयी.
उस के निपल अभी भी अकडे और खड़े हुए थे और वो एक दम सूज गये थे.रमीज़ के मसल्ने की वजह से रूबीना के मम्मे एकदम सुर्ख हो गये थे.
रूबीना ने एक गहरी साँस ली और आयने के सामने से हटते हुए शवर की नीचे चली गयी.
शवर का मुँह खोलते ही रूबीना के बदन पर ठंडा पानी पड़ा तो उस ने फ़ौरन एक राहत की साँस ली.
पानी के नीचे खड़े होते ही रूबीना के हाथ उस के जिस्म पर घूमने लगे.
जिस्म पर घूमते हुए जैसे ही रूबीना का हाथ उस की फुद्दी पर गया तो उस का पूरा हाथ उस की फुद्दि के अंदर से बह कर बाहर आने वाले उस के अपनी चूत और उस के सगे भाई के लंड के रस से भीग गया.
रूबीना जल्दी जल्दी हाथ चलाते हुए अपनी फुद्दी सॉफ करने लगी. जैसे वो अपने किए हुए गुनाह का सबूत मिटा देना चाहती हो.
मगर उस गुनाह की छाप तो रूबीना के तन बदन पर पड़ चुकी थी. अब वो अपने आप को जितना भी सॉफ करती मगर रस था कि निकलता ही जा रहा था.
हार कर रूबीना ने शवर का पाइप निकाला और उसे एक हाथ से पकड़ कर अपनी फुद्दि के मुँह पर रखा और दूसरे हाथ से अपनी फुद्दि के होंठों को फैलाया जिस से वो अंदर तक सॉफ हो जाए.
थोड़ी देर बाद रूबीना ने शवर के पानी से बाथरूम में बने हुए टब को भरा और फिर वो टब में लेट गयी.
रूबीना का दिल अब हर गुज़रते पल के साथ अब कुछ पुरसकून होता जा रहा था. अंदर चल रहा तूफान अब ठंडा पड़ रहा था.
रूबीना टब में लेटी लेटी ये सोचने लगी कि कल जब दिन के उजाले में अपने भाई का सामना करूँ गी तो खुद को कैसे संभालूंगी.
एक सवाल जो अब भी रूबीना के दिल में गूँज रहा था. जिससे वो पीछा नही छुड़ा पा रही थी वो ये था कि क्या रमीज़ भी उस की तरह ही अपने किए पर पछता रहा था.
अगर उसके मन दिल में पछतावा नही हुआ और कहीं उसने दुबारा कोशिस की तो.......
नही ये दुबारा नही हो सकता. में उसे कभी दुबारा खुद को छूने नही दूँगी.
“हालाकी पिछली बार ग़लती मेरी अपनी थी. इस काम का स्टार्ट जाने अंजाने में खुद मैने किया था. लेकिन वो सब एक ग़लती थी मगर फिर भी अगर रमीज़ ने सोचा कि मेने खुद जान बुझ कर उससे अपने नाजायज़ ताल्लुक़ात बनाए हैं और में फिर से उससे चुदवाना चाहती हूँ तो? यही सवाल था यो रूबीना को बार बार परेशान किए जा रहा था.
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