RE: Chudai Story ज़िंदगी के रंग
किरण:"रुक मैं अभी आई." अपने आँसू सॉफ करते हुए वो वहाँ से चली गयी. थोड़ी देर बाद जो वो आई तो हाथ मे कुछ था.
किरण:"काश मे तेरी मदद कर सकती होती पर.......खेर छोड़. ये छोटा सा तोफा मेरी तरफ से रख ले. मा ने बड़े प्यार से मेरे लिए ले कर रखी थी. मुझे बड़ी खुशी होगी अगर ये साड़ी कल तू पहन ले. देख इनकार ना करना." मोना ये सुन कर किरण से लिपट कर रोने लगी.
अगली सुबह किरण ने ही मोना को तैयार किया. कल उन आँसुओ मे सब कुछ बह गया था. अब ना तो मोना की आँखौं मे कोई आँसू थे और ना ही मन मे कोई जज़्बात. असलम सहाब सब तैयारियाँ तो कर ही चुके थे. उनके वकील ने थोड़ी ही देर मे कोर्ट मे दोनो की शादी करवा दी. असलम सहाब ने मोना के लिए एक मकान भी किराए पे ले लिया था. वहीं शादी के बाद मोना को ले गये. शादी के बाद ना सिर्फ़ मोना ने नौकरी छोड़ दी बल्कि कॉलेज भी छोड़ दिया. वैसे भी अब ना तो उसके कोई सपने बचे थे और ना ही अरमान. शादी को 3 दिन बीत गये थे और अब 2 दिन बाद वो नैनीताल जाने वाले थे. बुढ़ापे मे आरमान पूरे भी कर लो तो बुढ़ापा तो नही जाता ना? असलाम सहाब भी घर मे घोड़े बेच कर सो रहे थे जब घर की घंटी बजी. मोना ने जा कर जब दरवाज़ा खोला तो सामने अली खड़ा था. उसे देख कर मोना का तो खून ही सूख गया.
अली:"अंदर आने के लिए नही कहोगी?" ये सुन कर मोना पीछे हट गयी और अली घर के अंदर आ गया.
मोना:"अली मे..."
अली:"बस मोना कुछ मत कहना. और कोई झूट मे बर्दाशत नही कर पाउन्गा. मैं जा रहा हूँ यहाँ से हमेशा के लिए. जाने से पहले कुछ तुम्हारे लिए था जो दे कर जाना चाहता था. सौचा था तुम्हे शादी के बाद दूँगा. बस ये ही तो करने आया हूँ आज." ये कह कर जेब से एक सोने का कड़ा निकाल कर अली ने मोना को थमा दिया और मूड कर घर से बाहर जाने लगा.
मोना:"रुक जाओ अली. मुझे एक बार सच कहने का मौका तो दो. देखो तो सही के उस कमरे मे जो बंदा सो रहा है वो है कौन?" ये सुन कर अली ने उसे पलट कर जो देखा तो उसकी आँखों मे आँसू थे.
अली:"शादी मुबारक हो मिसेज़.असलम." ये कह कर वो घर से निकल गया. आँसू अब रुक नही पा रहे थे और दिल था के लगता था फॅट ही जाएगा. मंज़िल क्या थी कुछ पता नही था पर इस बेवफा शहर से वो दूर भाग जाना चाहता था. मन से बस एक ही आवाज़ निकल रही थी......
आज जिस प्यार मे पागल फिरते हो
कल उस से ही दिल तुडवाओगे
आज जिन दोस्तो की दोस्ती पे नाज़ है
कल उन से ही पीठ पे छुरा खाओगे
है मतलब की दुनिया साली
यहाँ कोई किसी का यार नही
उपर से ये ज़िंदगी भी है बेवफा
कब साँस साथ छोड़ जाए कोई एतवार नही
ज़िंदगी को जितना समझने की कोशिश करोगे
उतना ही इसकी उलझनों मे उलझ जाओगे
आज जिस मौत से डर के भागे फिरते हो
एक दिन वो भी आएगा
जब इसको भी ज़िंदगी से ज़्यादा हसीन पाओगे
समाप्त
दा एंड
|