Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
12-28-2018, 12:47 PM,
#34
RE: Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें
"तुम मुझसे मिलने क्यों नही आए. इतना समय क्यों लगा दिया. जानते हो कितने महीने बीत गये हैं" वो यकायक मेरी तरफ देखकर बोली. उसके स्वर मैं बड़ी बहन का रुआब झलकता था और उसमे शिकवे का भी पुट था.

"मगर तुमने तो खुद ही लिखा था कि मैं तुमसे मिलने ना आऊ.... तुम्हारा खत?......" मैने उसे खत की याद कराते हुए कहा जिसमे उसने लिखा था कि मैं उससे मिलने ना आऊ क्योंकि इससे उसका इरादा कमज़ोर हो जाएगा. 

"जब मैने तुम्हे नही आने का लिखा था तो मेरा मतलब था कि तुम जितना जल्द हो सको मुझे मिलने आना. मैं पहले दिन से तुम्हारी राह देख रही थी. सोचती थी तुम आज आओगे, कल आओगे. मैं घर से उस तरह आ तो गयी थी मगर बाद में तुम नही जानते मैं कितना परेशान थी यही सोचकर कि तुम्हारी क्या प्रतिक्रिया होगी? जब तुम बहुत दिनो तक नही आए तो मुझे लगने लगा कि शायद तुम मुझसे बहुत गुस्सा हो गये हो. फिर एक दिन मैं हिम्मत हार बैठी और उस दिन छुट्टी लेकर घर को आने वाली थी कि उसी दिन माँ आ गयी. जब उसने बताया कि तुम मेरे जाने के बाद.......तुम किस....किस तरह.....मुझे ढूँढ रहे थे......तो मैं.....मैं.......मुझे माफ़ करदो भाई......मुझे माफ़ करदो....मैने तुम्हे ...दुख के सिवा कुछ नही दिया....मुझे माफ़ करदो" वो फिर से सुबकने लगी थी. मगर इस बार वो थोड़ी शांत थी. वो जैसे अपने अंतर में उस पीड़ा को छिपाने की कोशिश कर रही थी जो उसने इस समय में झेली थी.

"बस करो रोओ नही.......मैं तुमसे बिल्कुल भी नाराज़ नही हूँ......" मैने उसके सर को अपनी छाती से लगा लिया और अपनी बाँह उसके कंधे से उसकी कमर पर लपेट दी. उसकी आँखो से निकलते आँसू मेरी कमीज़ को गीला कर रहे थे. "मुझे तुम्हारा खत बाद में मिला था. मुझे सूझा ही नही था कि तुम उस जगह का इस्तेमाल करोगी खत रखने के लिए. तुम्हारा पता चलने से पहले मैं यही सोचता था कि जैसे ही तुम्हारे बारे मे पता चलेगा मैं तुम्हे ले आउन्गा मगर जब तुम्हारे बारे मे पता चला और फिर वो खत पढ़ा तो मैने यही फ़ैसला किया कि अगर हमे सदा के लिए एक साथ रहना है तो अभी जुदाई झेलनी ही होगी. वैसे भी मैं तुम्हारी कमज़ोरी नही बनना चाहता था बल्कि तुम्हारी हिम्मत बनना चाहता था. मुझे नही मालूम था कि अगर उस समय मैं तुमसे मिलने आता तो मैं तुम्हे यहाँ रहने देता या नही.......उस समय तुमसे बिछड़कर मैं बहुत दुखी था" उन दिनो की याद आते ही बदन में एक झुरजुरी सी दौड़ गयी जिसे बहन ने भी ज़रूर महसूस किया होगा. उसने मेरी छाती से चेहरा उठाकर मेरी ओर देखा. 

"मुझे इसी बात का डर था के तुम्हे शायद खत ना मिले. मगर माँ को पता लगने के डर से मैं वो खत कहीं और ना रख सकी. मुझे आशा थी कि तुम्हे देर सवेर सुझेगा ही उस स्थान को देखने का" अब वो शांत हो गयी थी, उसकी आँखो मे कुछ नमी तो थी मगर वो रो नही रही थी. उसने फिर से अपना सर मेरी छाती पर टिका दिया. "माँ ने जब सारी बातें बताई थी तो मुझे थोड़ा हौसला हो गया था कि तुम मुझसे नाराज़ नही हो. फिर वो जब भी मुझसे मिलने आती तुम्हारे बारे मे बताती, वो सीधा तो नही बोलती थी मगर बात घुमा कर जैसे मुझे बताती थी कि तुम मुझसे मिलने के लिए जल्द ही आओगे. मैं हर दिन खुद को हौसला देती थी, खुद की हिम्मत बढ़ाती थी मगर यहाँ अकेले, इतनी तन्हाई मैं कभी कभी मेरी हिम्मत जबाब दे जाती, मैं सब से छुपकर रोती, मन में एक डर था अगर तुम नही आए तो........" उसकी बाहें मेरे सीने पर कस गयी. मैने कमीज़ के उपर से उसके होंठो का स्पर्श अपनी छाती पर किया. 

"मेरे लिए भी आसान नही था.......कभी कभी मेरी भी एसी ही हालत हो होती थी जैसे तुम बता रही हो...मगर मैं हमारा भविष्य संवारना चाहता हूँ......मैं चाहता हूँ कि हम खुल कर जी सकें......दूसरों की तरह अपना परिवार बना सकें ...बिना किसी के डर के........और ऐसा अपने गाँव में रहकर तो नही हो सकता था......और मैं यह भी देखना चाहता था कि हमारे प्यार में कितनी ताक़त है, कितनी सच्चाई है......कहीं यह सब जवानी का उतबलापन तो नही है..."

"मेरे लिए तो ज़िंदगी का मतलब ही तुम हो.......तुम्हारे सिवा इस दुनिया में मुझे किसी और देखना भी गवारा नही. तुम्हे मुझ पर भरोशा नही है?" वो मेरी आँखो में झाँकते बोली. 

"तुम्हारे इस तरह जाने के बाद दिल डोल सा गया था....कुछ समझ में नही आता था.....मगर जब मैने तुम्हारा वो खत पढ़ा तो मेरी सारी शंकाए दूर हो गयीं. उसी रात मैने फ़ैसला कर लिया था कि मैं हर दिन हर पल अपना पूरा ज़ोर लगा दूँगा और जल्द से जल्द तुम्हे यहाँ से कहीं दूर ले जाउन्गा"

"फिर भी तुम्हे मुझसे मिलने आना चाहिए था.......मैने एक एक पल एक एक साल की तरह गुज़ारा है......" वो कुछ लम्हो की चुप्पी के बाद बोली.

"मैं ज़रूर आता मगर खत में तुमने जो सवाल किए थे मुझे उनका भी ध्यान भी था" 

"सवाल?" उसने सवालिया नज़रों से मेरी ओर देखा. 

"भूल गयी जब तुमने कहा था कि तुम्हे पूरा हक़ चाहिए था....तुम्हे अधूरा प्यार नही पूर्ण प्यार चाहिए था......"

"याद है...याद है....वो तो मैं जज़्बातों में आकर ऐसा लिख गयी थी, मैं तुम्हे मज़बूर ....."

"मजबूर नही.........मगर मैं तुम्हे तुम्हारा हक़ देना चाहता हूँ..." मैं उसकी बात काटता बीच में बोला और मैने अपनी जेब से एक पॅकेट निकाला जो उस दिन मैने एक ज्यूयलरी की दुकान से खरीदा था. उसने मेरे हाथ में वो पॅकेट देखा तो मेरी ओर देखा जैसे पूछ रही हो उसमे क्या है. मैने उसे पॅकेट दिया और उसे खोलने के लिए बोला. वो मुझसे हटाते हुए सीधी होकर बैठ गयी और पॅकेट खोलने लगी. वो बार बार मेरी ओर शंकित नज़रों से देख रही थी. जब उसने पॅकेट खोला और उसमे से वो गले में डालने वाला हार निकला तो वो जैसे भोचक्की सी रह गयी. वो दो धागो में काले मनके डालकर पिरोया हुआ हार था. थोड़ी लंबाई मन्को की थी और फिर थोड़ी लंबाई सोने की चैन की, फिर से मनके और फिर से सोने की चैन, इसी तरह वो हार बना हुआ था. उसमे नीचे सोने का एक दिल के आकार का लॉकेट लगा हुआ था. 

"यह..,यह....यह तो......यह तो...मंगलसूत्र?........" उसे जैसे विश्वास ही नही हो रहा था, हैरत से उसकी आँखे चौड़ी हो गयी थीं.

"हूँ...यह मंगलसूत्र ही है....." मैने उसके हाथों से मंगलसूत्र लिया और जैसे ही मेरे हाथ उसके गले की ओर बढ़े वो अपना दुपट्टा उतारने लगी, उसके होंठ फरकने लगे, जिस्म काँपने लगा और आँखो से अश्रुओं की धाराए बहने लगी. मैने उसके गले मे मंगलसूत्र डाल कर उसकी हुक लगानी चाही तो उसने धीरे से घूम कर अपनी पीठ मेरी ओर कर दी. मैने हुक लगा दी मगर वो मेरी ओर वापस नही घूमी. वो सिसक रही थी. मैने उसका कंधा पकड़ उसे अपनी तरफ घुमाना चाहा मगर वो फिर भी ना घूमी. मैं उठ कर दूसरी तरफ उसके सामने बैठ गया. वो चेहरा नीचे किए रोए जा रही थी. मैने उसका चेहरा उपर उठाया तो उसने मेरी ओर अश्रुओं से भरी आँखो से देखा और फिर से अपनी नज़र झुका ली. मैं थोड़ा आगे हो कर उसके चेहरे पर झुकते हुए अपने होंठो से उसके गालों से वो अनमोल मोती चुगने लगा. आज उसके अंदर का उबाल निकल रहा था. शायद उसे इसकी कोई उम्मीद नही थी उसीलिए उसको खुद पर कंट्रोल नही हो रहा था. वो बहुत समय तक रोती रही जब उसकी आँखो से आँसू निकलने बंद हुए तो मैने उसके चेहरे को अच्छे से पोन्छा. वो रोते हुए और भी खूबसूरत लगती थी. वो हर दशा में खूबसूरत लगती थी. मैने उसकी छोटी सी नाक को प्यार से चूमा और फिर धीरे धीरे उसके होंठो के हल्के हल्के चुंबन लेने लगा. मैं जब लगातार उसके होंठो को चूमता रहा तो वो मुस्करा पड़ी. उसने मेरी ओर चेहरा उठाकर देखा, उसके चेहरे पर शरम की हल्की सी लाली थी. "अब बस भी करो" वो मुस्कराती हुई बोली. 

"क्यों, मैं अपनी दुल्हन को चूम नही सकता" मेरे इतना कहते ही उसके गाल सुर्ख लाल हो गये. उसने चेहरा नीचे झुका लिया. मैने उसका चेहरा पकड़ उपर उठाया. वो शरमा रही थी , मगर उसका पूरा चेहरा खुशी से खिल उठा था. "उफ्फ कितनी सुंदर है" खुशी से चमकता उसका वो सुंदर चेहरा देखकर मुझे अहसास हुआ कि मैं कितना किस्मत वाला हूँ.

"खत मैं तुमने एक बात और भी लिखी थी जा मुझसे कही थी, मगर वो बात मैं तुमसे कभी नही कह पाया था" मैं एक पल के लिए रुका फिर उसके हाथ थामते बोला "मैं तुमसे प्यार करता हूँ, इतना प्यार करता हूँ कि तुम्हारे बिना जीने की कल्पना भी नही कर सकता" उसकी आँखे डबडबाने को हुई तो मैने उसके हाथ दबा दिए "नही रोना नही...... रोना नही"

उसने मेरे हाथ दबाए. " मैं आज, यह मंगलसूत्र पहनकर तुम्हे सदा के लिए अपनी पत्नी माना है, आज मैं तुम्हे पूरा हक़ देता हूँ, तुम्हे मेरा पूर्ण प्यार मिलेगा, अधूरा नही. तुम जैसा चाहोगी वैसा ही होगा, हमेशा! और मैं अपनी आख़िरी साँस तक सिर्फ़ तुमसे और सिर्फ़ तुमसे प्यार करूँगा" उसने अपने होंठ भींच लिए, शायद वो खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी मगर फिर भी उसकी आँखे भर आई. वो एकदम से उठी और मेरे सामने ज़मीन पर झुक गयी उसने मेरे पैर पकड़ कर अपना माथा मेरे पावं से छुआया. मैने उसे उठाया और अपने सीने से भींच लिया. हमारे होंठ आपस में मिल गये. जनम जनम की प्यास मिट गयी. हम दो से एक हो गये. मैं जब उससे अलग हुआ तो मैने उसके हाथ अपने हाथों में लिए और उन्हे अपने दिल पर ज़ोर से दबाया. उत्तेजना से मैं साँस भी नही ले पा रहा था. मेरे लिए बैठना भी मुश्किल हो गया था. "दीदी......दीदी...." मैं बस लगातार दोहराता जा रहा था और वो इतनी मासूमियत से रोने लगी, खुद अपने आँसुओं पर मुस्कराते हुए. 

जिस किसी ने अपने किसी चाहने वाले की आँखो में वो आँसू नही देखे, उसने जाना ही नही कि अंतहीन प्यार की खुशी से अबिभूत इंसान इस धरती पर किस हद तक सुखी हो सकता है.

शाम ढल चुकी थी. गाँव की आख़िरी बस पकड़ने के लिए मुझे अब जल्द ही उससे रुखसत लेनी थी. वो मेरे कंधे पर सर रखे धीरे धीरे साँसे लेती कभी मेरे चेहरे को देख लेती, कभी मुस्करा कर मेरी गाल चूम लेती. कभी अपनी बाहें मेरी कमर पर कस देती. प्यार के वो पल अनूठे थे. लगता था जैसे संसार की सभी निधियां हमे मिल गयीं हो. बोलने को बहुत कुछ था मगर हम बोल नही रहे थी. दिल से दिल की बात आँखो से हो जाती है. मगर वो खुशी वो सुख का समय सीमित था. समय हमरे लिए रुकने वाला नही था. मगर ना मैं ना वो कोई भी एक दूसरे से विदा लेने की सोच रहे थे. उसकी पीठ सहलाता, उसे दुलारता, उसके बालों को चूमता मैं उन कुछ लम्हो को जितना लंबा हो सके, खींचना चाहता था. मगर अंतत हमे विदा लानी ही थी. मुझे समझ नही आ रही थी उसे क्या कहूँ, कैसे उसे बताऊ कि अब मुझे जाना होगा. 
Reply


Messages In This Thread
RE: Incest Kahani ना भूलने वाली सेक्सी यादें - by sexstories - 12-28-2018, 12:47 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,572,306 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 552,458 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,263,472 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 955,397 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,694,466 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,115,189 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,010,550 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,255,575 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,102,103 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 291,732 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)