RE: Chudai Story लौड़ा साला गरम गच्क्का
"उईईईई ....मेरी चूची .....मम्मी मर गई में ...सी sssssssss "
मन न न न न न न ....…... बचाओ मुझे ..... कहाँ हो ? .... अरे रररर्रे मम्मी फट गई मेरी चाचा छोड़ दो मुझे "
उस सुने बाग़ में तनु की चीखे सुनने वाला कोई नहीं था जो था वो अपनी लोली को सहला कर उसकी चुदाई देखने के
मजे ले रहा था !
और तनु की दर्द भरी चीखें शास्त्री को और उत्तेजित कर रही थी वो वेसे ही धक्के मारते मारते अपना मंत्र
बोल रहा था -
"चुतर चिक्कन चूत बा ठस्सा .....छेद घचाघच घचमघच्चा .."
"चभक के चापे तो निकले बच्चा ...."
आई मम्मी .....मेरे निकल रहा हे री .....अरे में झड जाउंगी ......आआआअ ....ह्ह्ह्ह्ह ....
में झड गई ...सी sssssss बस .....अब मत करो .....जलन हो रही हे ...."
तनु चूत -चोदु मंत्र को सुनकर और उसके मूसल जेसे लंड से चूत का रेशा रेशा खोल देने वाली चुदाई से खुद
झड़ने से ज्यादा देर रोक नहीं पाई और शास्त्री की कमर में अपने पेरों की केंची मार कर उससे कस के लिपट गई !
योनि से छूटते गरम गरम पानी की बूंदे और योनि का संकुंचन जो की उसके लिंग को पकड़ और छोड़ रहा था
उसे महसूस कर शास्त्री भी ज्यादा देर नहीं टिका रह सका !
और ...
" चभक चभक के चोद चोदाउल .....मार भोसड़ी छोड़ दे छर्रा ..."
और फिर शास्त्री किसी हांफते हुए कुत्ते की तरह एक चूची को मुह में भर कर उसकी घुंडी को दांतों से चिभलाते
हुए तनु की योनि में अपना पंद्रह साल का इकठ्ठा किया हुआ वीर्य मूतने लगा !
लिंग को अपनी योनि में फूलता पिचकता महसूस कर तनु और कस कर शास्त्री की चौड़ी नंगी छाती से चिपक गई
मानो उसका एक एक बूँद वीर्य अपनी योनि में भर लेना चाहती हो !
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