RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
मुझे तो ये बात बुरी लगी... पर ठीक है... कम्बल के अंदर हाथ डाल के वो बेचारा मेरे बदन से आनंद लेता और मुझे भी मज़ा आता... जैसे ही भीड़भाड़ वाली जगह कम हुई के मैंने तुरन्त अपना कम्बल निकाल दिया और पीछे समीर को दे दिया...
मैं: आजा समीर... अब तो दबा ज़रा ये मम्मे हलके कर प्लीज़?
राहुल: आ समीर अब लग जा काम पर ये साली रंडी रुकेगी नहीं...
समीर: अरे मेरी जान... मुझे पहले तो तेरे गुलाबी होठ से किस दे दे.. पीछे घूम....
मैंने अपनी गरदन पीछे मुड़ी और समीर के होठ को किस दिया... समीर ने वापस ये कपड़ा निचे उतारा और हाथ में लेके खेलने लगा...
राहुल: समीर सोच ले इसे प्यासी रख तो हमे और जलवे देखने को मिलेंगे...
मुझे गुस्सा आ रहा था... समीर ने भी वापस कपड़ा ऊपर करके मम्मो को ढक दिया... मुझे खुलना था पर कैसे कब नहीं समझ आ रहा था... मैं अभी भी शरमा रही थी और ये मेरी रंडीपन का इम्तेहाँ ले रहे थे....
मैं: राहुल प्लीज़ इतना भी मत तड़पाओ... प्लीज़?
राहुल: अरे मेरी जान तू खुल जा बस हमे तेरी एक मस्त जलक देखनी है...
मैं भी मक्कम थी... मैं अपने जलवे होटल में जाकर ही दिखाने वाली थी... आज तो मैं एकदम मूड में थी... करीब एक घंटे रात को करीब ग्यारह बजे हम होटल नीलकमल जो शहर का सबसे फेमस होटल था और जहा सिर्फ अमीरजादे ही आते थे वहा पहोंचे... हम होटल के बाहर रुके और प्रवेश द्वार पर सिक्यूरिटी वाले ने हमे रोका... हमारे पास वेगन आर गाडी थी जो इस होटल के अंदर अलाउड नही थी!!!!! वहा महंगी गाडी को आने की ही अनुमति थी...!!!!
राहुल: अब?
मैं: मैं ट्राय करू?
समीर: हा भाभी जाओ अंदर अगर जा पाओ तो एकबार मिल आओ...
मैं गाडी से बाहर निकली... सिक्योरिटी वाला मुझे देख रहा था... मेरे ऐसे कपडे देख कर हैरान था...
मैं: मैं क्या अंदर पैदल जाकर एकबार आपके मालिक से मिल लूँ?
मैं जुठमुठ का कपड़ा मम्मो के पास ठीक कर रही थी ता के वो मुझे हां बोल दे... उसने मुझे पैदल जाने दिया... मैं अंदर गई और अंदर देखा तो बड़ा आलीशान होटल है... मैंने मेनेजर केबिन देख ली थी... मैं सीधी अंदर गई... अंदर सिर्फ मेनेजर ही था... वो मुझे देख हक्का बक्का रह गया...
मैं: हमारे पास वेगन आर गाड़ी है और हमे अंदर आने की अनुमति नहीं है... देख लो मैं चली जाउंगी...
मेनेजर: अरे मेम कितने लोग हो?
मैं: मैं मेरा पति और मेरा देवर...
मेनेजर मुझे भूखी नज़रो से देख रहा था... उसने मुझे पटाने के लिए दाव आजमाया...
मेनेजर: बैठिए न?
मैं: बैठना नही है भूख लगी है... जल्दी बोल...
मैंने टेबल पर अपने हाथ रखे और बदन को झुकाया ता के मेरे मम्मो के जलवे दिखा सकु... निचे भी चूत के होठ तो देख ही सकता था... मेनेजर जानबूजकर मुझे चिढ़ा रहा था...
मेनेजर: देखिये... यहाँ के कुछ रूल्स हे पॉलिसी है... पहले तो गाडी और फिर ऐसे कपड़े...
मैं: क्यों अच्छे नहीं लग रहे? नज़ारे तो नज़र गाड़ गाड़ के देख रहे हो...
मेनेजर: मेडम यहाँ है लोग... आप समजिए बात को...
मैं: हां तो होटल है सार्वजनिक है...
मेनेजर:सार्वजनिक नहीं है यहाँ सिर्फ कुछ प्रकार की गाडियो वाले ही आ सकते है...
मैं: प्लीज़ कुछ कीजिए न?
मैं थोडा और जुकी...
मेनेजर: पर इसकी फ़िज़ लगेगी... अलग चार्ज लगाउँगा...
मैं: बोलिये न ? क्या करना होगा मुझे?
मेनेजर: देख लो... फिर मुकर ना मत...
मैं: अरे बोलिए तो सही...
मेनेजर: जरा अपने मम्मो के दर्शन तो करवाइए...
साला पता था मुझे... पर मुझे उनको सताना था...
मैं: अरे ये तो थोड़ी ज्यादा फ़िज़ है... मेरे पति बाहर ही है...
मेनेजर: हा तो चली जाओ...
मैं: अरे अरे... ऐसा मत कीजिये...
मेनेजर: तो दिखा दो...
मैं: तो फिर गाडी अंदर आने दोगे... और हम यहाँ रह सकते है डील? सिर्फ मम्मे देखने दूंगी ओके?
मेनेजर: हा ठीक है... हर चीज़ की किम्मत लूंगा... पैसो के बदले...
मैं: चल डील...
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