Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी ने
12-01-2018, 12:24 AM,
#47
RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
हम दोनों हस पड़े... अब हम कहानी के आखिरी पड़ाव पर आने वाले है... शायद ज्यादा से ज्यादा दो पार्ट आएंगे.... कहानी में भाभी अब खूब खुलने वाली है... लड़की के एक्सप्रेसन में बता सकता हूँ पर उनके हाल ए बयां नहीं कर सकता... ये आखिरी के एक या दो पार्ट अब भाभी को लिखने को बोला है... अब आगे की कहानी भाभी की ज़ुबानी.... कहानी का समापन भाभी के हाथो होगा...

हेल्लो दोस्तों मैं समीर की भाभी हूँ कीर्ति... कहानी का आखिरी पड़ाव मुझे लिखने के लिए समीर ने आखिर मना ही लिया.... मैं चाहती थी की समीर ही ये लिखावट करे पर क्योकि मैंने ऐसा कुछ कभी लिखा नहीं है और समीर ने ये कहानी जब लिखी तो मुझे उनकी लिखावट थोड़ी अच्छी लगी, मैं ऐसा कभी नहीं लिख पाने वाली थी.... पर ठीक है.... समीर मेरे साथ बैठा है लिखावट की सजावट के लिए.... पर ये रात हमारे पुरे परिवार के लिए लाइफ चेंजिंग थी...

अब आगे....

समीर और राहुल दोनों बाहर मुझे अकेले को छोड़ कर चले गए। घर का दरवाजा बंद होते ही मैं थोड़ी खुश भी हुई और कुछ डर भी लगा के ये सब एक सपना जैसा हो रहा है मेरे साथ क्या? आख़िरकार एक औरत को उसका मर्द समझ सके वही तो वो चाहती है ये मुझे मिल रहा था... ये ख़ुशी और मेरी वासना मुझे पॉजिटिव एनर्जी दे रहे थे... ये साली नई बिमारी है मुझे? मैंने थोडा गूगल पर सर्च किया... बस इसका ट्रीटमेंट साइकोथेरपी है इतना पता चला... पर वो भी इतना असरकारक नहीं है... मतलब के अगर हो जाए तो इसे सामान्य ही लेना जरुरी है... पर मैं काबू नहीं कर सकती ये भी बात उतनी ही सही है... मेरी वासना के कारन मुझे तो नंगा ही जाना था बाहर पर समीर और राहुल दोनों थे और अभी अभी सब पर्दा फाश हुआ है तो मैं कुछ अपना रंडीपन दिखाना नहीं चाहती थी... क्या पता राहुल को बुरा लगे... मर्द बिस्तर पर तो औरत को पाने के लिए कुछ भी बोल देता है, वचन भी दे देता है... पर लण्ड जैसे हल्का होता है, औरत को कपडे पहनाने की भी मेहनत नहीं करता... उतार तो देता है बड़े चाव से....

मुझे देखना था के राहुल क्या लेके आये है मेरे लिए... कौनसे कपडे पहन के मुझे जाने को बोल रहा है? कुछ मस्त भड़काऊ हो तो बहोत अच्छा वरना मज़ा नहीं आता.... मैंने बेग खोल के चेक किया... वाह कपडा तो सिर्फ पहनने के लिए था... मर्द मर्द ही होते है लड़की को देखना तो कुछ उनकी एक हॉबी है... मेरी तो बात अलग है, मुझे तो वैसे भी अपने जिस्म की नुमाइश करना पसंद है, मुझे तो लगता है की बस किसी का लण्ड चाहिए... अच्छा है के राहुल को पता चल गया है, जो मेरे बदन की ज़रूरत है... हा सामना करना मुश्किल ज़रूर हो रहा है... पर मेरी वासना को ख़त्म करने मुझे अब खुलना जरुरी पड़ रहा है... चलो यही सही आज मेरा पति मेरे सामने मेरे पास मेरे साथ है। उसे भी पता है की मेरी वासना क्या है... खुल के उनके साथ जी लू... मुझे और किसीकी ज़रूरत नहीं... वही मेरी वासना ख़तम करने का इंतेज़ाम कर देगा... कॉलेज के ज़माने से ही मुझे कुछ अजीब सी तन्हाई रहती थी। मैं अपने आपन दिन में एक दो बार ऑर्गेसम महसूस करने लगी थी। शायद इसीलिए मैंने लड़को से दुरिया बना ली थी। मैं अंदर से एकदम सेक्सी थी और बाहर ये ला नहीं सकती थी... शादी के बाद जब राहुल मिले तो मैं एकदम उनके सामने खुल गई थी... मुझे ये नहीं पता था के मुझे कोई प्रॉब्लम या कोई बीमारी है पर आज पता चला... ये सब बाते सोचते सोचते मैंने अपनी साड़ी ब्लाऊज़ निकाल और घाघरा निकला... और जो राहुल लाये थे वो पहनने की कोशिश करने लगी.... कोशिश करनी पड़ी क्योकि कुछ ज्यादा ही छोटा था एडजस्ट करने के लिए... पर मुझे करना था... आज मेरी भड़ास निकालनी थी। आज मैं खुल के जीने वाली थी... मेरा पति मेरे साथ है... निचे वाली तस्वीर देखिए... मैं कैसे अपने आप को एडजस्ट करू?



ये मेरी साइज़ से थोड़ी छोटी तो थी... क्योकि निप्पल को भारी मुश्किल से मैं छुपा रही थी... कपडा मेरे बदन को सूट कर रहा था और मुज पर जच रहा था.... मैं इसमें ज्यादा नंगी ही तो दिख रही थी.... क्या करती? मुझे मेरी वासना को पूरी करना था... मुझे छूट पूरी थी पर ऐसे कपड़ो में मुझे समीर और राहुल दोनों का सामना करना था... ये छोटा सा पर मन को इंटरेस्टिंग बनाने के लिए काफी था... आज मुझे बहोत कुछ करना था... मैंने ये कपड़ा ओढ़ तो लिया..... पर मुझे मम्मे को ढकने के लिए मशक्कत करनी पड़ती थी... मैंने आईने में देखा मुझे अपने पर मान हुआ.... थोड़ी शरमाई पर मुझे आज कुछ मस्त करना था... मैंने डर के मारे सुबह से कुछ चूत के अंदर लिया नहीं था... घर का लौड़ा मैं जो हर बार लेती थी वो नही ले पाई थी...

डोर बेल बजी और मैं दरवाजा खोलने गई... मैं अगर जल्दी चलती तो ऊपर से कपडा खिसक जाता था... मुझे उसे पकड़ के चलना पड़ता था... दरवाजा खोलते ही मैं दरवाजे के पीछे छिप के छिप गई... राहुल आगे ही था... अंदर आए और...

राहुल: देख तेरी भाभी सब से इज़्ज़त लुटवा के आई है फिर भी शरमा रही है...
समीर: वो आपके सामने भैया पहली बार...
राहुल: तू कुछ भी बोल ये चीज़ एकदम बढ़िया है... ए वन माल...
मैं: (शरमा कर) आप भी न...
राहुल: आ मेरी जान हम दोनों के बिच आ... समीर तेरी भाभी को थोडा प्यार तो कर...

मुझे राहुल के सामने थोड़ी हड़बड़ाहट हुई पर राहुल ने समीर का हाथ मेरे मम्मो पर रख के बोला...

राहुल: इसे मसल और मज़े कर...

समीर मेरे मम्मे मसल रहा था... शर्म उन्हें भी आ रही थी... मुझे भी... पर राहुल खुद सब कर रहे थे...

राहुल: अरे इतने धीरे सहला क्यों रहा है? मसल इस आम को साली रण्डी को कितना भी मसले कुछ फर्क नहीं पड़ता... दबा और दबा...

समीर मसल रहा था... मुझे मम्मो पर अगर दर्द न हो तो मज़ा नहीं आता... मेरे मम्मो से खेले तो दर्द दे तो कुछ अलग मज़ा आता है... समीर जानता था... पर राहुल के कारण....

मैं: समीर जैसे दबाते हो हररोज़ वैसे दबा...
राहुल: बस ऐसे खुल के बोल मैं यही चाहता हूँ..

समीर और राहुल अब दोनों के हाथ मेरे मम्मे पर घूम रहे थे पर इतने में तो ये कपड़ा निचे होकर मैं न जाने कब इनके सामने नंगी हो गई पता नहीं चला... दोनों भाइओ मेरे मम्मे को खिलौना समझकर खेल रहे थे... इतना दबाते थे के नाख़ून भी चुभाते थे...

राहुल: चल अब खाना खाने जाते है... कीर्ति तू कम्बल ओढ़ ले... मैं गाडी निकालता हूँ चल समीर...

मैंने कपडे से वापस मेरे मम्मे ढके और तब तक मैंने देखा के मेरी चूत ने काफी सारा पानी निकाल कर कपड़ा गिला कर दिया था... पर मज़ा आ रहा था... अब हम घर बंद करके निचे उतरे... बबलू मुझे वापस कम्बल ओढ़े देख लिया था... पर अभी मेरा पति था साथ में तो उसकी हिम्मत नहीं थी मुझे बारबार देखने की... वहा से तो गाडी निकाल के हम निकल गए... अभी गाडी राहुल चला रहा था और समीर पीछे बैठा था... मैं फ्रंट सिट पर थी...

राहुल: बस ये भीड़भाड़ वाली जगह से निकल जाये उतनी देर राह देख... वैसे आज तू जो बोलेगी वही होगा... बोल तेरी ख्वाहिशे क्या क्या है?
मैं: आप बुरा नहीं मानेंगे न?
राहुल: नहीं नही बोल...
मैं: मुझे शहर के बाहर जो एक बड़ा रेस्टोरंट खुला है जहा ज्यादातर अमीर घर के लोग जाते है वहा जाना है... और वहा मैं ऐसे ही कपड़े पहनके जाना चाहती हूँ... ये मुझे बहोत पुरानी ख्वाहिश है...
राहुल: वो जो बहोत महंगा है और इसीलिए वहा कम लोग का आना जाना रहता है वही? केविन ने बताया था के वहा थाली भी १०००₹ की है...
मैं: ह्म्म्म और वहा डिस्को भी होता है, वहा जाना है...
राहुल: हा चलो वही जाते है...
मैं: समीर थोडा मुझे सहला तो सही...
राहुल: रुक जा बहनचोद आधे घंटे तक... हाइवे आने दे...
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