मदमसत बुआ
11-24-2018, 12:36 PM,
#2
RE: मदमसत बुआ
देख तो यह पेंटिंग मुझ पर कैसी लग रही है एकदम फिट है ना। ( इतना कहते हुए वह मेरी आंखो के सामने गोल गोल घूम कर चारों तरफ से मुझे पैंटी दिखाने लगी। लेकिन मुझे इतना तो पता चल ही रहा था कि वह पेंटी   नहीं बल्कि अपने बदन को मेरी आंखो के सामने दिखा कर अपनी जवानी का जलवा मुझ पर बिखेर रही थी। और वाकई में मेरी लाई हुई उस पैंटी में बुआ  का खूबसूरत बदन उनकी बड़ी बड़ी बड़ी बेहद खूबसूरत लग रही थी। मेरी इच्छा तो बुआ को स्पर्श करने की हो रही थी पेंटिं में छुपे हुए खजाने  को अपने हाथों से मसलने को हो रही थी। लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता था क्योंकि ऐसा करना रिश्तो की डोर को तोड़ना था और मैं नहीं चाहता था कि मेरी किसी हरकत की वजह से मेरी बदनामी हो लेकिन शायद मेरी इस हालत को बुआ  भांप गई थी,, और वह बोली।

देखते ही रहोगे या कुछ बोलोगे भी कैसी लग रही है पेंटी?

बहुत अच्छी बुआ,,,।

ऐसे नहीं छू कर बताओ फिट है या नहीं।
( बुआ  की बात सुनकर मेरे तन बदन में उत्तेजना की लहर  दौड़ने  लगी जिस चीज को करने के लिए में अपने आपको मना कर रहा था वही हरकत को करने के लिए बुआ खुद मुझे कह रही थी। मैं भी उनकी बात मानते हूंए अपने कांपते हाथों को आगे बढ़ाया और बुअा की पैंटी पर रख दिया,,, बुआ के बदन पर हाथ रखते हैं मेरे तन-बदन में झनझनाहट फैल गई ।
मैं हल्के हल्के अपनी हथेली को पेंटी के ऊपर फीराने लगा मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था। बुआ के भी तन बदन में मस्ती की लहर दौड़ रही थी उनकी आंखों में चुदासपन  का असर साफ नजर आ रहा था। उत्तेजना के बारे में अपना हाथ हटाने ही वाला था की तभी बुआ बोली।

टांगों के बीच हाथ लगा कर देखो वहां का कपड़ा कुछ ज्यादा ही मुलायम लग रहा है।
( बुआ की बात सुनकर मैं समझ गया था कि वह पूरी तरह से चुदवाने के मूड में आ चुकी है। लेकिन मैं फिर भी बहाना बनाते हुए बोला।)

यह क्या कह रही हो बुआ ऐसा मत करो तुम्हारी बात सुनकर ना जाने मेरे तन-बदन में कैसी हलचल मच रही है। मेरी सांस मेरे काबू में नहीं है। तुम ऐसा कहोगी तो मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पाऊंगा और फिर ना जाने क्या हो जाएगा।

क्या हो जाएगा?( बुआ मुस्कुराते हुए बोली)

पता नहीं बुअा मुझे क्या हो रहा है।( इतना कहने के साथ ही मैं दूसरी तरफ घूमने लगा अपनी नजरों को दूसरी तरफ फेर  लिया,,)

शर्माओ मत राज इधर देखो मेरी तरफ,,,,( इतना कहने के साथ ही बुआ आगे एक हाथ बढ़ाकर मेरे सिर पर रख कर मुझे अपनी तरफ देखने को मजबूर कर दि जब मैं फिर से उनकी तरफ देखने लगा तब मेरी आंखों ने जो देखा उस पर मुझे बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था लेकिन जो नजारा आंखों के सामने था उसने मेरे तन-बदन में पूरी तरह से हलचल मचा दिया, क्योंकि इस तरह की हरकत आज तक मेरी बीवी ने भी मुझे ऊकसाने के लिए नहीं की थी।

बुअा मेरी तरफ देखते हुए अपने दोनों हाथों से अपनी पैंटी को नीचे की तरफ सरकाने लगी। मैं बस बुआ को देखते जा रहा था मेरे पास कोई शब्द नहीं बचे थे, बुआ को रोकने के लिए और देखते ही देखते बुआ अपनी पैंटी को जांघों तक सरका दी। मेरा तन बदन सुलगने लगा था। मेरी नजरें बुआ की टांगों के बीच उनकी बुर पर ही टिकी हुई थी जिस पर हल्के हल्के बाल उगे हुए थे।

ऐसे देख क्या रहे हो छू कर देखो (और इतना कहने के साथ ही बुआ खुद मेरे हाथ को पकड़कर अपनी बुर पर रख दी,, बुर की गर्माहट मेरे तन बदन को पिघलाने के लिए काफी थी मेरी सांसे उखड़ने लगी, बुआ मेरी हथेली को पकड़कर हल्के हल्के बुर पर रगड़  रही थी जिससे उनकी भी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। कुछ ही सेकंड में मेरी हथेली चिपचिपी होने लगी मैं समझ गया कि बुआ की बुर से कामरस टपकने  लगा है।
अब मेरे लिए भी पीछे हटना है मुश्किल था मैं भी खुद अपनी हथेली को बुर पर रगड़ना शुरू कर दिया। बुआ मेरे हाथ की हरकत को महसूस करके मेरी हथेली पर से अपना हाथ हटा ली और मैं उनकी आंखों में देखता हुआ उनकी बुर की गुलाबी पत्तियों को हल्के हल्के मसलने लगा। बुआ की सिसकारी छूटने लगी।
ससससहहहहह,,,,, थोड़ा और जोर से मसलो,,

बुआ की बात सुनकर अभी-अभी जोर-जोर से मसलते हुए बोला।

बुआ कोई आ गया तो!

इधर कौन आएगा तेरे फूफा जी तो गांव से बाहर गए हुए हैं जो कि आने वाले नहीं है और मुन्ना को मैं अपने कमरे में सुला कर आ रही हुं बस तूम मजे करो।
( दुआ पूरी तरह से चुदवाती हो चुकी थी और वहां अपनी तरफ से मुझे पूरी छूट दे रखी थी।)

दुआ कहीं ऐसा ना हो कि जोश ठंडा होने पर मेरे और तुम्हारे रिश्ते के बीच दरार पड़ जाए

ऐसा कुछ भी नहीं होगा बल्कि रिश्ता और ज्यादा मजबूत हो जाएगा। 
( बुअा की बात सुनते ही मैंने झट से अपनी भी छोरी होली को बुआ की बुर में उतार दिया जिससे उनके मुख से चीख निकल गई, और बुआ अगले ही पल होते जनावर मेरे सिर को पकड़कर अपनी बुर पर रख दी,,, मैं भी मौका देख कर अपनी जीभ को बुआ की बुर में उतार दिया और उनके नमकीन रस को चाटना शुरू कर दिया,,, बुआ की गरम सिसकारी से पूरा कमरा गुंजने लगा।
हम दोनों की हालत खराब होने लगी थी कुछ देर तक मैं यूं ही बुआ की गुरुकुल चाटता रहा बुआ को भी बहुत मजा आ रहा था। अगले ही पल बुआ मुझे धक्का देकर बिस्तर पर लेटा दी और मेरे ऊपर चढ़ते हुए बोली।

अब मेरी बारी है।
( इतना कहने के साथ ही हुआ कमर पर बंधे मेरे टावल को खींचकर एक तरफ फेंक दी और एक झटके में अंडरबीयर को मेरी टांगों से निकाल कर बाहर फेंक दी। मेरे खड़े मोटे लंबे लंड पर बुआ की नजर पड़ते ही उनकी आंखें फटी की फटी रह गई।

बाप रे इतना बड़ा और मोटा यह तो ऐसा लग रहा है कि गधे का लंड है । आज तो मजा ही आ जाएगा (और इतना कहने के साथ ही वह मेरे लंड पर टूट पड़ी उसे मुंह में भरकर लॉलीपॉप की तरह चुसना शुरु कर दी। बुआ जीस तरह से मेरे लंड को चाट रही थी मुझे बहुत मजा आ रहा था,,, कुछ देर तक हुआ ऐसे ही लंड चूसने का मजा लेती रही और मुझे भी देती रही,। अब बुआ की बुर मेरे लंड को लेने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी मैं भी बुआ की कमर में हाथ डाल कर एक झटके से उन्हें बिस्तर पर पटक दिया,,, बुआ पीठ के बल चित्त होकर लेट चुकी थी मैं टांगो बीच जगह बना कर लंड को बुर  के मुहाने पर रख कर धीरे-धीरे बुर के अंदर सरकाना शुरू कर दिया। मोटे तगड़े लंड की रगड़ बुआ से बर्दाश्त नहीं आ रही थी और उनके साथ ऊपर नीचे हो रही थी अगले ही पल धीरे-धीरे करके मेरा पुरा लंड दुआ की बुर में समा गया। बुआ कसके मुझे अपनी बाहों में भर ली, और मैं बुआ की बुर में लंड को अंदर बाहर करते हुए धक्के लगाना शुरु कर दिया। बुआ को चोदने में मुझे बहुत मजा आ रहा था और बुआ को चुदवाने मे।  फच्च फच्च की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था। बुआ की गर्म सिसकारियां मेरे जोश को बढ़ा रही थी। तकरीबन आधे घंटे की चुदाई के बाद बुआ के गर्म लावा के साथ साथ मेरे लंड ने भी पिचकारी छोड़ दिया। रात को बुआ ने तीन बार मुझ से चुदाई का मजा लि और इन तीन बार की चुदाई मे बुआ एक दम मस्त हो गई।
सुबह मैं अपने गांव जाने के लिए तैयार हो चुका था बुआ कमरे में चाय नाश्ता लेकर आई थी। बुआ बहुत खुश नजर आ रही थी क्योंकि ऐसा लग रहा था कि पहली बार उन्होंने चुदाई का असली मजा ली थी। नाश्ता करने के बाद में जाने को हुआ तो हुआ मेरे आगे आ गई कमरे के बाहर निकलने के लिए जा ही रही थी कि उनकी मटकती हुई बड़ी-बड़ी गांड को देख कर एक बार फिर से मेरा मन बहक गया। ओर मे झट से बुआ को अपनी तरफ खींच कर अपनी बाहों में भर कर चूमना शुरू कर दिया। मेरी इस हरकत से बुआ भी एक दम जोश में आ गई और वह भी मेरा साथ देते हुए मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दी। मैं जल्दी से जाकर फिर से दरवाजे को बंद करके कुंडी लगा दिया और इस बार बुआ को टेबल पर झुका कर उनकी साड़ी को खुद ही कमर तक उठा दिया, दुआ भी समझदार औरत की तरह खुद ही अपनी पैंटी को नीचे जानकर सरकार कर अपनी टांगों को चौड़ा करके खड़ी हो गई जगह मिलते ही मैंने तुरंत अपने पैंट की बटन खोल कर पेंट को जांघ नीचे कर दिया और अगले ही पल मेरा पुरा लंड  बुआ की बुर मे एक बार फिर से समा चुका था। एक बार फिर से हम दोनों एक दूसरे में पूरी तरह से समा चुके थे।
मैं बैग उठाकर जाने को हुआ तो दुआ मुझे अपने सीने से लगा कर चूमने लगी और बोली।
अच्छा हुआ तुम इधर आ गए वरना में चुदाई के असली मजे से वंचित रह जाती।
मेभी हंसते हुए अपने गांव की तरफ जाने वाली गाड़ी पकड़ कर बैठ गया मुझे भी आज की रात जिंदगी भर याद रहेगी।
अगर आप लोगों को यह कहानी पसंद आई हो तो जरूर कमेंट करें।
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मदमसत बुआ - by Rohnny4545 - 11-24-2018, 12:31 PM
RE: मदमसत बुआ - by Rohnny4545 - 11-24-2018, 12:36 PM

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