RE: Desi Sex Kahani पहली नज़र की प्यास
पर नीचे उसकी चूत का भी बुरा हाल था...
जिसकी प्यास तो उनके होंठो या लंड से ही बुझ सकती थी..
अंकल जी का लंड तो इस वक़्त सिकुड कर मरा हुआ चूहा बन चुका था वो उसकी चूत के उपर ही रगड़ खा रहा था , अगर वो तना हुआ होता तो शायद वो उसे उसकी चूत में ही पेल डालते अब तक..
पर कामिनी शायद अभी उनसे चूत मरवाने के लिए तैयार नही थी,
ऐसा करना होता तो वो उनके लंड को मुँह में ही लेकर ना झाड़ देती...
अपनी होने वाली शादी का कुछ तो लिहाज रखना था उसे..
इसलिए उपर-2 की चूसम चुसाई से ही काम चलना था उसे और अंकल जी को...
उन्हे तो वो निपटा ही चुकी थी अब उसका नंबर था...
इसलिए अपने होंठो से धक्का देकर उसने अंकल को नीचे का रास्ता दिखाया जो जन्नत का द्वार था..
अंकल जी भी बड़े हरामी थे,
नीचे जाने मे भी उन्होने काफ़ी टाइम लगाया,
बीच में 2 पहाड़ी चेक पोस्ट भी तो आई थी, जिन्हे उन्होने जी भरकर चूसा और दबाया...
अपने अनुभवी मुँह का इस्तेमाल वो उसके हर अंग पर कर लेना चाहते थे..
उसके निप्पल्स को बारी-2 से चूसने के बाद उसके मोटे मम्मों को मुँह में भरकर काटा उन्होने...
अंकल जी का मन तो नही कर रहा था उन मुम्मों को छोड़ने का पर नीचे से आ रही शाही बिरयानी की खुश्बू अब उन्हे भी पागल कर रही थी, इसलिए वो उसके गोरे पेट और नाभि को चूसते हुए धीरे-2 नीचे जा पहुँचे और जब कामिनी की चूत पर अंकल जी की गर्म साँसे पड़ी तो कामिनी ने खुद ही उनके सफेदी से भरे बालों वाले सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर खींच लिया और ज़ोर से कराह उठी
''ओह अंकल..... उम्म्म्ममममममममममममम...... म्*म्म्ममममम मजा आ गया..... अहह..... सकककककक मी...... अंकल....... जी..... अहह.... चूऊसो इसे.... ज़ोर से..... अहह''
बाकी का काम अंकल जी की करामाती जीभ ने किया,
उसकी चूत के दाने को उन्होने ऐसे कुरेदा की वो किल्कारियां मारकर बिस्तर पर ऐसे मचलने लगी जैसे वो दाना नही बल्कि उसकी जान हो और अंकल जी आज उसे अपने मुँह से निकाल कर निगल जाएँगे..
अंकल का एक हाथ उसके सीने पर था,
अब वो उसे दिलासा दे रहे थे या उसके मोटे मम्मे दबा रहे थे ये तो वही जाने पर एक साथ 2 जगह हुए इस हमले से वो बच नही सकी और अपनी चूत की रंग बिरंगी पिचकारियां उसने अंकल जी के मुँह में निकालनी शुरू कर दी..
''अहह अंकल...... मेरी जाअँन ...... अहह ओह्ह्ह वॉट ए फीलिंग..... उम्म्म्ममममममम .... मार डाला आपने तो...... सच कह रहे थे.... अभी ये हाल है तो जवानी में ...अहह क्या करते होंगे आप...... कमाल का तरीका है आपका....चूसने का.....अहह....मैं तो गयी......उम्म्म्मम...''
और धीरे-2 उसके हिचकोले ख़ाता हुआ शरीर शिथिल पड़ गया और उसने अपना सारा रज अंकल जी को अर्पित कर दिया जिसे वो किसी भूखे भेड़िए की तरह चाट गये..
कुछ देर बाद वो उठी और उसने खुद ही अंकल जी को अपने उपर खींच कर उन्हे अपने होंठ समर्पित कर दिए,
उनके हाथ अपने सीने पर रखकर खुद ही उन्हे दबा डाला और उनकी टाँगो पर टांगे फँसाकर उन्हे जितना हो सकती थी अपने अंदर खींच कर स्मूच करने लगी...
शायद आज का दिन अंकल जी की लाइफ का सबसे यादगार दिन बनकर रहने वाला था...
कुछ देर बाद वो खुद ही अलग हुए क्योंकि उन्हे अपनी बेटी का भी डर सता रहा था जो दूसरे कमरे में कुणाल के साथ वही सब कर रही थी जो इस वक़्त वो कामिनी के साथ कर रहे थे...
वो खड़े हुए और उन्होने कपड़े पहन लिए,
कामिनी भी बाथरूम में घुस गयी और कपड़े पहनकर और अच्छे से मेकअप करके वापिस आ गयी...
इसी बीच दूसरे कमरे में भी सब कुछ निपट चुका था इसलिए बाहर का वातावरण परखने के बाद कुणाल भी कमरे से बाहर आ गया...
कुछ देर तक बैठने के बाद वो कामिनी को लेकर घर आ गया.
कुणाल की इच्छा पूरी हो चुकी थी और निशु भी अपने आप को अपने पहले प्यार से चुदवाकर काफ़ी खुश थी...
हालाँकि वो जानती थी की वो प्यार अब उसका नही रहा पर ये एक खुशी वो अपने पास कुणाल की कामिनीनी बनाकर रखना चाहती थी...
वही दूसरी तरफ अंकल जी भी एक जवान जिस्म को भोगने के बाद अपने आप को दूसरी ही दुनिया में पहुँचा हुआ समझ रहे थे...
हालाँकि चूत नही मार पाए थे वो कामिनी की पर जितना भी किया था उसके साथ वो भी उनके लिए बहुत था...
कामिनी भी इस नये एक्सपीरियेन्स को पाकर काफ़ी खुश थी...
इस दीवाली पर सभी को कुछ ना कुछ मिल चुका था...
तीन पत्ती के खेल का उन सभी को खुश करने में काफ़ी बड़ा योगदान था...
वो खुशी जो उनके साथ पूरी उम्र रहने वाली थी.
*************
समाप्त
**************
|