vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
11-01-2018, 12:30 PM,
RE: vasna kahani बेनाम सी जिंदगी
मे: अर्रे नही भाई! अपने जिम के लौन्डो को इतने से लगने लगा तो कैसे चलेगा..

रजत: हाँ बेटा! जा अब..जिम कर!

शेक हॅंड करके मैं वहाँ से निकल गया और वॉर्म अप करने लगा. स्ट्रेचएस करते वक़्त ही मेरी नज़र वो लड़की पे पड़ी. वो जस्ट गेट मे से एंटर ही हुई थी. सीधा लॅडीस के लॉकर रूम चली गयी. मेरा मूड अच्छा नही था आज. लड़कियो से स्पेशली चीढ़ हो रही थी मेरे को अभी. बट आइ नो इट्स नोट देयर फॉल्ट आइदर. मैने सोचा कि उस दिन मैं भी जानता हूँ कि सारिका को मैने पर्पस्ली गिराया था और सॉरी भी नही कहा. सोचा कि चलो आज बोल देता हूँ सॉरी उसे. मैं अपना सर्क्यूट करने लगा..कुछ 5 मिनट बाद सारिका आई बाहर और स्ट्रेच करने लगी. मैने सोचा अभी ही कह देता हूँ. आस पास कोई नही हैं,मौका अच्छा हैं. मैं उसके पीछे चला गया. अब झोल हुआ ऐसा कि मैं आगे बढ़ने लगा और वो पीछे की ओर अपने लेग्स स्ट्रेच करने लगी तो थोड़ी पीछे हो गयी. मेरा ध्यान नही रहा तो ग़लती से मैं उसके एक दम जस्ट कुछ इंचस पीछे जाकर रुक गया. उसका ध्यान नही था और मैने कहा;

मे: हे!
तो वो एक दम से चौंक गयी और झट्के से मेरी तरफ मूडी और हम एक दम आमने सामने हो गये. मुझे देख कर वो एक दम से सर्प्राइज़ हो गयी और झट्के से पीछे हो गयी. 

सारिका: अर्रे काय?? वो चीढ़के मुझसे बोली. 

मे: सॉरी..शॉक नही करना चाहता था.ग़ल्तिसे हो गया.

सारिका: तुम्हारा सब ग़ल्तिसे ही होता. प्राब्लम क्या हैं? क्यू पीछे लगे हो?

मेरी सटकने लगी थी. एक तो 2 लड़कियो ने आज दिमाग़ खा लिया और उपर से ये. मैं तो सॉरी कहने आया था पर ये मेरे पे ही चढ़ रही हैं.. प्राब्लम क्या हैं सब लड़कियो की? नॉर्मल बाते नही कर सकती क्या ये??
मे: सुनो तो!

सारिका: क्या सुनो? क्यू सुनो? क्या लगा रखा हैं?

अब मुझे नही सुनना था उसकी बकवास. मैं चिढ़ गया;
मे: अबे ओये..चुप कर!! क्या बकबक लगा रखी हैं? सॉरी कहने आया था मैं उस दिन के लिए. बट यू हॅव युवर हेड सो हाइ अप युवर आस दट यू कॅंट सी दट. क्या चिढ़ रही इतना? टच भी नही हुआ मेरा तुझे. और तू क्या एक लौति लड़की हैं जिसको सब टच करना चाहते.. लुक अराउंड यू! वर्ल्ड ईज़ फिल्ड वित गर्ल्स लाइक यू. इज़्ज़त से सॉरी कहना था उस दिन तुझे बाइक से गिराया इसलिए.. बट इतना भी सॉरी नही मैं जो इतनी बकवास सुनू तुम्हारी. बाइ!

इतना कह के मैं जिम से ही निकल गया. मन तो वैसे भी नही लग रहा था मेरा कुछ करने मे और उपर से ये अजीब सी चीढ़ हो रही थी लड़कियो के लिए मेरे दिल मे. मैने कुछ देर अकेले रहना ही सही समझा और मैं घर की ओर निकल गया.

जिम से निकल के मैं स्लो स्पीड मे ही घर की ओर जाने लगा. जानता था कि घर जाके भी शांति नसीब नही होगी. सो वेट्स दा पॉइंट इन गोयिंग होम अर्ली? घर के रास्ते पे एक जगह हैं. सॉर्ट ऑफ जॉगिंग लेन हैं. शाम के वक़्त लोग वहाँ वॉक करते हैं. साइड वॉक पे कुछ बेंचस हैं. नेहा और मैं अक्सर वहाँ बैठा करते थे. मुझे वो जगह बोहोत अच्छी लगती थी. मंद मंद ठंडी शाम की हवा चलती रहती थी, बच्चे खेलते रहते थे आंड दा बेस्ट पार्ट वाज़, सनसेट क्लियर दिखता था वहाँ से... कामिंग प्लेस ओवरॉल. मैने बाइक पार्क की और उसी बेंच पे जाके बैठ गया. मेरे दिमाग़ मे भूचाल आया था. ना कुछ सीधी तरह सोच पा रहा था और ना ही कुछ समझ पा रहा था. ज़िंदगी की बोहोत बड़ी पहेली हैं लड़किया. किसी लड़की को पूरी तरह समझना ईज़ नेक्स्ट टू इंपॉसिबल थिंग आंड बाइ दट आइ मीन पर्फेक्ट्ली इंपॉसिबल. ऐसा कोई टाइप नही हैं. कोई स्ट्रक्चर नही हैं. कोई ग्लोबल वेरियबल नही है लड़किया जिसकी वॅल्यू आंड टाइप हर जगह पे सेम ही रहेगा. अगर एक रूम मे 5 लड़किया हैं तो वो 5 लड़कियो की 50 बाते होगी जो आपकी नही समझेगी. यू विल थिंक दट यू कॅन क्रॅक दा कोड बट भाई चूतिया हो फिर तो तुम ऐसा सोचोगे तो. अब तक मेरी ज़िंदगी मे जितनी भी लड़किया आई हैं उनमे से एक भी दूसरी जैसी नही हैं. मेबी यही टाइप हैं लड़कियो का! नो टू गर्ल्स आर सेम ऐज दा अदर. हर लड़की का टाइप अलग और उसे हॅंडल करने का तरीका अलग. आइ थॉट बीयिंग आ फन्नी, नाइस आंड कूल पर्सन वर्क्स फॉर एवेरी गर्ल. बट क्लियर्ली ऐसा बिल्कुल भी नही हैं. 
मैं अपने ही ख़यालो मे खोया था कि तभी मुझे किसी ने साइड से आवाज़ लगाई.

अंकल: बेटा! ऐसा सनसेट को इस तरह से डाइरेक्ट्ली नही देखते. आखो पर एफेक्ट होता हैं

अपनी ख़यालो की भूल-भुलैया से मैं बाहर आया तो देखा एक 60-70 साल के अंकल कुछ कह रहे हैं मुझसे.
मे: हुहह? सॉरी अंकल.. क्या कहा आपने? मेरा ध्यान नही था

अंकल: मैने कहा कि डूबते सूरज को ऐसे एक तरह से नही देखते. आखे खराब होती हैं.

मे: ओह.. हाँ! मैं आक्च्युयली देख नही रहा था, बॅस कुछ सोच रहा था.

अंकल: इतने ध्यान से? एनी प्राब्लम?

मे: यॅ! वेल. दा यूषुयल. चलता रहता हैं.

अंकल: ह्म्म्मय..! मैं तुमको ये तो नही पूछ सकता कि प्राब्लम क्या हैं तो. बट एक बात ज़रूरा कहुगा कि ये जो तुमने कहा ना अभी,’चलता रहता हैं’.

मे: हाँ?

अंकल: चीज़े चलती रहती हैं. हमारा काम ये हैं कि उनके साथ चलना सीखे. अडॅप्ट टू दा चेंजस. चेंज!

मे: ह्म्म्मट… बात तो सही की हैं आपने.
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