Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे
01-17-2019, 01:40 PM,
#9
RE: Porn Story गुरुजी के आश्रम में रश्मि क...
गुरूजी के कहे अनुसार मैं किचन में गयी और सब्जी काटने में राजेश की मदद की.

उसके बाद कमरे में वापस आकर मैंने जड़ी बूटी वाले पानी से स्नान (हर्बल बाथ) किया. हर्बल बाथ से मैंने बहुत तरोताज़ा महसूस किया. नहाने के बाद मैं थोड़ी देर तक बाथरूम में उस बड़े से मिरर में अपने नंगे बदन को निहारती रही. उस बड़े से मिरर के आगे नहाने से , मुझे हर समय अपना नंगा बदन दिखता था, मुझे लगने लगा था की इससे मुझमे थोड़ी बेशर्मी आ गयी है.

कुछ देर बाद 10 बजे परिमल ने मेरा दरवाजा खटखटाया. 

परिमल – मैडम , तैयार हो जाओ. गुरुजी ने आपको टेलर के पास ले जाने को कहा है, वो ब्लाउज आपको फिट नही आ रहा है ना इसलिए.

“लेकिन मैंने तो सुबह गुरुजी को इस बारे में कुछ नही बताया था. उन्हे कैसे पता चला ?”

परिमल – गुरुजी को मंजू ने बता दिया था.

मैंने मन ही मन मंजू का शुक्रिया अदा किया. उसने मुझे गुरुजी के सामने ब्लाउज की बात करने से बचा लिया. और गुरुजी जिस तरह से बिना घुमाए फिराए सीधे प्रश्न करते हैं उससे तो ये सब मेरे लिए एक और शर्मिंदगी भरा अनुभव होता. 

ठिगने परिमल की हरकतें हमेशा मेरा मनोरंजन करती थी. मैंने देखा उसकी नज़रें मेरे बदन के निचले हिस्से में ज़्यादा घूम रही हैं. ये देखकर मैंने उससे बातें करते हुए इस बात का ध्यान रखा की उसकी तरफ मेरी पीठ ना हो. कल रात टॉवेल उठाने के चक्कर में ना जाने उसने क्या देख लिया था.

“टेलर आश्रम में ही रहता है ?”

परिमल – नही मैडम , टेलर यहाँ नही रहता. लेकिन यहाँ से ज़्यादा दूर नही है. उसकी दुकान में जाने में 5-10 मिनट लगते हैं. मैडम आपके साथ मैं नही जाऊँगा. आश्रम से बाहर के काम विकास करता है , वो आपको टेलर के पास ले जाएगा.

“ठीक है परिमल. विकास को भेज देना.”

परिमल – और हाँ मैडम, आश्रम से बाहर जाते समय दवाई लेना मत भूलना और पैड भी पहन लेना.

ऐसा बोलते समय परिमल के चेहरे पर दुष्टता वाली मुस्कान थी . फिर वो बाहर चला गया.

मैं अवाक रह गयी . ये ठिगना भी जानता है की मुझे पैंटी के अंदर पैड पहनना है. 

हे भगवान ! इस आश्रम में हर किसी को मेरे बारे में एक एक चीज़ मालूम है.

मैंने दरवाज़ा बंद कर दिया और गुरुजी की बताई हुई दवाई ली , जो मुझे आश्रम से बाहर जाते समय खानी थी. फिर मैं पैड पहनने के लिए बाथरूम चली गयी. बाथरूम में मैंने साड़ी और पेटीकोट उतार दी. पैंटी को थोड़ा नीचे उतारकर मैंने अपनी चूत के छेद के ऊपर पैड रखा और पैंटी को ऊपर खींच लिया. उस पैड के मेरी चूत के होठों को छूने से मुझे सनसनी सी हुई. लेकिन फिर मैंने अपना ध्यान उससे हटाकर साड़ी और पेटीकोट पहन ली. टाइट ब्लाउज के ऊपर के दो हुक खुले हुए थे और वो मेरी चूचियों पर कसा हुआ था लेकिन राहत की बात ये थी की टेलर के पास जाने से ये समस्या तो सुलझ जाएगी.

थोड़ी देर बाद विकास आ गया. विकास आकर्षक व्यक्तित्व और गठीले बदन वाला था. उसने बताया की वो आश्रम में योगा सिखाता है और खेल कूद जैसे खो खो , कबड्डी , स्विमिंग भी वही सिखाता है. कोई भी औरत उसकी शारीरिक बनावट को पसंद करती और सच बताऊँ तो मुझे भी उसकी फिज़ीक अच्छी लगी थी. 

हम आश्रम से बाहर आ गये और उस बड़े से तालब के किनारे बने रास्ते से होते हुए जाने लगे. वहाँ मुझे ज़्यादा मकान नही दिखे . कुछ ही मकान थे और वो भी दूर दूर बिखरे हुए. 

विकास तेज चल रहा था तो मुझे भी उसके साथ तेज चलना पड़ रहा था. तेज चलने से मेरी पैंटी नितंबों की दरार की तरफ सिकुड़ने लगी. मैं जानती थी की अगर मैं ऐसे ही तेज चलती रही तो थोड़ी देर में ही पैंटी पूरी तरह से सिकुड़कर नितंबों के बीच में आ जाएगी. ये मेरे लिए कोई नयी समस्या नही थी , ऐसा अक्सर मेरे साथ होता था. पैंटी के सामने लगा हुआ पैड तो अपनी जगह फिट था, पर पीछे से पैंटी सिकुड़ती जा रही थी. मुझे अनकंफर्टेबल महसूस होने लगा तो मैंने अपनी चाल धीमी कर दी. 

मुझे धीमे चलते हुए देखकर विकास भी धीमे चलने लगा. वो तो अच्छा हुआ की विकास ने मुझसे पूछा नही की मेरी चाल धीमी क्यूँ हो गयी है.

जल्दी ही हम टेलर की दुकान में पहुँच गये. गांव का एक कच्चा सा मकान था या फिर झोपड़ा भी कह सकते हैं. 

विकास ने दरवाज़े पर खटखटाया तो एक आदमी बाहर आया. वो लगभग 55 – 60 बरस का होगा , दिखने में कमज़ोर लग रहा था. उसने मोटा चश्मा लगाया हुआ था और एक लुंगी पहने हुआ था.

विकास – गोपालजी , ये मैडम को ब्लाउज फिट नही आ रहा है. आप देख लो क्या प्राब्लम है.

गोपालजी – अभी तो मैं नाप ले रहा हूँ. कुछ समय लगेगा.

विकास – ठीक है गोपालजी.

टेलर ने मुझे देखा. उसकी नज़र कमज़ोर लग रही थी क्यूंकी उस मोटे चश्मे से वो मुझे कुछ पल तक देखता रहा. तभी एक और आदमी बाहर आया , वो भी दुबला पतला था. लगभग 40 बरस का होगा. वो भी लुंगी पहने हुए था.

गोपालजी – मंगल , मैडम को अंदर ले जाओ. मैं बाथरूम होकर अभी आता हूँ.

विकास ने धीरे से मुझे बताया की मंगल गोपालजी का भाई है. और ये दोनों एक ब्लाउज कुछ ही घंटे में सिल देते हैं. मैं इस बात से इंप्रेस हुई क्यूंकी हमारे शहर का लेडीज टेलर तो ब्लाउज सिलने में एक हफ़्ता लगाता था.

विकास – मैडम , मेरे ख्याल से गोपालजी से नया ब्लाउज सिलवा लो. मैं पास में गांव जा रहा हूँ. एक घंटे बाद आपको लेने आऊँगा.

फिर विकास चला गया.

मंगल – मेरे साथ आओ मैडम.

मंगल की आवाज़ बहुत रूखी थी और दिखने में भी वो असभ्य लगता था. सभी मर्दों की तरह वो भी मेरी चूचियों को घूर रहा था. वो मुझे अंदर एक छोटे से कमरे में ले गया. दाहिनी तरफ एक सिलाई मशीन रखी थी और बायीं तरफ एक साड़ी लंबी करके लटका रखी थी जैसे परदा बना हो. कमरे में कपड़ों का ढेर लगा हुआ था. कमरे में कोई खिड़की ना होने से थोड़ी घुटन थी. एक हल्की रोशनी वाला बल्ब लगा हुआ था और एक टेबल फैन भी था. 

मैं बाहर की तेज रोशनी से अंदर आई थी तो मेरी आँखों को एडजस्ट होने में थोड़ा टाइम लगा. फिर मैंने देखा एक कोने में एक लड़की खड़ी है.

मंगल – मैडम सॉरी , यहाँ ज़्यादा जगह नही है. गोपालजी इस लड़की की नाप लेने के बाद आपका काम करेंगे. तब तक आप स्टूल में बैठ जाओ.

मंगल ने स्टूल मेरी तरफ खिसका दिया लेकिन स्टूल को उसने पकड़े रखा. अगर मैं स्टूल में बैठूं तो मेरे नितंबों का कुछ हिस्सा उसकी अंगुलियों पर लगेगा. मुझे गुस्सा आ गया.

“अगर तुम ऐसे पकड़े रखोगे तो मैं बैठूँगी कैसे ?” 

मंगल – मैडम आप गुस्सा मत होओ. मुझे भरोसा नही है की ये स्टूल आपका वजन सहन करेगा या नही. कल ही एक आदमी इसमे बैठते वक़्त गिर गया था , इसलिए मैंने पकड़ रखा है.

स्टूल की हालत देखकर मुझे हँसी आ गयी.

“ये स्टूल भी सेहत में तुम्हारे जैसा ही है.”

मेरी बात पर वो लड़की हंसने लगी. मंगल भी अपने दाँत दिखाते हुए हंसने लगा पर उसने अपने हाथ नही हटाए. अब मुझे स्टूल पर ऐसे ही बैठना पड़ा. मैंने अपनी तरफ से पूरी कोशिश करी की स्टूल के बीच में बैठूं फिर भी उसकी अंगुलियों का कुछ हिस्सा मेरे नितंबों के नीचे दब गया. 

मंगल को कैसा महसूस हुआ ये तो मैं नही जानती लेकिन साड़ी के बाहर से भी मेरे गोल नितंबों के स्पर्श का आनंद तो उसे आया होगा. उसको जो भी महसूस हुआ हो पर अपने नितंबों के नीचे उसकी अंगुलियों के स्पर्श से मेरी तो धड़कने बढ़ गयी. मैंने फ़ौरन मंगल से हाथ हटाने को कहा और फिर ठीक से बैठ गयी.

अब मैंने उस लड़की को ध्यान से देखा, वो घाघरा चोली पहने हुई थी. उसकी पतली सी चोली से उसके निप्पल की शेप दिख रही थी , जाहिर था की वो ब्रा नही पहनी थी. मैंने मंगल की तरफ देखा की कहीं वो लड़की की छाती को तो नही देख रहा है. पर पाया की वो बदमाश तो मेरी छाती को घूर रहा था. मेरा पल्लू थोड़ा खिसक गया था और ब्लाउज के ऊपरी दो हुक खुले होने से मंगल को मेरी चूचियों का कुछ हिस्सा दिख रहा था. मैंने जल्दी से अपना पल्लू ठीक किया और मंगल जिस फ्री शो के मज़े ले रहा था वो बंद हो गया.

तब तक गोपालजी भी वापस आ गये.

गोपालजी – मैडम , आपको इंतज़ार करना पड़ रहा है. मैं बस 5 मिनट में आपके पास आता हूँ.

अब जो हुआ उससे तो मैं शॉक्ड रह गयी और इससे पहले किसी भी टेलर की दुकान में मैंने ऐसा अपमानजनक दृश्य नही देखा था. 

गोपालजी उस लड़की के पास गये जो अपनी चोली सिलवाने आई थी. गोपालजी ने सारे नाप अपने हाथ से लिए , मेरा मतलब है अपनी उंगलियों को फैलाकर. वहाँ कोई नापने का टेप नही था. मैं तो अवाक रह गयी. 
गोपालजी ने उस लड़की की बाँहें, कंधे, उसकी पीठ, उसकी कांख और उसकी छाती , सबको अपनी उंगलियों से नापा. मंगल ने एक नापने वाली रस्सी से वेरिफाइ किया और एक कॉपी में लिख लिया.

गोपालजी ने नापते वक़्त उस लड़की की छोटी चूचियों पर कई बार हाथ लगाया पर वो लड़की चुपचाप खड़ी रही , जैसे ये कोई आम बात हो.

फिर गोपालजी ने अपने अंगूठे से उस लड़की के निप्पल को दबाया और अपनी बीच वाली उंगली उसकी चूची की जड़ में रखी और इस तरह से उसकी चोली के कप साइज़ की नाप ली , ये सीन देखकर मुझे लगा जैसे मेरी सांस ही रुक गयी. क्या बेहूदगी है ! ऐसे किसी लड़की के बदन पर आप कैसे हाथ फिरा सकते हो ?

जब सब नाप ले ली तो वो लड़की चली गयी. 

अब मेरे दिमाग़ में घूम रहा प्रश्न मुझे पूछना ही था.

“गोपालजी , आप नाप लेने के लिए टेप क्यूँ नही यूज करते ?”

गोपालजी – मैडम , टेप से ज़्यादा भरोसा मुझे अपने हाथों पर है. मैं 30-35 साल से सिलाई कर रहा हूँ और शायद ही कभी ऐसा हुआ हो की मेरे ग्राहक ने कोई शिकायत की हो.
मैडम , आप ये मत समझना की मैं सिर्फ़ गांव वालों के कपड़े सिलता हूँ. मेरे सिले हुए कपड़े शहर में भी जाते हैं. पिछले 10 साल से मैं अंडरगार्मेंट भी सिल रहा हूँ और वो भी शहर भेजे जाते हैं. उसमे भी कोई शिकायत नही आई है. और ये सब मेरे हाथ की नाप से ही बनते हैं.
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