Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:32 PM,
#42
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
उसकी चूत कर रस मेरे गले से नीचे उतरने लगा चूत की पतली सी दरार में मैं अपनी जीभ को घुसेड़ने लगा रति की गांड अपने आप उछालने लगी चूत से आती काम रस की मनमोहक खुशबू मेरे नथुनों से होती हुई दिल में उतरने लगी करीब ३-४ मिनट तक चूत को चाट ता रहा मैं रति ने अणि सिस्कारियो से जैसे पुरे कमरे को सर पर उठा लिया था मदहोशी के आलम में वो मेरे सर को बार बार अपनी चूत पर दबा रही थी मुझे थोड़ी मस्ती सूझीऔर मैंने उसकी चूत के भाग्नासे को अपने दांतों में दबा लिया क्या बताऊ उसका हाल कैसा था उस पल में 



रति मेरे इस वर को सह नहीं पाई और तेज आवाज करते हुए मेरे मुह में ही झड़ने लगी उसकी चूत के पानी के कतरे कतरे को मैंने अपने गले में उतार लिया लम्बी लम्बी सासे लेटे हुए रति बिस्तर पर निढाल पड़ गयी 

मैं भी उसकी बगल में लेट गया उसके बोबो को फिर से दबाते हुए मैंने पुछा- सच बताना कैसा लगा 

वो- हांफते हुए- कमीने हो तुम , बहुत ज़ालिम हो तुम 

मैं- मजा आया न 

वो-मेरी छाती मे मुक्का मारते हुए बोली- धत्त 


मैंने उसके आहत में फिर से अपने लंड को दे दिया और बोला – देखो ना इसको कितना गरम हो गया है 
तुम्हारे लिए

ये रति उसको सहलाने लगी और बोली- तुम पहले भी ये सब कर चुके हो ना 

मैं- हां कर चूका हूँ पर ये ना पूछना की किसके साथ वर्ना रात वो सब बताने में ही गुजर जायेगी और मैं तुम्हे प्यार नहीं कर पाउँगा 

रति लंड को हिलाने सा लगी 

मैं- रति इसको भी प्यार करो ना 

वो- कर तो रही हूँ न 

मैं- ऐसे नहीं जैसे मैंने तुम्हारे वहा पर कियावैसे ही इसको किस करो ना 

वो- मुझसे नहीं होगा 

मैं- क्या मेरे लिए नहीं करोगी 

वो- नहीं होगा नामैं कुछ एर के लिय खामोश हो गया करीब ५ मिनट बाद मुझे लंड पर कुछ गीला सा महसूस हुआ 

मैंने टटोला तो रति का सर था उसने लंड पर अपने कामुक होंठ रख दिए और उसको किस करने लगी मेरे मुह से आह निकली मैं बोला बहुत अ बढिया जरा मुह खोल कर इसको थोडा सा अन्दर ले लो 

रति ने अपना मुह खोला और मेरे सुपाडे को अपने होंतो में दबा लिया कसम से प्राण ही निकलने को आये रति धीरे धीरे करके पुरे लंड से खेलने लगी मुझे बड़ा मजा आने लगा था उसके गुलाबी होंतो में मेरा लंड कैद था धीरे धीरे करके उसने आधे लंड को मुह में ले लिया था उसके मुह से रिश्ता थूक लंड को चमका रहा था चिकना कर रहा था
पर मैं उसके मुह में नहीं झाड़ना चाहता था , अब मैं पूरी तरह से तैयार था उसकी चूत मारने को मैंने लंड को उसके मुह से निकाल लिया और रति को बिस्तर पर लिटा दिया एक तकिये को उसके कुलहो के नीचे लगाया ताकि उसकी चूत ऊपर उठ जाए और मुझे लेने में आसानी हो , मैंने थोडा सा थूक उसकी चूत पर लगाया और लंड को चूत पे सता दिया रति की चूत आज पहली बार लंड को अपने मुह पर महसूस कर रही थी रति का बदन बुरी तरह से कांप रहा था , मैंने सुपाडे को चूत के दरवाजे पर सेट किया और धक्का लगाया पर वो फिसल गया रति के मुह से आह निकली 


मैंने थोडा सा थूक और लगाया लंड पर बिलकुल भिगो दिया उसको एक बार फिर से लंड तैयार था इस बार जो धक्का लगाया उसकी चूत को फाड़ते हुए आधा सुपाडा अन्दर को सरक गया और इसी के साथ रति के गले से एक चीख निकल पड़ी अ”आः आह माँ मैं तो मरी रे ” उसका पूरा जिस्म अकड़ गया वो मेरी पकड़ से छुटने को जोर लगाने लगी पर मैंने उसको मजबूती से पकड़ा और एक धक्का और लगाया उसकी चूत अन्दर से इतनी गरम थी की मुझे लगा मेरा लंड जल ही जायेगा रति की रुलाई छुट पड़ी वो दर्द से रोने लगी पैरो को पटके पर मेरी पकड़ मजबूत 


मैंने थोडा सा जोर और लगाया और इस बार आधा लंड चूत में घुस गया , बेहद टाइट चूत उसकी लंड रोता रोता सा अन्दर को जाए 

रति रोते हुए-“बहुत दर्द हो रहा है मैंने तो मर ही गयी, आह निकालो इसे बहार ”

,मैं- बस हो गया हो गया अभी सब सही हो जायेगा 

पर चूत फटने का दर्द तो वो ही जाने उसे ही झेलना था मैंने लंड को थोडा सा पीछे को खीचा और पूरा जोर लगाते हुए फिर से आगे को ठेल दिया रति की चूत की पंखुडियो को फैलाते हुए मेरा पूरा लंड चूत में धंस चूका था मेरे अंडकोष उसकी जांघो के जोड़ से टकराए मैं उस पर छाता चला गया रति की रुलाई बढ़ गयी मैं चुपचाप उसके ऊपर लेता हुआ था 


करीब ५-७ मिनट बाद मैं बोला- बस अभी सब ठीक हो जायेगा बस थोड़ी हिम्मत रखो 

वो- क्या ख़ाक हिम्मत रखु मुझे तो सांस नहीं आ रहा है ऐसा लगता है किसी ने तेजधार छुरी घुसेड दी हो 

मैं- दो मिनट रुको तो सही 

मैंने अपने लबो को उसके लबो से जोड़ दिया और उनको चूमने लगा ताकि दर्द से उसका ध्यान हट सके 

मैं- तुम्हारे होंठ बहुत मीठे है 

वो- सच में 

मैं- तुम्हारी कसम मेरी जान चीनी भी कुछ नहीं जब इनका स्वाद आये 

वो- आह ये दर्द 

मैं – इस दर्द का भी एक सुख है रति उस सुख को सोचो 

मैंने लंड को अब धीरे धीरे से हिलाना शुरू कर दिया उसकी दर्द भारी सिस्कारिया तेज हो गयी 

रति- थोड़ी देर रुक जाओ ना बहुत दर्द हो रहा है 

मैं- ये दर्द तो सहना ही होगा तुम्हे, हर औरत सहती है 


मैंने अब लंड को किनारे तक बहार खीचा और रति की चूत में फिर से पेल दिया इस बार उसकी चीख मेरे मुह में ही दम तोड़ गयी अब मैंने उसको चोदना शुरू किया धीरे धीरे से हम दोनों के होंट ऐसे चिपके एक दुसरे से जैसे की फेविकोल का जोड़ हो कमरे की उमस से हम दोनों के शरीर से पसीना बह चला था कुछ देर बाद उसने अपने होंठ छुडाये और बोली दर्द कम होने लगा है मैंने कहा थोड़ी देर में गायब हो जायेगा और कस कर एक धक्का लगा दिया उसके बोबे मेरे हर धक्के पे बुरी तरह से हिल रहे थे 
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