RE: Indian Sex Story बदसूरत
सुहानी:-अच्छा?? जिस लड़की से तुम ठीक से बात नहीं करते थे...जिसकी बदसूरती की वजह से तुम्हे एम्बर्समेंट होती थी...उसे देख के तुम्हारा लंड कैसे खड़ा हो गया??
तुम्हे सिर्फ उसका जिस्म अच्छा लगता है...बाकी उसका मन क्या कहता है क्या चाहता है इससे कुछ लेना देना नहीं...
सुहानी बहोत गुस्से में ये सब बोल रही थी...सोहन उसका ये रुप देख के हक्का बक्का रह गया...
सुहानी:- मैं तो कल रात ही तुम्हे रोकना चाहती थी पर पता नही क्यू रोक नहीं पायी...तुझे सिर्फ अपनी प्यास बुझाने से मतलब है...बाकि किसी चीज से नही...तुम्हे अहसास भी है मुझपे क्या गुजरती थी जब तुम मेरे साथ ऐसा बिहेव करते थे...
सोहन:- कैसा बिहेव दीदी??
सुहानी:- कैसा?? अब भी पूछ रहे हो?? क्या तुमने कभी मेरे साथ मस्ती की?? जो भाई बहन करते है...कभी प्यार भरा झगड़ा किया?? कभी मुझे लेके बाहर घूमने गया??
नहीं...क्यू ??? क्यू की मैं बदसूरत हु...तुझे शरम आती थी मेरी...और कल रात क्या हुआ?? तभी तुमने नही सोचा की ये बदसूरत के साथ कैसे ये सब करू??
तभी तुम्हे ख्याल नहीं आया क्यू की तुमने सोचा चलो फ्री में चोदने के लिए चूत मिल रही है...बस वही सबकुछ है तुम्हारे लिए....
सुहानी का गुस्सा अब कण्ट्रोल से बाहर हो गया था...उसकी आँखों में आंसू आ गए...वो रोने लगी...सोहन चुपचाप सब सुनता रहा...सुहानी के मन में ये सब था उसे पता ही नहीं था...वो खड़ा हुआ और सुहानी के सामने जा बैठा...अपने घुटनो के बल खड़ा हुआ और सुहानी के आंसू पोछने लगा...सुहानी ने उसका हाथ झटके से हटा दिया...लेकिन सोहन फिर से उसके आसु पोछने लगा...
सोहन:- दीदी शांत हो जाओ...मुझे नहीं पता था दीदी मैंने। नादानी में इतना हर्ट किया है आपको...लेकिन दीदी यकीं करो...कभी जानबुज के नहीं किया ...अगर किया होता तो उसका मुझे पछतावा नहीं होता...आप जानती हो मुझे...दीदी बचपन से ही हमारा रिश्ता ऐसा ही रहा है...आप अपने में ही रहती थी...किताबो से बाहर कभी आयीं नही आप...आपसे कभी फ्रीलि बात करने का मौका आया ही नहीं...मैं अपनी मस्ती में रहता था..तो क्या इसमें मेरी गलती है??
सुहानी ने उसकी और देखा...
सोहन:- दीदी आप अच्छी नहीं दिखती हो इस वजह से कुछ नहीं हुआ...यकीन मानिये ...इसकी वजह कुछ और थी...दीदी मम्मी आपसे कितना प्यार करती है...आपकी हर छोटी छोटी बाटे उन्हें पता रहती थी...आपका कितना ख्याल रखती थी...क्या आ0को लगता है उन्हें मेरी हर छोटी बात पता है...उन्हें सिर्फ आप दिखाई देती थी...मैं मेरे अचीवमेंट *मेरा फेलियर कुछ नहीं पता उनको...और जब भी कभी पड़ोस में रिश्तेदारो में बाते होती थी सिर्फ आपकी तारीफ करती थी...इस वजह से आप पे बहोत गुस्सा आता था...और जब भी मौका मिलता...जो की बहोत कम मिलता था तब मैं आपका अपमान करने से नही चुकता था...दीदीमम्मी का प्प्यार जितना आपको मिला उतना मुझे नही मिला...इस बात से आप इंकार नहीं कर सकती...ये स्वाभाविक है दीदी.....मैं मानता हु मुझे ऐसा नहीं सोचना चाहिए था लेकिन समझाने वाला कोई नहीं था...क्यू की पापा ने मुझे कभी ऐसा करने से। रोका नहीं...मम्मी रोकती लेकिन उसका असर उल्टा होता था...आज अगर बताती नहीं तो मुझे तो पता ही नहीं चलता की आप क्या सोचती हो...फिर भी दीदी आप दिल को ठेस पहूंची इस बात के लिए हो सके तो मुझे माफ़ कर देना...आय ऍम रियली वैरी सॉरी...
सोहन ये बोल के उठ के चला गया...सुहानी बस उसे जाते हुए देखती रही...सुहानी के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था...क्यू की वो जो भी बोल के गया था वो बिलकुल सही था...सुहानी खुद उस बात को बेहतर समझ सकती थी...क्यू की उसके मन में सोहन के लिए गुस्सा या नफ़रत जो भी थी सिर्फ इसी वजह से थी क्यू की अविनाश उससे जादा प्यार करता था...सुहानी को उसने कभी कोई अहमियत नहीं दी थी...और सुहानी उसके लिए हमेशा तरसती रहती...सोहन के साथ भी तो वही हुआ था...नीता ने सुहानी को जादा अहमियत दी और सोहन को नहीं....
सुहानी:-सोहन की बातो में सच्चाई थी...ये हर घर में होता है...मम्मी पापा के लिए...खासकर मम्मी के लिए सभी बच्चे सेम होते है...सोहन को ऐसा फील होना लाजमी है क्यू की मम्मी ने मेरी तरफ ध्यान जादा दिया क्यू की पापा मेरी तरफ बिलक्कुल ध्यान नही देते थे...इसका मतलब ये नहीं था की वो सोहन से कम प्यार करती है लेकिन फिर। भी सोहन को गलत फैमि हो गयी और उसके साथ साथ मुझे भी.....और इस वजह सोहन को मुझपे गुस्सा आने लगा...लेकिन इसमें पापा की गलती है क्यू की उन्होंने खुद कबूल किया ...
सुहानी आज फिरसे सही गलत के। बिच फंस गयी थी..सुहानी ने जो तरीका अपनाया था वो गलत था...अविनाश और सोहन को समझाने के लिए वो किसी दूसरे तरीके से समझा सकती थी...लेकिन समीर ने जो उसके साथ किया था उसकी वजह से सुहानी को लगने लगा था की शायद बदसूरत होने की वजह से उसके साथ कोई सेक्स भी ना करे...और खुद को ये प्रूव करने के चक्कर में उसने। गलत रास्ता चुन लिया...लेकिन गलत तो हमेशा गलत ही रहता है...और इस गलत रस्ते पे चलते हुए सुहानी गलत सम्बन्ध भी बना बैठी....
सुहानी चुपचाप अपने कमरे में जा बैठी...उसके मन का सारा बोझ जैसे हल्का हो गया था...उसके बदले की आग ठंडी हो चुकी थी।
लेकिन जिस्म की आग का क्या??? एक बार लंड का मजा चख ले वो कितने दिनों तक बिना चुदवाये रह सकता था?? और ऐसे वक़्त कोण भाई कोण पापा इसका ख्याल रहता है???
इसका जवाब है....नहीं....जब वासना का तूफ़ान आता है...जब जिस्म की आग भड़कती है तब लंड को सिर्फ चूत से और चूत को सिर्फ लंड से मतलब होता है...चाहे वो लंड भाई का हो या बाप का...चाहे वो चूत बहन की हो या माँ की.....
सुहानी अपने कमरे में बेड पे लेटी लेटी सोहन की बातो के बारे में सोच रही थी। सोहन भी बेचैन था...दोनों को खुद की गलती समझ आ गयी थी। सुहानी के मन में उठा तूफ़ान अब शांत हो गया था...भले ही उसे सोहन वो सोहन का अपमान नहीं कर पायी थी लेकिन उसके द्वारा कही गयी हर बात सुहानी को सहिंलग रही थी। सोहन को भी खुद की गलती का अहसास हो रहा था...
सोहन:- दीदी भी क्या क्या सोच के बैठी थी...लेकिन उनका ऐसा सोचना भी सही है...मैंने उनसे कभी भाई जैसा रिश्ता बनाया ही नहीं...हमेशा उनसे दूर दूर ही रहा...लेकिन अब ऐसा नहीं होगा...मुझे उनसे बात करनी होगी अभी...सोहन उठा और सुहानी के कमरे की और चलने लगा।
उसने दरवाजा खटखटाया...सुहानी ने दरवाजा खोला...दोनों ने एक दूसरे को देखा...
सोहन:- दीदी आप ठीक हो ना?? आपसे बात करनी थी।
सुहानी ने उसे अंदर आने दिया।
सोहन:- मैं आपसे पिछली गलतियों की माफ़ी माँगना चाहता हु और प्रॉमिस करता हु की अब से मैं कभी आपके साथ ऐसा बर्ताव नहीं करूँगा...प्लीज़ दीदी मेरी नादानी समझ के मुज्ज माफ़ कर देना...
सुहानी :- ठीक है जाने दे...मैं उस बारे में बात नहीं करना चाहती...
सुहानी बेड पप जाके बैठ गयी। सोहन भी उसके पास जा के बैठ गया...उसने सुहानी के हाथो पे हाथ रखा...दोनों चुपचाप थे...सोहन कमरे में नजर घुमा रहा था...सुहानी भी इधर उधर देख रहा थी...तभी दोनों की नजर एक साथ सुहानी ने कल रात जो ब्लाउज पहना था उसपे *पड़ी जो चेयर के पास निचे पड़ा हुआ था ...सोहन और सुहानी की नजर मिली...उनकी आँखों के सामने कल रात वाला सिन घूमने लगा...सुहानी को अजीब लग रहा था...दोनों एकक दूसरे की आँखों में देखते रहे और फिर सुहानी ने नजरे झुका ली और वो फिरसे इधर उधर देखने लगी...
सुहानी:- और कुछ बोलना है...
सोहन:- नहीं...
सुहानी:-ठीक है फिर...मुझे नींद आ रही है...
सोहन उठा...उसे क्या लगा पता नहीं...उसने निचे पड़ा हुआ ब्लाउज उठाया और देखने लगा...हलाकि उसने वो ब्लाउज ऊपर रखने के लिए उठाया था लेकिन सुहानी को कुव्ह अलग ही लगा...वो एकदम से झपटी और ब्लाउज को उसके हाथ से खीचने लगी...सोहन को ये एक्सपेक्ट नहीं था...
सुहानी:- क्या कर रहा है..वापस दे...और जोर से खीचा..सोहन कुछ समझ पाता उसके पहले ही ब्लाउज जहा से कल रात सुहानी ने सिया था वो फिर फट गया...
सोहन:- दीदी...क्या कर रहे हो?? मैं तो ऊपर रख रहा था...देखा फिर फट गया...
सुहानी:- ब्लाउज को देखते हुए...मैं फिर सी लुंगी....
सोहन:- लेकिन आपको तो सुई में धागा डालना आता नहीं...
सोहन ने स्माइल करते हुए कहा...सुहानी ने उसकी और देखा...
सुहानी:- तो तू है ना...तुझे बोल दूंगी...सुहानी भी स्माइल करते हुए बोली...
सोहन:- ठीक है कभी भी बोल देना..मैं आराम से गिला करके अंदर डाल दूंगा...
दोनों एक दूसरे को देखने लगे....और फिर दोनों एक साथ जोर जोर से हँसने लगे....
सुहानी:- उसे एक चमाट धीरे उसके गाल पे मारी....चुप बदमाश...हस्ते हुए उसकी आँखे नम हो गयी....सोहन के आँखों में भी आंसू छलक उठे...दोनों ऐसेही एक दूसरे को बाहो में लेके रोने लगे...थोड़ी देर ऐसेही रोते रहे....लेकिन थोड़ी ही देर मेंदोनों को एक दूसरे के जिस्म की गर्माहट महसूस होने लगा....दोनों धीरे धीरे एक दूसरे के पीठ पे हाथ...घुमाने लगे...एक दूसरे को बाहो में कसने लगे...सोहन ने सुहानी के गले पे अपने होठ रख दिए....उसके होठो का स्पर्श होते ही सुहानी की आँखे बंद हो गयी....और उसका हाथ अपने आप ही उसके सर पे चला गया....सुहानी के मुह से हलकी सी सिसकारी निकली....सोहन ने फिर से धीरे से अपने होठ उसकी गार्डन पे रखे और क्किस करने लगा...लेकिन इस बार किस गिला था....लेकिम सुहानी की आग भड़काने के लिए उसने पेट्रोल का काम किया....सोहन ने सुहानी की कमर में हाथ डाला और उसे अपनी और खीचा....उसी के साथ सुहानी और सोहन ने एक दूसरे की आँखों में देखा....दोनों की आँखे लाल हो चुकी थी...दोंनो की सांसे तेज चल रही थी....धीरे धीरे उन दोनों के होठ एक दूसरे के करीब करीब आते जा रहे थे....जैसे जैसे उनके होठ पास आ रहे थे उनकी धड़कने बढ़ती जा रही थी........
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