RE: Indian Sex Story बदसूरत
सुहानी वासना की दुनिया में लगबघ खो चुकी थी। वो बीएस आँखे। बंद किये आगे क्या होने वाला है इसीका इंतजार कर रही थी। चाचाजी ने *अपना हाथ उसके टॉप के अंदर घुसाया और ब्रा के ऊपर से सुहानी की चुचिया मसलने लगे। सुहानी को एक सुखद सा झटका लगा।
सुहानी:-स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह अंकल
चाचाजी:- अह्ह्ह्ह्ह सुहानी उम्म्म्म्म्म
चाचाजी के दोनों हाथ सुहानी के दोनों चुचियो को दबा रहे थे। सुहानी को उनके हाथो का स्पर्श अपनी आधी चुचिया जो ब्रा से बाहर थी उसपे हो रहा था। उसके मुह से आनंद भरी सिसक निकल रही थी। तभी चाचाजी ने अपना एक हाथ निचे लिया और सुहानी की चूत पे रखा....सुहानी को एक तेज झटका लगा और मुद गयी अनजाने में चाचाजी कको धक्का दे दिया....चाचाजी इसके लिए तैयार नहीं थे शराब उंनपे पूरी तरह हावी हो चुकी थी। वो धड़ाम से बेड पे गिर गए.... वो उठाने की कोशिस करने लगे लेकिन उठ नहीं पाये....वो सिर्फ सुहानी उम्म्म्म्म अह्ह्ह सुहानी चोदने दो ना एक बार अह्ह्ह्ह्ह ऐसा बोलते हुए और भी कुछ बड़बड़ाते हुए बेहोश से हो गए।
सुहानी थोडा घबरा गयी और दौड़ के उनके पास गयी और उन्हें हिलाने लगी। लेकिन वो अब होश में नहीं थे।
सुहानी:- सोचने लगी...उफ्फ्फ ये तो यही सो गए...अब क्या करू?? इनको उठा के ले नही जा सकती अकेली...और अगर ये यही रहे तो प्रॉब्लम हो जायेगी...
वो फिर से उन्हें उठाने लगी लेकिन कोई फायदा नहीं था। वो बेड के पास अपने सर पे हाथ रख के खड़ी हो गयी और सोचने लगी....तभी उसका ध्यान चाचाजी के पजामे में बने तम्बू की तरफ गया....उनका लंड अभी भी खड़ा था।
सुहानी को अचरज हुआ ये देख की अभी उनका लंड खड़ा था। वो गौर से देखने लगी। उसे पजामा थोडा गिला गिला दिखा वो थोडा नजदीक जाके देखने लगी....थोडा झु क के देखा तो उसे प्रीकम की महक आने लगी उसे वो बहोत ही अछि लगी तो थोडा और झुकी।
सुहानी:- अह्ह्ह्ह स्स्स कितनी अच्छी खुशबु है ....खुद तो बेहोश पड़े है पर ये अभी भी तन के खड़ा है....हाथ लगा के देखु क्या??...नहीं नहीं...पागल हो क्या...अरे ये तो बेहोश है क्या पता चलने वाला है...
सुहानी थोडा असमंजस में थी....वो उनके पास बैठ गयी और गौर से उनका लंड देखने लगी। सुहानी ने चाचाजी की तरफ देखा और अपना हाथ उनके लंड की तरफ ले गयी उसके हाथ काँप रहे थे। उसने अपना हाथ लंड पे रखा और झट से खीच लिया...उसे धड़कन तेज हो रही थी। उस खामोश कमरे में सर उसकी तेज सांसे और धडक्नो के अलावा कोई भी आवाज नहीं आ रही थी। उसने एक बार *चाचाजी की तरफ देखा और फिर से धीरे धीरे अपना हाथ बढ़ने लगी....उसने अब चाचाजी के लंड पे हाथ रख दिया था। वो थोडा नरम हो चूका था...उसने धीरे धीरे उसे एक दो बार दबाया...उसे लंड को छूना बहोत अच्छा लग रहा था। कल उसने समीर का लंड देखा था और आज वो चाचाजी का लंड छु रही थी।*
को छूते ही उसकी चूत में चुबुलाहट काफी तेज होने लगी थी। उसने देखा चाचाजी कूई हरकत नही क्र रहे थे उसी हिम्मत बढ़ गयी...और वो पजामे के ऊपर से ही लंड को मुट्ठी में पकड़ने लगी और दबाने लगी....लंड में अब धीरे धीरे हरकत होने लगी....वो फिर से टाइट होने लगा था....
सुहानी:-स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है स्स्स्स्स् अंकल काश आपने इतनी नहीं पि होती आज उम्म्म्म्म मेरी चूत तो छटपटा रही है स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह
सुहानी अपनी चूत को पजामे के ऊपर से ही सहलाने लगी।
सुहानी:-स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह कितना पानी छोड़ रही है उम्म्म्म्म्म इतना तो कल भी। *नही गीली हुई थी....उसे अचानक से समीर का लंड याद आ गया....उसने चाचाजी का पजामा के बटन खोले और थोडा ढीला क्किया....वो बिनधास्त थी क्यू की उसे पता था की चाचाजी बेहोश है....और अगर होश में भी आ जाते है तो उसे अब। डर नहीं था...उसने उनकी अंडरवियर के साथ पजामा निचे किया और दूसरे हाथ से लंड को बाहर निकाला...लंड फिर से थोडा मुरझा गया था....उसने देखा चाचाजी का लंड उस अवस्था में भी काफी बड़ा लग रहा था। उसने धीरे से मुट्ठी में पकड़ा और उसकी चमड़ी को निचे किया....उनके लंड का लाल सुपाड़ा जो प्रीकम से चमक रहा था वो सुहानी के आँखों के सामने था।
सुहानी:- स्सस्सस्सस क्या मस्त चीज होती है ये लंड उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह
सुहानी उसे धीरे धीरे मुट्ठी में पकड़ के ऊपर निचे करने लगी...लंडमें फिर से *तनाव आने लगा। सुहानी एक हाथ से लंड को मुठिया रही थी और दूसरे हाथ से अपने पैंट में दाल के अपनी चूत के दाने को सहला रही थी।
सुहानी:- अह्ह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स उफ्फ्फ्फ्फ़ ककित्न मोटा हो गया है ये स्सस्सस्सस अह्ह्ह्ह्ह ले लू क्या इसे चूत में स्स्स्स्स्स्स्स *अह्ह्ह्ह नही स्स्स्स्स् दर्द होगा अह्ह्ह्ह कितना मोटा है ये स्स्स्स्स्स्स्स मेरी तो चूत फट जायेगी अह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स
सुहानी उत्तेजना के सातवे आसमान पे थी। उसका हाथ प्रीकम से पूरा गिला हो चूका था उसने देखा और उसे सूंघने लगी....उसे वो महक बहोत अछि लगी....तभी उसे समीर की लंड चूसने वाली बात याद गयी। वो धीरे धीरे अपना चेहरा लंड के पास ले गयी और देखने लगी उसे प्रीकम की महक और तेज आने लगी...उसने लंड के सुपाड़े को नाक से सुंघा ...और फिर धीरे से थोड़ी सी जुबान बाहर निकल के चाटा...
सुहानी:- अह्ह्ह्ह उम्म्म्म बहोत अजीब सी टेस्ट है स्स्स्स पर अछि है...शायद इसीलिए वो निशा उस लड़के का लंड इतने चाव से चूस रही थी...
सुहानी ने फिर से थोडा जुबान से चाचाजी का लंड को चाटा...और फिर पागलो की तरह चाटने लगी और फिर मुह में लेके चूसने लगी इसे बहोत मजा आने लगा था। इधर वो अपनी चूत में ऊँगली डाल के अंदर बाहर करने लगी थी।
सुहानी:- मन में ...उफ्फ्फ्फ्फ़ मैं ये क्या कर रही हु स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह बहोत मजा आ रहा है लंड चूसने में अह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स उफ्फ्फ्फ़ हाय अह्ह्ह्ह्ह्ह
मेरा तो पानी छूटने वाला है स्स्स्स्स्स्स्स
तभी चाचाजी ने कुछ हलचल की...वो बेहोशी में ही अह्ह्ह्ह्ह स्सस्सस्स करते हुए अपनी कमर हिलाने लगे और सुहानी के सर को पकड़ के लंड पे दबाने लगे....सुहानी ने तिरछी आँखों से देखा उनकी आँखे बंद थी। सुहानी ने अपना काम जारी रखा क्यू की वो भी अब झड़ने के कगार पर थी।
सुहानी:-उम्म्म्म्म्म्म्म आआआआऊऊऊऊऊऊम्मम्मम्मम्मम
सुहानी ने अपने हाथ और मुह की रफ़्तार तेज कर दी थी वो झड़ने लगी थी इधर चाचाजी ने सुहानी का सर अपने लंड पे जोर से दबा दिया....और उसके मुह के अंदर ही पिचकारी छोड़ने लगे। सुहानी एक अलग ही दुनिया में थी वो बहोत देर ताकक झड़ती रही और इधर मुह में चाचाजी के गरम वीर्य की पिचकारियों को महसूस करती रही। जब उसकी ये खुमारी टूटी तो उसने देखा उसका पूरा मुह वीर्य से भरा हुआ था उसकी अजीब सी टेस्ट और गंध आ रही थी वो बाथरूम में गयी और अपना मुह साफ़ किया...आते वक़्त एक मग में थोडा पानी ले आयी...उसने चाचाजी के कपडे थिक् किये....और फिर थोडा पानी उनके। चेहरे पे मारा....लेकिन चाचाजी उठ ही नहीं रहे थे....उसने थोडा जोर से हिलाया और थोडा जादा पानी मारा...तो चाचाजी एक्दम हड़बड़ा के उठ गए। सुहानी ने उन्हें बताया की बहोत लेट हो गया है...वो भी अब समझ रहे थे की सोना ही बेहतर है इसलिए वो भी किसीतारह अपने कमरे में गए और सो गए....सुहानी ने भी शराब की बोतल और बाकि सामान उनकी गॅलरी में रख दिया और अपने बेड पे लेट गयी....और उसे कब नींद लगी उसे भी पता नहीं चला।
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