RE: Indian Sex Story बदसूरत
अविनाश:- कैसे पता है?? मैंने तो कुछ भी नही किया तुम्हारे साथ...
सुहानी:- कुचवकरने की जरुरत थोड़ी होती है...पता चल जाता है..
अविनाश:- ओह्ह्ह इसलिये तुम घबरा रही हो...
सुहानी:- नही...लेकिन आप जो बोल रहे हो वो लॉजिकल नहीं है...आप मेरे पापा हो...
अविनाश:-( ह्म्म्म जब मजे लेती हो तब नही याद आता)) हा तो क्या हुआ?? एक्सपेरिमेंट की बात हो रही है...
सुहानी:- मुझे नही करना...(ये पापा तो पिक्जे ही पड़ गए...लगता है आज कुछ करके ही मानेंगे...उफ्फ्फ्फ़ मेरी तो जान निकली जा रही है)
अविनाश:- ह्म्म्म लगता है डर गयी...अविनाश टर्न हुआ और थोडा निचे खिसक के उसके चहरे के सामने अपना चेहरा लाते हुए बोला...सुहानी की आँखे बंद थी लेकिन जैसे ही उसे अविनाश के साँसे अपने चहरे पे महसूस हुई उसने अपनई आँखे खोली...
सुहानी:- नहीं मैं नहीं डरती...सुहानी ने धीरे से कहा।
अविनाश:-अच्छा?? तो आओ मेरे पास...उसने सुहानी की कमर को पकड़ कर उसे अपनी और खिंचा...
सुहानी:- पापा...क्या कर रहे हो छोड़ दीजिये...सुहानी बस बोल रही थी *कर कुछ भी नहीं रहि थी..
अविनाश:- क्यू डर लग रहा है??
सुहानी:- नही..लेकिन आप ...
अविनाश:- मैं क्या...अविनाश ने उसे और अपनी तरफ खिंचा और अपना टाइट लंड उसकी चूत के आस पास वाले एरिया पे रगड़ा।
सुहानी:- आप ये जो कर रहे हो ये गलत है...छोड़ दीजिये मुझे प्लीज़...सुहानी अविनाश से दूर होने की कोशिस की और उसकी छाती पे अपने दोनों हाथ रखे और उसे दूर धकेलने लगी।
अविनाश ने उसे छोड़ दिया...क्यू की वो ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वो सुहानी पे जबरदस्ती कर रहा है।
अविनाश:- डरपोक कही की...बोलती है मुझे डर नही लगता...
सुहानी:- पापा आप ना आज बहोत ही नॉटी हो रहे हो...
अविनाश:-ह्म्म्म कुछ भी...नॉटी होना किसे कहते है तुम्हे पता ही नही...
सुहानी:- पता है....मुझे सब पता है...
अविनाश:- कुछ नही पता...मैंने तो बस तुम्हे अपनी बाहो में लिया था...सिर्फ इसको तुम नॉटी बोल रही हो...अविनाश उसकी और टर्न हुआ और अपना एक हाथ को फोल्ड किया और अपना हाथ पे अपना सर रख दिया। सुहानी छत की तरफ मुह करके लेटी थी...उसने टर्न करके अविनाश किंतर्फ देखा...
सुहानी:- फिर आपके हिसाब से क्या है??
अविनाश:- हम्म मेरे हिसाब से?? मेरे हिसाब से तो यहां (दूसरा हाथ ऊपर लेते हुए उसके होठो पे रखते हुए) किस करना...फिर बूब्स को छूना....
सुहानी:- ईईईए पापाआआआ चुप बैठो...
अविनाश:- लो खुद ही पूछती हो और...
सुहानी:- अपना चेहरा शरमाके दूसरी और करते हुए...मुझे नहीं सुनना( पापा बूब्स बोल रहे है शरम भी नहीं आती इनको)*
अविनाश:- अब बूब्स को बूब्स ही बोलते है ना....और उसे छूना और दबाना नॉटी हरकत होती है...
सुहानी:- ईई छी छी पापा...मुझे नहीं बात करनी आपसे...सुहानी टर्न हुई और अपना चेहरा ब्लैंकेट के अंदर छुपा लिया...
अविनाश:- फिर क्या कहते है?? मुझे बताओ... अविनाश ने ब्लैंकेट के ऊपर से उसके कंधे को पकड़ कर अपनी और उसका चेहरा करने की कोशिश की।
सुहानी:- मुझे नहीं पता...सो जाओ...
सुहानी ने ब्लैंकेट के अंदर से हि जवाब दिया।
अविनाश वापस सीधा हुआ और लेट गया।
सुहानी:- आज पापा तो बड़े ही मुड़ में लग रहे है...क्या क्या बोल रहे हो...कल तक तो सिर्फ चुपके चुपके था अब मेरे सामने खुले आम ...बापरे...
अविनाश:-ह्म्म्म्म चुपके चुपके मजा लेती है और ऐसा कुछ बोलो तो मुह छुपा लेती है...
अविनाश बहोत कोशिश कर रहा था खुल के बात करने की लेकिन थोड़ी झिझक उसके मन में भी थी। सुहानी का शर्माना लाजमी था...आग दोनों तरफ लगी थी लेकिन पहला कदम कोण उठाएगा ये सवाल था...
अविनाश उठा और बाथरूम चला गया। सुहानी ने देखा अविनाश बाथरूम चला गया है तो वो सीधी हो के लेट गयी। अविनाश बाथरूम से आकर ब्लैंकेट के अंदर चला गया और सीधा लेट गया। * सुहानी इस बार खुद ही उसका हाथ पकड़ा और उसके छाती पे सर रख दिया अपना हाथ उसके पेट पे रख के सो गयी।
अविनाश:- क्या हुआ सुहानी??
सुहानी:- कुछ। नही...ऐसे सोना अच्छा लग रहा था...लेकिन आप हो की...
अविनाश:- अरे वो तो मैं ऐसेही....
सुहानी:- बहक गए थे क्या ही ही ही...सुहानी ने फिर उसे छेड़ा।
अविनाश:- हा थोडासा....
सुहानी:- छी पापा...
अविनाश:- देखा खुद ही बात निकालती हो फिर खुद ही छि ई करने लगती हो।
सुहानी:- ठीक है...अब सो जाइए...11 बज गए है। और मुझे बहोत नींद आ रही है।
अविनाश:- थिक् है...
दोनों चुपचाप लेट गए और सोने लगे...लेकिन दोनों जानते थे की नींद तो उनको आने से रही।
अविनाश ने अपना हाथ सुहानी के हाथ पे रखा और दूसरा पीठ पे।...उन दोनों के चहरे ब्लैंकेट से बाहर थे बाकि बदन ब्लैंकेट के अंदर। थोड़ी देर बाद सुहानी खुद ही थोडा आगे खिसकी और उससे चिपक गयी।
अविनाश को उसकी जांघे अपनी जांघो से रगड़ खाती महसूस हुई...
अविनाश:- ओह्ह्ह ये तो खुद ही चिपक रही है...लगता है मचल रही है ...चलो अगर ये ऐसेही मजे लेना चाहती है तो ऐसेही सही...
दरसल जब अविनाश बाथरूम गया था तब सुहानी ने सोचा की बात करके बोल के आगे बढ़ना उससे नही होगा लेकिन खामोश रह कर अविनाश को सिग्नल तो दे सकती है...इसलिए वो अब खुद उससे चिपक रही थी।
अविनाश थोड़ी देर ऐसेही लेता रहा...फिर उसने अपना हाथ जो उसने सुहानी के हाथ पे रखा था उसे उठाया और सुहानी के चूची पे रखा लेकिन वो ठीक से छु नहीं पा रहा था...ये चीज सुहानी ने नोटिस की वो खुद ही सीधी लेट गयी। अविनाश का हाथ अपने आप ही उसी चुचियो पे आ गया....अविनाश धीरे धीरे दबाने लगा...
अविनाश:- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह क्या मस्त माल है स्स्स्स कितना भी दबाओ मन ही नही भरता...थोड़ी देर वो ऐसेही सुहानी की। चुचिया दबाता रहा...लेकिन वो पोजीशन ठीक नही थी...इसे दिक्कत हो रही थी...उसने अपना हाथ जो सुहानी के गर्दन के निचे दबा हुआ था उसे निक्काला और सुहानी की तरफ टर्न हो गया...उसने देखा सुहानी आँखे बंद किये हुए पड़ी है...उसने धीरे से ब्लैंकेट को निचे खिंचा...उसने देखा की सुहानी इधर मुह करके सो रही थी।
अविनाश:- वाओ क्या मस्त लग रही है इसकी चुचिया स्स्स्स्स्...अविनाश अपना हाथ फोल्ड करके हथेली पे अपना सर रख दिया...एयर अपना दूसरा हाथ चुचियो पे रख दिया...और धीरे धीरे उन्हें दबाने लगा...
सुहानी:- स्स्स्स्स् अह्ह्ह्ह्ह उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह कितना अच्छा लग रहा है स्स्स्स
अविनाश:- आज पता चल रहा है इनका ओरिजिनल साइज़ उफ्फ्फ्फ़ कितनी बड़ी बड़ी है स्सस्सस्स नीता से भी बड़ी है उम्म्म्म्म्म
अविनाश एक एक करके उसकी चुचिया सहला रहा था दबा रहा था....फिर उसने निप्पल को पकड़ा और धीरे से दबाया...
सुहानी:-मन में.... अह्ह्ह्ह पापा निप्पल नही स्स्स्स्स् उम्म्म्म्म
अविनाश:- स्स्स्स्स् कितना मोटा है निप्पल इसका उम्म्म्म्म
सुहानी को बहोत मजा आ रहा था...लेककिं अपनी सिसकियो की वो कैसे रोक। रही थी सिर्फ उसे ही पता था।
अविनाश पपागल हो चूका था....वो जी भर के उसकी चुचियो को दबा रहा था....अब उसने सुहानी के पेट पे हाथ रखा और उसका टॉप ऊपर करने लगा...धीरे धीरे ऊपर खिंच रहा था...वो जनता था सुहानी जग रही है...उसे किसी बात का डर नही था...उसने टॉप को पूरा ऊपर कर दिया....उसने देखा नील बल्ब के रोशनी में सुहानी की सावले रंग की एकदम गोल एयर सुडोल चुचिया चमक रही थी...उसपे वो काले रंग के बड़े बड़े निप्पल जामुन के जैसे लग रहे थे...अविनाश ने अपना हाथ आगे बढ़ाया...उसके हाथ काँप रहे थे...उसने अपना हाथ एक चूची पे रखा...
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