Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:49 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
अगले दिन मैं बाजार की तरफ गया तो उस बाबा से मिला मुझे देखते ही उसने हाथ जोड़ लिए वो तो सब जानता ही था एक दो लोग और जिन्होंने मुझे देखा था उस रात वो भी मेरे पास आ गए तो मैंने अच्छे से उनको समझया की किसी से कोई चर्चा नहीं करनी है अब ये बाजार ही था जो मेरे लिए नए रस्ते खोलने वाला था 


होटल गया तो सेठ ने कहा की दिलवाले यार एक काम कर आज से तू दिन में मेरे घर पे काम किया कर और इधर तो रात को ही ज्यादा काम रहता है तो शाम को यहाँ आ जाया करना मैं तेरी तनख्वाह भी बढ़ा कर दुगनी कर रहा हु ,वो घर पे काम करने वाला छोड़के गया अब मैं तुझपर ही तो भरोसा करता हु 


सेठ मुझे बहुत चाहता था हालाँकि मैं किसी भी सूरत में उसके घर नहीं जाना चाहता था पर सेठ को ना भी नहीं कह सकता था तो मैं उसके घर चला गया सेठ ने सबसे मेरा परिचय करवाया और बता दिया की अब मैं इधर ही काम करूँगा तक़दीर भी फूल मजे लेने पर उतारू थी


सेठ के 3 बेटे थे और 2 बेटी , तीनो बेटो की शादी कर रखी थी और बेटियां कुंवारी थी , इधर सेठ जब सबको बता रहा था की अब से मैं घर के काम किया करूँगा तो मैंने उसके चेहरे पे एक झलक देखि गुस्से की शायद वो सोच रही थी की मुझे ये सब करने की क्या जरूरत है

पर जैसे जल में रह कर मगर से बैर नहीं होता तो उस से अब एक ही छत के निचे भला कितनी देर बच पाता तो उसने मुझे रसोई में पकड़ लिया और गुस्से से बोली- क्या जरूरत है तुम्हे इन सबके काम करने की और ये क्या हाल बना रखा है तुमने अपना 

मैं-मालकिन अब नोकर लोगो का हाल तो ऐसा ही होता है आप बताये कुछ चाहिए तो 

मेरे ऐसे बोलते ही उसने एक थप्पड़ मारा मेरे गाल पे और बोली-कमीने,अब मैं तेरे लिए मालकिन हो गयी पता है तेरी एक खबर सुनने को कितना तदपी हु मैं और तू मिला तो भी अजनबियों की तरह ,

मैं चुप रहा उसकी आवाज में एक रुलाई सी थी और आँखों से पानी बस बहने को ही था तो मैंने उसे कहा बाद में बात करेंगे पर वो अभी बात करना चाहती थी जो इस भीड़ से भरे घर में कतई मुमकिन नहीं था मैं जानता था की ये वैसे भी मानने वाली नहीं है पर अब पहले जैसा कुछ भी तो नहीं था 


मैं- मैं जानता था की तुम हर पल तडपी होंगी जो दर्द मेरे बदन में था वो दर्द तुमने भी महसूस किया होगा मुझे भी तुम्हारी बहुत याद आती थी एक तुम ही तो थी जिससे मैं जुड़ा था तुम थी तो मैं था ,तेरा मेरा बंधन बस हम ही जाने 


मेरी आँखों में इतने दिनों से दबा दर्द आज बहने को था उसके आगोश में पिघलजाना चाहता था मैं उसकी गोद में सर रख के सोना चाहता था थोड़ी देर, बरसो बाद आज कोई अपना मिला था पर अब बंदिशे थी , पांवो में बेड़िया थी इस से पहले की वो मुझे अपने गले लगाले बड़ी मालकिन ने उसको पुकारा और वो चली गयी


रसोई का काम खत्म करके बस अपना पसीना पौंछ रहा था की सेठ की लडकी जिसका नाम पूजा था दिखने में एक दम हॉट कड़क माल उम्र कोई 26 के पास होगी आई और बड़ी बदतमीजी से बोली की उसके कमरे में कपडे पड़े है धो दू

मैं-पूजाजी, वो मेरा काम नहीं है 

वो-तो क्या तेरा बाप करेगा क्या 

कितनी बद्तमीज़ लड़की थी ,जी तो किया की रेहप्ता मारके इसका गाल लाल कर दू ,पर मैं अपमान के घूंट को पी गया मैं उसके कमरे में गया और कपडे लिए धोने लगा कुछ स्कर्ट थी जीन्स और कई जोड़ी ब्रा-पेंटी लगता था की कई महीनो से बंदी ने कपडे नहीं धोये थे 


काम हुआ खत्म मैं निचे आ ही रहा था की वो खड़ी थी राह में उसने एक गिलास मेरी तरफ बढ़ाया और बोली-शर्बत तुम्हारे लिए बनाया है 

मैंने गिलास लिया और कुछ घूँट भरे, पुराने दिन याद आ गए वो ही स्वाद आज भी 

मैं-चीनी आज भी ज्यादा डालती हो 

वो-मैं तो आज भी वही हु और वाही रहूंगी वादा जो किया तुझसे पर तू बेगाना हो गया तू क्या जाने की हर दिन इंतज़ार होता था की कही से कोई तो तेरी खबर बताएगा पर तू ना जाने कहा खो गया 


मैं- बस मुफलिसी के अँधेरे अब दूर ही होने को है मेरा चाँद जो दिख गया 

वो हंस पड़ी, उसकी मुस्कान से एक राहत सी मिली 

वो- बात नहीं करोगे,

मैं- कुछ नहीं कहने को 

वो- तो फिर मेरी सुन लेना 

मैं-तुम्हारी धड़कनो ने सब बता दिया



वो- मुझे बस तेरे साथ रहना है मेरे रूम में आओ 

मैं-यहाँ नहीं थोडा इंतज़ार करो 

वो-इतने दिन से इंतज़ार ही तो था 


मैं- बस थोडा और 

उसके बाद मैं होटल चला गया दिन ऐसे ही गुजरने लगे थे 
वो जितना मेरे पास आने की कोशिस करती मैं उतना ही उससे दूर रहता क्योंकि मैं जानता था की सच सुनने के बाद वो एक पल की देर नहीं करेगी मेरे पास आने में और मैं नही चाहता था की मेरी वजह से उसके संसार में कोई कलेश आये 


उस दिन मैंने सारा काम जल्दी ही खत्म कर लिया था और दोपहर में सोना चाहता था की पूजा ने मुझे अपने कमरे में बुलाया 

मैं-जी मालकिन 

वो-एक काम करो मेरा शरीर बहुत दुःख रहा है थोड़ी मालिश कर दो 


मैं-पर मैं कैसे ,

वो- डैडी ने तुमको बहुत सर चढ़ा के रखा है एक काम भी तुम करते नहीं हो, पैसे क्या फ्री में लेते हो चलो वो ट्यूब उठाओ और मालिश करो सबसे पहले पैरो की करना 


मैंने अपने हाथो में क्रीम लगायी और उसकी सुडोल चिकनी पिण्डियों पर हल्के हल्के से मसाज करने लगा धीरे धीरे मेरे हाथ उसकी जांगो पर पहुच गए पर उसको कोई आपत्ति नहीं थी बहुत देर तक उसने अपनी टांगो की मालिश करवाई फिर बोली-तुम्हारे हाथो में बहुत जान है मेरे कंधो की मालिश भी कर दो 

उसने अपने गाऊन को कंधो से उतार दिया अब ऊपर से वो बस ब्रा ब्रा में ही थी ब्रा भी बस नाम की ही थी सब कुछ तो दिख रहा था मैंने सोचा नहीं था की पूजा इतनी बोल्ड होगी 

वो-ऐसे क्या देख रहे हो कभी ऐसा सीन देखा नही क्या, अरे मैं भी क्या बोलरहि हु तुम्हारे नसीब में ऐसी हॉटनेस देखना कहा चलो अब जल्दी से कंधे दबाओ मुझे मूवी भी जाना है
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