Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:31 PM,
#32
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैं पानी पीते हुए ठीक हैं तो फिर चलो ओर जल्दी ही हम उस अद्भुद नज़ारे को देख रहे थे शहर ऐसे लग रहा था की कोई नील का खेत हो हर तरफ एक आभा सी छाई हुई थी मनमोहक नजारा मैंने बैग से कैमरा निकाला और फोटो खीचने लगा तभी मेरी नजर दूर बहुत दूर रेत के समंदर पर पड़ी , सहर दूर कड़ी धुप में चमकता हुआ सा वो नजारा अब क्या कहू मैं उसके बारे में खो सा गया मैं तो 


नीनू- क्या हुआ क्या देखने लगे 


मैं- कुछ नहीं ऐसे ही 


वो- मस्त दीखता हैं न इधर से 


मैं- हां यार 


मैं- तेरी फोटू खीछु क्या 


वो- हां वो जो तोप है न बड़ी सी उधर चल के खीच 


नीनू की काफ़ी तस्वीरे खीची, अलग अलग तरह से हंसती मुस्कुराती अपने आप में मस्त लड़की दो चार फोटो हमने साथ खिचवाई आज का दिन बड़ा शानदार था बस हम दोनों थे मैं बस नीनू के साथ इन्ही लम्हों को तो जीना चाहता था ऐसा ख्याल मेरे दिल में आया 



मैं- इस किले की भी कोई कहानी होगी न 


वो- होगी पर मुझे पता नहीं वैसे भी कितनी सदियों से ये ऐसे ही हैं कितनी कहानिया यहाँ बनी होंगी और मिट गयी होंगी


मैं- बात तो तेरी सही हैं 


मैं- नीनू, कितनी छोटी- मोटी प्रेम कहानियो को जवान होते देखा होगा ना इसने 


वो- छोटी- मोटी क्या होता, प्यार तो प्यार होता हैं चाहे राजाओ का हो या आम इंसानों का 


मैं- तुझे बहुत पता है प्यार के बारे में 


वो- मैं कोई ना समझ हूँ क्या तेरी तरह 


बाते करते करते हम लोग एक ऐसी जगह पर आ गए जहा थोड़ी सी छाया थी और शान्ति भी हम बैठ गए वहा पर की मेरी नजर पड़ी दीवार पर कुछ लोगो ने अपने नाम लिख रखे थे जैसे – मनोज- पिंकी 

रेखा- राज फलाने फलाने 


मैं- देख नीनू हम भी अपना नाम लिखे क्या 


वो- ये तो कोई प्रेमी जोड़ी की कारस्तानी लगती है पर हम कोई प्रेमी थोड़ी ना है 


मैं- दोस्त तो हैं ना 

वो- दोस्तों का नाम कौन लिखे है रे पगले 


मैं- तो नाम लिखने के लिए प्यार करू के तुमसे 


वो- प्यार और मुझसे मजाक मस्त करते हो तुम 


मैं- तुमसे प्यार नहीं कर सकता क्या 


वो – छोड़ो ना बेकार की बाते, तुम्हे नाम लिखना है लिख दो तुम्हारी तस्सली हो जायगी 


मैं- और कही सच में प्यार हो गया तो 


वो- नहीं होगा 


मैं – हो गया तो 


वो- तुम्हारी दिक्कत होगी वो मेरी ना वैसे भी ये प्यार वफ़ा सब किताबो फिल्मो में ही ठीक लगते है अपने पास और भी तो बाते है वो करो ना 


मैं- अगर कही मुझे तुमसे प्यार हो गया तो ........... 


वो काफ़ी देर तक खामोश रही फिर बोली- देखो अभी तो नहीं हुआ हैं ना तो फिर अभी क्यों सोचना जब होगा तब की तब सोचेंगे हम उस पल के लिए अपने इस पल को क्यों ख़राब करे चलो आओ खाना खाते है मुझे पता था तुम तो भूखे ही मिलोगे तो मैं ले आई थी 



उस भोली सी लड़की की यही बाते तो मार जाती थी मुझे बड़ी ही खूबसूरती से बातो का रुख मोड़ दिया था उसने हँसी ठिठोली करते हुए हमने खाना ख़तम किया और फिर से लगे टहलने कभी इधर कभी उधर खुद को किसी राजा से कम न समझ रहा था मैं , मैंने देखा की एक औरत कुछ सामान बेच रही है उसके पास एक झुमको की जोड़ी देखि मुझे भा गयी बिना मोल भाव किये मैंने खरीद लिए 


नीनू- झुमके किसके लिए लिए तुमने 


मैं- है कोई 

वो- बताओ ना 

मैं- कहा ना है कोई 

वो- कही मेरी सौतन तो नहीं
मैं उसकी बात को सुन कर हंस पड़ा और कहा – अच्छा जी तो बात यहाँ तक पहूँच गयी है बस हम ही अनजान रह गये


वो- ऐसे ही कह रही थी तुम्हे जलाने को तुम सच मान बैठे 


मैं- हम तो इसी ग़लतफहमी में भी उम्र गुजार दे तुम कहो तो सही 


वो= बड़े शायराना हो रहे हो आजकल बात क्या है कही सची में तो किसी से दिल नहीं लगा लिया है तुमने 


मैं- हमारी ऐसी किस्मत कहा 


वो- तुम्हारा कुछ पता नहीं फितरत जो आवारा है तुम्हारी 


मैं- तो फिर इस आवारापन को कोई मुकाम दे क्यों नहीं देती तुम 


वो- मैं ही क्यों 


मैं- तुम ही क्यों नहीं 


वो- ना जी ना 


मैं- कह भी दो हां 


वो- दिल्लगी करते हो 


मैं- मोहबात है जो छह नाम दे दो 


वो- सच में 


मैं- तुम जानो 


वो- इतनी अच्छी लगती हूँ क्या 


मैं- तुम ही जानो 


वो- तुम तो बताओ 


मैं – कुछ नहीं बताने को 


वो- क्यों भला 


मैं- जो सब कुछ जाने उसको क्या बताना मेरा हाल कहा तुमसे जुदा है 


वो- बातो में कोई ना जीते तुमसे 


मैं- कुछ बाते समझो भी तुम 


वो- समय का इशारा किस और 


मैं- ढलती छाँव में जवान मोहब्बत की और 


वो- और अंजाम क्या 


मैं- मैं ना जानू 


वो- तो फिर किसको पता 


मैं- जो उसके रंग में रंगे 

वो- पर कौन 

मैं – हम तुम 

वो- ना ना 

मैं क्यों नहीं , 

वो- चलो छोड़ दो वक़्त की लहरों पर खुद को देखते है क्या लिखा तकदीर की कलम ने 


मैं- तुम भी ना 

वो- चलो अब ये झुमके दे भी दो मुझे जानती हूँ मेरे लिए ही ख़रीदे हैं तुमने मैं मुस्कुराया और झुमके उसके हाथो में दे दिया 



मैं- झुमको के साथ पायल भी खरीद लू 


वो- एक लड़की को पायल पहनाने का मतलब जानते हो 


मैं- हर चीज़ का मतलब होना जरुरी हैं क्या 


वो- कुछ चीज़े बेमतलब भी तो नहीं होती ना 


मैं- चल फिर जाने दे 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:31 PM

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