Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:47 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
जल्दी ही मैं एक दम तैयार था सहर जाने के लिये बस मैं अपनी साइकिल की धुल साफ़ कर रहा था की इंदु बोली मैं भी तुम्हारे साथ चलती हु तो हम दोनों शहर की ओर चल पड़े रस्ते में मैने उसको पुछा फ्रेंडशिप के बारे में तो उसने कुछ जवाब नहीं दिया 

तो मैंने भी उसको ज्यादा फ़ोर्स नहीं किया उस शाम को मैं छत की मुंडेर पर बैठ कर नजारा ले रहा था इंदु चौबारे की चौखट पर खड़ी थी आज पीले सूट में वो गजब लग रही थी तभी उसने अपने पेट वाले हिस्से से अपनी कुर्ती को थोडा सा खिसकाया मुझे उसका फूला हुआ गोरा पेट दिखने लगा 


वो मुझे ऐसे ही देख रही थी मैं उसको देख रहा था ना जाने क्यों आज उसकी आँखे कुछ अलग सी लग रही थी मैं मुंडेर से उतरा और चौबारे की तरफ चल पड़ा 

वो चौखट पर ही रुकी रही अब हम दोनों एक दुसरे के सामने खड़े थे मैं थोडा सा उसकी तरफ बढ़ा वो बिलकुल दरवाजे से सट गयी हमारे बीच अब बहुत थोडा फासला था इतना थोडा की मेरी सांसे उसके चेहरे पर पड़ने लगी थी दो पल के लिए हमारी नजर मिली और बिना किसी हिचक के मैंने अपने होठ उसके अनछुए होंठो पर रख दिए

ईन्दू ने मेरी शर्ट को अपने हाथो से पकड़ लिया मैं उसके मलाईदार होंठो का रस चूसने लगा उसके होंठ थोडा सा खुले और तभी मैंने उसके निचले होंठ को अपने दोनों होंठो में दबा लिया और उस गुलाबी स्वाद को महसूस करने लगा 

करीब दो मिनट तक हमारा किस्स चला उसके बाद मैं उस से अलग हो गया इंदु का पूरा चेहरा हल्का गुलाबी हो गया था उसके चेहरे पर जो हया थी जो चमक थी या जो भी था समझ न सका मैं वो निचे को जाने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसको अपनी और खींच भारी भरकम इंदु मेरे सीने से आ लगी अब मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे 

उसके बदन को सहलाते हुए एक बार फिर से हमारी किसिंग चालू हो गयी उफ्फ्फ आज कितने दिनों बाद एक सुकून सा मिल रहा था पर हमारा रिश्ता भी अजीब था उसने धक्का देकर मुझे खुद से अलग किया और निचे को भाग गयी मैं वही रह गया अपने होंठो पर उस स्वाद को महसूस करते हुए 


थोड़ी देर बाद मैं भी निचे आ गया तो पता चला की नाना के एक दोस्त के घर शादी है तो सभी को उधर जाना है शाम तो वैसे ही हो रही थी और नाना अब बता रहे थे तो फिर सब जल्दबाज़ी में तैयार हुए सिवाय मामा के क्योंकि वो काम के चलते बस शनिवार और रविवार को ही घर आते थे पर फिर भी पूरा कुनबा था तो तैयार होने में थोडा टाइम लग गया 


अब हम लोग गाड़ी में बैठे नाना और मेरा ममेरा भाई आगे थे मैं नानी और मामी बीच में और बच्चे और इंदु पीछे मैं वैसे तो जाना नहीं चाहता था पर नानी की इच्छा थी तो मैं मना नहीं कर पाया वहा पर हमे बहूत रात हो गयी थी टाइम बारह से ऊपर हो गया था ऊपर से सर्दियो के दिन


खाना वाना खाके बस चलने की तयारी ही थी की नाना को उनका एक दोस्त और मिल गया अब नाना ने उसको घर चलने के लिए कहा पुराना दोस्त था तो वो मना नहीं कर पाया तो वो उसकी पत्नी और एक लड़की और हमसे जुड़ गए अब समस्या हुई गाडी में बैठने की पर मेहमानो को जगह भी देनी थी 
थोड़ी दिक्कत तो होनी ही थी पर अब क्या किया जाये तो सब लोग जैसे तैसे एडजस्ट हो गए थे इंदु ने पीछे बैठने से साफ़ मना कर दिया क्योंकि वो आई जब उधर ही बैठ के आई थी और अब उसने खाना थोडा ज्यादा खा लिया था 

ऊपर से एक बड़ा कार्टून मिठाई का और कुछ डिब्बे और थे तो उनको पीछे रखने के बाद इतनी ही जगह बनती थी की एक आदमी ही बैठ सके पर लोग दो थे तो मामी ने कहा की आगे पीछे करके बैठ जाएंगे तो मेरे चढ़ने के बाद वो भी आ गयी पर सच में इतनी जगह नहीं थी 


मामी मेरी एक जांघ पर अपना पूरा बोझ डाले हुए थी इधर नाना ने गाडी की लाइट बंद की और अब मामी सरक कर मेरी गोद में आ गयी मैं हैरान रह गया मामी धीरे से बोली- कोई परेशानी तो नहीं है ना 

मैं बस मुस्कुरा दिया पर परेशानी तो होनी ही थी मामी की गांड को महसूस करते ही मेरे लण्ड में करंट आना शुरू हो गया ऊपर से सड़क पर हिचकोले खाती गाडी तो मामी की गांड की दरार पर मेरा लण्ड एकदम सही सेट हो गया था मुझे बहुत मजा आने लगा था 


ऊपर से हिचकोले,तो मैंने अपने दोनों हाथो को मामी की पतली कमर पर रख दिया मामी के मुह से एक आह निकल गयी धीमे से , एक मस्त औरत मेरी गोदी में बैठी थी यही सोच कर मेरे मन में तूफ़ान आ गया था मेरा खुद पर काबू छूट रहा था ऊपर से उनके बदन से जो सुगंध आ रही थी क्या कहना 


मैं अब धीरे से अपनी उंगलिया उनके पेट पर चलाने लगा मामी का बदन अँगड़ाई लेने लगा मैं उनकी नाभि से छेड़खानी करने लगा मामी हौले हौले से सिसकिया भरने लगी थोड़ी हिममत करते हुए मैंने अपने हाथो को ऊपर किया और उनकी चूचियो के निचले हिस्से को छूने लगा तो मामी का बदन हिला और वो पीछे हो गय


मामी की गर्दन अब मेरे गालो पर आ गयी थी उनकी सांसो में जो गर्मी थी वो मैं महसूस कर रहा था मेरा जी तो कर रहा था की मामी के गाल चूम लू ,,मैं इतना तो समझ रहा था की वो गरम हो रही है तो मैंने एक दम से अपने दोनों हाथो को उनकी चूचियो पर रख दिया और दबा दिए 


मामी ने बड़ी मुश्किल स अपनी आहो को रोका औरबोलि-आः आराम से 

बस ये सुनते ही मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया और मैं उनके बोबो से खेलने लगा अब मैं बड़े प्यार से उनकी गेंदों से खेल रहा था 

मामी धीरे से बोली- ये मुझे क्या चुभ रहा है 

मैं-खुद ही देख लो 

तो उन्होंने अपने आप को थोडा सा उठाया और अपने हाथ से मेरे लण्ड को पेंट के ऊपर से ही सहलाने लगी अब वो मेरी जांघ पर आ गयी थी उन्हीने मेरी चैन को खोल कर लण्ड को अपनी मुट्ठी में ले लिया हम दोनों बहुत चुपचाप ऐसा कर रहे थे 
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