RE: Hindi Porn Kahani अदला बदली
मैं थोड़ी देर में नहा कर बाहर आया और नूरी बोली: अरे आप बाहर क्यों आए,आराम करिए ना।
मैंने मुस्करा के कहा: अरे तुम्हारी सेवा से मैं एकदम ठीक हूँ। फिर मैंने जानबूझकर उसको सताने के लिए कहा: बेटी, तुमने हाथ धोया या नहीं?
वो बोली: आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं?
मैं बोला: अरे बेटी तुम्हारा हाथ मेरे पीछे मतलब वहाँ लग गया था ना, इसीलिए पूछा।
वो शर्म से लाल होकर बोली: छी डैडी आप भी ना, वो तो मैंने उसी समय धो लिया था।
फिर मैं बोला: अब,आज ऑफ़िस की छुट्टी है चलो तुम्हारी माँ के घर चलते हैं, उनको भी अच्छा लगेगा।या तुम चाहो तो मैं तुम्हें शॉपिंग करा लाता हूँ।और चाहो तो मूवी भी देख लेना।
वो बोली:डैडी, माँ तो पापा के पास गयी हैं, कुछ दिनों के लिए,हम शॉपिंग ही कर लेते हैं।और आज बाहर खाना खाएँगे।
मैंने कहा: चलो ये ठीक है,मैंने भी अपनी बहु को कोई गिफ़्ट नहीं दिया है, चलो आज दिलाएँगे।
वो ख़ुश होकर तय्यार होने गयी।जब वो तय्यार होकर आइ तो मेरा लंड फिर से सर उठाने लगा। उसने नाभि दर्शना बहुत ही पतली सी साड़ी पहनी थी,जिसने उसके चूचे बड़े दिख रहे थे और उसका गोरा पेट और उसके उभरे नितम्ब तो जैसे मेरे लंड को कड़क किए जा रहे थे।मुझे इस तरह अपनी ओर देखते हुए देख कर वो शर्मा कर बोली: डैडी,चलना नहीं है क्या?
मैं होश में आकर बोला:चलो बेटी,अब चलते हैं।
हम बाहर आए और कार से एक ज़ौहरी की दुकान मेंपहुँचे।वहाँ उस दुकान के मालिक ने कहा: अरे सलमान भाई, बड़े दिन बाद आए । मैंने कहा: हाँ भाई ये हमारी बहु है, इनके लिए अछे ज़ेवरात दिखाओ।उसने हमें एक कमरे में बैठा दिया और एक सेल्ज़ मैन आया और हमें हार दिखाने लगा। मैंने कहा: बेटी इसको गले में पहन कर देखो, कैसा लगता है? वो उठके शीशे के सामने खड़ी होकर हार अपने गले में रख कर बोली: डैडी, ये कैसा है?
मैंने उसकी चूचियों को घूरते हुए कहा: अच्छी हैं बेटी, बड़ी बड़ी हैं।
वो हड़बड़ा करके बोली: आप क्या बोल रहे हैं?
मैं समझ गया की मेरे मुँह से ग़लत बात निकल गई है, मैंने बात सम्भालते हुए कहा:मेरा मतलब है अच्छा बड़ा हार है।
वो बोली: पर डैडी ज़्यादा सुंदर नहीं है।भय्या और दिखाओ।
उसने कई हार दिखाए और आख़िर एक हार हम दोनों को पसंद आ गया। उसने दाम पूछा, वो बोला: तीन लाख।वो बोली: ये तो बहुत महँगा है, कोई दूसरा दिखायीये।
मैं बोला: हम यही लेंगे,और उस सेल्ज़ मैन को बोला: जाओ बिल बनाओ। उसके जाने के बाद मैं बोला: बेटी पहन के देख लो एक बार।
वो शीशे के सामने जाके पहन्ने लगी।वो उसका पेंच नहीं लगा पा रही थी। मैं उसके पीछे जा कर खड़ा हुआ और उसके हार का पेंच लगा दिया। ऐसा करते हुए मैंने अपना लण्ड उसके नितम्बों पर दबा दिया।उसने मेरे खड़े लंड को महसूस किया पर वो हटी नहीं। मेरा मन खिल उठा।फिर मैंने उसके हार को ठीक करने के बहाने उसकी छातियों पर हार को अजस्ट किया।मेरा हाथ उसकी छातियों को छूने लगा।पर उसने विरोध नहीं किया।अब मेरा लंड उसके नितम्बों पर अच्छी तरह से चुभ रहा था और मेरा मुँह उसके गले को छू रहा था और मेरा हाथ उसकी छातियों पर था। तभी किसी के आने की आहट हुई और मैं उससे अलग हो गया।वो भी थोड़ा सतर्क हो गयी।
फिर मैंने अपना क्रेडिट कार्ड से बिल पटाया और बाहर आ गए। नूरी ने वो हार का पैकेट ले लिया और अपने पर्स मेंडाल लिया।फिर जब वो कार मेंबैठी तो बोली: डैडी, आपने इतना महँगा हार क्यों ले लिया, आपका बेटा मुझसे नाराज़ होगा,की मैंने आपके इतने पैसे क्यों खर्चाए?
मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और बोला: अरे बेटी, पहली बार तुम्हें कोई उपहार दिया है तो वो बढ़िया ही देंगे ना।
उसने अपना हाथ बग़ैर खिंचे हुए हमको एक प्यारी सी मुस्कान दी। मैंने उसका हाथ सहलाते हुए बोला: बेटी चलो अब तुम्हें कुछ मस्त कपड़े दिलवाते हैं, जिसमें तुम बहुत सुंदर लगोगी।
वो बोली: और ख़र्च करेंगे तो ये ग़ुस्सा होंगे।
मैं बोला: अरे उसे बताना ही नहीं। वो मुस्कुरा दी।
थोड़ी देर बाद हम एक शानदार शो रूम में पहुँचे वहाँ मैं उसको साड़ीवाले काउंटर में ले गया और हम स्टूल पर बैठ कर साड़ियाँदेखने लगे। क़रीब एक घंटे लगे उसे एक साड़ी पसंद करने में।वो हर साड़ी को अपने ऊपर लपेट के देखती और मुझसे पूछती कि वो कैसी लग रही है। और मैं हर बार उसको मस्ती भरे कामेंट्स देता जाता। जैसे बहुत सुंदर या सेक्सी या मस्त और आख़िरमेंमैंने उसके कान में कह दिया की मस्त माल लग रही हो, और उसको दिखा कर अपना लंड पैंट के ऊपर से मसल दिया। वो थोड़ी सी सकपका गयी। उसको शायद मुझसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।फिर साड़ी लेकर मैं उसे एक दूसरे काउंटर पर ले गया जहाँ नाईटी मिल रही थी,वो बोली: डैडी मुझे नहींचाहिए मेरे पास है। मैं बोला: अरे तुम्हारी नाईटी मुझे नहीं पसंद हैं, ज़रा मस्तवाली लो ना।फिर जब वो नाईटी पसंद कर रही थी मैं उसके बग़ल में खड़ा था और मैंने हिम्मत करके उसकी कमर पर हाथ रख दिया,उसने कोई विरोध नहीं किया।मैंने एक पारदर्शी नाईटी पसंद की काले रंग की, और बोला: बेटी,ये तुम्हारे गोरे रंग पर बहुत सुंदर लगेगी।वो धीरे से बोली: पर डैडी इसमें सब दिखेगा ना। मैं बोला: अरे तुम घर पर ही तो पहनोगी कोई बाहर तो नहीं पहनोगी।फिर मेरा हाथ उसकी कमर को सहलाते हुए मैंने नीचे खिसकाया और उसके नितम्ब पर रख दिया। मेरा दिल धड़क रहा था कि कहीं वो नाराज़ ना हो जाए।पर उसने ऐसा दिखावा किया किजैसे उसे फ़र्क़ ही नहीं पड़ा।फिर भी मैंने उसके नितम्बों को नहीं दबाया बस सिर्फ़ हाथ रखे रहा।फिर मैंने उसके कान मेंकहा कि कुछ अंडर गर्मेंट्स तो नहीं लेना?
वो बोली: लेना है पर आपको उधर जाना पड़ेगा क्योंकि आपके सामने लेने मेंमुझे शर्म आएगी।मैंने उसको कान मेंकहा: इसने शर्म की क्या बात है, सभी ब्रा पैंटी पहनते हैं,और मैंने ख़ुद काउंटर वाली लड़की को कहा: इनको अछी ब्रा और पैंटी दिखाओ।उस लड़की ने साइज़ पूछा और नूरी के गाल शर्म से लाल हो गए,वो मुझे धीरे से बोली:इसीलिए मैं आपको कह रही थी किआप उधर चले जाओ।पर मैंने अब हिम्मत करके उसके नितम्बों पर हाथ फेरा और उसकी छातियों को घूर के धीरे से उसके कान में बोला:३६ की तो होंगी तुम्हारी,मेरी बीवी की तुमसे बड़ी थीं और वो ३८ की लेती थी।ये सुन कर वो और लाल हो गयी और बोली: डैडी आप भी ना, बड़े बेशर्म हो।फिर वो उस लड़की को ३६ साइज़ का ही दिखाने को बोली।अब मैं समझ गया था कि वो मुझसे पट रही थी। सो मैंने उसके नितम्बों को हलके से दबा दिया,वो मुझे धीरे से बोली:डैडी क्या कर रहे हैं, कोई देख लेगा ना।मेरा मन ख़ुशी से खिल उठा, मैं समझ गया की उसको कोई ऐतराज़ नहीं है जब तक कोई ना देखे।मैं उसके पीछे आ गया और अब मेरा लंड उसके नितम्बों पर था और मेरा हाथ उसके कमर और पेट को सहला रहा था साड़ी के अंदर से।वो धीरे से आह कर उठी, और ब्रा फ़ाइनल करती रही।हमारी हरकत उस ऊँचे काउंटर की वजह से किसी को नहीं दिख सकती थी।फिर उसने पैंटी दिखाने को कहा,और जब वो पसंद कर रही थी तो मैं धीरे से बोला: अरे वो जाली वाली लो ना उसमें तुम मस्त दिखोगी। वो बोली: छी इसने पूरी नंगी दिखूँगी।
मैं बोला:अरे सेक्सी पैंटी है यही ले लो।उसने हाथ पीछे लाके मेरी जाँघ मेंचुटकी काटी और बोली:बड़ी मस्ती छा रही है।
मैं बोला: ये मस्ती तुम्हारे कारण ही छा रही है बेबी। वो हँसते हुए बोली: चलो अब आप हटो और कहते हुए उसने अपनी कमर को पीछे की ओर दबाके मेरे लंड को मस्ती से भर दिया।
फिर पैसे देकर हम बाहर आए और वो बोली: डैडी भूक लगी है।सामने एक ठेले में फल वाला था, मैंने आँख मारके कहा: केला खाओगी? वो शर्मा कर बोली: डैडी आप भी ना, ये कोई केला खाने का टाइम है, मुझे खाना खाना है।मैंने कहा: अरे वो सामने केले देखकर मैं ऐसे ही बोला था।और फिर हम एक रेस्तराँ में पहुँचे। वहाँ एक कोने के टेबल पर बैठ गए,अग़ल बग़ल की कुर्सियों में।
फिर मैंने उसका अपना हाथ अपने दोनों हाथों में लेकर कहा: बोलिए, बेगम नूरी क्या खायीयेगा?
वो हँसकर बोली: जी जो आप खिलाइएगा! हम दोनों हंस पड़े।
फिर मैंने कहा: बेबी तुम्हारे हाथ कितने नाज़ुक हैं, और मैंने उसके हाथ चूम लिए,
वो शर्माकर बोली:डैडी क्या करते हैं, कोई देख लेगा।
मैंने कहा: यहाँ हम दोनों के सिवाय और कौन है,देखो यहाँ की सब सीट ख़ाली हैं।
वो शर्मा कर बोली: आपको याद है ना मैं आपकी बहू हूँ और आपके बेटे की अमानत।
मैं बोला: अगर वो नहीं याद होता तो मैं तुमको अब तक आह्व्ह्ह्ह ।फिर मैं चुप हो गया।
वो शरारत से बोली: वरना क्या करते?
मैं बोला: अब तक तुमको बहुत प्यार कर लेता और जी भर के चो---।
मैं फिर रुक गया।
वो एक झटके में आ गयी, शायद वो समझ गई थी की मैं उसको चोदने की बात कर रहा हूँ। उसने अपना सर झुका लिया,और उसकी आँखों में आँसू आ गए।
मैं डर गया और बोला: अरे बेटी क्या हुआ?
वो बोली:एक आप है जो इतने प्यार से बात कर रहे हैं,और एक आपके बेटे हैं जिनको मेरी परवाह ही नहीं है।
मेरी जान मेंजान आइ, मैं तो कुछ और ही सोच चुका था।
मैंने अपने हाथो से उसके नरम गालोंके आँसू पोंछे और बोला: बेटी तुम इतनी प्यारी हो कितुम्हें कोई कैसे रुला सकता है। मैं नज़ीर को डाँटूँगा।फिर मैंने बड़े प्यार से उसके गाल को चूम लिया। वो शर्मा गयी और इधर उधर देखी, जैसे कोई देख तो नहीं लिया।जब उसने देखा की कोई नहीं है तो वो मुस्करा दी। मैं समझ गया कि अब वो पटने ही वाली है।तभी वेटर आया और मैंने पूरा खाना उससे ही ऑर्डर करवाया।फिर मैंने उसका हाथ सहलाते हुए बोला:बेटी,एक बात बताओ, नज़ीर तुमको प्यार यानी कि, मेरा मतलब है, अब कैसे बोलूँ---।
वो बोली: पूछिए ना डैडी, क्यों इतना हिचक रहे हैं।
मैं बोला:बेटी, वो तुमको ठीक से चो-- यानी सेक्स का मज़ा देता है है ना?
वो शर्मा के बोली: डैडी बस मैं इतना बोल सकती हूँ, की नज़ीर बड़ा ही सेल्फ़िश है।वो अपना मज़ा ले लेता है पर मेरी उसको कोई फ़िक्र नहीं रहती।
मैं बोला:अरे ये तो बड़ी बुरी बात है,यानी वो तुमको चोद के मज़ा लेता है, और तुमको प्यासी छोड़ देता है? मैंने जानबूझकर चोदना शब्द का इस्तेमाल किया था।
वो थोड़ा चौंक कर बोली: क्या डैडी आप कैसे शब्द बोल रहे हैं।
मैं बोला:अरे बेटी, इसको सेक्स कहो या चूदाइ या फ़किंग इससे क्या होता है!
वो लाल हो गयी और बोली: फिर भी डैडी,बड़ा अजीब लगता है ना,इसलिए बोली।
मैं बोला:चलो कोई भी नाम ले लो,पर ये नज़ीर तुमको ठीक से चोदता क्यों नहीं,वो तो अच्छा ख़ासा तगड़ा मर्द है?
वो धीरे से बोली: डैडी,असल में नज़ीर को बस अपने मज़े की पड़ी रहती है,वो अपना करके सो जाता हैऔर मैं प्यासी रह जाती हूँ।
मैं बोला: ये तो बड़ी ग़लत बात है,उसको तुम्हारा भी ख़याल रखना चाहिए।
वो बोली: एक बात और डैडी,वो ना हमेशा पीछे से करना चाहते हैं , सामने से उनको लगता है ज़्यादा मज़ा नहीं आता।
मैं हँसते हुए बोला: ( हालाँकि मैं जानता था की वो गाँड़ मरवाने की बात कर रही थी। मैंने ये सब देखा हुआ था) बेबी, अरे उसमें तो मज़ा आता है, मैंने कई बार तुम्हारी सास को कई बार पीछे से चोदा था,इसमें उसको भी मज़ा आता था।
वो बोली: वैसे नहीं डैडी, वो मेरे पीछे के छेद में डालना चाहते हैं हमेशा।
मैं बोला: ओह इसका मतलब उसको गाँड़ मारने में ज़्यादा मज़ा आता है।मैं अब समझा।पर बेटी कई लड़कियाँ तो मज़े से गाँड़ मरवाती हैं।
वो बोली: कभी कभी तो ठीक है, पर वो तो हमेशा वहीं करना चाहते हैं, सामने से उनको मज़ा नहीं आता।
मैं बोला: हाँ! ये तो ग़लत बात है, कभी कभी ठीक है गाँड़ मारना पर लड़की को तो चूत चूदाने की भी इच्छा होती है।
मैं जान बूझकर गंदे शब्द बोल रहा था।अब वो भी ऐतराज़ नहीं कर रही थी।फिर मैंने अपना हाथ उसके कंधे पर रख कर कहा: मुझे अपने बेटे से ऐसी उम्मीद नहीं थी।उसने तुम्हें काफ़ी तंग किया है ना।फिर मैंने झुक कर उसके गाल को चूम लिया और बोला:मैं अपने बेटे की तरफ़ से तुमसे माफ़ी माँगता हूँ।कहते हुए मैंने फिर से उसको चूम लिया।वो मना नहीं कर रही थी।मैंने उसके चेहरे को अपने हाथ में लेकर उसके होंठ चूम लिए।वो सिहर उठी और बोली: डैडी,यहाँ कुछ नहीं करिए, प्लीज़,कोई देख लेगा।
तभी वेटर खाना लाया और हमने शांति से खाना खाया और घर के लिए निकल गए।मुझे विश्वास था कि वो पट चुकी है।
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