RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
मैं:"तुम्हे पता है तुम्हारी बहेन की चूचिया और गान्ड मुझसे भी ज़्यादा बड़ी हैं"
इनायत ने मुझे घूर कर देखा जैसे उसे ये सब पसंद नही आ रहा था. मैं कुछ देर तक उसके पास बैठी रही और उसको हांफता देखती रही फिर पेशाब करने चली गयी.अपनी चूत को सॉफ किया और
किचन मे जाकर पानी पिया और इनायत के लिए भी लेकर आई. मैं बिना कॉंडम के इनायत के साथ सेक्स का मज़ा ले रही थी इसलिए मुझे हरदम पिल्स पर निर्भर रहना पड़ता था. लेकिन कुछ पाने के लिए कुछ
खोना तो पड़ता है.मैने पानी लाकर इनायत को दिया तो उसका लंड खड़ा हुआ देखा, मुझे लगा शायद अब वो अपनी बहेन के बारे मे सोच रहा था. मैने उसको छेड़ना मुनासिब नही समझा लेकिन अपने
हाथ से उसके लंड को सहलाना शुरू कर दिया वो कुछ बोलना चाहता था फिर वो रुक सा गया, शायद थोड़ा हिचकिचा रहा था.
मैं:" कुछ बोलना चाहते थे क्या, खामोश क्यूँ हो गये, तुमसे मैने अपनी सारी फॅंटसीस शेअर की हैं, तुम भी बिना हिचक मुझसे सब बोल सकते हो"
इनायत:"कुछ नही, सोच रहा था कि तुमने साना को कब नंगा देखा, क्या उसे शर्म नही आती तुम्हारे सामने ऐसा करने मे"
मैं:"अर्रे मैं उसकी भाभी ही नही उसकी सहेली भी थी और उसके और मेरे बीच मे काफ़ी अच्छा रिश्ता था इसलिए कई बार उसकी निजी कामो मे मदद की है"
इनायत:"निजी काम?"
मैं:"जैसे उसकी पीठ मलना,उसके टाँगो और बगल के बाल सॉफ करना वगेरा वगेरा"
इनयत:"तुम औरतो को ज़रा भी शरम नही आती किसी के सामने कपड़े उतारने मे"
मैं:"उसके पास भी वही है जो मेरे पास है और हम कोई लेज़्बीयन नही हैं जो हम सेक्स के बारे मे सोचे समझे"
मैने झूट मूठ का गुस्सा दिखया
इनायत:"अर्रे बाबा नाराज़ क्यूँ होती हो"
मैं:"नाराज़ क्यूँ ना हूँ, तुम्ही बताओ एक जवान लड़की जिसकी शादी नही हुई है वो ये सब किससे जाकर पूछे?"
इनायत:"ठीक है बाबा ठीक है"
मैं:"तुम्हारी मा की भी मैने पीठ सॉफ की है, उनके तो साना से भी बड़े बूब्स हैं"
इनायत:"मुझे यकीन नहीं होता तुम्हारी बात पर, अब तुम कहोगी कि तुमने उनका भी सब देखा है"
मैं:"नहीं वो अक्सर अपनी टाँगो पर टवल डाल लेती हैं इसलिए मैने कुछ नही देखा लेकिन मुझे सक है कि वो बाथरूम मे उंगली करती हैं"
इनायत:"क्या बोल रही हो"
मैं:"हां मैने अक्सर कराहने की आवाज़ सुनी है कई बार जब वो बाथरूम मे जाती हैं"
इनायत:"तुम्हे कोई ग़लतफहमी होगी"
मैं:"तो उनकी पैंटी भी क्या झूट बोलती है"
इनायत:"क्या मतलब"
मैं:"हाँ मैने उनकी पैंटी गीली देखी है"
इनायत:"तुम जाने क्या बके जा रही हो"
मैं:"तुम लोगो को हम औरतो की फीलिंग का कोई ध्यान नही होता"
इनायत:"इसमे फीलिंग वाली क्या बात हो गयी"
मैं:"तुमने कभी सोचा है अपनी बहन की शादी के बारे में"
इनायत:"उसने ही तो कहा है कि वो अभी शादी नही करना चाहती"
मैं:"तो तुमने मान लिया, उसकी भी कोई ज़रूरत है,कब तक वो उल्टे सीधे नॉवेल और फिल्म्स देखकर उंगली करती रहेगी"
इनायत:"क्या कह रही हो"
मैं:"मैने एक बार उसे एक पॉर्न फिल्म देखते हुए पकड़ा था, वो एकदम सक पका गयी थी लेकिन मैने उससे कहा कि घबराए ना और टेन्षन ना ले"
इनायत:"तो मैं क्या करूँ"
मैं:"अर्रे भाई उसकी पिंक चूत के लिए कोई ज़िम्मेदार लड़का तलाश करो"
इनायत:"ठीक है मैं सोचूँगा"
मैं:"जानते हो मैने उससे सब शेअर किया है अपनी हर बात अपनी हर रात किसी दोस्त की तरहा, कई बार मैने उससे देखा है कि वो बात करते करते अपनी सलवार मे हाथ डाल लेती है उंगली करने के लिए,
मैने उससे कह दिया है कि उंगली करने मे कोई बुराई नही, वो भी मुझसे कहती है कि काश मुझे भी कोई प्यार करने वाला शौहर मिले,वो शौकत की और मेरी रातो की डीटेल्स बड़े मज़े से सुनती है"
इनायत:"अर्रे बाबा कह दिया ना कि सोचु गा उसके बारे में"
मैं:"साला तुम मर्द तो सिर्फ़ दूसरो की बीवी और बेटी के बारे मे सोचते हो"
इनायत:"अब क्या हुआ, कोई नया खुलासा करना है क्या"
मैं:"हां खुलासे तो कई हैं लेकिन तुम सुन नही पाओगे"
इनायत:"जैसे?"
मैं:"जैसे तुम्हारी मा के बारे मे , तुम्हारे अब्बा के बारे मे"
इनयत:"अब्बा के बारे मे क्या"
मैं:"जानते हो पहले मैं अपनी पैंटी खुले आम सब कपड़ो के साथ सूखाया करती थी लेकिन फिर बाद मे बंद कर दिया"
इनायत:"हां मुझे मालूम है"
मैं:"साला ,ये भी मालूम है हाहहाआआआआ देखा मैने कहा था ना"
इनायत:"हां आगे बोलो क्या बोल रही थी"
मैं:"एक बार तुम्हारे अब्बा ने मुझे खुले मे अपनी पैंटी सुखाने के लिए रोका था और मुझे ऐसी पतली और छोटी पैंटी पहेनने से मना किया था"
इनायत:"मुझे यकीन नहीं होता"
मैं:"उन्होने लगभग मेरी चूत को अपनी उंगली से छू कर इशारा करते हुए कहा था कि, बहू इससे तुम्हारी शरमगाह ढकति नही होगी"
इनायत:"क्या"
मैं:"हां"
इनायत:"हो सकता है बेखायाली मे कह दिया हो"
मैं:"और बेखायाली मे कई बार बहू के चुतडो से सॅट कर गुज़रे हों और बहू के बड़े बड़े गोरे गोरे बूब्स को भी नज़रे गढ़ा कर देखा हो"
इनायत:"अच्छा बस भी करी अब तुम"
मैं:"अपनी अम्मा के किस्से नही सुनोगे"
इनायत:"कौन्से किस्से"
मैं:"उनको मैने देखा है जब भी मेरे ससुर मेरे बूब्स पर नज़रे गढ़ाए होते हैं तो वो सिर्फ़ एक शरारत भरी निगाह से उन्हे मना कर देती है,लेकिन कभी सख्ती से मना नही करती"
इनायत:"तो क्या सबके सामने ढिंढोरा पीट कर कहें क्या"
मैं:"तुम्हारे अब्बा को अपनी बेटी की भी पॅंटीस देखनी चाहिए और बेटी ही क्यूँ अपनी बीवी के फॅन्सी ब्रा और पैंटी भी देखने चाहिए, तुम्हारी बहेन तो पैंटी पहेन्ति ही नही है, मॅक्सी एक अंदर एक दम नंगी होती है"
इनायत:" तो क्या हुआ ये उनका निजी मामला है"
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