Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी ने
12-01-2018, 12:24 AM,
#49
RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
मैंने हलके से उसे उकसाते हुए...मेरे मम्मो के दर्शन करवाये... वो देखता रहा और अपना लण्ड सहला दिया...

मेनेजर: पूरा दिखाओ मेमसाब वरना गाडी अंदर नहीं आएगी...

ठीक है चल मैंने पूरा निचा कर के उसे मेरे मम्मो के दर्शन करवाये... वो उनके चहेरे पर वासना देख मुझे बड़ा मज़ा आया... मैंने चार पांच सेकेण्ड रख्खा और वापस मस्ती भरी अदाओ से ढक दिया... मेनेजर ने तुरंत फोन लगाया और

मेनेजर: सिक्योरिटी, वेगन आर को अंदर आने दो...

फोन रख के...

मैनेजर: जाइए मेडम आप जा सकते है..

मुझे अच्छा लगा के उसने तब हु कुछ नहीं मांग लिया और भी... मैं बाहर निकली और वो मेरे पीछे पीछे निकल के आने लगा... वो वेलकम गेट पर पहोच गया और ये लोग गाडी पार्क के आये... वो लगातार मुझे घूरता ही जा रहा था... पर मुझे मज़ा आ रहा था...

राहुल: कैसे इंतेज़ाम हुआ कीर्ति?
मैं: अरे हर्जाने का भुगतान करना पड़ा है...
राहुल: कैसा हर्जाना जान?
मैं: (मेनेजर को सुन सके ऐसे बोला) भाईसाहब को मम्मे दिखाने पड़े...
राहुल: अरे वाह सिर्फ मम्मे दिखाने में एंट्री मिल गई?

मेनेजर हमे देख थोडा हैरान था... के ये क्या फेमिली है... हम तीनो अंदर दाखिल हुए... गाड़िया दो थी उसके हिसाब से अंदर कुछ सात लोग थे... मैं जैसे दाखिल हुई सबकी निगाहें मेरी और थी... भेड़िये सब के सब... हम लोग वे लोग बैठे थे उनके बगल वाले ही टेबल पर जानबूजकर बैठे... वो सब मुझे देख रहे थे.... हवसखोर.. और मैं और गीली होती जा रही थी... चारो और टेबल थे और बिच में डिस्को के लिए स्पेस था... हल्का हल्का म्यूजिक चल रहा था.. मेनेजर और बाकी के कामदार भी सब की निगाहें मुझे देख रही थी... मुझे बहोत ही मजा आ रहा था... मैं जैसे जड़ ही चुकी हूँ ऐसी गीली हो गई थी... हमने खाना ऑर्डर किया... तब ही एक बन्दा उठा और मेरी और मेरे पास आया... वो सात जन में से एक...

केतन: मेम मेरा नाम केतन है, केतन इंडस्ट्री का ऑनर... क्या आप मेरे साथ डांस करेंगे?
मैं: ये मेरे पति है और ये मेरे देवर है... हम अभी ही आये है... खाना भी नहीं खाया... कुछ खाले पहले मिस्टर केतन?
केतन: स्योर मेम...

वो चला गया... पचास साल के करीबी उम्र का लग रहा था वो... पर थोड़ी देर में वे भूखे प्यासे लोगो ने मुझे वापस अपनी और खीचना चाहा....

केतन: मेम और सर... व्हाई डोंट यू जॉइन अस? हमारा खाना भी आ ही रहा है, हमें जॉइन करे। इस रेस्टोरॉन्ट में और कोई है भी नहीं...
राहुल: हा स्योर, वैटर?
वैटर: हा सर बोलीए? (अह ये वैटर मुझे ही घूरे जा रहा था)
राहुल: ये दोनों टेबल्स जो जॉइन कर दो... हम साथ खाएंगे...
वैटर: जरूर....

उन्होंने उसके साथी लोगो को बुलाया और टेबल को मर्ज कर दिया... केतन ने उनके साथी मित्र लोगो से सबका परिचय करवाया... सब कोई न कोई बड़े बिज़नेसमेन थे। सब कोई बड़ी कंपनी के मालिक थे इस या पडोसी शहर के। और हमसे अपना इंट्रोडक्शन करवाने के लिए बोला... समीर ने हमारा परिचय करवाया... और खुद को भी बिज़नेसमैन बताया... वैसे सच बोला के स्टार्टअप है और फंड रेजिंग कम्पनी है चेतन प्राइवेट लिमिटेड। पर उसमे से एक जन बोला के

"क्या आप चेतन दिवेटिया के बारे में बात कर रहे है?"
समीर: हा...
"अच्छा वो यही है, जरा एक मीटिंग में बिज़ी है बस आते ही होंगे"
समीर: ओह क्या बात कर रह है?
"हा.. वो दरअसल एक क्लाइंट के साथ ऑनलाइन कॉन्फरन्स में है बस अब तो ख़तम हो जानी चाहिए थी, साले को कितनी बार बोला है की दोस्त जब मिले तो ये सब मत रख्खा करे... माफ़ कीजिए वो दरअसल मेरा दोस्त है तो हम ऐसे ही बुलाते है"
समीर: हा बिलकुल....

मैं बिलकुल एक दूसरी साइड बैठी थी... समीर राहुल आमने सामने और मैं राहुल के बगल में... बाकि की जगह दूसरे लोग... सबकी निगाहें मुझे ही देख रही थी....

"वैटर? चलो भाई भूख और बढ़ी जा रही है खाना लाओ, किसीको हमारी परवाह है की नहीं?"

ऐसा बोलने वाला भी मुझे ही देख रहा था... भूख उसकी कौन सी और कैसे बढ़ने वाली थी सबको पता था... तब ही एंट्री हुई चेतन दिवेटिया की जो के केविन के पापा है... है भगवान आज तो क्या होने जा रहा है?

चेतन: अरे राहुल तुम? हेल्लो..... में....म हेलो समीर बेटा... राहुल आओ एक मिनिट...

राहुल और चेतन जी एक और चले गए बाते करने लगे... इधर राहुल के बगल में बैठे थे वो मुझे एक तक ऊपर से निचे देखे जा रहा था...

"क्या लग रही है आप!"
मैं: शुक्रिया
"शुक्रिया खुदा का कीजिए..."
मैं: जी बिलकुल...
"आप है तो हमे जिन्दा होने का होसला मिलता है"

हम सब हस पड़े... मुझे तो मेरी वासना ही खाए जा रही थी... क्या करूँ? पर मैं उन सबको अपने जलवे दिखाने के लिए, अपने मम्मे वाले हिस्से के कपड़े को बार बार ऊपर चढ़ा रही थी... वैसे भी छोटा था तो वो निचे खीच जाता था.. चेतन जी जो केविन के पापा थे वो और राहुल वापस आये...

चेतन: भाभी जी नमस्कार... मेरी राहुल से सारी बात हुई अभी, और मैंने अभी अभी फैसला लिया है... बस आपके अनुमति की देर है... दोस्तों मैंने हमारी नई कंपनी जो पिछले महीने ही हमारी कम्पनी को मर्ज कर के बोर्ड ऑफ़ डिरेक्टर की टीम बनाई है उसमे अब हम आठ नहीं पर दस जन होंगे ऐसा फैसला लिया है... राहुल और कीर्ति हमारे नए दो मेम्बर बनेंगे

मुझे और समीर को समझ नहीं आ रहा था, वैसे ही बाकी के सात जान को भी समझ नहीं आ रहा था...

चेतन: ये तब ही मुमकिन है जब आप मेरी अगली शर्त माने... राहुल ने बताया आपके बारे में..... आपको जरूरत है वो हम आपको देगे बदले में आपको हमे जो जरूरत है वो आप देगे... और आपका बोर्ड में स्वागत है... वैसे आपको हमारे सब के पर्सनल सेक्रेटरी बन के रहना है....

फिर चेतन जी ने सबको मेरी बात बताई... दस मर्द मेरी कमज़ोरी के बारे में जानते थे.. अब सबकी मेरी और देखने की हवस में महसूस करती थी... मुझे भी लण्ड खाने की इच्छा और प्रबल हो रही थी... बस किसी के निचे दब जाऊ मैं... मेरी वासना इन सब लोगो पर भारी हो पड़े इतनी बढ़ती जा रही थी... मेरी चूत पानी पानी हुई जा रही थी... और आज तो मेरा दाव बनाकर मुझे ही भरी बाजार में रख्खा गया था... मेरे पति को मेरी वासना से ऊपर से फायदा होने वाला था.... सब मर्दों की निगाहे मेरी इच्छा और मेरी निर्णय पर थी... मेरे फैसले पर सब कुछ होना है... मुझे तो बस लण्ड चाहिए था... किसका क्या क्या फायदा होगा वो सोचने की समझ मुझे मेरी वासना नहीं दे रही थी...

चेतन: तो कीर्ति क्या सोचा है... आपके बदन का पूरा खयाल रख्खा जाएगा... आपके प्रोब्लेम्स का ध्यान रखेंगे और आप हमारे...

मुझे तो बस लण्ड चाहिए था.... पर मुझे उन लोगो को थोडा तड़पाने का मन था...

मैं: सोचती हूँ...
"इसमें सोचना क्या कीर्ति जी... आपके पति भी तो यही चाहते है"
मैं: ह्म्म्म पर मेरी कुछ शर्त है.... राहुल की इजाजत हो तो बोलुं?
राहुल: हा बोल मेरी जान... तेरे लिए ही तो सब इंतेज़ाम हो रहा है... हमारे उज्जवल भविष्य के बारे में भी सोचना....
मैं: ह्म्म्म ठीक है.... पहली शर्त सिर्फ और सिर्फ मैं ही आप सबकी एक लौती सेक्रेटरी रहूंगी... और कोई नहीं...
"ठीक है"
मैं: हमारे ऑफिस में मुझे जैसे कपडे पहनने है वैसे पहनूंगी
"वो भी ठीक है"
मैं: अगर स्टाफ में मैं किसी के साथ सोती भी हूँ या किसी और का बिस्तर गरम करती हूँ तो मुझे कोई रोकटोक नहीं होगी...
"चलो वो तो मैंने सोचा है के अगर आप ये डील साइन करते है तो एम्प्लॉय ऑफ़ ध मंथ का अवॉर्ड आप ही रहेंगे... इससे हमारे एम्प्लॉय के काम करने का मन बना रहेगा आपका जिस्म पाने के लिए...
मैं: हा वो भी ठीक है... और आखरी, हर कोई मुझे अपनी रण्डी समझ के रखेगा... मेरा सम्मान बरक़रार रहना चाहिए पर मुझे यूज़ एक रण्डी की तरह अपना अधिकार बना कर करे...

सब ने हां में हां मिलाई... और खाना आने के बाद सब लोग हम डांस फ्लोर पर गए... मैं दस लोगो से घीरी हुई थी... सब मुझे कब से निगाहो से छु रहे थे... पर अब सब मुझे धीरे धीरे छु रहे थे... मुझसे अब और देर बरदास्त नहीं हो रहा था... मैंने अपना कपड़ा तुरन्त उतार कर सबके सामने नंगी हो गई... सब गालिया बक रहे थे... मुझे यहाँ वहा छु रहे थे... मैं सातवे आसमान पर थी... दस दस जन के बिस हाथ मुझे मेरे बदन को सहला रहे थे... मैंने और रोमान्च पाने के लिए.. चेतन को उनके बेटे को बुलाने के लिए उनके बाहो में जाकर बोला, उसने मुझे मेरे मम्मो के साथ भीच कर होठो पर किस की और हा बोल दी... चेतन ने फोन रख के बोला के वो बाकि के दोस्तों को भी ला रहा है... मुझे और ख़ुशी हुई... अब चौदा जन मेरी खातिरदारी करने वाले थे... मैं अपने कमर हिला हिला कर सबका मनोरंजन कर रही थी... तभी राहुल ने अपना लण्ड निकाल कर मुझे घुटनो पर बैठाया... और चूसने को बोले.. सब बारी बारी अपने कपडे निकाल कर नंगे मेरे सामने.... किसीका आठ इंच तो किसीका दस इंच कोई ग्यारह इंच जैसा लम्बा काला लण्ड भी दिख रहा था... सब के लण्ड चूस रही थी के करीब एक घंटे तक मैं मेरा मुह दुःख नहीं गया तब तक चूसती रही... सब बारी बारी मेरे मुह में अपना माल उधेड़ रहे थे.... मैंने किसीका भी वीर्य वेस्ट जाने नही दिया... केविन और बाकी दोस्त भी आ गए... आते ही सब अपने कपडे उतार कर मेरे मुह में लंड ठूसने लगे... मैंने उन लोगो के भी बड़े चाव से मुह में लिए... मुझे चौदा जान चोदने वाले थे बहोत मज़ा आ रहा था... वो चारो जन भी मेरे मुह में ही जड़े... सबका ध्यान मेरी चूत और गांड पर थी अब... पर मैंने सबको पहले एक एक करके आने को बोला...

लगभग चोदा जन मुझे बिस बिस मिनिट तक ठुकाई करते रहे कभी गांड मारते तो कभी चूत.. मिशनरी पोसिशन, डौगी स्टाइल या खड़े खड़े सब मुझे चोदे जा रहे थे... चार पांच घंटे तक मुझे सब लोग रंडी की तरह पैल रहे थे... राहुल को मज़ा आ रहा था के नहीं ये मेरा सब्जेक्ट था ही नहीं... मुझे बस वासना की मारी बस लण्ड चाहिए थे मुझे... समीर और उनके दोस्तों ने भी मुझे खूब चोदा... केविन और उसके बाप ने मैंने एकसाथ चोदने का न्योता दिया... दोनों बाप बेटे ऐयाशी थे... खूब अच्छे से मुझे मेरी दोनो साइड को खूब घिसा... दोनों ने गांड में एकसाथ लण्ड डाला तब ज्यादा परेशानी हुई... पर मुझे तब ज्यादा हैरानी हुई के लोगोने मेरा यूज़ वहा तक किया के जब तिन तिन लौड़े एकसाथ मेरी गांड में घुसेड दिए, चूत में भी घुसेड दिए, और मेरी चूत गांड की गहराई में वे छिप भी गए... चौदा जन के बिच बारी बारी से चोदे तो भी दो तिन घंटे के बाद पहला वाला रेड़ी हो जाए... सुबह के पांच छे बजे थे और अब सब थके थे... मैं भी अब थक गई थी... होटल के कामदार स्टाफ सब पूरी रात फ़टी आँखे देख रहे थे... क्योकि ऐसा गैंगबैंग तो आँखों देखा कहा नसीब होता है? जब भी मैं दो लण्ड मेरे मुह में लेने का प्रयास करती उनकी आँखे फटी की फटी रह जाती... मैं ये दिन कभी नहीं भूल सकती... वो पूरी रात अपने जिस्म को मैंने बिना संकोच किए हवाले कर दिया... और जो मज़ा पाया है...

अगर ऐसे वेट करना पसंद नहीं आता था...



तो फिर मेरी औकात के अनुसार मुझे इस तरह इस्तेमाल किया जाता था...



उस रात की सुबह हुई तब तक चौदा जन से मैंने संभोग कर लिया था... ये सम्भोग का आनन्द आज भी मेरी चूत गांड में गूंज रही है...

उस रात को होटल के मेनेजर को ज्यादा दाम देना पड़ा था... ये सब मेरे साथ थे इसलिए मुझे और बेआबरू से बचा के रख्खा... हालाँकि सबने मेरी आबरू के साथ इज़्ज़त से मेरी मरज़ी से लूटी थी...

अब अंतिम भाग.....

आज मैं अट्ठाइस साल की हूँ... मुझे और मेरे पति को वादे के अनुसार कम्पनी में बोर्ड ऑफ़ डिरेक्टर की पेनल में रख दिया गया है... इंडिया में मेरी बीमारी को कोई समझ नहीं सकने वाला था इसलिए मुझे और मेरे पति के खातिर दूसरे देश भेज दिया गया है... जहा पोर्न इंडस्ट्री भी जायज़ है... समीर की पढाई ख़त्म होते ही उनको यहाँ भेज दिया गया है... उन्होंने मेरे चलते शादी नहीं की... वैसे भी मैं उनके साथ एक पत्नी की तरह ही तो रहती हूँ... वो कहता है के अगर आने वाली लड़की ये सब न समझ पाये तो क्या होगा? और बदनामी हो सकती है... उससे अच्छा है शादी ही न करू...

मैं उन्हें पत्नी होने का सारा सुख जैसे राहुल को देती हूँ वैसे ही देती हूँ... दूसरे से मैं अभी भी सेक्स कर लेती हूँ पर वो मेरी जरूरियात है... प्यार तो सिर्फ मैं राहुल और समीर से ही करती हूँ... मैंने दो साल से थेरपी चालू की है पर मुझे थेरपी देने वाला खुद मेरी जाल में फस गया और मुझसे सम्भोग करने को आदि हो गया... वो भी कहता है की अगर तुजे ये मानसिक रूप से परेशान नही करती है तो फिर हम लोगो को खुशिया दे दे... और मुझे भी यही सही लगता है... जो जो वे लोग अपनी पत्नी से नहीं मिल पाते वो वो सब वे लोग मुझसे ले जाते है... और मैं ख़ुशी ख़ुशी दे भी देती हूँ...

आप लोगो से एक निवेदन है... बदचलन होना और किसी सिंड्रोम का शिकार होना दो अलग बात है... लड़की की सेक्स की भूख को समजे... उससे रुसवा करके आप अपने पैरो पे कुल्हाड़ी मत मारना..... ये एक बीमारी है जिसका मैंने दो तिन देशो में जाकर चेक करवाया है... और ये मुश्किल से दीखता है...

चलिए हमारे साथ बने रहने के लिए खूब खूब धन्यवाद.... कहानी का अंत यहीं होता है....
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RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �... - by sexstories - 12-01-2018, 12:24 AM

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