Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
11-18-2018, 12:37 PM,
#36
RE: Antarvasna kahani प्यासी जिंदगी
मैंने बाजी की चूत में उंगली करते हुए अपनी उंगलियाँ चाटी तो मेरी बहना शर्मा गई। मेरा छोटा भाई बाजी की चूचियाँ चूस रहा था और बाजी सिसकार रही थी।
बाजी की चीख भरी ‘आहह..’ सुन कर मैंने ऊपर देखा तो ज़ुबैर ने बाजी के निप्पल को दाँतों में दबाया हुआ था और काफ़ी ताक़त से अपना सिर ऊपर खींच रहा था।
बाजी ने फ़ौरन अपने दोनों हाथ ज़ुबैर के सिर की पुश्त पर रखे और सिर को वापस नीचे अपने उभार पर दबा दिया। 
मैंने दोबारा अपनी नज़र नीचे की और बाजी की पूरी नफ़ के अन्दर अपने ज़ुबान फेरने लगा। 
बाजी का पूरा पेट अपनी ज़ुबान से चाटने के बाद मैं उनकी रानों पर आया और पूरी रान के अंदरूनी और बाहरी हिस्से को अपनी ज़ुबान से चाटा।
मैं अपनी ज़ुबान से चाटता हुआ रान से घुटने.. और फिर पिण्डलियों से हो कर पाँव तक पहुँचा और बाजी की सलवार को उनके जिस्म से अलग करके पीछे फेंक दिया और फिर पूरे पाँव को ऊपर से चाटने के बाद तलवे को चाटा और पाँव की एक-एक ऊँगली को बारी-बारी से चूसने लगा।
इसके बाद मैंने बाजी की दूसरी टांग को पकड़ा और उसी तरह 1-1 मिलीमीटर के हिस्से को चाटता हुआ वापस बाजी की नफ़ तक आ गया।
मैं उठ कर बाजी की टाँगों के बीच बैठा और बाजी की नफ़ के नीचे बालों वाले हिस्से को चूमने लगा और फिर अपनी ज़ुबान निकाल कर चाटना शुरू कर दिया। 
मैं अपना सिर उठा कर एक नज़र ज़ुबैर और बाजी को भी देख लेता था। 
ज़ुबैर अभी भी बाजी के मम्मों को ऐसे झंझोड़ और चूस रहा था.. जैसे उसे आज के बाद कभी ये नसीब नहीं होंगे।
बाजी अभी भी बिल्कुल सीधी ही लेटी हुई थीं और आँखें बंद किए अपनी गर्दन को लेफ्ट-राईट झटक रही थीं। उनके चेहरे पर कभी ज़ुबैर की किसी जंगली हरकत पर तक़लीफ़.. और कराह के आसार पैदा होते थे.. तो कभी मेरी ज़ुबान उनके बदन में मज़े की नई लहर पैदा कर देती थी। 
मैंने बाजी के बालों वाले हिस्से को अच्छी तरह चाटने के बाद अपने दोनों हाथ बाजी की रानों के नीचे रखे और उनकी टाँगों को थोड़ा सा उठा कर टाँगें खोल दीं।
अब मैंने अपना मुँह बाजी की चूत के बिल्कुल करीब ला कर एक इंच की दूरी पर चंद लम्हें रुका और बाजी की चूत को गौर से देखने लगा।
बाजी की चूत पूरी गीली हो रही थी और उनकी चूत का रस चमक रहा था। बाजी की चूत के दोनों खूबसूरत गुलाबी होंठों में छुपे दो गुलाब की पंखुड़ियाँ.. जैसे पर्दे फड़कते हुए से महसूस हो रहे थे और गोश्त का वो लटका हुआ सा हिस्सा.. जिस में चूत का दाना छुपा होता है.. कांप रहा था।
बाजी ने मेरी गर्म-गर्म तेज साँसों को अपनी चूत पर महसूस कर लिया था और उन्होंने ज़ुबैर के सिर से दोनों हाथ हटाए और अपने बिस्तर पर रखते हुए कोहनियों पर ज़ोर देकर अपना सिर और कंधों तक उठा लिया और नशीली आँखों से मुझे देखने लगीं।
मैंने एक नज़र बाजी को देखा और फिर अपनी आँखें बंद करते हुए नाक के जरिए एक तेज सांस को अपने अन्दर खींचा। 
बाजी की चूत से उठती मधुर महक मेरे नाक से होते हुए मेरे दिल और दिमाग पर सीधी असर अंदाज़ हुई और मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मैंने ड्रग्स की भारी डोज अपने अन्दर उतारी हो।
मुझ पर हक़ीक़तन नशा सा हावी हो गया था और मेरे दिलोदिमाग में सिर्फ़ लज़्ज़त ही लज़्ज़त भर गई थी।
मेरा जेहन सिर्फ़ उस महक को महसूस कर रहा था और मेरी तमाम सोचें और अहसासात सिर्फ़ अपनी बहन की चूत पर ही मरकज हो गई थीं।
मैंने सिहरजदा से अंदाज़ में अपनी आँखों खोला.. तो पहली नज़र बाजी के चेहरे पर ही पड़ी.. बाजी की चेहरे पर बहुत बेताबी ज़ाहिर हो रही थी।
वो समझ गई थीं कि मेरा अगला अमल क्या होगा। 
बाजी ने मेरी आँखों में देखते हुए ही गर्दन को थोड़ा आगे की तरफ झटका दिया.. जैसे कह रही हों कि आगे बढ़ ना.. रुक क्यों गया।
मैंने बाजी के इशारे पर कोई रद-ए-अमल नहीं ज़ाहिर किया और उनकी आँखों में आँखें डाले हुए ही नाक के जरिए एक और सांस ली और अपने टूटते नशे को सहारा दिया। 
बाजी ने एक बार फिर मुझे आगे बढ़ने का इशारा किया और कहा- वसीम प्लीज़ अब और ना तड़फाओ.. चूसो ना प्लीज़..
लेकिन मुझे गुमसुम देख कर उनकी बर्दाश्त जवाब दे गई और बाजी ने अपने कूल्हों को ऊपर की तरफ झटका मारते हुए.. अपनी चूत को मेरे मुँह से लगा दिया।
बाजी की चूत मेरे मुँह से लगी.. तो जो नशा मुझे चूत की महक से हुआ था अचानक ही वो खत्म हो गया।
मैं अपना मुँह जितना ज्यादा खोल सकता था.. मैंने खोला और अपनी बहन की पूरी चूत को अपने मुँह में भर कर अपनी पूरी ताक़त से जंगलियों की तरह चूसने लगा।
दो मिनट इसी अंदाज़ में चूसते रहने के बाद मैंने अपने मुँह की गिरफ्त हल्की की और बाजी की चूत के ऊपरी हिस्से में छुपे क्लिट को होंठों में दबाया और चूसने लगा।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे मुँह में नमक घुल गया हो।
बाजी की चूत से निकलते लिसलिसे पानी ने मेरा मुँह अन्दर और बाहर से लिसलिसा कर दिया था।
मेरे होंठ बाजी की चूत के रस की वजह से बहुत चिकने हो रहे थे और पूरी चूत पर फिसल-फिसल जा रहे थे। 
मैंने कुछ देर बाजी की चूत के दाने को चूसा और फिर चूत के दोनों पर्दों को बारी-बारी चूसने लगा। 
मेरे मुँह ने बाजी की चूत को छुआ.. तो बाजी ने ‘आअहह वसीम.. उउउफ्फ़.. मेरे.. भाईईई ईईईईई..’ कह कर अपना सिर और कंधे एक झटके से वापस बिस्तर पर गिरा दिए।
कभी बाजी झटकों-झटकों से अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाने लगतीं.. तो कभी कूल्हे बिस्तर पर सुकून से टिका कर तेज-तेज साँसों के साथ सिसकारियाँ भरने लगतीं। 
बाजी ने एक और झटका मारने के बाद अपने कूल्हे बिस्तर पर टिकाए.. तो मैंने अपनी ऊँगलियों की मदद से बाजी की चूत के दोनों लब खोले और अपनी ज़ुबान की नोक चूत के बिल्कुल निचले हिस्से.. जो एंट्रेन्स होती है.. पर रख कर एक बार नीचे से ऊपर पूरी चूत को अन्दर से चाटा और वापस नोक एंट्रेन्स पर रख कर ज़ुबान अन्दर-बाहर करने लगा।
जैसे ही मेरी ज़ुबान बाजी की चूत के अंदरूनी हिस्से पर टच हुई.. बाजी ने अपने कूल्हे ऊपर उठा दिए और उनका जिस्म एकदम अकड़ गया और चंद लम्हों बाद ही उनके जिस्म ने 3-4 शदीद झटके खाए और मुझ साफ महसूस हुआ कि जैसे बाजी की चूत मेरी ज़ुबान को भींच रही हो।
मैंने ज़ुबान अन्दर-बाहर करना जारी रखी.. और जब बाजी की चूत ने मेरी ज़ुबान को भींचना बंद कर दिया और बाजी बेसुध सी लेट गईं.. तो मैंने अपना मुँह थोड़ा सा पीछे किया और चूत को मज़ीद खोलते हुए अन्दर देखा। 
बाजी की चूत में गाढ़ा-गाढ़ा सफ़ेद पानी जमा हो गया था। मैं कुछ देर नज़र भर के देखता रहा और फिर दोबारा अपनी ज़ुबान की नोक को अन्दर डाला और बाजी के चूतरस को अपनी ज़ुबान पर समेट कर मुँह में डालता गया। 
अपनी बहन का सारा लव जूस अपने मुँह में भरने के बाद मैं उठा और बिस्तर पर निढाल और बेसुध पड़ी बाजी के साथ ही लेट कर उनके चेहरे को दोनों हाथों में थाम कर अपनी तरफ घूमते हो फंसी-फंसी आवाज़ में कहा- ओह्ह नोनन्न बाजीईई.. आँखें खोलो ये देखो.. 
बाजी ने आँखें खोलीं तो मैंने अपना मुँह खोल कर बाजी को दिखाया। मेरे मुँह में अपनी चूत के पानी को देख कर बाजी ने बुरा सा मुँह बनाया और कहा- हट गंदे..
बाजी यह कह कर मुँह दूसरी तरफ करने ही लगीं थीं कि मैंने मज़बूती से उनके गालों को दबा कर पकड़ा.. जिससे बाजी का मुँह खुल गया और मैंने अपना मुँह बाजी के मुँह पर रखते हुए उनकी चूत का रस उन्हीं के मुँह में उड़ेल दिया।
बाजी ने अपना मुँह छुड़ाने की कोशिश की.. लेकिन मैंने उसी तरह उनके गाल दबाए-दबाए ही बाजी के होंठ चूसना शुरू कर दिए। 
कुछ देर तक वो मुँह हटाने की कोशिश करती रहीं और फिर अपने आपको ढीला छोड़ते हुए मेरी किस के जवाब में मेरे होंठों को चूसने लगीं।
बाजी का जूस हम दोनों के होंठों और गालों पर फैल गया था और अब उन्हें भी उसकी परवाह नहीं थी.. कुछ ही देर में बाजी मेरे होंठों को चूसते हुए अपनी ही चूत के जूस को भी ज़ुबान से चाटने लगीं थीं और शायद उन्हें भी उसका ज़ायक़ा अच्छा ही लग रहा था।
ज़ुबैर.. हम दोनों से लापरवाह बस बाजी के जिस्म में ही खोया हुआ था। कभी बाजी के उभारों से खेलता तो कभी उनके पेट और नफ़ पर ज़ुबान फेरने लगता।
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